हाल ही में भारतीय तट रक्षक (Indian Coast Guard- ICG) ने कोच्चि तट पर राष्ट्रीय समुद्री खोज एवं बचाव अभ्यास (SAREX-2024) का 11वाँ संस्करण आयोजित किया।
SAREX-2024 का मुख्य विवरण
थीम: क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से खोज एवं बचाव क्षमताओं को बढ़ाना।
उद्देश्य: बड़े पैमाने पर समुद्री आकस्मिकताओं के प्रबंधन के लिए रणनीतियों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना तथा समुद्री सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग में सुधार करना।
ICG की भूमिका का महत्त्व
अग्रणी समुद्री एजेंसी: भारतीय तटरक्षक बल (ICG) भारत में खोज एवं बचाव कार्यों के प्रबंधन के लिए एक प्रमुख संगठन बन गया है।
समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देना: विभिन्न हितधारकों के साथ काम करके, ICG ने समुद्र में सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार किया है।
सागर विजन का समर्थन: इसके प्रयास क्षेत्रीय सुरक्षा एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा तथा विकास’ (Security and Growth for All in the Region) या सागर (SAGAR) पहल के अनुरूप हैं।
वैश्विक साझेदारी को मजबूत करना: ICG का योगदान भारत को अंतरराष्ट्रीय समुद्री गतिविधियों में एक विश्वसनीय एवं सक्रिय भागीदार के रूप में स्थापित करता है।
वैश्विक सहभागिता योजना (Global Engagement Scheme)
हाल ही में भारत सरकार ने भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने एवं भारत की वैश्विक छवि को बेहतर बनाने के लिए वैश्विक सहभागिता योजना (Global Engagement Scheme) शुरू की।
वैश्विक सहभागिता योजना के बारे में
यह संस्कृति मंत्रालय (भारत सरकार) की एक पहल है।
उद्देश्य
अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करना: भारत एवं अन्य देशों के बीच लोगों-से-लोगों के बीच संबंध एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
भारत की वैश्विक छवि को मजबूत करना: भारत की विविध सांस्कृतिक परंपराओं एवं कलात्मक अभिव्यक्तियों को बढ़ावा देना।
प्रमुख गतिविधियाँ
भारत का त्योहार (Festival of India- FoI)
विभिन्न देशों में सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन करता है, जिनमें शामिल हैं:
लोक कलाएँ (संगीत, नृत्य, रंगमंच, कठपुतली)।
शास्त्रीय एवं पारंपरिक नृत्य।
समसामयिक नृत्य।
शास्त्रीय एवं अर्द्ध-शास्त्रीय संगीत।
थिएटर।
लोक कलाकारों सहित भाग लेने वाले कलाकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
भारत-विदेश मैत्री सांस्कृतिक समितियों को अनुदान सहायता: विदेशों में भारतीय सांस्कृतिक समाजों द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं गतिविधियों का समर्थन करता है।
अनुभवी कलाकारों के लिए वित्तीय सहायता
उद्देश्य: 60 वर्ष एवं उससे अधिक आयु के वृद्ध तथा गरीब कलाकारों का समर्थन करना, जिन्होंने अपने क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
सहायता राशि: 6,000 रुपये प्रति माह तक, किसी भी राज्य कलाकार को प्राप्त पेंशन के साथ समायोजित।
नेशनल सीड कांग्रेस (National Seed Congress- NSC)
हाल ही में 13वीं ‘नेशनल सीड कांग्रेस’ (National Seed Congress- NSC),2024 वाराणसी में आयोजित हुई।
प्रमुख घोषणाएँ
सीड पार्क: उत्तर प्रदेश में कृषि नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए 200 सीड पार्कों की योजना।
साथी (SATHI) पोर्टल: सीड (बीज) की गुणवत्ता का पता लगाने की क्षमता बढ़ाने एवं प्रमाणन प्रणालियों में सुधार के लिए एक पोर्टल की शुरुआत।
‘राइस फालो वेबपेज’ (Rice Fallow Webpage) एवं एटलस: पूर्वी भारत में परती भूमि का मानचित्रण करने के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाले उपकरण का शुभारंभ किया गया।
‘नेशनल सीड कांग्रेस’ (NSC) कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ
आयोजित: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (भारत सरकार)।
उद्देश्य
बीज प्रणालियों को मजबूत करना: बीजों को अधिक सुलभ एवं किफायती बनाने के लिए नवाचार तथा साझेदारी को बढ़ावा देना।
किसानों को सशक्त बनाना: जलवायु प्रभावों एवं खाद्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए छोटे किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीजों तक पहुँच सुनिश्चित करना।
थीम: ‘बीज क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग, साझेदारी और ज्ञान को बढ़ावा देना।’ (Fostering Regional Cooperation, Partnerships, and Knowledge in the Seed Sector)
