विश्व डाक दिवस (9 अक्टूबर, 2025) पर, भारत सरकार के डाक विभाग ने स्मारक डाक टिकट जारी किया।
संबंधित तथ्य
ये टिकट यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (Universal Postal Union- UPU) की 150वीं वर्षगाँठ का सम्मान में जारी किए गए हैं।
इस वर्ष का विश्व डाक दिवस भारतीय डाक की सेवा के 170 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है।
यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) के बारे में
स्थापना: 9 अक्टूबर, 1874 को बर्न, स्विट्जरलैंड में बर्न की संधि (Treaty of Bern) द्वारा।
यह दुनिया भर में दूसरा सबसे पुराना अंतरराष्ट्रीय संगठन है।
यह संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक विशेष एजेंसी है, जो विश्वव्यापी डाक प्रणाली के अलावा सदस्य देशों के बीच डाक नीतियों का समन्वय करती है।
अपने 192 सदस्य देशों के साथ, यह अंतरराष्ट्रीय डाक सहयोग एवं डाक नियमों के मानकीकरण के लिए एक प्रमुख संगठन के रूप में कार्य करता है।
सदस्यता: संयुक्त राष्ट्र का कोई भी सदस्य देश UPU का सदस्य बन सकता है।
भारत की भूमिका
भारत वर्ष 1876 में UPU में शामिल हुआ।
भारत UPU के सबसे पुराने एवं सबसे सक्रिय सदस्यों में से एक है, जो दुनिया भर में डाक सेवाओं को सुलभ बनाने के संघ के लक्ष्य में योगदान दे रहा है।
समुद्री अभ्यास IBSAMAR का आठवाँ संस्करण
INS तलवार, भारतीय नौसेना का एक फ्रंटलाइन स्टील्थ फ्रिगेट, 6 अक्टूबर 2024 को साइमन टाउन, दक्षिण अफ्रीका पहुँचा।
IBSAMAR VIII समुद्री अभ्यास के बारे में
यह एक संयुक्त समुद्री अभ्यास है, जिसमें भारतीय, ब्राजीलियाई एवं दक्षिण अफ्रीकी नौसेनाएँ शामिल हैं।
IBSAMAR VIII का उद्देश्य
लक्ष्य: भाग लेने वाली नौसेनाओं के बीच अंतरसंचालनीयता को बढ़ाना एवं संबंधों को मजबूत करना।
फोकस: ‘ब्लू वॉटर नेवल वारफेयर’ पर आधारित, सतह एवं ‘एंटी-एयर वारफेयर’ आयामों को कवर करता है।
बहुपक्षीय अभ्यास का महत्त्व
आपसी विश्वास एवं अंतरसंचालनीयता: यह अभ्यास समान विचारधारा वाले देशों की नौसेनाओं के बीच आपसी विश्वास एवं अंतरसंचालनीयता को बढ़ावा देती है।
वे शांतिपूर्ण समुद्री क्षेत्र एवं सकारात्मक समुद्री वातावरण में योगदान देते हैं।
भारत-दक्षिण अफ्रीका रक्षा संबंधों को मजबूत करना
‘ऑपरेशनल सी ट्रेनिंग’ एवं ‘सबमरीन रेस्क्यू सपोर्ट’ जैसी पहलों के साथ भारत तथा दक्षिण अफ्रीका के बीच रक्षा सहयोग बढ़ रहा है।
ये पहल अगस्त 2024 में नई दिल्ली में आयोजित 12वीं नौसेना-से-नौसेना वार्ता के बाद की गई।
INS तलवार के बारे में
कमीशनिंग: INS तलवार को 18 जून, 2003 को कमीशन किया गया था।
बेड़ा: यह मुंबई स्थित भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े का हिस्सा है।
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC), लोथल, गुजरात
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोथल, गुजरात में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) के विकास को मंजूरी दी।
संबंधित तथ्य
परियोजना के चरण: चरण 1 एवं चरण 2 के लिए सैद्धांतिक मंजूरी के साथ, परियोजना दो चरणों में पूरी की जाएगी।
