मौजूदा सदस्य के निधन पर सदन की कार्यवाही स्थगित करने का निर्णय
संसद के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि किसी मौजूदा सदस्य के निधन पर शोक व्यक्त करने के बाद सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित करने की परंपरा रही है।
इससे पहले, किसी मौजूदा सदस्य की मृत्यु की स्थिति में सदन को पूरे दिन के लिए स्थगित करने की परंपरा थी।
शोक संदेश संबंधी विवरण के बारे में
यह सदन में किसी सदस्य, पूर्व सदस्य, मंत्री आदि की मृत्यु के बारे में समाचार मिलने के बाद यथाशीघ्र उपलब्ध अवसर पर बनाया जाता है, चाहे वह समाचार प्रेस रिपोर्ट से प्राप्त हो या किसी वर्तमान सदस्य से या मृतक के संबंधी से अथवा किसी अन्य विश्वसनीय स्रोत से।
PAN 2.0 परियोजना
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्थायी खाता संख्या (PAN) के उन्नत संस्करण PAN 2.0 परियोजना को मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य: करदाता पंजीकरण सेवाओं को आधुनिक बनाना एवं PAN को एक सामान्य व्यवसाय पहचानकर्ता बनाना।
PAN 2.0 परियोजना की मुख्य विशेषताएँ
QR कोड-सक्षम PAN कार्ड: उन्नत PAN कार्ड में बेहतर सुरक्षा एवं कार्यक्षमता के लिए एक QR कोड की सुविधा होगी।
सामान्य व्यवसाय पहचानकर्ता: PAN व्यवसायों के लिए एक एकीकृत पहचानकर्ता के रूप में कार्य करेगा, जिससे सरकारी प्रणालियों में कई पहचान संख्याओं की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।
सेवा वितरण परिवर्तन: PAN 2.0 व्यावसायिक प्रक्रियाओं को पुनर्निर्मित करेगा एवं करदाता पंजीकरण सेवाओं के लिए डिजिटल ढाँचे को उन्नत करेगा।
व्यापक कवरेज एवं अपनाना: अब तक जारी किए गए 78 करोड़ PAN कार्डों में से 98% व्यक्तियों के हैं, जो परियोजना की व्यापक संभावित पहुँच एवं प्रभाव को दर्शाता है।
लागत-मुक्त अपग्रेड: नए QR कोड-सक्षम PAN कार्ड मौजूदा PAN धारकों को बिना किसी लागत के जारी किए जाएँगे, जिससे व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा मिलेगा।
नई चेतना 3.0 (Nayi Chetna 3.0)
हाल ही में केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने नई चेतना: पहल बदलाव की (Nayi Chetna – Pahal Badlaav Ki) का तीसरा संस्करण लॉन्च किया।
नई चेतना: पहल बदलाव (Nayi Chetna – Pahal Badlaav Ki) के बारे में
यह लैंगिक आधारित हिंसा के विरुद्ध एक राष्ट्रीय अभियान है।
आयोजक: दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (Deendayal Antyodaya Yojana – National Rural Livelihoods Mission- DAY-NRLM)।
दायरा: सभी भारतीय राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश।
फोकस: DAY-NRLM के तहत व्यापक स्व-सहायता समूह (Self-Help Group- SHG) नेटवर्क के माध्यम से जमीनी स्तर पर जुड़ाव।
सहयोगात्मक प्रयास
संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण: इसमें 9 मंत्रालयों एवं विभागों की भागीदारी शामिल है, जिनमें शामिल हैं:
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय।
गृह मंत्रालय।
पंचायती राज मंत्रालय, अन्य।
स्लोगन: ‘एक साथ, एक आवाज, हिंसा के खिलाफ’ (Together, One Voice, Against Violence)।
राजा राजा चोल प्रथम
हाल ही में प्रसिद्ध चोल सम्राट राजा राजा चोल प्रथम की 1039वीं जयंती मनाई गई।
यह उत्सव प्रत्येक वर्ष तमिलनाडु के तंजावुर में साध्य विझा (Sadhaya Vizha) के दौरान मनाया जाता है।
साध्य विझा: एक भव्य उत्सव
तमिलनाडु के तंजावुर में तमिल महीने अइप्पासी (Aippasi) (मध्य अक्टूबर से मध्य नवंबर) के दौरान प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
राजा राज चोल की विरासत
चोल साम्राज्य को श्रीलंका एवं मालदीव तक विस्तारित करने के लिए जाना जाता है।
उनके जीवन ने कल्कि कृष्णमूर्ति के उपन्यास पोन्नियिन सेलवन एवं उसके फिल्म रूपांतरण को प्रेरित किया।
सध्या विझा तमिल संस्कृति एवं विरासत पर उनके स्थायी प्रभाव को दर्शाता है।
राजा राज चोल प्रथम के बारे में
राजा राजा चोल प्रथम (947-1014 ई.), जिनका जन्म अरुल्मोझी वर्मन के रूप में हुआ, एक प्रसिद्ध तमिल सम्राट थे।
अपनी सैन्य शक्ति एवं प्रशासनिक प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं।
उनके शासनकाल (985-1014 ई.) में सांस्कृतिक, स्थापत्य एवं क्षेत्रीय प्रगति हुई।
उन्हें कई महत्त्वपूर्ण उपाधियाँ दी गईं
मुम्मीदी चोल (Mummidi Chola): तीन मुकुटों पर अपने शासन का प्रतिनिधित्व करता है।
जयनकोंडा (Jayankonda): जिसका अर्थ है ‘विजयी राजा।’
शिवपादशेखर (Sivapadasekara): भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति दिखाते हुए।
सांस्कृतिक एवं धार्मिक समारोह
उत्सव बृहदेश्वर मंदिर में होता है, जो सम्राट द्वारा निर्मित यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
प्रमुख अनुष्ठानों में शामिल हैं
पवित्र अभिषेकम्: देवता, भगवान पेरुवुदैयार (शिव) के लिए पवित्र स्नान।
पेरुंडीपा वाजिपाडु: दीप-प्रस्ताव के माध्यम से श्रद्धा।
स्वामी पुरप्पाडु: मंदिर के देवता का जुलूस।
भक्त शास्त्रीय नृत्य, ओधुवारों द्वारा भजन गायन एवं हिंदू देवताओं के रूप में सजे कलाकारों के प्रदर्शन को देखने के लिए इकट्ठा होते हैं।
बृहदेश्वर मंदिर का ऐतिहासिक महत्त्व
राजा राजा चोल प्रथम द्वारा 1003 एवं 1010 ई. के बीच निर्मित।
राजराजेश्वरम् के नाम से जाना जाने वाला यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है एवं महान जीवित चोल मंदिरों का हिस्सा है।
चोल साम्राज्य की वास्तुकला, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत का प्रतीक है।
स्थापत्य भव्यता
पूरी तरह से ग्रेनाइट से निर्मित, जो उस युग की उल्लेखनीय इंजीनियरिंग तकनीकों को प्रदर्शित करता है।
इसमें एक विशाल विमान (मंदिर टॉवर) है, जो 60 मीटर से अधिक ऊँचा है।
मंदिर के मुख्य देवता भगवान शिव हैं, जिन्हें पेरुवुडैयार के नाम से जाना जाता है।
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