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मध्यम उद्यमों पर नीति आयोग की रिपोर्ट

Lokesh Pal May 28, 2025 03:53 110 0

संदर्भ

नीति आयोग ने “मध्यम उद्यमों के लिए एक नीति तैयार करना” (Designing a Policy for Medium Enterprises) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें मध्यम उद्यमों को भारत की अर्थव्यवस्था के विकास इंजन में बदलने के रूप में एक रोडमैप की रूपरेखा तैयार की गई है।

मध्यम उद्यम की परिभाषा

  • वैधानिक वर्गीकरण: मध्यम उद्यम वे हैं, जिनका संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश ₹50 करोड़ से अधिक नहीं है और टर्नओवर ₹250 करोड़ से अधिक नहीं है।
  • MSMEs के भीतर अनुपात: सभी पंजीकृत MSMEs में से केवल 0.3% ही मध्यम उद्यम के रूप में योग्य हैं, जबकि इस क्षेत्र में 6 करोड़ से अधिक इकाइयों का विशाल आधार है।

आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में भूमिका

  • GDP योगदान: MSMEs क्षेत्र भारत के GDP में 29% का योगदान देता है।
  • निर्यात योगदान: मध्यम उद्यम निर्यात में लगभग 40% का योगदान देते हैं, जो वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा के लिए उनकी क्षमता को प्रदर्शित करता है।
  • नवाचार की संभावना: ये नवाचार आधारित इकाइयाँ हैं, जिनमें भविष्य के बड़े उद्यम बनने और आत्मनिर्भर भारत का समर्थन करने की क्षमता है।
    • ऑटो-कंपोनेंट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में, मध्यम उद्यम घरेलू और वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में महत्त्वपूर्ण शृंखला का निर्माण करते हैं।
  • रोजगार सृजन: MSMEs भारत के 60% से अधिक कार्यबल को रोजगार प्रदान करते हैं और मध्यम उद्यम उचित समर्थन के साथ अधिक औपचारिक, कुशल रोजगार पैदा करने की स्थिति में हैं।

MSMEs से संबंधित भारत सरकार की प्रमुख पहल

  • उद्यम पंजीकरण पोर्टल (2020): इसका उद्देश्य MSMEs पंजीकरण को सरल बनाना और उद्यमों के औपचारिकीकरण को बढ़ावा देना है।
  • PM विश्वकर्मा योजना (2023): पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को ऋण, कौशल प्रशिक्षण और डिजिटल सक्षमता के साथ सहायता प्रदान करती है।
  • प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम – PMEGP (2008): सूक्ष्म उद्यम सृजन के माध्यम से स्वरोजगार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • पारंपरिक उद्योगों के पुनरुद्धार के लिए कोष संबंधी योजना – स्फूर्ति (2005): कारीगरों को समूहों में संगठित करके और बुनियादी ढाँचे को बढ़ाकर पारंपरिक उद्योगों को पुनर्जीवित करता है।
  • MSE के लिए सार्वजनिक खरीद नीति (2012): सभी केंद्रीय सरकारी और PSU खरीद का 25% MSE से अनिवार्य करती है, जिससे बाजार पहुँच में वृद्धि होती है।

मध्यम उद्यमों के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ

  • वित्त तक पहुँच: उनके अद्वितीय पैमाने और कार्यशील पूँजी चक्रों के अनुरूप अपर्याप्त वित्तीय साधन।
  • प्रौद्योगिकी अंतराल: उद्योग 4.0 उपकरणों को सीमित रूप से अपनाना और उन्नत विनिर्माण समाधानों तक अपर्याप्त पहुँच।
  • कमजोर अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र: विशेष रूप से क्लस्टर आधारित और उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं में नवाचार हेतु न्यूनतम संस्थागत समर्थन।
  • परीक्षण अवसंरचना की कमी: क्षेत्र-विशिष्ट परीक्षण और प्रमाणन केंद्रों की अनुपस्थिति अनुपालन और उत्पाद मानकीकरण को बाधित करती है।
  • कौशल असंरेखण: वर्तमान प्रशिक्षण कार्यक्रम मध्यम उद्यमों की क्षेत्रीय आवश्यकताओं के साथ असंरेखित हैं।
  • डिजिटल विखंडन: सरकारी योजनाओं और अनुपालन उपकरणों तक पहुँचने के लिए केंद्रीकृत तथा सुगम पहुँच स्थापित करने वाले प्लेटफॉर्म की कमी।

मध्यम उद्यमों के लिए नीति आयोग की प्रमुख सिफारिशें

  • अनुकूलित वित्तीय समाधान: उद्यम टर्नओवर से जुड़ी कार्यशील पूँजी वित्तपोषण योजना की शुरुआत; बाजार दरों पर 5 करोड़ रुपये की क्रेडिट कार्ड सुविधा; और MSME मंत्रालय की देख-रेख में खुदरा बैंकों के माध्यम से त्वरित निधि वितरण तंत्र स्थापित करना।
  • प्रौद्योगिकी एकीकरण और उद्योग 4.0: उद्योग 4.0 समाधानों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा प्रौद्योगिकी केंद्रों को क्षेत्र विशिष्ट और क्षेत्रीय रूप से अनुकूलित भारत SME 4.0 सक्षमता केंद्रों में अपग्रेड करना।
  • अनुसंधान एवं विकास संवर्द्धन तंत्र: MSME मंत्रालय के भीतर एक समर्पित अनुसंधान एवं विकास सेल की स्थापना, राष्ट्रीय महत्त्व की क्लस्टर आधारित परियोजनाओं के लिए आत्मनिर्भर भारत कोष का लाभ उठाना।
  • क्लस्टर आधारित परीक्षण अवसंरचना: अनुपालन को आसान बनाने और उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए क्षेत्र-केंद्रित परीक्षण तथा प्रमाणन सुविधाओं का विकास।
  • कौशल विकास: क्षेत्र के अनुसार उद्यम-विशिष्ट आवश्यकताओं के साथ कौशल कार्यक्रमों का संरेखण और मौजूदा उद्यमिता एवं कौशल विकास कार्यक्रमों (Entrepreneurship and Skill Development Programmes- ESDP) में मध्यम उद्यम-केंद्रित मॉड्यूल का एकीकरण।
  • केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल: उद्यम प्लेटफॉर्म के भीतर एक समर्पित उप-पोर्टल का निर्माण, जिसमें योजना संबंधी उपकरण, अनुपालन समर्थन और AI-आधारित सहायता शामिल होगी, ताकि उद्यम संबंधी संसाधनों को प्रभावी ढंग से उपयोग करने में मदद मिल सके।

निष्कर्ष

समावेशी नीतियों, सहयोगात्मक शासन और रणनीतिक समर्थन के माध्यम से सशक्त होकर, मध्यम उद्यम नवाचार, निर्यात और रोजगार के प्रमुख कारक बन सकते हैं, जो विकसित भारत @2047 के दृष्टिकोण को साकार करने में एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ बन सकते हैं।

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