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (National Maritime Heritage Complex- NMHC) के बारे में
NMHC एक आगामी पर्यटन परिसर है, जिसे भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
नोडल मंत्रालय: बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW), भारत सरकार।
मुख्य विशेषताएँ एवं आकर्षण
पुनर्निर्मित ऐतिहासिक स्थल: परिसर में लोथल एवं धोलावीरा जैसे प्राचीन हड़प्पा शहरों की प्रतिकृतियाँ शामिल होंगी ताकि आगंतुकों को इन पुरातात्त्विक खजाने की एक झलक मिल सके।
सुविधाएँ: नियोजित सुविधाओं में संग्रहालय, मनोरंजन पार्क, शैक्षणिक संस्थान, होटल एवं रिसॉर्ट शामिल हैं, जो इसे एक व्यापक सांस्कृतिक तथा मनोरंजक गंतव्य बनाते हैं।
महत्त्व
सांस्कृतिक एवं शैक्षिक केंद्र: NMHC भारत के समुद्री इतिहास के बारे में जानने, पर्यटकों, शोधकर्ताओं एवं इतिहास के प्रति उत्साही लोगों को समान रूप से आकर्षित करने के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
लोथल: गुजरात में एक प्राचीन हड़प्पा स्थल
सबसे दक्षिणी हड़प्पा स्थल: गुजरात के भाल (Bhal) क्षेत्र में स्थित, लोथल हड़प्पा सभ्यता के सबसे दक्षिणी शहरों में से एक है।
ऐतिहासिक निर्माण: माना जाता है कि इसकी स्थापना 2200 ईसा पूर्व के आसपास हुई थी।
उन्नत समुद्री अवसंरचना: लोथल में दुनिया के सबसे पुराने बंदरगाहों में से एक था, जो शहर को साबरमती नदी के एक प्राचीन मार्ग से जोड़कर व्यापार की सुविधा प्रदान करता था।
नामांकन तिथि: लोथल को अप्रैल 2014 में यूनेस्को (UNESCO) विश्व धरोहर स्थल के रूप में प्रस्तावित किया गया था।
वैश्विक मान्यता: यह नामांकन लोथल के ऐतिहासिक महत्त्व एवं उन्नत शहरी नियोजन पर प्रकाश डालता है।
पुरातात्त्विक खोज: वर्ष 1954 में पुरातत्त्वविद् एस. आर. राव द्वारा खोजा गया। जिन्होंने साइट के महत्त्व को उजागर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अन्य महत्त्वपूर्ण स्थल: सुरकोटदा एवं धोलावीरा भी गुजरात में उल्लेखनीय हड़प्पा स्थल हैं, जो इस क्षेत्र के समृद्ध प्राचीन इतिहास को दर्शाते हैं।
प्रोजेक्ट शौर्य गाथा
(Project Shaurya Gatha)
प्रोजेक्ट शौर्य गाथा (Project Shaurya Gatha) को भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव (Indian Military Heritage Festival- IMHF) के दौरान ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल’ अनिल चौहान द्वारा लॉन्च किया गया था।
प्रोजेक्ट शौर्य गाथा (Project Shaurya Gatha)
शुरू किया गया: सैन्य मामलों का विभाग एवं यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टिट्यूशन ऑफ इंडिया (United Services Institution of India- USI) द्वारा शुरू किया गया।
उद्देश्य: शिक्षा एवं पर्यटन के माध्यम से भारत की समृद्ध सैन्य विरासत को संरक्षित तथा बढ़ावा देना।
प्रमुख विशेषताएँ
भारत के सैन्य इतिहास का दस्तावेजीकरण करना।
महत्त्वपूर्ण सैन्य स्थलों पर पर्यटन को बढ़ावा देना।
युवाओं एवं आम जनता को शामिल करने के लिए शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित करना।
भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव (Indian Military Heritage Festival- IMHF)
