इंद्रप्रस्थ इंस्टिट्यूट ऑफ इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी दिल्ली (IIIT-दिल्ली) के शोधकर्ताओं ने ‘एजएक्सटेंड’ (AgeXtend) विकसित किया है।
‘एजएक्सटेंड’ (AgeXtend)
यह जीरोप्रोटेक्टिव (एंटी-एजिंग) गुणों वाले अणुओं की पहचान करने वाला एक AI आधारित उपकरण है।
जीरोप्रोटेक्टिव (Geroprotective) पदार्थों के उदाहरण: मेलेटोनिन, कार्नोसिन, मेटफॉर्मिन, रैपामाइसिन एवं निकोटिनामाइड मोनोन्यूक्लियोटाइड (Nicotinamide mononucleotide- NMN)।
यह पारंपरिक तरीकों की तुलना में व्यवहार्य अणुओं की पहचान करने में लगने वाले समय को कम कर देता है।
तंत्र: अन्य उपकरणों के विपरीत, एजएक्सटेंड (AgeXtend) बताता है कि क्यों एवं कैसे विशिष्ट यौगिकों को एंटी-एजिंग के रूप में पहचाना जाता है।
लाभ
तीव्र पहचान: एजएक्सटेंड (AgeXtend) पारंपरिक तरीकों की तुलना में संभावित एंटी-एजिंग अणुओं की पहचान करने की प्रक्रिया को काफी तेज कर देता है।
बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग: प्लेटफॉर्म विशाल रासायनिक लाइब्रेरीज का कुशलतापूर्वक विश्लेषण कर सकता है, जिससे नए यौगिकों की खोज संभव हो सकेगी।
पूर्वानुमानित शक्ति: एजएक्सटेंड (AgeXtend) अणुओं की आयु-रोधी क्षमता का सटीक अनुमान लगा सकता है, यहाँ तक कि पहले से अज्ञात अणुओं की भी।
स्वस्थ उम्र बढ़ना: एजएक्सटेंड (AgeXtend) नई दवाओं एवं उपचारों की खोज को संभव बना सकता है, जो स्वस्थ आयु वृद्धि को बढ़ावा देते हैं एवं आयु से संबंधित बीमारियों को रोकते हैं।
डेजर्ट नाइट
भारत, फ्राँस एवं संयुक्त अरब अमीरात ने अरब सागर के ऊपर एक त्रिपक्षीय हवाई युद्ध अभ्यास ‘डेजर्ट नाइट’ प्रारंभ किया है।
त्रिपक्षीय रक्षा अभ्यास की मुख्य विशेषताएँ
उद्देश्य: भारत, फ्राँस एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच त्रिपक्षीय रक्षा सहयोग बढ़ाना।
जटिल युद्ध परिदृश्यों के दौरान बेहतर अंतरसंचालनीयता को बढ़ावा देना।
सहभागी वायु सेनाओं के बीच तालमेल का निर्माण करना तथा युद्ध कौशल में सुधार करना।
महत्व: वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव के बीच भारत-प्रशांत एवं फारस की खाड़ी क्षेत्रों में साझेदारी को मजबूत करता है।
भारत-फ्राँस संयुक्त सैन्य अभ्यास
शक्ति: सेना-केंद्रित अभ्यास।
वरुण: नौसेना अभ्यास।
गरुड़: वायु सेना अभ्यास।
भारत-संयुक्त अरब अमीरात (UAE) रक्षा सहयोग
अभ्यास डेजर्ट फ्लैग: यह संयुक्त अरब अमीरात वायु सेना द्वारा आयोजित एक वार्षिक बहुराष्ट्रीय युद्ध अभ्यास है।
भारतीय वायु सेना (IAF) अक्सर अल धफरा हवाई अड्डे पर ‘डेजर्ट फ्लैग’ अभ्यास में भाग लेती है।
e-कोर्ट मिशन मोड परियोजना
भारतीय न्यायपालिका के सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) विकास के लिए e-कोर्ट मिशन मोड परियोजना कार्यान्वयनाधीन है।
परियोजना के संबंध में
e-कोर्ट मिशन मोड परियोजना राष्ट्रीय e-गवर्नेंस योजना के अंतर्गत एक पहल है।
परियोजना का कार्यान्वयन: भारत सरकार का न्याय विभाग, संबंधित उच्च न्यायालयों के माध्यम से विकेंद्रीकृत तरीके से, भारत के सर्वोच्च न्यायालय की e-समिति के साथ निकट समन्वय में e-कोर्ट परियोजना को कार्यान्वित कर रहा है।
