भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) तमिलनाडु के तिरुचि जिले में मंदिर की दीवारों पर लगे हुए पुराने पत्थर के शिलालेखों की नकल तैयार कर रहा है।
संबंधित तथ्य
शिलालेख: एक शिलालेख पत्थर या धातु से बनी किसी चीज पर उत्कीर्ण लेखन है, उदाहरण के लिए समाधि का पत्थर या पदक।
पहचाने गए मंदिर: मत्तुरई वरदेश्वर मंदिर (Mattrurai Varadeswarar Temple) एवं अग्निश्वर मंदिर (Agneeswarar Temple)।
शिलालेखों की प्रतिलिपि बनाने की विधि: शिलालेखों से पात्रों एवं प्रतीकों की प्रतिलिपि बनाने के लिए पुरातत्त्वविदों द्वारा एस्टैम्पेज (Estampage) विधि का उपयोग किया जाता है।
इस तकनीक में, एक स्याही वाले कागज में एक शिलालेख की सटीक नकल प्राप्त की जाती है एवं फिर आगे के विश्लेषण के लिए उपयोग किया जाता है।
मुख्य निष्कर्ष
तिरुवासी मंदिर (Thiruvasi Temple) के शिलालेखों से पता चलता है कि यह कुलोथुंगा चोल (Kulothunga Chola) काल का है।
पेरिया करुप्पुर (Periya Karuppur) के शिलालेख 14वीं शताब्दी के विजयनगर साम्राज्य के हैं एवं इनमें मंदिरों को दिए गए दान के बारे में उल्लेख किया गया है।
शिलालेख 12वीं शताब्दी के हैं एवं इनमें पांड्य राजा सुंदरपांडियन (Pandya king Sundarapandiyan) का उल्लेख है।
सूडान संकट
सूडान सशस्त्र बल (SAF) एवं रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के बीच संघर्ष ने सूडान को तबाह कर दिया।
सूडान संकट के बारे में
संघर्ष विस्फोट: SAF एवं RAF के बीच सत्ता संघर्ष अप्रैल 2023 में बड़े पैमाने पर संघर्ष में बदल गया।
विस्थापन संकट: इस संघर्ष ने 12 मिलियन से अधिक सूडानियों को विस्थापित कर दिया है, जिनमें से 10 मिलियन से अधिक अभी भी देश के भीतर विस्थापित हैं, जिससे यह विश्व स्तर पर सबसे बड़ा विस्थापन संकट बन गया है।
मानवीय प्रभाव: बड़े पैमाने पर विस्थापन एवं हत्याओं ने मानवीय सहायता को गंभीर रूप से प्रतिबंधित कर दिया है, जिससे कमजोर समुदायों तक सहायता पहुँचाना मुश्किल हो गया है।
नामीबिया सूखा (Namibia Drought)
नामीबिया ने अपने 1.4 मिलियन लोगों हेतु भोजन के रूप में मांस उपलब्ध कराने के लिए अपने सैकड़ों जंगली जानवरों को मारने की योजना बनाई है, जो इस सदी के सबसे गंभीर सूखे का सामना कर रहे हैं।
नामीबिया में सूखा
सूखा-प्रवण: नामीबिया सूखा-प्रवण अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिण में अवस्थित है।
इसने वर्ष 2013, 2016 एवं वर्ष 2019 में अत्यधिक सूखे के कारण राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की थी।
सूखे का प्रसार: सबसे पहले सूखे की स्थिति अक्टूबर 2023 में बोत्सवाना में उत्पन्न हुई थी, फिर धीरे-धीरे यह अंगोला, जाम्बिया, जिम्बाब्वे एवं नामीबिया में फैल गई।
गंभीर सूखे का प्रमुख कारण: इसका मुख्य कारण अल नीनो है, जो दुनिया एवं महासागर के कई हिस्सों में अत्यधिक गर्मी तथा शुष्क मौसम से जुड़ा मौसम पैटर्न है।
सूखे के प्रभाव
सूखे के कारण भोजन की उपलब्धता कम हो गई है।
पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में गंभीर कुपोषण की समस्याबढ़ गई।
महिलाओं एवं लड़कियों को भोजन तथा जल की खोज में लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, इससे लिंग आधारित हिंसा का खतरा भी बढ़ रहा है।
जंगली जानवरों को मारने के प्रमुख कारण
नामीबियाई नागरिकों के लिए मांस उपलब्ध कराना।
सूखा जानवरों को पलायन करने के लिए मजबूर कर देगा एवं मारे जाने से मानव आबादी के साथ उनके संघर्ष की संभावना कम हो सकती है।
वन्यजीवों पर सूखे के प्रभाव को कम करना।
ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2024
हाल ही में ग्लोबल फिनटेक फेस्ट (GFF) 2024, सम्मेलन का पाँचवाँ संस्करण संपन्न हुआ।
थीम: ‘वित्त के अगले दशक का ब्लूप्रिंट: जिम्मेदार AI, समावेशी, लचीला।’ (Blueprint for the next decade of finance: Responsible AI, Inclusive, Resilient)
ग्लोबल फिनटेक फेस्ट के बारे में
आयोजित: GFF सबसे बड़े फिनटेक सम्मेलनों में से एक है, जो प्रत्येक वर्ष पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI), नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) एवं फिनटेक कन्वर्जेंस काउंसिल (FCC) द्वारा आयोजित किया जाता है।
उद्देश्य: फिनटेक में बदलाव के लिए उत्प्रेरक पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना।
महत्त्व: GFF सहयोग, नवाचार एवं ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।
मान्यता: GFF के लोकाचार का केंद्र ग्लोबल फिनटेक अवार्ड्स (GFA) है, जो दुनिया भर के व्यक्तियों एवं उद्यमों द्वारा फिनटेक डोमेन में एक सम्मानित मान्यता है।
जापान का ऊष्मा प्रतिरोधी चावल
जापान, पिछले वर्ष 2023 में हुए चावल के कम उत्पादन के कारण चावल की कमी का सामना कर रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए नई ऊष्मा प्रतिरोधी चावल की किस्म एमिहोकोरो चावल (Emihokoro Rice) तैयार किया है।
एमिहोकोरो चावल (Emihokoro Rice)
एमिहोकोरो: एक नव विकसित ऊष्मा प्रतिरोधी चावल की प्रजाति।
कृषि: बीजों के अधिक लचीले स्ट्रेन को विकसित करने के लिए कृषि एवं क्रॉस-परागण करना शामिल है।
पर-परागण प्रक्रिया (Cross-Pollination Process): पर-परागण प्रक्रिया तब होती है जब एक पौधे के परागकोष से पराग उसी प्रजाति के दूसरे पौधे के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित हो जाता है।
आउटब्रीडिंग लाभ: ऐसे बीज उत्पन्न करता है जो दोनों मूल पौधों की विशेषताओं को मिलाते हैं, जिससे नए बीजों में अधिक विविधता होती है।
पर-परागण के लाभ: इसके परिणामस्वरूप नए बीजों में अधिक क्षमता, बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता और अन्य लाभकारी गुण विकसित हो जाते हैं।
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