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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal August 17, 2024 04:46 110 0

भारत तीसरे ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन’ की मेजबानी करेगा

भारत विकासशील देशों के लिए एक स्थायी भविष्य की दिशा में प्रयास करने के उद्देश्य से वर्चुअल रूप से  तीसरे ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन’ की मेजबानी करेगा।

  • तीसरे ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन की थीम : ‘एक सतत् भविष्य के लिए सशक्त ग्लोबल साउथ’ (An Empowered Global South for a Sustainable Future)। 

‘ग्लोबल साउथ’ (Global South)

  • ‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य विश्व के विकासशील और कम विकसित देशों से है।
  • ब्रांट रेखा (Brandt Line): 1980 के दशक में जर्मन चांसलर ‘विली ब्रांट’ द्वारा प्रस्तावित यह रेखा प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के आधार पर ग्लोबल नार्थ-साउथ आर्थिक विभाजन को दर्शाती है, जो अफ्रीका, मिडिल-ईस्ट, भारत और चीन तक विस्तृत है, जबकि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को इसमें शामिल नहीं किया गया है। 

ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन 

  • यह एक ऐसी पहल है, जिसका उद्देश्य ‘ग्लोबल साउथ’  के देशों को एक साथ लाना तथा विभिन्न मुद्दों पर एक साझा मंच पर उनके दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को साझा करना है।
  • तार्किक आधार (Philosophical Foundation): वसुधैव कुटुंबकम् के भारतीय सिद्धांत पर आधारित, जिसका अर्थ है ‘विश्व एक परिवार है’ 
  • संरचना: शिखर सम्मेलन को राष्ट्र अध्यक्षों के सत्र और मंत्रिस्तरीय सत्रों में विभाजित किया गया है। 

पूर्व-शिखर सम्मेलन

  • शिखर सम्मेलन का विवरण: भारत ने 12 और 13 जनवरी, 2023 को प्रथम वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन (first Voice of Global South Summit) की मेजबानी की।
    • दूसरा संस्करण 17 नवंबर, 2023 को आयोजित किया गया। 
  • प्रारूप: दोनों शिखर सम्मेलन वर्चुअल प्रारूप में आयोजित किए गए। 
    • शिखर सम्मेलन के पिछले दोनों संस्करणों में ग्लोबल साउथ  के  100 से अधिक देशों ने भाग लिया था। 
  • परिणाम: पिछले शिखर सम्मेलनों में विकासशील देशों के राष्ट्रीय  अध्यक्षों से प्राप्त इनपुट और फीडबैक को G-20 शिखर सम्मेलन के एजेंडे और नई दिल्ली राष्ट्रीय अध्यक्षों के घोषणा-पत्र में शामिल किया गया। 

‘फ्लडवॉच इंडिया’ ऐप (‘FloodWatch India’ app)

हाल ही में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने ‘फ्लडवॉच इंडिया’ मोबाइल एप्लिकेशन का संस्करण 2.0 लॉन्च किया।

‘फ्लडवॉच इंडिया’ 

  • इसे केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission-CWC) द्वारा विकसित किया गया था।
  • ऐप अब पूर्व (200) की तुलना में बहुत अधिक स्थानों (592) से बाढ़ के बारे में जानकारी देता है।
    • यह ऐप यह भी जानकारी देता है, कि बड़े पानी के टैंक (जिन्हें जलाशय कहा जाता है) कितने भरे हुए हैं।
      • यह महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि जब ये टैंक अधिक भर जाते हैं तो इससे आस-पास के क्षेत्रों में बाढ़ आ सकती है। 
  • बेहतर पूर्वानुमान: ‘फ्लडवॉच इंडिया’ सटीक और समय पर बाढ़ पूर्वानुमान प्रदान करने के लिए उपग्रह डेटा विश्लेषण, गणितीय मॉडलिंग और वास्तविक समय निगरानी जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करता है। 

पीएम-सूर्य घर के तहत ‘मॉडल सोलर विलेज: मुफ्त बिजली योजना’

भारत सरकार ने पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना के तहत ‘मॉडल सोलर विलेजके कार्यान्वयन के लिए परिचालन दिशा-निर्देश जारी किए हैं: 

  • इसे नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा अधिसूचित किया गया है।

‘मॉडल सोलर विलेज’ घटक (Model Solar Village Component)

  • इसमें पूरे भारत में प्रत्येक जिले में एक आदर्श सोलर विलेज बनाने पर जोर दिया जाएगा।
  • लक्ष्य: सौर ऊर्जा को अपनाने को बढ़ावा देना तथा ग्रामीण समुदायों को अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में आत्मनिर्भर बनाना। 
  • बजट: इस घटक के लिए कुल 800 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, जिसमें प्रत्येक चयनित आदर्श सौर गाँव के लिए 1 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएँगे। 
  • पात्रता: गाँव राजस्व गाँव होना चाहिए जिसकी जनसंख्या 5,000 (या विशेष श्रेणी वाले राज्यों के लिए 2,000) से अधिक हो। 
  • कार्यान्वयन एजेंसियाँ: यह कार्य जिला स्तरीय समिति (District Level Committee-DLC) की देखरेख में राज्य/संघ राज्य क्षेत्र अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी द्वारा किया जाएगा। 
  • चयन प्रक्रिया: इसमें  जिला स्तरीय समिति (DLC) द्वारा संभावित उम्मीदवार ग्राम की घोषणा के 6 महीने बाद स्थापित समग्र वितरित नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy-RE) क्षमता के आधार पर गाँवों का मूल्यांकन किया जाएगा। 
    • प्रत्येक जिले में सर्वाधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वाले  गाँव को ₹1 करोड़ की केंद्रीय वित्तीय सहायता अनुदान मिलेगा। 

पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना

  • लॉन्च: इसे 29 फरवरी, 2024 को लॉन्च किया गया था।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य सोलर रूफ क्षमता की हिस्सेदारी बढ़ाना और आवासीय घरों को स्वयं बिजली उत्पन्न करने के लिए सशक्त बनाना है।
  • बजट: इस योजना का परिव्यय 75,021 करोड़ रुपये है और इसे वित्त वर्ष 2026-27 तक लागू किया जाना है।

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