मिशन के चरण
चरण I (2011-2015): कंप्यूटर हार्डवेयर स्थापित करने जैसे बुनियादी कंप्यूटरीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
चरण II (2015-2023): जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों की ICT सक्षमता पर केंद्रित।
चरण III (2023-2027): इसे सितंबर 2023 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था।
परियोजना में विभिन्न नई डिजिटल पहलों की परिकल्पना की गई है, जैसे डिजिटल एवं पेपरलेस न्यायालयों की स्थापना, पुराने रिकॉर्ड तथा लंबित मामलों दोनों के न्यायालयी रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण आदि।
राष्ट्रीय e-गवर्नेंस योजना (National e-Governance Plan- NeGP) के संबंध में
यह भारत सरकार की सभी सरकारी सेवाओं को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से भारत के नागरिकों को उपलब्ध कराने की एक पहल है।
NeGP को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (DeitY) तथा प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (DARPG) द्वारा तैयार किया गया था।
EPFO ने धन निकासी के लिए ATM कार्ड सुविधा की योजना बनाई है
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) एक ऐसी सुविधा प्रारंभ करने की दिशा में कार्य कर रहा है, जो सदस्यों को ATM कार्ड के माध्यम से अपने कोष से धन निकालने की अनुमति देगा।
ATM कार्ड सुविधा प्रारंभ करने के कारण
पहुँच में आसानी: सदस्य पूर्व-निर्धारित सीमा के भीतर निकासी के लिए अनुमोदन की आवश्यकता के बिना सीधे धनराशि निकाल सकते हैं।
उपयोगकर्ता अनुभव में सुधार: मैन्युअल प्रक्रियाओं को समाप्त करता है, देरी को कम करता है एवं बैंक जैसी सुविधा प्रदान करता है।
उच्च दावा अस्वीकृति दरों को संबोधित करना: EPFO द्वारा एटीएम् कार्ड जैसी सुविधा के लिए यह कदम हाल के महीनों में EPF अंतिम निपटान की अस्वीकृति की उच्च दर पर चिंताओं के मद्देनजर उठाया गया है।
वर्तमान भविष्य निधि निकासी नियम
EPFO सदस्य 55 वर्ष की आयु में पूर्ण PF बैलेंस निकाल सकते हैं।
सेवानिवृत्ति से एक वर्ष पूर्व उन्हें 90 फीसदी फंड निकालने की अनुमति होती है।
चिकित्सा आपात स्थिति, बेरोजगारी, विवाह आदि के लिए आंशिक निकासी की अनुमति है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के संबंध में
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) एक वैधानिक निकाय है, जो श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत भारत में श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की देखरेख करता है।
प्रमुख जिम्मेदारियाँ: यह कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति योजना का प्रबंधन करता है, जिसमें शामिल हैं:
भविष्य निधि।
मूल पेंशन योजना।
विकलांगता/मृत्यु बीमा योजना।
अंतरराष्ट्रीय कवरेज: EPFO अन्य देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौतों का भी प्रबंधन करता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि द्विपक्षीय समझौतों वाले देशों में अंतरराष्ट्रीय कर्मचारी EPFO योजनाओं के अंतर्गत कवर किए जाते हैं।
सौराष्ट्र जीवाश्म
