हाल ही में गुरु नानक जयंती या गुरुपर्व संपूर्ण भारत एवं विश्व भर में धार्मिक उत्साह के साथ मनाया गया।
संबंधित तथ्य
इस वर्ष गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती है।
गुरु नानक जयंती के बारे में
गुरु नानक जयंती, जिसे गुरुपर्व के नाम से भी जाना जाता है, सिख समुदाय के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण त्योहार है।
यह पहले सिख गुरु, गुरु नानक देव जी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
यह त्योहार कार्तिक पूर्णिमा, कार्तिक (हिंदू कैलेंडर) के पंद्रहवें चंद्र दिवस पर पड़ता है, सामान्य तौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नवंबर माह में।
उत्सव एवं अनुष्ठान
उत्सव दो दिन पहले प्रारंभ होते हैं:
अखंड पाठ: गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे का निरंतर पाठ किया जाता है।
नगरकीर्तन: निशान साहिब (सिख ध्वज) लेकर पंज प्यारे (पाँच प्यारे) के नेतृत्व में एक जुलूस का आयोजन।
भजन गाए जाते हैं, मार्शल आर्ट का प्रदर्शन किया जाता है एवं सड़कों को झंडों तथा फूलों से सजाया जाता है।
गुरु नानक देव के बारे में
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को राय भोई की तलवंडी (आधुनिक ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था।
वह दस सिख गुरुओं में से पहले गुरु थे।
शिष्यों के लिए उनका आदर्श वाक्य: “कीरत करो, नाम जपो एवं वंड छको”।
अन्य नाम: बाबा नानक।
उन्होंने 15वीं शताब्दी में सिख धर्म की स्थापना की एवं गुरु ग्रंथ साहिब में 974 भजन लिखे।
गुरु ग्रंथ साहिब सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ है।
मृत्यु: उनकी मृत्यु 22 सितंबर, 1539 (उम्र 70 वर्ष), करतारपुर, पाकिस्तान में हुई।
गुरु नानक की शिक्षाएँ
सृष्टिकर्ता की एकता।
मानवता की निस्वार्थ सेवा।
सामाजिक न्याय और सबके लिए समानता।
एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक एवं समाज सुधारक के रूप में गुरु की भूमिका।
अवधारणाओं का परिचय दिया गया
उन्होंने ‘संगत’ (समुदाय) की अवधारणा पेश की।
यहाँ सभी लोग एक साथ आकर पूजा कर सकते हैं।
‘दसवंध’ या जरूरतमंद लोगों के बीच अपनी कमाई का दसवाँ हिस्सा दान करना।
करतारपुर गलियारे के बारे में
यह एक धार्मिक गलियारा है।
यह भारत के पंजाब प्रांत में गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक को पाकिस्तान के नारोवाल जिले में गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर से जोड़ता है।
यह श्रद्धालुओं को बिना वीजा के भारत-पाकिस्तान सीमा से पाकिस्तान की ओर जाने की अनुमति देता है।
ऑपरेशन द्रोणागिरी
13 नवंबर, 2024 को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology- DST) के सचिव ने फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (Foundation for Innovation and Technology Transfer- FITT), IIT दिल्ली में ऑपरेशन द्रोणागिरी का शुभारंभ किया।
ऑपरेशन द्रोणागिरी के बारे में
यह भारत की राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022 के तहत एक पहल है।
उद्देश्य: यह प्रदर्शित करना कि कैसे भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियाँ एवं नवाचार नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं तथा व्यापार करने में आसानी बढ़ा सकते हैं।
ऑपरेशन द्रोणागिरी की मुख्य विशेषताएँ
भू-स्थानिक डेटा एवं प्रौद्योगिकियों के संभावित अनुप्रयोगों का प्रदर्शन करना।
कृषि, आजीविका, रसद एवं परिवहन क्षेत्रों में सुधार करना।
भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों के राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन के लिए एक मजबूत आधार स्थापित करना।
एकीकृत भू-स्थानिक डेटा शेयरिंग इंटरफेस (Geospatial Data Sharing Interface- GDI)
ऑपरेशन द्रोणागिरी का एक महत्त्वपूर्ण घटक GDI है, जो निर्बाध डेटा साझाकरण, पहुँच एवं विश्लेषण की सुविधा प्रदान करता है।
यह मंच संगठनों को डेटा-संचालित निर्णय लेने एवं विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने का अधिकार देता है।
कार्यान्वयन
चरण 1 पायलट परियोजनाएँ: प्रारंभिक चरण पाँच राज्यों पर केंद्रित होगा: उत्तर प्रदेश, हरियाणा, असम, आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र।
