INS तुशील को 09 दिसंबर, 2024 को रूस के कैलिनिनग्राद में भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा।
माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह इस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे।
INSतुशील के बारे में
नाम: तुशील, जिसका अर्थ है ‘रक्षक कवच’ और इसका शिखर ‘अभेद्य कवच’ (अभेद्य ढाल) का प्रतिनिधित्व करता है।
आदर्श वाक्य: ‘निर्भय, अभेद्य और बलशील’ (निडर, अदम्य, दृढ़ निश्चयी),
फ्रिगेट: यह एक बहु-भूमिका वाला स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट है।
यह प्रोजेक्ट 1135.6 का एक उन्नत क्रिवाक III श्रेणी का फ्रिगेट है।
INS तुशील प्रोजेक्ट 1135.6 की शृंखला में सातवाँ है। और दो उन्नत अतिरिक्त अनुवर्ती जहाजों में से पहला है।
परियोजना 1135.6 के छह जहाज पहले से ही सेवा में हैं, अर्थात् तीन तलवार श्रेणी के जहाज, जो सेंट पीटर्सबर्ग के बाल्टिस्की शिपयार्ड में निर्मित हैं तथा तीन अनुवर्ती टेग श्रेणी के जहाज, जो कलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में निर्मित हैं।
बेड़ा: INS तुशील पश्चिमी नौसेना कमान के तहत भारतीय नौसेना के ‘स्वॉर्ड आर्म’, पश्चिमी बेड़े में शामिल हो जाएगा।
मेक इन इंडिया: जहाज की स्वदेशी सामग्री को 26% तक बढ़ाया गया है और भारत में निर्मित प्रणालियों की संख्या दोगुनी से अधिक होकर 33 हो गई है।
प्रमुख भारतीय OEM: ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, केलट्रॉन, टाटा से नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम्स आदि।
संयुक्त राष्ट्र नारकोटिक ड्रग्स आयोग
भारत को पहली बार संयुक्त राष्ट्र नारकोटिक ड्रग्स आयोग (CND) के 68वें सत्र की अध्यक्षता करने के लिए चुना गया है।
वियना में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत शंभू एस. कुमारन ने आधिकारिक तौर पर अध्यक्षता ग्रहण की।
संयुक्त राष्ट्र नारकोटिक ड्रग्स आयोग (Commission on Narcotic Drugs- CND)
उत्पत्ति: CND की स्थापना वर्ष 1946 में आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) द्वारा की गई थी, ताकि अंतरराष्ट्रीय औषधि नियंत्रण संधियों के अनुप्रयोग के पर्यवेक्षण में ECOSOC की सहायता की जा सके।
सदस्य: ECOSOC द्वारा चुने गए 53 सदस्य देश।
कार्य: ड्रग्स तथा अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) का शासी निकाय।
संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख औषधि नीति संस्था: CND मादक पदार्थ संबंधी मामलों पर संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख नीति निर्धारण निकाय है।
भूमिकाएँ:वैश्विक औषधि प्रवृत्तियों की निगरानी करना, औषधि नीतियाँ तैयार करने में सदस्य देशों को सहायता प्रदान करना तथा अंतरराष्ट्रीय औषधि सम्मेलनों के कार्यान्वयन की देखरेख करना।
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