उद्घाटन: दूसरे संस्करण का उद्घाटन 8 नवंबर, 2024 को नई दिल्ली में ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल’ अनिल चौहान द्वारा किया गया।
उद्देश्य: भारत की सैन्य विरासत, इतिहास एवं रणनीतिक प्राथमिकताओं के बारे में सार्वजनिक समझ को बढ़ाना।
आयोजक: ‘यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टिट्यूशन ऑफ इंडिया’ अपने सैन्य इतिहास एवं संघर्ष अध्ययन केंद्र (Center for Military History and Conflict Studies- CMHCS) के माध्यम से।
मुख्य विशेषताएँ
विशेषज्ञों के साथ पैनल चर्चा।
DRDO एवं सशस्त्र बलों द्वारा रक्षा प्रदर्शनियाँ।
NCC कैडेट्स एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सहभागिता।
सैन्य इतिहास एवं सुरक्षा से संबंधित प्रकाशनों का शुभारंभ।
आतंकवाद विरोधी सम्मेलन 2024
केंद्रीय गृह मंत्री ने नई दिल्ली में दूसरे आतंकवाद विरोधी सम्मेलन 2024 (Anti-Terror Conference 2024) का उद्घाटन किया, जिसमें जीरो टाॅलरेंस दृष्टिकोण के साथ आतंकवाद को समाप्त करने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया गया।
आतंकवाद विरोधी सम्मेलन 2024 के मुख्य विषय
आतंकवादी समूह की रोकथाम एवं आपराधिक संबंध: केंद्रीय गृह मंत्री की सलाह के अनुसार, ‘क्रूर’ दृष्टिकोण के साथ नए आतंकवादी समूहों के गठन को रोकने पर ध्यान देना।
इस बात पर चर्चा कि कैसे संगठित अपराध, विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत में, आतंकी फंडिंग में योगदान देता है।
दक्षिणी राज्यों में हिज्ब-उत-तहरीर (Hizb-ut-Tahrir-HuT) की बढ़ती उपस्थिति एवं अंतरराष्ट्रीय अपराध सिंडिकेट के आतंकवाद से संबंध पर चिंता व्यक्त की गई।
केस स्टडी तथा उभरते खतरे: रामेश्वरम् कैफे विस्फोट मामले का विश्लेषण, पश्चिम बंगाल पुलिस एवं NIA के बीच सहयोग से हुई गिरफ्तारी पर प्रकाश डाला गया।
सीमाओं के पार हथियारों एवं नशीली दवाओं के परिवहन के लिए ड्रोन का उपयोग करके तस्करी के नए तरीकों की खोज।
आतंकवाद विरोधी रणनीति एवं समन्वय: आतंकवाद विरोधी टीमों एवं स्थानीय पुलिस के बीच बेहतर समन्वय के साथ एक एकीकृत आतंकवाद विरोधी संरचना बनाने पर जोर दिया गया।
वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में आतंक के वित्तपोषण से निपटने एवं समर्थन नेटवर्क को नष्ट करने की रणनीतियाँ।
आतंकवाद में तकनीकी चुनौतियाँ: यह जाँचना कि आतंकवादी समूह संचार के लिए सोशल मीडिया, एन्क्रिप्टेड ऐप्स, VPN एवं वर्चुअल नंबरों का उपयोग कैसे करते हैं।
नशीले पदार्थों की तस्करी से राष्ट्रीय सुरक्षा को होने वाले खतरे को संबोधित करना।
सहयोग एवं एकीकृत दृष्टिकोण: प्रतिभागियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए केंद्रीय एवं राज्य एजेंसियों के बीच सहयोग को आवश्यक बताते हुए सभी स्तरों पर एक मानकीकृत आतंकवाद विरोधी ढाँचे की आवश्यकता पर जोर दिया।
आतंकवाद विरोधी प्रयासों के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस: जाँच को मजबूत करने के लिए NIA के राष्ट्रीय आतंकी डेटाबेस का उपयोग करना, जिसमें उँगलियों के निशान, आतंकवादी घटनाओं, नशीले पदार्थों के अपराधियों एवं मानव तस्करी पर डेटा शामिल है।
