‘दिवालियापन समाधान: विकास और वैश्विक परिप्रेक्ष्य’ पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) द्वारा INSOL के सहयोग से “दिवालियापन समाधान: विकास और वैश्विक परिप्रेक्ष्य (Insolvency Resolution: Evolution & Global Perspective)” पर केंद्रित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
प्रतिभागी: दिवाला पेशेवर, कानूनी फर्म, परामर्शदाता फर्म, वित्तीय ऋणदाता, सेवा प्रदाता, पेशेवर, नियामक, शिक्षाविद और सरकारी अधिकारी जैसे IBC पारिस्थितिकी तंत्र के हितधारक इस सम्मेलन में शामिल हुए।
पैनल चर्चा थीम: कॉन्क्लेव में तीन पैनल चर्चाएँ शामिल थीं।
पहला: सत्र का विषय था ‘समस्याएँ, हाल के घटनाक्रम और अधिकार क्षेत्र में पुनर्गठन एवं दिवालियापन में नए रुझान’।
दूसरा: इसका विषय था ‘निर्णय प्रवर्तन, परिसंपत्ति वसूली और व्यक्तिगत गारंटी’।
तीसरा: यह ‘अधिकार क्षेत्र में कॉरपोरेट समाधान में संस्थागत ऋणदाताओं की भूमिका’ पर केंद्रित था।
भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड
स्थापना: भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड की स्थापना 1 अक्टूबर, 2016 को दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के अंतर्गत की गई थी।
नियामक: IBBI के पास इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल्स, इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल एजेंसियों, इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल संस्थाओं और सूचना उपयोगिताओं पर नियामक निगरानी है।
कार्य: इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल्स, इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल एजेंसियों और सूचना उपयोगिताओं को पंजीकृत करना एवं ऐसे पंजीकरणों को नवीनीकृत करना, वापस लेना, निलंबित या रद्द करना आदि शामिल है।
उधमपुर “कलारी” चीज
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित दिशा (DISHA) बैठक के दौरान उधमपुर के पारंपरिक स्थानीय दुग्ध उत्पाद ‘कलारी’ को बढ़ावा देने पर चर्चा की गई है।
उधमपुर ‘कलारी’
कलारी एक प्रकार का ‘चीज’ (Cheese) है और डोगरा व्यंजनों का एक हिस्सा है, जिसकी बनावट और स्वाद अद्वितीय है।
उत्पत्ति: कलारी चीज (Cheese) की उत्पत्ति जम्मू के उधमपुर जिले के रामनगर क्षेत्र में हुई थी
लोकप्रिय किंवदंतियों के अनुसार, कलारी का आविष्कार जम्मू-कश्मीर के अर्द्ध-खानाबदोश आदिवासी चरवाहों (गुज्जरों) द्वारा किया गया था, जिन्होंने पाया कि कलारी ‘चीज’ (cheese) दूध को संरक्षित करने का एक उपयोगी तरीका है, जबकि इसके प्रोटीन गुण बरकरार रहते हैं।
GI टैग: कलारी ‘चीज’ (Cheese) को 23 अक्टूबर, 2023 को भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त हुआ।
स्ट्रीट फूड: कलारी को डोगरा समुदाय के लोगों के बीच ‘स्ट्रीट स्नैक’ के तौर पर खूब खाया जाता है। ‘कलारियों’ को नमक लगाकर गर्म तवे पर तेल में भूना जाता है।
बनाने की विधि: ‘कलारियाँ’ पारंपरिक रूप से कच्चे पूर्ण वसा युक्त दुग्ध को संसाधित करने के बाद बनाई जाती है, जिसे लकड़ी के ‘प्लंजर’ जैसे उपकरण से लोहे के बर्तन में जोर से मथा जाता है।
दूध के ठोस पदार्थों के पिघले हुए द्रव्यमान को खट्टा दूध या दही जिसे ‘मठर’ कहा जाता है, डालकर अलग किया जाता है।
पनीर प्राप्त करना
काले लोहे के बर्तन पर पनीर को ठंडा करना
पनीर को नमी हटाने के लिए धूप में सुखाना
पोषक तत्त्व स्थिति: ‘कलारी’ पनीर पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्द्धक होता है और इसमें आयरन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, फॉस्फोरस, जिंक, मैग्नीशियम, पोटेशियम और कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है।
ड्रोन रोधी इकाई (Anti-Drone Unit)