क्षेत्रीय फोकस: पायलट परियोजनाएँ कृषि, आजीविका, रसद एवं परिवहन पर ध्यान केंद्रित करेंगी।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी: सरकारी विभाग, उद्योग, निगम एवं स्टार्टअप परियोजना को लागू करने के लिए सहयोग करेंगे।
यह मॉडल UPI परिनियोजन के समान है।
PM मोदी को नाइजीरिया के दूसरे सबसे बड़े राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टेट हाउस में राष्ट्रपति बोला अहमद टीनुबू से नाइजीरिया का दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्रीय पुरस्कार, ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ नाइजर प्राप्त किया।
ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ नाइजर
ऐतिहासिक महत्त्व: वर्ष 1969 में महारानी एलिजाबेथ के बाद यह सम्मान पाने वाले PM नरेंद्र मोदी दूसरे विदेशी नेता हैं।
यह पुरस्कार वैश्विक नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री मोदी का 17वाँ अंतरराष्ट्रीय सम्मान है।
पुरस्कार का महत्त्व
वैश्विक नेतृत्व: प्रधानमंत्री मोदी के अंतरराष्ट्रीय कद और वैश्विक कूटनीति में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। विश्व मंच पर शांति, एकता एवं विकास में भारत के योगदान पर प्रकाश डालता है।
द्विपक्षीय संबंध: भारत-नाइजीरिया रणनीतिक साझेदारी की वृद्धि को दर्शाता है।
विश्व स्तर पर एकता, शांति एवं समृद्धि को बढ़ावा देने में उनके प्रयासों को मान्यता देता है।
नाइजीरिया के बारे में
यह अफ्रीका के पश्चिमी तट पर सबसे अधिक आबादी वाला देश है।
यह निम्नलिखित देशो के साथ सीमाएँ साझा करता है:
उत्तर: नाइजर
पूर्व: चाड एवं कैमरून
पश्चिम: बेनिन
दक्षिण: गिनी की खाड़ी (अटलांटिक महासागर) के साथ समुद्री सीमा।
प्राकृतिक संसाधन: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस से समृद्ध, इसकी अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
प्रमुख नदियाँ
नाइजर नदी: देश की प्रमुख नदी।
बेन्यू नदी: नाइजर नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी।
माओरी हाका नृत्य
हाल ही में न्यूजीलैंड की सबसे युवा सांसद हाना-राव्हिटी मापी-क्लार्क ने वेटांगी संधि को पुनः परिभाषित करने के उद्देश्य से एक विवादास्पद विधेयक के खिलाफ संसद में हाका विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया।
हाका के बारे में
हाका पारंपरिक रूप से विरोधियों को डराने के लिए माओरी जनजाति के योद्धाओं द्वारा किया जाने वाला एक युद्ध नृत्य था।
यह कहानी कहने, उत्सव मनाने एवं पूर्वजों का सम्मान करने के माध्यम के रूप में भी कार्य करता है।
यह समकालिक आंदोलनों, मंत्रों एवं चौड़ी आंखों तथा जीभ के उभार जैसी प्रतीकात्मक अभिव्यक्तियों के माध्यम से ताकत, अवज्ञा एवं एकता का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रत्येक हाका विरासत, लचीलेपन एवं सांप्रदायिक मूल्यों से जुड़ा एक अनूठा संदेश देता है।
माओरी जनजाति के बारे में
माओरी न्यूजीलैंड (एओटेरोआ) के मूल पोलिनेशियन लोग हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे 1300 ई.पू. के आसपास पूर्वी पोलिनेशिया से आए थे।
संस्कृति एवं विरासत: अपनी समृद्ध मौखिक परंपराओं, जटिल लकड़ी की नक्काशी और भूमि से गहरे आध्यात्मिक संबंध के लिए जाना जाता है।
माओरी पहचान के केंद्र में वाकापापा (वंशावली) एवं मतौरंगा (ज्ञान) हैं।
भाषा: ते रेओ माओरी, माओरी भाषा, न्यूजीलैंड की आधिकारिक भाषाओं में से एक है, जो सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक है।
समसामयिक भूमिका: माओरी न्यूजीलैंड की राजनीति, कला एवं शिक्षा, वैश्विक स्तर पर स्वदेशी परंपराओं को संरक्षित करने तथा बढ़ावा देने में प्रभावशाली हैं।
वतांगी की संधि
वर्ष 1840 में माओरी प्रमुखों एवं ब्रिटिश क्राउन के बीच हस्ताक्षर किए गए, जो न्यूजीलैंड के द्विसांस्कृतिक ढाँचे का आधार बना।
इस संधि ने न्यूजीलैंड में ब्रिटिश शासन की स्थापना की एवं साथ ही माओरी को उनकी भूमि, जंगलों तथा संसाधनों पर अधिकार की गारंटी दी।
विवाद: संधि अंग्रेजी एवं ते रेओ माओरी में लिखी गई है, अलग-अलग व्याख्याओं के कारण संधि सिद्धांतों की व्याख्या तथा कार्यान्वयन पर विवाद ऊत्पन्न हो गया है।
वेतांगी ट्रिब्यूनल (1975 में स्थापित) जैसी संस्थाएँ ऐतिहासिक एवं समकालीन संधि उल्लंघनों का समाधान करती हैं।
माओरी शिकायतों में, भूमि जब्ती एवं क्रमिक सरकारों द्वारा संधि दायित्वों का उल्लंघन शामिल है।
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