कुशल अधिकारियों की माँग: केंद्रीय गृह सचिव ने राज्यों से NIA में सक्षम अधिकारियों को भेजने का आग्रह किया, जिससे न केवल एजेंसी की क्षमताओं में वृद्धि होगी बल्कि इन अधिकारियों के राज्य सेवा में लौटने पर जाँच प्रथाओं में भी वृद्धि होगी।
UAPA का उपयोग: चर्चाओं में UAPA के सावधानीपूर्वक आवेदन पर जोर दिया गया, दुरुपयोग से बचने के लिए इसके प्रभावी एवं विवेकपूर्ण उपयोग पर जोर दिया गया।
क्षमता-निर्माण पहल: राज्य-स्तरीय आतंकवाद विरोधी प्रयासों का समर्थन करने के लिए अधिक राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (National Forensic Science University- NFSU) परिसरों एवं केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (Central Forensic Science Laboratory- CFSL) के साथ-साथ NIA द्वारा अतिरिक्त प्रशिक्षण सत्रों की योजना की घोषणा की गई।
वित्तीय एवं साइबर आतंकवाद पर ध्यान: वित्तीय एवं साइबर अपराधों के प्रबंधन के लिए वित्तीय खुफिया इकाई (Financial Intelligence Unit- FIU) तथा भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Cyber Crime Coordination Centre- I4C) की भूमिका पर प्रकाश डाला गया।
ब्राजील के अमेजन वर्षावनों की कटाई में गिरावट
ब्राजील के अमेजन वर्षावन में पिछले वर्ष की तुलना में वनों की कटाई में 30.6% की उल्लेखनीय कमी देखी गई।
मुख्य निष्कर्ष
वनों की कटाई में कमी
9 वर्षों में सबसे निचला स्तर: यह अमेजन वनों की कटाई का 9 वर्षों में सबसे निचला स्तर है।
सेराडो (Cerrado) वनों की कटाई में गिरावट: ब्राजील के विशाल सवाना, सेराडो में वनों की कटाई में भी 25.7% की कमी आई, जो पाँच वर्षों में पहली गिरावट है।
अमेजन वर्षावन के बारे में
वैश्विक महत्त्व: अमेजन वर्षावन दुनिया का सबसे बड़ा उष्णकटिबंधीय वर्षावन है, जो वैश्विक जलवायु विनियमन एवं जैव विविधता के लिए महत्त्वपूर्ण है।
भौगोलिक विस्तार: यह 2 मिलियन वर्ग मील से अधिक क्षेत्र में फैला है एवं 9 देशों में फैला है: ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, वेनेजुएला, इक्वाडोर, बोलीविया, गुयाना, सूरीनाम तथा फ्रेंच गुयाना।
कार्बन सिंक: यह भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है, जिससे जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद मिलती है।
वाटर टॉवर: अमेजन दक्षिण अमेरिका के लिए मीठे जल का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है, जो वैश्विक मौसम पैटर्न को प्रभावित करता है।
जैव विविधता हॉटस्पॉट: यह लाखों पौधों एवं जानवरों की प्रजातियों का आवास है, जिनमें से कई इस क्षेत्र के लिए अद्वितीय हैं।
देशज समुदाय: कई स्वदेशी समुदाय अपनी आजीविका एवं सांस्कृतिक विरासत के लिए अमेजन पर निर्भर हैं।
निरंतर चुनौतियाँ: हालाँकि वनों की कटाई में हालिया गिरावट उत्साहजनक है, जलवायु परिवर्तन, अवैध कटाई एवं कृषि विस्तार जैसी चल रही चुनौतियाँ अमेजन वर्षावन के लिए खतरा बनी हुई हैं।
भावी पीढ़ियों के लिए इस महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।
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