गुजरात के सौराष्ट्र प्रायद्वीप में पुरातात्त्विक स्थलों पर एक नए अध्ययन ने इस सिद्धांत पर प्रश्न किया है कि प्रारंभिक मानव केवल तटीय मार्गों से प्रवास करते थे।
मुख्य विशेषताएँ
उन्होंने गुजरात के सौराष्ट्र में भादर एवं आजी नदी घाटियों की जाँच की।
भादर एवं आजी नदी घाटियों में खोजे गए उपकरण चर्ट, जैस्पर तथा चैलेडोनी जैसी सामग्रियों से बनाए गए थे, लेकिन तटीय निवास का कोई साक्ष्य नहीं हैं।
अनुमानित आयु: मध्य पुरापाषाण युग की कलाकृतियाँ 56,000 से 48,000 वर्ष प्राचीन हैं।
तट बनाम अंतर्देशीय प्रवासन
तटीय मार्ग सिद्धांत
ब्रिटिश पुरातत्त्वविद् पॉल मेलर्स (2013) ने सुझाव दिया कि लेट पैलियोलिथिक (40,000-10,000 वर्ष पहले) के दौरान मानव, तटीय मार्गों के माध्यम से अफ्रीका से ऑस्ट्रेलिया की ओर चले गए।
यह सिद्धांत भारत में सौराष्ट्र के तट पर उत्तर पुरापाषाणकालीन कलाकृतियों, जैसे नुकीले ब्लेड जैसे औजारों की उपस्थिति का पूर्वानुमान लगाता है।
नए अध्ययन के निष्कर्ष
सौराष्ट्र प्रायद्वीप से प्राप्त पुरातात्त्विक साक्ष्य (मध्य पुरापाषाणकालीन कलाकृतियाँ) इंगित करते हैं कि प्रारंभिक मानव बस्तियाँ मुख्य रूप से अंतर्देशीय थीं।
सौराष्ट्र में कोई भी उत्तर पुरापाषाणकालीन कलाकृतियाँ नहीं मिलीं।
अंतर्देशीय विस्तार के साक्ष्य
साक्ष्यों के अनुसार समकालीन मानव मध्य और प्रायद्वीपीय भारत से होकर आए थे तथा तट पर रहने के बजाय अंतर्देशीय क्षेत्रों की ओर चले गए थे।
समुद्री संसाधनों की अनुपस्थिति
यदि मनुष्य तटीय मार्गों पर निर्भर होते, तो वे मछली एवं शंख जैसे समुद्री संसाधनों का उपयोग करते।
अध्ययन में ऐसी भोजन पर निर्भरता का कोई प्रमाण नहीं मिला।
PVTG विकास के लिए ओडिशा सरकार के बाह्य ऋण की जाँच
ओडिशा सरकार PVTG के दूसरे चरण को क्रियान्वित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFD) से 734.86 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त करने की योजना बना रही है।
विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के संबंध में
PVTGs भारत में अनुसूचित जनजातियों की एक उपश्रेणी है।
यह वर्गीकरण प्राथमिकता समर्थन की आवश्यकता वाले लुप्तप्राय जनजातीय समूहों की पहचान करने में सहायता करता है।
वर्गीकरण की उत्पत्ति
ढेबर आयोग (1960-1961) ने सबसे पहले इन आदिवासी समूहों का वर्गीकरण प्रस्तुत किया।
प्रारंभ में, इन समूहों को आदिम जनजातीय समूह (Primitive Tribal Groups- PTGs) कहा जाता था।
वर्ष 2006 में, भारत सरकार ने उनकी विशिष्ट चुनौतियों एवं कमजोरियों को बेहतर तरीके से प्रतिबिंबित करने के लिए उनका नाम बदलकर विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) कर दिया।
PVTGs की पहचान के लिए मानदंड: भारत सरकार निम्नलिखित कारकों के आधार पर PVTGs की पहचान करती है:
समूह के बीच कम साक्षरता दर।
कृषि-पूर्व स्तर की प्रौद्योगिकी का उपयोग।
आर्थिक असुरक्षा या वित्तीय स्थिरता की कमी।
स्थिर या घटती जनसंख्या प्रवृत्ति।
ओडिशा में PVTGs
ओडिशा 13 PVTGs का आवास स्थल है, जो भारत के सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में सबसे अधिक संख्या है।
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