भारत एवं इटली एक रक्षा औद्योगिक रोडमैप पर वार्ता करके वर्गीकृत सूचना सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे तथा संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना वर्ष 2025-29 के तहत समुद्री एवं बंदरगाह क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएँगे।
भारत-इटली रक्षा सहयोग की मुख्य विशेषताएँ
रक्षा औद्योगिक रोडमैप
सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (SIDM) एवं इटालियन इंडस्ट्रीज फेडरेशन फॉर एयरोस्पेस, डिफेंस एंड सिक्योरिटी के बीच एक समझौता ज्ञापन को बढ़ावा देना।
सैन्य आदान-प्रदान
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अंतरसंचालनीयता बढ़ाने के लिए सशस्त्र बलों के बीच तालमेल में वृद्धि।
INS विक्रमादित्य एवं ITS कैवूर सहित वाहक ‘स्ट्राइक समूहों’ के साथ ऐतिहासिक समुद्री अभ्यास, जिसमें नौसैनिक सहयोग प्रदर्शित किया गया।
प्रौद्योगिकी सहयोग: रक्षा प्लेटफॉर्मों और उपकरणों के लिए सह-उत्पादन, सह-विकास और प्रौद्योगिकी साझाकरण पर ध्यान केंद्रित करना।
कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स (Carrier Strike Groups- CSG) अभ्यास
कैरियर स्ट्राइक ग्रुप: CSG एक नम्य नौसैनिक शक्ति है, जो सभी प्रकार के मौसम की स्थिति में, दिन के किसी भी समय खुले समुद्र तथा सीमित जल दोनों में कार्य कर सकती है।
जहाज: CSG का नेतृत्व विमान वाहक पोत द्वारा किया जाता है एवं इसमें क्रूजर, विध्वंसक, पनडुब्बी तथा सहायक जहाज भी शामिल होते हैं।
भारत एवं इटली के बीच पहला कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG) अभ्यास 1-6 अक्टूबर, 2024 को गोवा के तट पर हुआ।
वाहक: भारतीय नौसेना के INS विक्रमादित्य एवं इतालवी नौसेना के ITS कैवूर ने अभ्यास के समुद्री चरण का नेतृत्व किया।
यह अभ्यास दोनों देशों के बीच अंतरसंचालनीयता बढ़ाने एवं नौसैनिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम था।
भारत-इटली संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना 2025-2029 की मुख्य विशेषताएँ
राजनीतिक संवाद
शासनाध्यक्षों एवं मंत्रियों के बीच नियमित बैठकें एवं दौरे।
वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर वार्षिक विदेश कार्यालय परामर्श।
क्षेत्रीय सहयोग के लिए मंत्रालयों के बीच तालमेल में वृद्धि।
आर्थिक सहयोग एवं निवेश
परिवहन, खाद्य प्रसंस्करण, हरित प्रौद्योगिकी एवं फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय व्यापार तथा निवेश को बढ़ावा देना।
कनेक्टिविटी
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (India-Middle East-Europe Economic Corridor- IMEEC) के तहत सतत् परिवहन एवं समुद्री बुनियादी ढाँचे पर सहयोग करना।
समुद्री एवं बंदरगाह क्षेत्र सहयोग पर समझौता।
विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार
AI, टेलीकॉम एवं डिजिटलीकरण जैसी महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में सहयोग का विस्तार करना।
उद्योग 4.0, स्वच्छ ऊर्जा एवं महत्त्वपूर्ण खनिज शोधन में संयुक्त पहल।
इंडो-इटैलियन इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन एक्सचेंज प्रोग्राम का शुभारंभ।
अंतरिक्ष क्षेत्र
पृथ्वी अवलोकन, हेलियोफिजिक्स एवं चंद्र विज्ञान में इतालवी अंतरिक्ष एजेंसी (ASI), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सहयोग को मजबूत करना।
वर्ष 2025 में इतालवी अंतरिक्ष उद्योग प्रतिनिधिमंडल का भारत दौरा आयोजित करना।
ऊर्जा संक्रमण
हरित हाइड्रोजन, जैव ईंधन एवं नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोग।
वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन एवं अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को बढ़ावा देना।
