ISA असेंबली के सातवें सत्र में वर्ष 2024 से वर्ष 2026 तक दो वर्ष की अवधि के लिए अपने अध्यक्ष और सह-अध्यक्ष का चुनाव किया गया।
संबंधित तथ्य
भारत और फ्राँस ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन असेंबली की अध्यक्षता और सह-अध्यक्षता बरकरार रखी है।
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का अवलोकन
संगठन के बारे में: यह 120 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों वाला एक संधि आधारित अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो देश पूर्णतः या आंशिक रूप से कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच अवस्थित हैं।
पैराग्वे अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में शामिल होने वाला 100वाँ देश बन गया।
मिशन: ISA का मिशन वर्ष 2030 तक सौर ऊर्जा में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश प्राप्त करना है, साथ ही प्रौद्योगिकी और इसके वित्तपोषण की लागत को कम करना है।
मुख्यालय: ISA का मुख्यालय भारत में है, यह पहला अंतरराष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका मुख्यालय भारत में है।
शासन संरचना
ISA असेंबली: यह असेंबली ISA की वार्षिक सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है, जो प्रत्येक सदस्य देश का प्रतिनिधित्व करती है।
यह सभा ISA के फ्रेमवर्क समझौते को लागू करने के लिए जिम्मेदार है।
समितियाँ: ISA की पाँच समितियाँ हैं:-
स्थायी समिति और चार क्षेत्रीय समितियाँ जो चार ISA क्षेत्रों में से प्रत्येक के लिए स्थापित की गई हैं, अर्थात्,
अफ्रीका; एशिया और प्रशांत; यूरोप और अन्य; तथा लैटिन अमेरिकी और कैरेबियन देश।
सचिवालय: सचिवालय यह सुनिश्चित करता है कि सभा के निर्णयों का अनुपालन करने तथा ऐसे निर्णयों के कार्यान्वयन में ISA सदस्य देशों की कार्रवाइयों में समन्वय स्थापित करने के लिए उचित कदम उठाए जाएँ।
ISA सचिवालय का नेतृत्व महानिदेशक करते हैं और यह दिल्ली, भारत में स्थित है।
ISA की प्रमुख पहल
सोलर डेटा पोर्टल (Solar Data Portal): सोलर परियोजनाओं में सूचित निर्णय लेने के लिए पारदर्शी अंतर्दृष्टि के साथ हितधारकों को सशक्त बनाते हुए वास्तविक समय का सोलर डेटा प्रदान करता है।
ईज ऑफ डूइंग सोलर (Ease of Doing Solar): देश के विधायी और नीतिगत ढाँचों को सोलर ऊर्जा के लिए अधिक सहायक बनाने के लिए विश्लेषण तथा सलाहकार सेवाएँ प्रदान करता है।
वैश्विक सोलर सुविधा (Global Solar Facility): इसका उद्देश्य कम सेवा वाले क्षेत्रों, विशेष रूप से अफ्रीका में सोलर परियोजनाओं के लिए वाणिज्यिक पूँजी जारी करना है।
सोलरएक्स स्टार्टअप चैलेंज (SolarX Startup Challenge): सोलर सेक्टर के लिए अभिनव, स्केलेबल समाधानों की सफलतापूर्वक पहचान और समर्थन किया है।
स्टार-सेंटर पहल (STAR-Centre Initiative): सोलर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन रिसोर्स-सेंटर (STAR-C) विशेष प्रशिक्षण सुविधाओं, उपकरणों और संरचित शिक्षण मॉड्यूल से लैस हैं, जो अत्यधिक कुशल सोलर कार्यबल को विकसित करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।
आज तक, ISA ने सात देशों में स्टार केंद्रों की सफलतापूर्वक स्थापना और संचालन किया है: इथियोपिया, सोमालिया, क्यूबा, कोटे डी आइवर, किरिबाती, घाना और बांग्लादेश।
कृष्ण अय्यर सिद्धांत (Krishna Iyer Doctrine)
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय, जिसमें कृष्ण अय्यर सिद्धांत का उल्लेख किया गया था, ने व्यक्तिगत अधिकारों और सामाजिक हितों के बीच संतुलन बनाने में न्यायपालिका की भूमिका के बारे में बहस छेड़ दी।
कृष्ण अय्यर सिद्धांत के बारे में
कृष्णा अय्यर सिद्धांत, जिसका नाम सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वी.आर. कृष्णा अय्यर के नाम पर रखा गया है, एक न्यायिक दर्शन है, जो मानवाधिकारों, सामाजिक न्याय और सामाजिक मुद्दों को संबोधित करने में न्यायपालिका की भूमिका पर जोर देता है।
इसकी विशेषता हाशिए पर पड़े समूहों की सुरक्षा और समानता को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता है।
कृष्ण अय्यर सिद्धांत के मुख्य पहलू
मानवाधिकार और सामाजिक न्याय: यह सिद्धांत मानवाधिकारों और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता देता है तथा हाशिए पर पड़े एवं वंचित लोगों के अधिकारों की सुरक्षा की वकालत करता है।
न्यायिक सक्रियता: यह न्यायिक सक्रियता को प्रोत्साहित करता है, जहाँ न्यायपालिका सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए सामाजिक और आर्थिक नीतियों को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाती है।
जनहित याचिका: यह सिद्धांत जनहित याचिका का समर्थन करता है, जिससे व्यक्तियों और संगठनों को जनहित की ओर से न्यायालय में मामले लाने की अनुमति मिलती है।
नियम के रूप में जमानत, अपवाद के रूप में जेल (Bail as the Rule, Jail as the Exception): यह सिद्धांत अभियुक्त व्यक्तियों को जमानत देने के महत्त्व पर जोर देता है, विशेषकर गैर-गंभीर मामलों में।
वंचितों पर ध्यान केंद्रित करना: सिद्धांत समाज के वंचित और हाशिए पर पड़े वर्गों की जरूरतों पर विशेष ध्यान देने का आह्वान करता है।
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