हाल ही में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक अध्ययन में परियोजनाओं की तीव्र गति से प्रगति के लिए भारत की प्रगति प्रणाली (PRAGATI System) की प्रशंसा की गई।
संबंधित तथ्य
अध्ययन का शीर्षक:‘गतिरोध से विकास तक: नेतृत्व किस प्रकार भारत के प्रगति पारिस्थितिकी तंत्र को प्रगति की शक्ति प्रदान करता है।’ (From Gridlock to Growth: How Leadership Enables India’s PRAGATI Ecosystem to Power Progress)
लेखक: सौमित्र दत्ता एवं मुकुल पंड्या।
प्रस्तुति: इसे भारतीय प्रबंधन संस्थान- बंगलूरू द्वारा एक संगोष्ठी में प्रस्तुत किया गया था।
प्रगति प्रणाली (PRAGATI System) के बारे में
प्रगति का तात्पर्य ‘प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एवं परियोजनाओं का समय पर कार्यान्वयन’ (Pro-Active Governance and Timely Implementation of Projects) है।
लॉन्च वर्ष: वर्ष 2015 में
कार्यान्वयन एजेंसी: प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO)
उद्देश्य: बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की कड़ी निगरानी एवं समय पर पूरा करना।
प्रगति की मुख्य विशेषताएँ
सहयोग एवं समन्वय
केंद्र एवं राज्य सरकारों को एक मंच पर लाता है।
भूमि अधिग्रहण एवं अंतर-मंत्रालयी समन्वय जैसी चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटता है।
प्रौद्योगिकी संचालित दृष्टिकोण
परियोजनाओं की निगरानी के लिए वास्तविक समय डेटा, ड्रोन फीड एवं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग करता है।
तेजी से निर्णय लेने एवं समस्या समाधान की सुविधा प्रदान करता है।
त्वरित विकास: सड़क, रेलवे, जल एवं विद्युत जैसी सेवाओं में सुधार करते हुए 340 परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने में मदद की।
प्रगति प्रणाली का आर्थिक प्रभाव
गुणक प्रभाव: RBI एवं ‘नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी’ के अध्ययनों के अनुसार, बुनियादी ढाँचे पर खर्च किया गया प्रत्येक ₹1 GDP वृद्धि में ₹2.5 से ₹3.5 उत्पन्न करता है।
आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में बुनियादी ढाँचे की भूमिका पर प्रकाश डाला गया।
सामाजिक प्रभाव
आवश्यक सेवाएँ: सड़क, रेलवे, जल एवं विद्युत से संबंधित परियोजनाओं ने लाखों भारतीयों के जीवन स्तर में सुधार किया है।
स्थिरता: पर्यावरणीय मंजूरी को शामिल करता है एवं हरित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देता है।
पैकेज्ड पेयजल, मिनरल वाटर का पुनर्वर्गीकरण
पैकेज्ड पेयजल एवं मिनरल वाटर को भारतीय खाद्य सुरक्षा तथा मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा उच्च जोखिम वाले भोजन के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
संबंधित तथ्य
पुनर्वर्गीकरण का उद्देश्य
उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करना: सुरक्षित एवं स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित करके सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना।
यह सख्त गुणवत्ता नियंत्रण लागू करता है एवं उपभोक्ता सुरक्षा में सुधार करता है।
कठोर गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करना: पैकेज्ड जल के उत्पादन में कड़े मानक बनाए रखना।
यह कदम खाद्य सुरक्षा बढ़ाने एवं उपभोक्ताओं की सुरक्षा के प्रति FSSAI की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उच्च जोखिम वाले खाद्य पदार्थ कौन-कौन से हैं?
