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क्षय रोग (TB) के लिए निक्षय पोषण योजना (NPY)

Lokesh Pal October 09, 2024 03:25 89 0

संदर्भ 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निक्षय पोषण योजना (Ni-kshay Poshan Yojana- NPY) के अंतर्गत टीबी रोगियों के लिए सहायता राशि 500 ​​रुपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये कर दी गई।

संबंधित तथ्य

  • भारत का लक्ष्य, वर्ष 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पूर्व वर्ष 2025 तक टीबी को समाप्त करना है।
  • 18.5 से कम बॉडी मास इंडेक्स (BMI) वाले रोगियों के लिए ‘एनर्जी डेंस न्यूट्रिशन सप्लीमेंटेशन’ (EDNS) को भी शुरू किया गया।
  • इस पहल से 25 लाख टीबी रोगियों और 12 लाख कम वजन वाले रोगियों को लाभ होगा, जिसकी लागत सरकार को ₹1,040 करोड़ होगी, जिसे केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 अनुपात में साझा किया जाएगा।

टीबी के विरुद्ध भारत का अभियान 

  • राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (National Tuberculosis Elimination Programme-NTEP): ग्लोबल 2030 के लक्ष्य से पूर्व वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य।
  • प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान: रोगियों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करता है और सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
  • राष्ट्रीय टीबी कॉल सेंटर- निक्षय संपर्क: टीबी उपचार पर टेली-परामर्श प्रदान करता है।
  • टीबी मुक्त पंचायत पहल (TB Mukt Panchayat Initiative): TB के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाता है।
  • आदिवासी टीबी पहल (Tribal TB Initiative): आदिवासी समुदायों में टीबी को संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • मिशन इंद्रधनुष (Mission Indradhanush): इस मिशन के तहत BCG वैक्सीन प्रदान की जाती है।

निक्षय पोषण योजना (Ni-kshay Poshan Yojana) क्या है?

  • यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत केंद्र प्रायोजित योजना है।
  • इसे केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है। 
  • उद्देश्य: पोषण संबंधी आवश्यकताओं के लिए ₹500 प्रति माह के प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से टीबी रोगियों की सहायता करना।
    • सभी अधिसूचित टीबी रोगी इस योजना के लिए पात्र हैं।
  • निक्षय मित्र (Ni-kshay Mitras): व्यक्ति, गैर-सरकारी संगठन, कॉरपोरेट और राजनीतिक दल जैसे स्वयंसेवक टीबी रोगियों को गोद लेते हैं।
    • वे पूरक पोषण, अतिरिक्त जाँच और व्यावसायिक सहायता के मामले में सहायता प्रदान करते हैं।
  • ई-निक्षय प्लेटफॉर्म (E-Nikshay Platform): केंद्रीय टीबी प्रभाग द्वारा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Centre-NIC) और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से विकसित किया गया है।
  • यह राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (National Tuberculosis Elimination Programme- NTEP) के अंतर्गत टीबी रोगी प्रबंधन के लिए एक वेब-सक्षम प्रणाली है। 
    • सभी टीबी रोगियों, चाहे वे सार्वजनिक क्षेत्र के हों या निजी, को इस प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत होना चाहिए।

नि-क्षय पोषण योजना (2023) का प्रदर्शन

  • कवरेज संबंधी मुद्दे: अधिसूचित मामलों की उच्च संख्या के बावजूद, लाभार्थियों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा उनके उपचार में सहायता के लिए इच्छित वित्तीय सहायता प्राप्त नहीं कर रहा है।
  • सुधार की आवश्यकता: लाभार्थियों में लगातार कम वृद्धि, बेहतर कार्यक्रम जागरूकता, पहुँच और निधि वितरण में दक्षता की आवश्यकता का सुझाव देती है।
    • वर्ष 2022: भारत में 2.4 मिलियन अधिसूचित टीबी के मामले थे।
      • निक्षय पोषण योजना के तहत केवल 1.6 मिलियन (66%) को कम-से-कम एक महीने का भुगतान प्राप्त हुआ था।
    • वर्ष 2021: वर्ष 2021 में भारत में 2.1 मिलियन अधिसूचित मामलों में से केवल 62.1% को कम-से-कम एक भुगतान प्राप्त हुआ।
    • वर्ष 2020: वर्ष 2020 में भी, अधिसूचित टीबी मामलों में से केवल 62% को कम-से-कम एक महीने का भुगतान प्राप्त हुआ।
  • भौगोलिक विषमताएँ: उच्च टीबी बोझ वाले क्षेत्रों में लाभार्थी भुगतान दर कम है, जो कार्यक्रम कार्यान्वयन और आउटरीच में चुनौतियों का संकेत देता है।
    • दिल्ली (टीबी के सबसे अधिक रोगी): प्रति 1,00,000 लोगों पर लगभग 546 मामले।
      • केवल 44% लाभार्थियों को कम-से-कम एक माह का भुगतान मिला है।
    • उत्तर प्रदेश: प्रति 1,00,000 पर 218 व्यक्ति टीबी से प्रभावित हैं। 
      • लाभार्थी भुगतान दर: 64% 
    • मध्य प्रदेश प्रति 1.00,000 पर 214 व्यक्ति टीबी से प्रभावित हैं। 
      • लाभार्थी भुगतान दर: 82%
    • गुजरात: प्रति 1,00,000 पर लगभग 213 व्यक्ति टीबी से प्रभावित हैं। 
      • लाभार्थी भुगतान दर: 63%