ऊर्जा दक्षता एवं ग्रिड विकास में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना।
रक्षा सहयोग
वार्षिक संयुक्त रक्षा सलाहकार (JDC) बैठकें एवं संयुक्त कर्मचारी वार्ता (JST)।
एक रक्षा औद्योगिक रोडमैप विकसित करना एवं प्लेटफॉर्मों के सह-विकास की सुविधा प्रदान करना।
सुरक्षा सहयोग
अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद एवं अपराध पर वार्षिक संयुक्त कार्य समूह की बैठकें।
प्रवासन एवं गतिशीलता
इटली में रोजगार के लिए भारतीय स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए सुरक्षित एवं कानूनी प्रवासन मार्गों तथा प्रशिक्षण को बढ़ावा देना।
संस्कृति, शैक्षणिक एवं लोगों-से-लोगों का आदान-प्रदान
विश्वविद्यालय सहयोग एवं व्यावसायिक शिक्षा आदान-प्रदान को मजबूत करना।
संयुक्त विमोचन 2024
हाल ही में भारतीय सेना ने अहमदाबाद एवं पोरबंदर, गुजरात में ‘संयुक्त विमोचन 2024’ अभ्यास का सफलतापूर्वक आयोजन किया।
संयुक्त विमोचन अभ्यास
यह एक बहुपक्षीय वार्षिक संयुक्त मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (Humanitarian Assistance and Disaster Relief- HADR) अभ्यास है।
यह अभ्यास भारतीय सेना की दक्षिणी कमान के ‘कोणार्क कोर’ द्वारा आयोजित किया गया था।
उद्देश्य
तैयारियों एवं तत्परता को बढ़ाकर प्राकृतिक आपदाओं का प्रभावी ढंग से सामना करने में भारत की क्षमता में सुधार करना।
अभ्यास की मुख्य झलकियाँ
चक्रवात प्रबंधन पर टेबल टॉप अभ्यास
अवस्थिति: अहमदाबाद
थीम: ‘गुजरात के तटीय क्षेत्र में चक्रवात’।
एक टेबलटॉप एक्सरसाइज (Tabletop Exercise- TTX) ने आपदा राहत रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए ओखा-पोरबंदर समुद्र तट को प्रभावित करने वाले एक चक्रवात का अनुकरण किया।
मुख्य उद्देश्य: अंतर-एजेंसी सहयोग में अंतराल की पहचान करना एवं त्वरित, समन्वित आपदा प्रतिक्रिया के लिए तंत्र स्थापित करना।
बहु-एजेंसी क्षमता प्रदर्शन के बारे में
इस दिन चक्रवात परिदृश्य में आपदा प्रबंधन का लाइव सिमुलेशन दिखाया गया।
ग्रीन वर्ल्ड अवार्ड्स 2024
कोयला मंत्रालय के तहत कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) को कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) श्रेणी में हरित विश्व पर्यावरण पुरस्कार, 2024 प्राप्त हुआ।
संबंधित तथ्य
CIL को यह अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार CSR अर्थात् थैलेसीमिया बाल सेवा योजना के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य के लिए दिया गया है।
पर्यावरणीय स्थिरता एवं सामाजिक जिम्मेदारी में योगदान के लिए कंपनी को ग्रीन वर्ल्ड एंबेसडर की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था।
हरित संगठन
स्थापना: वर्ष 1994।
मुख्यालय: ईस्ट एमहर्स्ट, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका।
यह एक स्वतंत्र गैर-राजनीतिक, गैर-लाभकारी समूह है।
पुरस्कार समारोह
यह पुरस्कार ‘द ग्रीन ऑर्गनाइजेशन’ द्वारा प्रदान किया गया।
यह समारोह द ऑरेंजरी, केंसिंग्टन पैलेस, लंदन में हुआ।
थैलेसीमिया बाल सेवा योजना
यह बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant- BMT) नामक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के माध्यम से थैलेसीमिया रोगियों के लिए उपचारात्मक उपचार प्रदान करता है।
योजना की उपलब्धियाँ
कार्यक्रम के तहत 600 से अधिक रोगियों को स्थायी उपचार प्राप्त हुआ है।
BMT प्रक्रिया के अनुसार, ₹10 लाख तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
यह पहल पूरे भारत में 17 प्रमुख अस्पतालों के साथ साझेदारी में है।
