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NHAI की पहली परिसंपत्ति मुद्रीकरण रणनीति

Lokesh Pal June 13, 2025 02:39 63 0

संदर्भ

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highways Authority of India-NHAI) ने सड़क क्षेत्र के लिए अपनी पहली परिसंपत्ति मुद्रीकरण रणनीति जारी की है, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के माध्यम से पूँजी सृजन को बढ़ावा देना है।

रणनीति के मुख्य उद्देश्य

  • परिचालन राजमार्गों के आर्थिक मूल्य को प्रदर्शित करना।
  • दक्षता और नवाचार में सुधार के लिए निजी क्षेत्र के निवेश को आकर्षित करना।
  • पारंपरिक बजटीय स्रोतों पर अत्यधिक निर्भरता के बिना बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए धन का एक स्थिर स्रोत सुनिश्चित करना।

रणनीति के तीन स्तंभ

  • परिसंपत्तियों का मूल्य अधिकतमीकरण: मौद्रिकीकरण योग्य सड़क परिसंपत्तियों की वैज्ञानिक पहचान एवं मूल्यांकन।
    • प्रतिस्पर्द्धी निविदा और बाजार आधारित मूल्य निर्धारण के माध्यम से अधिकतम रिटर्न सुनिश्चित करना।
  • पारदर्शिता और सूचना प्रसार: स्पष्ट रूपरेखा और निवेशकों के लिए प्रासंगिक डेटा का प्रकटीकरण।
  • बाजार विकास और हितधारक जुड़ाव: निवेशक आधार का विस्तार।

NHAI द्वारा अपनाए गए मुद्रीकरण मॉडल

  • टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (ToT): निजी हितधारकों को अग्रिम भुगतान के बदले परिचालन टोल आधारित सड़कों को दीर्घकालिक लीज पर देना।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvITs): खुदरा और संस्थागत निवेशकों को अवसंरचनात्मक परियोजनाओं में निवेश करने और रिटर्न अर्जित करने की अनुमति देता है।
  • टोल राजस्व का प्रतिभूतिकरण: टोल प्राप्तियों द्वारा समर्थित बॉन्ड या ऋण जारी करके टोल संग्रह से भविष्य के नकदी प्रवाह का मुद्रीकरण करना।

परिसंपत्ति मुद्रीकरण (Asset Monetisation)

  • परिसंपत्ति मुद्रीकरण से तात्पर्य निजी क्षेत्र के निवेश और भागीदारी को शामिल करके सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों के आर्थिक मूल्य को प्रदर्शित करने की प्रक्रिया से है।
  • इसका अर्थ है कि निष्क्रिय या कम उपयोग की गई सार्वजनिक संपत्तियों को राजस्व के स्रोतों में परिवर्तित करना।
  • उदाहरण: NHAI द्वारा ToT मॉडल के तहत निजी हितधारकों को परिचालन राजमार्गों को पट्टे पर देना संपत्ति मुद्रीकरण का एक उदाहरण है।
  • उद्देश्य
    • नई अवसंरचना परियोजनाओं के लिए पूँजी जुटाना।
    • परिसंपत्ति प्रबंधन में दक्षता में सुधार लाना।
    • सार्वजनिक वित्त पर बोझ कम करना।

परिसंपत्ति मुद्रीकरण में वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यास

  • पारदर्शिता: ऑस्ट्रेलिया में एक ‘एसेट रिसाइक्लिंग’ पहल है, जो पारदर्शी निविदा और आय को नए बुनियादी ढाँचे में पुनर्निवेश करने को अनिवार्य बनाती है।
  • मुद्रीकरण के साधन: अमेरिका और सिंगापुर बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण के लिए REITs/InvITs का उपयोग करते हैं, जबकि जापान हाइब्रिड रेल मॉडल का लाभ उठाता है।
  • AI और ब्लॉकचेन: पूर्वानुमानित रखरखाव और पारदर्शी लेनदेन के लिए अमेरिकी बुनियादी ढाँचे में उपयोग किया जाता है।
  • डेटा मुद्रीकरण: उच्च गुणवत्ता वाले डेटा प्लेटफॉर्म (जैसे- Google क्लाउड एनालिटिक्स) संपत्ति के मूल्य को बढ़ाते हैं।
  • सतत् विकास के लिए पुनर्निवेश: ऑस्ट्रेलिया का ‘एसेट रिसाइक्लिंग फंड’ पुनर्निवेश को अनिवार्य बनाता है, जिससे एक आत्मनिर्भर चक्र का निर्माण होता है।

भारत के सड़क क्षेत्र में परिसंपत्ति मुद्रीकरण का महत्त्व

  • नए बुनियादी ढाँचे के लिए निधि: राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline-NMP) के तहत 6,100 किलोमीटर से अधिक लंबाई के राष्ट्रीय राजमार्गों से ₹1.4 लाख करोड़ से अधिक जुटाए जा चुके हैं।
  • सरकारी ऋण में कमी: रखरखाव लागत को निजी हितधारकों पर स्थानांतरित करता है, जिससे राजकोषीय बोझ कम होता है।
  • निजी निवेश को बढ़ावा देता है: TOT, InvITs जैसे मॉडलों के माध्यम से PPP को प्रोत्साहित करता है, जिससे वैश्विक निवेशक (जैसे- ब्रुकफील्ड, मैक्वेरी) आकर्षित होते हैं।
    • सड़क की गुणवत्ता और तकनीक में सुधार: निजी ऑपरेटर बेहतर रखरखाव, तकनीक और दक्षता लाते हैं, जिससे सड़क की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
  • पारदर्शिता और विश्वास सुनिश्चित करता है: स्पष्ट मूल्यांकन और निवेशक-अनुकूल प्रक्रियाओं के साथ संरचित ढाँचा।
  • सतत् विकास का समर्थन करता है: भारत की वर्ष 2025-30 मुद्रीकरण योजना के साथ संरेखित करता है, जिससे राजमार्गों के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण सुनिश्चित होता है।