क्षय रोग के बारे में

  • यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है, जो आमतौर पर फेफड़ों (पल्मोनरी टीबी) को प्रभावित करता है।
  • एक्सट्रापल्मोनरी टीबी शरीर के अन्य भागों को प्रभावित करता है, जैसे कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल टीबी, स्केलेटल टीबी, लिवर टीबी।
  • संचरण: हवा के माध्यम से जब कोई संक्रमित व्यक्ति खाँसता, बोलता या छींकता है।
  • टीबी के लिए परीक्षण: एक्सपर्ट MTB, RIF अल्ट्रा और ट्रूनेट परीक्षण।
  • उपचार: आम दवाओं में आइसोनियाजिड, रिफैम्पिसिन और पाइराजिनामाइड शामिल हैं।
    • BCG वैक्सीन रोकथाम में मदद करती है।
  • दवा प्रतिरोधी टीबी से तात्पर्य उस टीबी से है जो मानक दवाओं के प्रति प्रतिक्रिया नहीं करती है। WHO दवा प्रतिरोधी तपेदिक (DR-TB) को पाँच प्रकारों में वर्गीकृत करता है:-
    • मोनो-रेजिस्टेंस: एक अग्रिम पंक्ति की एंटी-टीबी दवा के प्रति प्रतिरोध
    • पॉली-रेजिस्टेंस: आइसोनियाजिड (Isoniazid) और रिफैम्पिसिन (Rifampicin) दोनों के अलावा एक से अधिक अग्रिम पंक्ति की एंटी-टीबी दवाओं के प्रति प्रतिरोध।
    • मल्टीड्रग रेजिस्टेंस (MDR): कम-से-कम आइसोनियाजिड और रिफैम्पिसिन दोनों के प्रति प्रतिरोध।
    • प्री-एक्सटेंसिवली ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (Pre-XDR): MDR टीबी का एक प्रकार, जो फ्लोरोक्विनोलोन या ‘सेकेंड-लाइन इंजेक्टेबल ड्रग’ के प्रति प्रतिरोधी होता है।
    • एक्सटेंसिवली ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (XDR): MDR के अतिरिक्त किसी भी फ्लोरोक्विनोलोन और कम-से-कम तीन  ‘सेकेंड-लाइन इंजेक्टेबल ड्रग्स’ में से एक के प्रति प्रतिरोधी होता है।

इंडिया टीबी रिपोर्ट 2024

  • अधिसूचित टीबी रोगी: वर्ष 2023 में 25.52 लाख (वर्ष 2022 में 24.22 लाख से ऊपर)।
  • मामले की रिपोर्टिंग: सार्वजनिक क्षेत्र से 67%, निजी क्षेत्र से 33%।
  • ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (Drug-Resistant TB- DR-TB) के लिए उपचार सफलता दर: 65%।
  • केस में वृद्धि: वर्ष 2023 में टीबी की अनुमानित केस बढ़कर 27.8 लाख हो गए।
  • मृत्यु दर: 3.2 लाख पर बनी रही।
  • वर्ष 2023 की उपलब्धि: भारत ने निदान किए गए 95% रोगियों में उपचार प्रारंभ करने का अपना लक्ष्य पूरा किया गया।
  • ड्रग रेजिस्टेंस परीक्षण: 58% निदान किए गए रोगियों का ड्रग रेजिस्टेंस के लिए परीक्षण किया गया, जो वर्ष 2015 में 25% था।

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