केंद्रीय गृह मंत्री ने ड्रोन से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए एक व्यापक ड्रोनरोधी इकाई की स्थापना की घोषणा की है।
अतिरिक्त उपाय
व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS)
इसका पायलट परीक्षण असम के धुबरी में किया गया तथा पाकिस्तान तथा बांग्लादेश की सीमाओं पर इसे व्यापक स्तर पर लागू करने की योजना बनाई गई।
बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना
संवेदनशील क्षेत्रों को सुरक्षित करने के लिए सीमा पर बाड़ लगाने, सड़क निर्माण और अन्य सीमावर्ती बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा।
एंटी-ड्रोन यूनिट
यह एक परिष्कृत सुरक्षा प्रणाली है।
विकास: सीमा सुरक्षा बलों, रक्षा मंत्रालय, DRDO और अन्य अनुसंधान विभागों के सहयोग से।
उद्देश्य: देश को ड्रोन से होने वाले खतरों से बचाना
पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ड्रोन को रोकने के लिए इस तंत्र की सफलता दर पहले के 3% से बढ़कर 55% हो गई है।
सथानूर बाँध (Sathanur Dam)
हाल ही में सथानूर बाँध से 1.8 लाख क्यूसेक जल अचानक छोड़े जाने से तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई, विल्लुपुरम और कुड्डालोर जिलों में थेनपेनई नदी के तट पर भयंकर बाढ़ आ गई है।
सथानूर बाँध
यह तमिलनाडु का एक महत्त्वपूर्ण जलाशय है।
इस परियोजना का प्रारंभ वर्ष 1953 में भारत की पहली पंचवर्षीय योजना के दौरान की गई थी।
नदी: चेन्नाकेशव पहाड़ियों में थेनपेनई नदी (पेन्नायार नदी) पर बनाया गया।
महत्त्व: मेट्टूर और भवानीसागर बाँधों के बाद तमिलनाडु का तीसरा सबसे बड़ा बाँध।
विशेषताएँ
प्रकार: गुरुत्वाकर्षण बाँध।
विनिर्देश
यह जलाशय आसपास के क्षेत्रों की सिंचाई और जल आपूर्ति की आवश्यकताओं को पूर्ण करता है।
पेन्नैयार नदी
उत्पत्ति: कर्नाटक के चिक्काबल्लापुरा जिले में नंदी हिल्स से।
सहायक नदियाँ: मार्कंडेयनाधी, कंबैनल्लूर और पंबर नदियाँ।
राज्य: यह कर्नाटक से निकलने के बाद तमिलनाडु में प्रवेश करती है।
अंत में, नदी बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना
हाल ही में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना के संदर्भ में राष्ट्रीय स्तरीय समन्वय समिति (NLCC) की पहली बैठक सहकारिता मंत्रालय, नई दिल्ली में हुई।
सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना
उद्देश्य
प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) स्तर पर विकेंद्रीकृत अनाज भंडारण सुविधाएँ स्थापित करना।
गोदामों और प्रसंस्करण इकाइयों जैसे अतिरिक्त कृषि बुनियादी ढाँचे का विकास करना।
पायलट परियोजना की मुख्य विशेषताएँ
गोदामों का निर्माण: 11 राज्यों में 11 PACS में 11 गोदामों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है।
कुल भंडारण क्षमता: 9,750 मीट्रिक टन।
राज्य: महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, असम, तेलंगाना, त्रिपुरा और राजस्थान।
विस्तार: नवंबर 2024 तक निर्माण के लिए 500 से अधिक अतिरिक्त PACS की पहचान की गई है।
कार्यान्वयन एजेंसियाँ: संबंधित राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के समन्वय में NABARD, भारतीय खाद्य निगम (FCI), केंद्रीय भंडारण निगम (CWC), NABARD परामर्श सेवाएँ (NABCONS) के सहयोग से राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
PACS के लिए वित्तीय प्रोत्साहन
कृषि अवसंरचना निधि (AIF)
₹2 करोड़ तक की परियोजनाओं के लिए 3% ब्याज सहायता।
ऋण रिटर्न अवधि: 2+5 वर्ष।
कृषि विपणन अवसंरचना योजना (AMI)
भंडारण इकाई निर्माण के लिए 33.33% सब्सिडी।
मार्जिन मनी की आवश्यकता 20% से घटाकर 10% की गई।
सहायक उपकरणों (जैसे, बाउंड्रीवाल, जल निकासी) के लिए अतिरिक्त सब्सिडी कुल स्वीकार्य सब्सिडी या वास्तविक लागत के 1/3 तक सीमित की गई।
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