हाल ही में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organization- NATO) ने अपनी 75वीं वर्षगाँठ मनाई।
संबंधित तथ्य
NATO शिखर सम्मेलन: संयुक्त राज्यअमेरिका वाशिंगटन में सभी NATO नेताओं के एक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
उत्तराधिकार के लिए चर्चा: NATO नेताओं का लक्ष्य आगामी हालिया चर्चा के दौरान वर्तमान महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग के उत्तराधिकार को संबोधित करना था, जिनका कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है।
नॉर्वे के पूर्व प्रधानमंत्री, स्टोलटेनबर्ग ने वर्ष 2014 से गठबंधन का नेतृत्व किया है, उनके शुरुआती चार वर्ष के कार्यकाल को चार बार बढ़ाया गया है।
सर्वसम्मति आधारित निर्णय लेने में बाधा: अगले NATO नेतृत्व के संबंध में चर्चा, नाटो संगठन के एक उल्लेखनीय पहलू को रेखांकित करती है, जिसने संपत्ति एवं दायित्व दोनों के रूप में कार्य किया है।
इसके लिखित नियम बहुत कम हैं एवं यह सर्वसम्मति से संचालित होता है, जिसका अर्थ आमतौर पर सर्वसम्मत निर्णय होता है। इसने अक्सर लचीलापन प्रदान किया है, लेकिन कभी-कभी एक सदस्य को कार्रवाई को अवरुद्ध करने की अनुमति प्रदान की गई है।
उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO)
परिचय: NATO 31 सदस्य देशों से बना एक ट्रांस-अटलांटिक सुरक्षा गठबंधन है।
स्थापना: इसकी स्थापना वर्ष 1949 में उत्तरी अटलांटिक संधि (North Atlantic Treaty), जिसे वाशिंगटन संधि भी कहा जाता है, पर हस्ताक्षर के साथ हुई थी।
हाल के वर्षों में शामिल हुए सदस्य: वर्ष 2020 में उत्तरी मैसेडोनिया एवं वर्ष 2023 में फिनलैंड तथा वर्ष 2024 में स्वीडन को शामिल किया गया।
मुख्यालय: ब्रुसेल्स, बेल्जियम।
उद्देश्य
सहयोग: इन ट्रांस अटलांटिक देशों के बीच एक अद्वितीय लिंक प्रदान करना, जिससे उन्हें राजनीतिक एवं सैन्य मुद्दों पर परामर्श एवं सहयोग करने में सक्षम बनाया जा सके।
सीमित खतरा: यूरोप में तत्कालीन सोवियत संघ के संभावित विस्तार संबंधी प्रयासों के खतरे का मुकाबला करने के लिए।
निहित सिद्धांत
सामूहिक रक्षा का सिद्धांत: NATO इस सिद्धांत के प्रति प्रतिबद्ध है कि उसके एक या कई सदस्य देशों के विरुद्ध आक्रमण, सभी के खिलाफ आक्रमण माना जाता है।
सदस्यता मानदंड: NATO की सदस्यता ‘इस संधि के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने एवं उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा में योगदान करने की स्थिति में किसी भी अन्य यूरोपीय राष्ट्र’ के लिए खुली है।
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