कोल इंडिया लिमिटेड (CIL)
यह एक राज्य के स्वामित्व वाली कोयला खनन कंपनी है।
स्थापना: वर्ष1975
वर्गीकरण: भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के तहत एक ‘महारत्न’ उद्यम के रूप में वर्गीकृत।
मुख्यालय- कोलकाता।
इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार
हाल ही में शांति, निरस्त्रीकरण एवं विकास के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार 2023 प्रदान किया या गया।
पुरस्कार प्राप्तकर्ता
डैनियल बरेनबोइम: वह अर्जेंटीना में जन्मे प्रतिष्ठित शास्त्रीय पियानोवादक हैं।
संगीत एवं सांस्कृतिक संवाद के माध्यम से शांति को बढ़ावा देने के लिए मान्यता प्राप्त।
अली अबू अव्वाद: फिलिस्तीनी शांति कार्यकर्ता को उनके संगठन ‘रूट्स’ के माध्यम से अहिंसक वकालत एवं संवाद प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया, जिसे उन्होंने इजरायली जेल में समय बिताने के बाद शुरू किया था।
इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार
इंदिरा गांधी पुरस्कार, जिसे इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार के रूप में भी जाना जाता है, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा प्रस्तुत एक वार्षिक पुरस्कार है।
स्थान: नई दिल्ली।
प्रथम पुरस्कार: वर्ष 1986।
नामकरण: पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी।
पात्रता एवं मानदंड
यह व्यक्तियों या संगठनों को उनके असाधारण योगदान के लिए सम्मानित करता है:
अंतरराष्ट्रीय शांति एवं विकास को बढ़ावा देना।
एक नई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का समर्थन करना।
यह सुनिश्चित करना कि वैज्ञानिक खोजों से मानवता को लाभ हो।
पुरस्कार घटक
पुरस्कार में शामिल हैं:
2.5 मिलियन रुपये का नकद पुरस्कार।
प्राप्तकर्ता के योगदान को मान्यता देने वाला एक प्रशस्ति-पत्र।
अफ्रीकी पेंगुइन
हाल ही में अफ्रीकी पेंगुइन को अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
अफ्रीका पेंगुइन
उन्हें ‘केप पेंगुइन या दक्षिण अफ्रीकी पेंगुइन के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि वे दक्षिणी अफ्रीकी जल तक ही सीमित हैं।
वैज्ञानिक नाम: स्फेनिस्कस डेमर्सस।
वर्तमान स्थिति: वैश्विक स्तर पर 10,000 से भी कम प्रजनन योग्य जीव बचे हैं, जो मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका में केंद्रित हैं, जो वर्ष 1991 में 42,500 से अधिक थे।
अफ्रीकी पेंगुइन के वर्ष 2035 तक विलुप्त हो जाने की आशंका है।
IUCN स्थिति: गंभीर रूप से लुप्तप्राय।
पर्यावास: नामीबिया से पोर्ट एलिजाबेथ तक अफ्रीका के दक्षिण-पश्चिमी चट्टानी तट एवं आसपास के कई द्वीपों पर पेंगुइन की बड़ी संख्या पाई जाती हैं।
सबसे बड़ी कॉलोनी डायर द्वीप पर स्थित है।
शिकार: पेंगुइन का पसंदीदा शिकार सार्डिन या एंकोवी, कैपेलिन एवं नाइट स्मेल्ट के साथ-साथ स्क्विड तथा क्रस्टेशियंस हैं।
विशेषताएँ
आकार: अफ्रीकी पेंगुइन सबसे छोटी पेंगुइन प्रजातियों में से एक है।
स्वरूप: वे काले, सफेद एवं भूरे रंग के घने, जलरोधक पंखों से ढके होते हैं। उनके पास एक अद्वितीय तेज नुकीली चोंच तथा काले पैर भी होते हैं।
फ्लेक: उनकी शरीर पर कई बिंदु जैसे निशान बने होते हैं, जो प्रत्येक पेंगुइन के लिए अद्वितीय होते हैं।
संचार: पेंगुइन स्वरों एवं शारीरिक भाषा के माध्यम से एक दूसरे के साथ संवाद करते हैं।
गिरावट का कारण
पोषण एवं भोजन की कमी: जब पेंगुइन भूखी रहती हैं और पर्याप्त भोजन नहीं करती हैं तो वे प्रजनन करना छोड़ देती हैं।
अन्य कारण: जलवायु परिवर्तन, शिकारी, बीमारी, तेल रिसाव आदि।
खतरा
पर्यटन: प्रत्येक वर्ष हजारों लोग पेंगुइन क्षेत्र का दौरा करते हैं, जिससे वे संवेदनशील हो जाते हैं।