ये वे खाद्य श्रेणियाँ हैं, जिनके संदूषण की संभावना अधिक होती है।
इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य को भारी खतरा उत्पन्न होता है।
उच्च जोखिम वाले खाद्य श्रेणियों के अंतर्गत आने वाले अन्य उत्पाद हैं:
डेयरी उत्पाद
मांस एवं मांस उत्पाद, जिसमें पोल्ट्री शामिल है।
मछली और मछली उत्पाद जिसमें मोलस्क, क्रस्टेशियन और इकाइनोडर्म शामिल हैं।
अंडे एवं अंडे के उत्पाद
विशेष पोषण संबंधी उपयोग के लिए बनाए गए खाद्य उत्पाद
तैयार खाद्य पदार्थ
भारतीय मिठाइयाँ
पोषक तत्व और उनकी तैयारी (केवल फोर्टिफाइड चावल के दाने)
विनियमों में मुख्य परिवर्तन
अनिवार्य वार्षिक निरीक्षण
पैकेज्ड पेयजल का उत्पादन करने वाली सभी सुविधाओं को वार्षिक निरीक्षण से गुजरना होगा।
स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के लिए विशेष रूप से केंद्रीय लाइसेंस धारकों पर लागू होता है।
तृतीय-पक्ष खाद्य सुरक्षा ऑडिट
खाद्य सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निर्माताओं को अब अनिवार्य तृतीय-पक्ष ऑडिट पूरा करना होगा।
उन्नत गुणवत्ता मानक
अद्यतन नियमों के तहत निर्माताओं को उच्च गुणवत्ता मानकों का पालन करना आवश्यक है।
हालिया नियामक संदर्भ
यह पुनर्वर्गीकरण खाद्य सुरक्षा एवं मानक (बिक्री पर निषेध तथा प्रतिबंध) विनियम, 2011 में संशोधन के बाद किया गया है।
इससे पहले, कुछ खाद्य उत्पादों के लिए अनिवार्य BIS प्रमाणीकरण हटा दिया गया था, लेकिन अब पैकेज्ड पानी के लिए सख्त नियंत्रण प्रस्तुत किए गए हैं।
भारतीय महिलाओं के लिए वन-स्टॉप सेंटर
केंद्रीयमहिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 9 वन-स्टॉप सेंटर (OSCs) स्थापित करने के विदेश मंत्रालय के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
बजट एवं फंडिंग
इस पहल के लिए विदेश मंत्रालय द्वारा एक समर्पित बजट लाइन बनाई गई है।
भारतीय समुदाय कल्याण कोष (Indian Community Welfare Fund- ICWF) संकटग्रस्त भारतीय नागरिकों, विशेषकर महिलाओं के लिए कल्याण उपायों के वित्तपोषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
वन-स्टॉप सेंटर (OSCs)
यह महिलाओं के कल्याण के लिए एक पहल है।
इस पहल के तहत, सरकार भारतीय महिलाओं, विशेषकर परित्यक्त या कानूनी अथवा वित्तीय कठिनाइयों का सामना करने वाली अद्वितीय चुनौतियों का समाधान करती है।
OSCs के स्थान
शेल्टर होम के साथ: बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, UAE एवं सऊदी अरब (जेद्दा तथा रियाद) में सात OSCs स्थापित किए जाएँगे।
आश्रय गृहों के बिना: टोरंटो एवं सिंगापुर में दो OSCs स्थापित किए जाएँगे।
भारतीय समुदाय कल्याण कोष (Indian Community Welfare Fund- ICWF) के बारे में
ICWF का तात्पर्य भारतीय समुदाय कल्याण कोष से है।
स्थापना: वर्ष 2009 में
उद्देश्य: आपात स्थिति एवं संकट के दौरान प्रवासी भारतीय नागरिकों की मदद करना।
लाभार्थी
विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिक।
विदेश यात्रा पर जाने वाले भारतीय नागरिकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
कार्य
व्यक्ति की वित्तीय आवश्यकता के आधार पर योग्य मामलों में सहायता प्रदान करता है।
संघर्ष क्षेत्रों, प्राकृतिक आपदाओं एवं अन्य आपात स्थितियों से भारतीय नागरिकों को निकालने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
संचालन: दुनिया भर में सभी भारतीय मिशनों एवं पोस्टों में उपलब्ध है।
ICWF द्वारा प्रदान किया गया समर्थन
आपातकालीन सहायता: भोजन एवं आवास, फँसे हुए व्यक्तियों के लिए हवाई यात्रा, कानूनी सहायता, चिकित्सा देखभाल आदि।
कानूनी सहायता एवं परामर्श: प्रवासी भारतीय या विदेशी पतियों द्वारा छोड़ी गई महिलाओं के लिए विशिष्ट प्रावधान।
सामुदायिक कल्याण गतिविधियाँ: सांस्कृतिक कार्यक्रम, भाषा शिक्षा एवं छात्र कल्याण।
कानूनी पैनल: समय पर सहायता के लिए बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी वाले देशों में स्थापित।
छोटे कानूनी उल्लंघन: फंड भारतीय नागरिकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए जुर्माने के भुगतान की अनुमति देता है।
अभ्यास अग्नि वारियर (XAW-2024)
अभ्यास अग्नि वारियर (XAW-2024) का 13वाँ संस्करण भारत एवं सिंगापुर के बीच घनिष्ठ रक्षा संबंधों पर प्रकाश डालता है, जो 30 नवंबर, 2024 को फील्ड फायरिंग रेंज, देवलाली, महाराष्ट्र में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
XAW-2024 की मुख्य विशेषताएँ
भाग लेने वाले सैन्य बल
सिंगापुर सशस्त्र बल (SAF): सिंगापुर तोपखाने से 182 कर्मी।
भारतीय सेना: आर्टिलरी रेजिमेंट के 114 कर्मी।
उद्देश्य
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत संयुक्त परिचालन क्षमता प्राप्त करने के लिए अभ्यास एवं प्रक्रियाओं की आपसी समझ को बढ़ाना।
नई पीढ़ी के उपकरणों पर ध्यान केंद्रित करते हुए संयुक्त मारक क्षमता योजना एवं निष्पादन का प्रदर्शन करना।
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