वैश्विक बीज उद्योग में भारत की भूमिका
जैव विविधता एवं अनुसंधान का लाभ उठाना: भारत की समृद्ध जैव विविधता एवं मजबूत अनुसंधान क्षमताएँ वैश्विक बीज उद्योग में एक प्रमुख हितधारक के रूप में उभर रही हैं।
सरकार उच्च गुणवत्ता वाले बीज विकसित करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों एवं सार्वजनिक-निजी भागीदारी के उपयोग को बढ़ावा दे रही है, जो कीटों, बीमारियों तथा जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीले हैं।
सतत् कृषि पद्धतियाँ: भारत सतत् कृषि पद्धतियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिसमें तिलहन एवं बाजरा जैसी जलवायु-अनुकूल फसलों की खेती शामिल है।
अंतरराष्ट्रीय भागीदारी: भारत बीज क्षेत्र में ज्ञान एवं प्रौद्योगिकी साझा करने के लिए अन्य देशों, विशेषकर दक्षिण एशिया के साथ सक्रिय रूप से सहयोग कर रहा है।
गुणवत्ता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना: सरकार गुणवत्ता एवं सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने के लिए बीज उद्योग के लिए नियामक ढाँचे को मजबूत करने के लिए कार्य कर रही है।
कोरगा जनजाति समुदाय (Koraga Tribal Community)
केरल राजस्व विभाग ने अनुसूचित जनजाति विकास विभाग की कोष निधि के माध्यम से कासरगोड और मंजेश्वरम तालुकों में कोरगा समुदाय को भूमि का स्वामित्व (पट्टा) प्रदान करने के लिए ‘ऑपरेशन स्माइल’ (Operation Smile) शुरू किया है।
कोरगा जनजाति समुदाय के बारे में
पर्यावास: कोरगा जनजाति एक विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (Particularly Vulnerable Tribal Group- PVTG) है, जो कासरगोड जिले (केरल) एवं कर्नाटक में पाया जाता है।
PVTG स्थिति: जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा पहचानी गई; वर्तमान में, भारत में 75 PVTG समुदाय हैं।
वर्ष 1956 के राष्ट्रपति आदेश के तहत अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया।
भाषा: कोरागा मुख्य रूप से तुलु भाषा बोलते हैं,a लेकिन उनकी अपनी स्वतंत्र भाषा भी है।
सामाजिक संरचना: 17 बहिर्विवाही कुलों (जिन्हें बाली कहा जाता है) में विभाजित।
यह परिवार मातृवंशीय है, तथा वंश परंपराओं का संबंध महिला वंश से संबंधित होता है।
विवाह के बाद निवास पितृस्थानीय (Patrilocal) होता है।
संपत्ति का बँटवारा बेटों एवं बेटियों के बीच समान रूप से किया जाता है।
धर्म एवं विश्वास: विभिन्न भूतों (आध्यात्मिक देवताओं) जैसे- पंजुर्ली, कल्लूरती, कोराथी एवं गुलिगा के उपासक।
तुलु नाडु में एक अनुष्ठानिक लोक नृत्य परंपरा, भुटा कोला (Bhuta Kola) से संबद्ध।
अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए एकलव्य डिजिटल प्लेटफॉर्म
हाल ही में थल सेनाध्यक्ष (Chief of the Army Staff- COAS) ने भारतीय सेना के लिए “एकलव्य” उपनाम से एक ऑनलाइन शिक्षण मंच लॉन्च किया।
एकलव्य डिजिटल प्लेटफॉर्म के बारे में
एकलव्य डिजिटल प्लेटफॉर्म एक सैन्य प्रशिक्षण पहल है, जिसे मुख्यालय सेना प्रशिक्षण कमान के तत्त्वावधान में विकसित किया गया है, जिसमें प्रायोजक एजेंसी के रूप में ‘आर्मी वॉर कॉलेज’ है।
उद्देश्य: परिवर्तन के दशक (2023-2032) के तहत भारतीय सेना अधिकारियों के लिए व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ाना।
वर्ष 2024 की थीम: प्रौद्योगिकी अवशोषण का वर्ष (Year of Technology Absorption)
विकास: सूचना प्रणाली महानिदेशालय के सहयोग से, भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भू-सूचना विज्ञान संस्थान (Bhaskaracharya National Institute of Space Applications and Geoinformatics- BISAN-N), गांधीनगर द्वारा विकसित किया गया।
यह स्केलेबल आर्किटेक्चर के साथ आर्मी डेटा नेटवर्क पर होस्ट किया गया है, जिससे प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों का निर्बाध एकीकरण और विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों की मेजबानी संभव हो सकी है।
नॉलेज हब: एक केंद्रीकृत ‘नॉलेज हाईवे’, एक ही विंडो के तहत पत्रिकाओं, शोध-पत्रों, लेखों एवं अन्य संसाधनों के लिए खोज योग्य भंडार की सुविधा है।
महत्त्व
सतत् व्यावसायिक सैन्य शिक्षा को बढ़ावा देता है।
समकालीन सामग्री के साथ मौजूदा भौतिक पाठ्यक्रमों को कम करना।
विशेषज्ञ नियुक्तियों के लिए अधिकारियों को तैयार करता है एवं डोमेन विशेषज्ञता को बढ़ावा देता है।
परिवर्तन के दशक एवं प्रौद्योगिकी अवशोषण के वर्ष के तहत भारतीय सेना के आधुनिकीकरण लक्ष्यों के अनुरूप।
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