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नीलगिरि तहर

Lokesh Pal September 21, 2024 05:08 4 0

संदर्भ 

चोकरामुडी पहाड़ियों (Chokramudi Hills) की तलहटी में स्थित बाइसन घाटी (Bison Valley) के लोग इन पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील ढलानों पर भूमि खरीदारों द्वारा की जा रही निर्माण गतिविधियों का विरोध कर रहे हैं, जो लुप्तप्राय नीलकुरिंजी (Neelakurinji) और नीलगिरि तहर (Nilgiri Tahr) का क्षेत्र है। 

नीलगिरि तहर के बारे में

  • नीलगिरि तहर [जिसे नीलगिरि आइबेक्स (Nilgiri Ibex) या वारैआडू (Varaiaadu) भी कहा जाता है] तमिलनाडु का राजकीय पशु है। 
  • इसका सांस्कृतिक और पारिस्थितिक महत्त्व बहुत अधिक है, जैसा कि 2,000 वर्ष पुराने तमिल संगम साहित्य सिलापथिकारम् (Silapathikaram) और सीवागसिंथामणि (Seevaga Sinthamani) में उल्लेख किया गया है। 
  • इस प्रजाति के वयस्क नरों को उनकी पीठ पर विशिष्ट हल्के भूरे रंग के धब्बे के कारण सैडलबैक (Saddlebacks) के नाम से जाना जाता है।
  • यह दक्षिणी भारत में पाई जाने वाली एकमात्र पर्वतीय खुरधारी प्रजाति है।

आवास और वितरण

  • वितरण: दक्षिणी पश्चिमी घाटों में स्थानिक, मुख्य रूप से तमिलनाडु और केरल राज्यों में पाई जाती है।
  • आवास: नीलगिरि तहर उष्णकटिबंधीय पर्वतीय घास के मैदानों, शोला वनों और चट्टानी उच्च-ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • मुख्य स्थान: केरल के एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान (Eravikulam National Park) में नीलगिरि तहर की सबसे अधिक घनत्व के साथ सबसे बड़ी आबादी है।
  • अनुकूलन: उच्च ऊँचाई के ठंडे, नम वातावरण के अनुकूल, यह प्रजाति दिनचर है और इसमें उच्च तनाव सहनशीलता है।

संरक्षण की स्थिति

  • IUCN की रेड लिस्ट में: लुप्तप्राय (Endangered)
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972: अनुसूची-I  (Schedule-I) में सूचीबद्ध, जो उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्रदान करता है। 
  • आवास के नुकसान और शिकार के कारण नीलगिरि तहर की जनसंख्या में भारी गिरावट आई है। 
  • वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) की वर्ष 2015 की रिपोर्ट के अनुसार, इनकी आबादी का अनुमान 3,122 था, हालाँकि वे कभी पूरे पश्चिमी घाट में घूमते थे। 

प्रोजेक्ट नीलगिरि तहर

  • तमिलनाडु सरकार द्वारा दिसंबर 2022 में पाँच वर्ष (2022-2027) की अवधि के लिए लॉन्च किया जाएगा।
  • इसका उद्देश्य राजकीय पशु के निवास स्थान का विस्तार करके और जन जागरूकता बढ़ाकर इसे संरक्षित करना है, जिसकी अनुमानित लागत 25.14 करोड़ रुपये है। 
  • उद्देश्य
    • इनकी आबादी को बेहतर ढंग से समझने के लिए सर्वेक्षण और रेडियो टेलिमेट्री अध्ययन आयोजित करना।
    • नीलगिरि तहर को उसके ऐतिहासिक निवास स्थान में पुनः स्थापित किया जाए।
    • प्रजातियों के लिए तात्कालिक खतरों का समाधान करना।

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