सड़क क्षेत्र की परिसंपत्ति मुद्रीकरण में चुनौतियाँ

  • कम निविदाएँ और निवेशकों की कम रुचि: निजी हितधारक ToT (टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर) नीलामी में अपेक्षा से कम बोली लगा सकते हैं, जिससे राजस्व की संभावना कम हो जाती है।
    • आर्थिक मंदी या नीतिगत अनिश्चितताएँ भी निवेशकों की भागीदारी को रोक सकती हैं।
  • विनियामक और कानूनी बाधाएँ: भूमि अधिग्रहण विवाद, पर्यावरण मंजूरी और अनुबंध प्रवर्तन में देरी से मुद्रीकरण धीमा हो सकता है।
    • टोल नीतियों या कर संरचनाओं में बार-बार होने वाले बदलाव निवेशकों के लिए अनिश्चितता उत्पन्न करते हैं।
  • संपत्ति की गुणवत्ता और रखरखाव जोखिम: कुछ राजमार्गों की खराब स्थिति उनके मुद्रीकरण की प्रक्रिया को कम करती है।
    • CAG रिपोर्ट (2023) के अनुसार, मुद्रीकरण के लिए पहचानी गई NHAI की लगभग एक-चौथाई सड़क परिसंपत्तियों को बड़े पैमाने पर पुनर्वास की आवश्यकता थी, जिससे निवेशकों का विश्वास प्रभावित हुआ।
  • बाजार और वित्तीय जोखिम: यातायात की मात्रा में उतार-चढ़ाव (आर्थिक स्थितियों या वैकल्पिक मार्गों के कारण) टोल राजस्व को प्रभावित करते हैं।
    • बढ़ती ब्याज दरें निजी हितधारकों के लिए वित्तपोषण को महंगा बनाती हैं, जिससे निवेश करने की उनकी इच्छा कम हो जाती है।
  • सार्वजनिक प्रतिरोध और राजनीतिक विरोध: टोल में बढ़ोतरी या राजमार्गों के निजीकरण से जनता में नाराजगी उत्पन्न हो सकती है।
    • राज्य सरकारें राजनीतिक या क्षेत्रीय चिंताओं के कारण प्रमुख मार्गों के केंद्र के नेतृत्व वाले मुद्रीकरण का विरोध कर सकती हैं।
  • नए मॉडल के लिए सीमित निवेशक आधार: InvITs (इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट) जैसे साधनों के लिए गहरे पूँजी बाजार की आवश्यकता होती है, जो भारत में अभी भी विकसित हो रहे हैं।

आगे की राह

  • मुद्रीकरण मॉडल का विस्तार और विविधता: हाइब्रिड संरचनाओं (जैसे- प्रतिभूतिकरण, SPV) की खोज करते हुए InvITs (इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट) और ToT (टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर) जैसे अभिनव मॉडल का विस्तार करना।
  • पारदर्शिता के माध्यम से निवेशकों का विश्वास मजबूत करना: मानकीकृत परिसंपत्ति मूल्यांकन, स्पष्ट अनुबंध शर्तें और परिसंपत्ति मुद्रीकरण डैशबोर्ड (बजट 2021-22 में प्रस्तावित) के माध्यम से वास्तविक समय प्रदर्शन निगरानी को लागू करना।
    • दिल्ली-नोएडा डायरेक्ट फ्लाईवे ToT पारदर्शी बोली के कारण सफल हुआ, जिससे $1.45 बिलियन प्राप्त हुए।
  • रियायत अवधि और जोखिम-साझाकरण का अनुकूलन करना: निवेशकों के रिटर्न और सार्वजनिक हित को संतुलित करने के लिए अनुकूलित कार्यकाल (जैसे, 20-30 वर्ष) और राजस्व-साझाकरण तंत्र प्रदान करना।
  • उच्च-यातायात गलियारों और प्रौद्योगिकी एकीकरण को प्राथमिकता देना: उच्च-घनत्व वाले मार्गों (जैसे- दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे) का मुद्रीकरण करना और राजस्व बढ़ाने के लिए FASTag, RFID और AI-आधारित टोलिंग को एकीकृत करना।
  • मजबूत विवाद समाधान तंत्र स्थापित करना: मध्यस्थता में  तीव्रता लाना और दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत InvITs को लाने के लिए नीति आयोग के प्रस्ताव को अपनाना।
    • भूमि अधिग्रहण और टोल विवादों (जैसे- पुणे-मुंबई एक्सप्रेसवे) में देरी ने परियोजनाओं को बाधित किया है।

निष्कर्ष

NHAI की रणनीति बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण में एक आदर्श बदलाव को दर्शाती है, जो पारदर्शिता, निजी निवेश और कुशल परिसंपत्ति प्रबंधन को बढ़ावा देती है। अभिनव मुद्रीकरण तंत्रों को जल्दी अपनाने वाले के रूप में, NHAI पूरे भारत में सतत्् बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।

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