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भिक्षावृत्ति की समस्या के संदर्भ में NHRC की सलाह

Lokesh Pal July 11, 2024 04:40 155 0

संदर्भ 

भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भिक्षावृत्ति की समस्या से निपटने और इसमें शामिल लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए केंद्र, राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेश (UT) प्रशासनों को एक ऐड्वाइज़री जारी की है।

भारत में भिक्षावृत्ति की समस्या की स्थिति

  • अनेक कल्याणकारी कार्यक्रमों के बावजूद भिक्षावृत्ति भारत में अभी भी एक बड़ी समस्या है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार,
    • भारत में 4,13,000 से अधिक लोग भिक्षावृत्ति में शामिल हैं।
      • इस समूह में महिलाएँ, बच्चे, ट्रांसजेंडर व्यक्ति और बुजुर्ग शामिल हैं। 
      • वे जीवित रहने के लिए भिक्षावृत्ति में शामिल हैं।

भिक्षावृत्ति क्या है?

  • भिक्षावृत्ति बदले में कुछ भी उम्मीद किए बिना दूसरों से पैसे या उपहार माँगने का कार्य है। 
  • भिक्षावृत्ति में संलग्न व्यक्ति को “भिखारी” के रूप में जाना जाता है।
  • आधुनिक भिक्षावृत्ति : यह भिक्षावृत्ति का एक प्रकार है, जिसमें व्यक्तिगत रूप से पैसे माँगने के बजाय ऑनलाइन पैसे की माँग की जाती है। 
  • अनुरोधों के प्रकार: इसमें चिकित्सा देखभाल, सुरक्षा या छुट्टियों और स्कूल यात्राओं जैसी व्यक्तिगत इच्छाओं जैसे विभिन्न अनुरोध शामिल हो सकते हैं।

भिक्षावृत्ति का अपराधीकरण: पक्ष और विपक्ष

विशेषता

पक्ष 

विपक्ष

जीवन का अधिकार

भिक्षावृत्ति को अपराध घोषित करने से लोगों को कमाने करने और जीवन बेहतर जीने के तरीके चुनने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

प्रत्येक व्यक्ति को जीवित रहने का अधिकार है और भिक्षावृत्ति को अपराध घोषित करने से लोगों को भिक्षावृत्ति में शामिल होने और भूखा रहने के बीच चयन करने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है।

मूल कारण

इससे जबरन भिक्षावृत्ति  की प्रवृत्ति को कम करने में मदद मिल सकती है

इसमें गरीबी, शिक्षा के अभाव या मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जाता है।

जुर्माना/दंड

भिक्षावृत्ति को गैर-कानूनी बनाने से लोगों को पैसा कमाने के बेहतर तरीके ढूँढने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।

भिक्षावृत्ति के लिए लोगों को गिरफ्तार करना और जेल में डालना कठोर है, खासकर तब जब वे पहले से ही संघर्ष कर रहे हों। इससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ बढ़ेंगी।

संसाधनों का आवंटन

भिक्षावृत्ति के कारण लोगों को मदद प्राप्त करने में समस्या हो सकती है। इससे उन्हें सही लोगों तक पहुँचने में भी कठिनाई होगी, जिससे उन्हें मदद मिल सके।

भिखारियों को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने में खर्च किया गया धन, उनकी मदद (भोजन, आश्रय, शिक्षा) में खर्च किया जा सकता है।

सार्वजनिक उपद्रव सार्वजनिक उपद्रव कम हो जाता है।

भिक्षावृत्ति को अपराध घोषित करने से कानूनी और न्यायिक प्रणाली पर छोटे-मोटे अपराधों का बोझ बढ़ सकता है, जिससे गंभीर अपराधों और सार्वजनिक सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर आवश्यक संसाधनों की कमी हो सकती हैं।

शोषण

कुछ भिखारियों को तस्करों या अपराधियों द्वारा भीख माँगने के लिए मजबूर किया जाता है। भिक्षावृत्ति को अपराध घोषित करने से इसे रोकने में मदद मिल सकती है।

भिक्षावृत्ति को अपराध घोषित करने से अंतर्निहित सामाजिक और आर्थिक मुद्दों की अनदेखी होती है तथा गरीबी के मूल कारणों पर ध्यान देने के बजाय इसे अपराध मानकर बुनियादी मानवाधिकारों और सम्मान का उल्लंघन होता है।