औद्योगिक मत्स्यपालन: उद्योग के साथ उनके प्राथमिक खाद्य स्रोत के लिए सीधी प्रतिस्पर्द्धा के परिणामस्वरूप भोजन की कमी हो रही है, जिससे उनका प्रजनन व्यवहार प्रभावित हो रहा है।
जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन से प्रेरित ग्लोबल वार्मिंग उनके आवास एवं पारिस्थितिकी तंत्र को बदल रही है।
संरक्षण
मछली पकड़ने पर प्रतिबंध: छह पेंगुइन कॉलोनियों के आसपास 10 वर्षों के लिए वाणिज्यिक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
प्रजनन में सहायता के लिए कृत्रिम घोंसले एवं नई पेंगुइन कालोनियाँ बनाई जा रही हैं।
यूनिकॉर्न मास्ट के सह-विकास के लिए भारत-जापान MoI
भारत एवं जापान ने भारतीय नौसेना के युद्धपोतों के लिए UNICORN (यूनिफाइड कॉम्प्लेक्स रेडियो एंटीना) नोरा-50 एकीकृत मस्तूल के “सह-विकास” के लिए कार्यान्वयन ज्ञापन (MoI) पर हस्ताक्षर किए हैं।
यह समझौता भारत-जापान रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग, 2015 के ढाँचे के तहत लागू किया जाएगा एवं यह जापान से भारत में रक्षा प्रौद्योगिकी का पहला निर्यात होगा।
UNICORN (यूनिफाइड कॉम्प्लेक्स रेडियो एंटीना) मस्ट (Mast):
मस्ट एक शंक्वाकार संरचना है, जिसमें नौसेना प्लेटफॉर्मों के ऊपर एंटीना एवं एकीकृत संचार प्रणालियाँ होती हैं, जो उनकी गोपनीय विशेषताओं को बढ़ाती हैं।
द्वारा निर्मित: यह तीन जापानी कंपनियों के बीच सहयोग का परिणाम है- NEC कॉरपोरेशन, संपा कोग्यो K.K., तथा द योकोहामा रबर कंपनी लिमिटेड।
भारतीय भागीदार: भारतीय युद्धपोतों के लिए यूनिकॉर्न मस्ट को भारत में जापानी सहयोग के साथ भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा सह-विकास किया जाएगा।
भारतीय नौसेना, वर्तमान में BEL द्वारा प्रदत्त एडवांस्ड कंपोजिट कम्युनिकेशन सिस्टम (ACCS) का उपयोग करती है।
प्रमुख विशेषताएँ
रेडोम: यह अनेक संचार एंटीना को एक एकल, अत्याधुनिक रडार डोम में एकीकृत करता है, जिसे रेडोम के रूप में जाना जाता है, जो इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षरों को न्यूनतम करता है और स्टेल्थ को बढ़ाता है।
TACAN (Tactical Air Navigation System) (टैक्टिकल एयर नेविगेशन सिस्टम): UNICORN TACAN एंटीना डिजाइन ढाँचे में एक सुधार है।
TACAN प्रणाली एक मोबाइल ट्रांसमिटिंग इकाई का गठन करती है। हवाई इकाई, नौसेना मंच के साथ मिलकर, अजीमुथ एवं दूरी की जानकारी दोनों की दृश्य प्रस्तुति के लिए प्रेषित संकेतों को संसाधित करती है।
व्यापक जाँच सीमा: यूनिकॉर्न प्रणाली एक विस्तृत क्षेत्र में रेडियो तरंगों को महसूस करके दूर से मिसाइलों तथा ड्रोन की आवाजाही का पता लगा सकती है।
भारत-जापान रक्षा सहयोग
तरंग शक्ति अभ्यास 2024: यह भारतीय वायु सेना द्वारा आयोजित पहला बहुपक्षीय अभ्यास है एवं जापान की भागीदारी ने जापानी लड़ाकू विमानों की भारत की पहली हवाई यात्रा को चिह्नित किया है।
वीर गार्जियन 2023: यह जापान एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स (Japan Air Self Defence Force -JASDF) एवं भारतीय वायु सेना (IAF) के बीच द्विपक्षीय लड़ाकू अभ्यास का पहला संस्करण है।
भारतीय नौसेना एवं JMSDF, मालाबार तथा मिलन अभ्यासों की बहुपक्षीय बैठकों के अलावा हर वर्ष JIMEX के दौरान द्विपक्षीय रूप से अंतरसंबंध स्थापित करते हैं।
अंडमान एवं निकोबार द्वीप का विकास: जापान ने द्वीपों को विकसित करने के लिए भारत को 4.02 बिलियन येन (31 मिलियन डॉलर) की सहायता दी है। यह पहली बार था कि भारत ने द्वीप पर विकास के लिए विदेशी सहायता स्वीकार की।
जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल
जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल के अध्यक्ष एवं संस्थापक ‘तजेपोरा बर्मन’ ने हाल ही में बाकू में COP-29 में ग्रह के लिए नवीनतम खतरों के बारे में जानकारी दी।
जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल
लॉन्च: इस विचार की संकल्पना वर्ष 2016 में की गई थी एवं आधिकारिक तौर पर क्लाइमेट ब्रेकथ्रू अवार्ड के माध्यम से वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया था।
समर्थन: संधि को 14 देशों-राज्यों द्वारा समर्थन दिया गया है, जिनमें शामिल हैं,
वानुअतु, तुवालु, टोंगा, फिजी, सोलोमन द्वीप, नीयू, एंटीगुआ एवं बारबुडा, तिमोर-लेस्ते, पलाऊ, कोलंबिया, समोआ, नाउरू, मार्शल द्वीप तथा माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य।
पहली मंत्रिस्तरीय बैठक: जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल ने मई 2024 में एंटीगुआ एवं बारबुडा में अपनी पहली बैठक बुलाई।
उद्देश्य: FF-NPT जीवाश्म ईंधन निष्कर्षण को समाप्त करने एवं मौजूदा उत्पादन को चरणबद्ध तरीके से कम करने तथा नवीकरणीय ऊर्जा में उचित परिवर्तन का प्रबंधन करने के लिए इसे राष्ट्रों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाना चाहता है।
स्तंभ
अप्रसार: यह कोयला, तेल एवं गैस उत्पादन के विस्तार को समाप्त करने के लिए एक वैश्विक सहयोग मॉडल है।
निष्पक्ष योजना: सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारी सिद्धांत को शामिल करके मौजूदा जीवाश्म ईंधन उत्पादन को बंद करने की एक निष्पक्ष एवं न्यायसंगत योजना।
संक्रमण में वृद्धि: सार्वभौमिक रूप से जीवाश्म ईंधन से दूर नवीकरणीय ऊर्जा एवं आर्थिक विविधीकरण को तेजी से अपनाने के लिए।
पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप: संधि का उद्देश्य पेरिस समझौते का समर्थन करना है:
नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य को लागू करना: इसका उद्देश्य वर्ष 2025 के बाद विकासशील देशों को उनके जलवायु कार्यों में सहायता करने के लिए एक नया वित्तीय लक्ष्य स्थापित करना है।
राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अंशदान (देशों द्वारा प्रस्तुत जलवायु कार्य योजना) एवं ‘जस्ट ट्रांजिशन वर्क प्रोग्राम’ के माध्यम से।
सलिल चौधरी की 100वीं जयंती
पश्चिम बंगाल में कलाकारों ने सलिल चौधरी की शताब्दी मनाई, जिनका कार्य भारतीय संगीत की विभिन्न शैलियों में विस्तृत है।
सलिल चौधरी
जन्म एवं पृष्ठभूमि: 19 नवंबर, 1925 को पश्चिम बंगाल, भारत में जन्म।
संगीत प्रशिक्षण: वह हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में निपुण थे, उन्होंने अपनी रचनाओं में विविध संगीत शैलियों का कुशलतापूर्वक मिश्रण किया।
IPTA सदस्यता: वह इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (IPTA) के सक्रिय सदस्य थे, उन्होंने अपने जीवनकाल में क्रांतिकारी गीतों की रचना की।
सलिल चौधरी का योगदान
फिल्मों में योगदान: बंगाली, हिंदी, मलयालम, तमिल, असमिया एवं अन्य सहित कई भाषाओं में 100 से अधिक फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया।
चेम्मीन (1965): एक अभूतपूर्व परियोजना, जिसने केरल की तटीय संस्कृति को चित्रित करने के लिए बंगाली लोक संगीत को पश्चिमी आर्केस्ट्रा के साथ जोड़ा।
हिंदुस्तानी शास्त्रीय, पश्चिमी शास्त्रीय एवं लोक शैलियों के अनूठे मिश्रण के माध्यम से, भारतीय सिनेमा, विशेषकर मलयालम में संगीत में क्रांति ला दी।
विरासत: फिल्म संगीत के लिए ‘मेलोडी-फर्स्ट’ दृष्टिकोण की शुरुआत की, जो अब मलयालम सिनेमा में एक मानक है।
‘मेलोडी फर्स्ट अप्रोच’ में गीत लिखने से पहले संगीत की रचना की जाती है।
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