NHRC द्वारा चिह्नित किए गए प्रमुख मुद्दे

  • संगठित समूहों द्वारा शोषण: सुभेद्य/अतिसंवेदनशील बच्चों को अक्सर संगठित समूहों द्वारा अपने मुख्य अभिकर्ता को लाभ पहुँचाने के लिए भिक्षावृत्ति के लिए प्रेरित किया जाता है।
    • कुछ व्यक्तियों का अपहरण कर लिया जाता है और उन्हें भिक्षावृत्ति के लिए जबरन मजबूर किया जाता है, जिससे उनके अपहरणकर्ताओं को अच्छी खासा धन प्राप्त होता है।
  • सामाजिक उपेक्षा: शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के पास अक्सर सामाजिक उपेक्षा के कारण दैनिक जीवनयापन के लिए दूसरों पर निर्भर रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है।

भारत में भिक्षावृत्ति की समस्या से निपटने के लिए कार्रवाई के आठ प्रमुख क्षेत्र

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सरकार को भिक्षावृत्ति की प्रथा को समाप्त करने तथा इसमें शामिल लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी है।

कार्य क्षेत्र

विवरण

भिक्षावृत्ति में लिप्त व्यक्तियों की पहचान करना और उन्हें सहायता प्रदान करना

भिक्षावृत्ति में शामिल लोगों का राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए सर्वेक्षण करना। उनकी शारीरिक, मानसिक और सामाजिक पृष्ठभूमि के बारे में विवरण शामिल करना। इस जानकारी को नियमित रूप से अपडेट करना।

पुनर्वास

आश्रय गृहों को भोजन, कपड़े और स्वास्थ्य सेवा जैसी आवश्यक सेवाएँ प्रदान करना। लोगों को पहचान-पत्र, राशन कार्ड और बैंक खाते प्राप्त करने में मदद करना। आवश्यकतानुसार मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और व्यसन उपचार सेवाएँ प्रदान करना।

कानूनी और नीतिगत ढांँचा

भिक्षावृत्ति में संलग्न लोगों की सुरक्षा के लिए एक राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार करना। इस नीति में वित्तीय सहायता, नौकरी प्रशिक्षण और लोगों को समाज में पुनः शामिल करने में मदद करने के तरीके शामिल होने चाहिए। जबरन भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए मानव तस्करी के खिलाफ कानूनों को मजबूत करना।

सहयोग

पुनर्वास प्रयासों का समर्थन करने के लिए गैर-सरकारी संगठनों, नागरिक समाज संगठनों और निजी क्षेत्र के साथ मिलकर कार्य करना। गैर-सरकारी संगठनों को लोगों को स्वयं सहायता समूह बनाने में मदद करने हेतु प्रोत्साहित करना ताकि वे अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू कर सकें।

वित्तीय सेवाओं तक पहुंँच

पुनर्वास के बाद लोगों को अपना भरण-पोषण करने में मदद करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना। बैंकों को प्रशिक्षण कार्यक्रम पूर्ण कर चुके लोगों को ऋण देने के लिए प्रोत्साहित करना।

जागरूकता सृजन

भिक्षावृत्ति में शामिल लोगों के लिए उपलब्ध कल्याणकारी कार्यक्रमों के बारे में लोगों को शिक्षित करना। भिखारियों को सीधे पैसे देने से हतोत्साहित करना और इसके बजाय, उन्हें सहायता सेवाओं के लिए निर्देशित करना। जबरन भिक्षावृत्ति में शामिल खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान शुरू करना।

शिक्षा

भिक्षावृत्ति में संलग्न बच्चों को सरकारी या निजी स्कूलों में दाखिला दिलाना। इस बात को सुनिश्चित करना कि उन्हें कानून के अनुसार निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त हो।

कौशल विकास

आश्रय गृहों में रहने वाले लोगों को उनकी क्षमताओं और रुचियों के आधार पर कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना। इन कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने के लिए सरकार द्वारा अनुमोदित प्रशिक्षण केंद्रों के साथ साझेदारी स्थापित करना।

भिक्षावृत्ति की समस्या से निपटने के लिए कार्रवाई के कार्यान्वयन हेतु सिफारिशें

प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार हैं:

  • कल्याणकारी योजनाएँ और सहायता: वित्तीय सहायता, व्यावसायिक प्रशिक्षण, गरीबी उन्मूलन और रोजगार के अवसरों सहित भिखारियों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ विकसित और कार्यान्वित करना।
  • समाजशास्त्रीय और आर्थिक मूल्यांकन: मानव तस्करी के खिलाफ कानून का मसौदा तैयार करने के लिए मूल्यांकन करना।
  • भिक्षावृत्ति  को एक कारण के रूप में चिन्नित करना: भिक्षावृत्ति को मानव तस्करी का मूल कारण मानना ​​और भिखारियों का शोषण करने वालों के लिए दंड प्रावधान को शामिल करना।
  • राष्ट्रीय डेटाबेस: भिखारियों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्थिति का राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने तथा उसे नियमित रूप से अपडेट करने के लिए विस्तृत जानकारी एकत्र करना।
  • आवश्यक सेवाएँ: उचित भोजन, आवास, कपड़े, स्वास्थ्य सेवा और बैंक खाते खोलने में सहायता प्रदान करना।
  • सुभेद्य समूहों पर ध्यान देना: वर्तमान कानूनों के अनुसार बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों, विकलांग व्यक्तियों (PwDs) और मादक द्रव्यों के सेवन की समस्या वाले लोगों की जरूरतों को प्राथमिकता प्रदान करना।
  • मानसिक स्वास्थ्य और पुनर्वास परामर्श सेवाएँ: आश्रय गृहों में मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, नशामुक्ति और पुनर्वास सेवाएँ प्रदान करना।
  • बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार: भिक्षावृत्ति में शामिल 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाना, शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा को सुनिश्चित करना।
  • गैर-सरकारी संगठनों और नागरिक समाज से सहायता: गैर-सरकारी संगठन और नागरिक समाज समूह आश्रय गृहों के निवासियों को स्वयं सहायता समूहों के लिए सहायता प्रदान करेंगे और स्वरोजगार हेतु ऋण प्राप्त करने में सहायता करेंगे।
  • रोजगार के अवसर: बैंकिंग क्षेत्र के माध्यम से भविष्य के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना, जिसमें बैंकों के लिए संभावित प्रोत्साहन या सब्सिडी शामिल हों।
  • भिक्षावृत्ति रोधी प्रकोष्ठ: इस मुद्दे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए गैर-सरकारी संगठनों, नागरिक समाज संगठनों  (CSOs) और मानवाधिकार रक्षकों सहित हितधारकों के साथ मिलकर भिक्षावृत्ति के विरुद्ध भिक्षावृत्ति रोधी प्रकोष्ठ (Anti-Begging Cells) का निर्माण करना।

संविधान और भिक्षावृत्ति 

भारतीय संविधान में भिक्षावृत्ति का स्पष्ट उल्लेख नहीं है। संविधान में भिक्षावृत्ति पर रोक लगाने से संबंधित कई प्रावधान हैं:

  • अनुच्छेद-23(1): यह अनुच्छेद जबरन मजदूरी के रूप में शोषण पर रोक लगाता है। यह भिक्षावृत्ति को शोषण का एक रूप मानता है।
  •  अनुच्छेद-21: यह अनुच्छेद भारत के लोगों को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है। यह दर्शाता है कि सरकार लोगों को भिक्षावृत्ति के लिए मजबूर नहीं कर सकती।
  • राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के अनुच्छेद-39 (e) और (f): डीपीएसपी (DPSP) में उल्लिखित अनुच्छेदों में इस बात पर जोर दिया गया है कि राज्य की नीति नागरिकों, पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से आजीविका के पर्याप्त साधनों के अधिकार को सुनिश्चित करने की दिशा में निर्देशित होनी चाहिए।
    • यह भी सुनिश्चित करता है कि श्रमिकों, बच्चों, पुरुषों और महिलाओं के स्वास्थ्य और शक्ति का दुरुपयोग न हो और उन्हें अपनी आयु या शक्ति के अनुरूप काम करने के लिए मजबूर न किया जाए। 
    • यह सरकार को भिक्षावृत्ति  के मूल कारणों जैसे- गरीबी, बेरोजगारी, कम कौशल, खराब स्वास्थ्य आदि को दूर करने का निर्देश भी देता है।

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