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नॉर्वे और भारत: हरित समुद्री साझेदार

Lokesh Pal October 31, 2025 02:53 17 0

संदर्भ

मुंबई में आयोजित इंडिया मैरीटाइम वीक, 2025 (India Maritime Week 2025) के दौरान, भारत और नॉर्वे ने अपने बढ़ते समुद्री और महासागरीय सहयोग की पुष्टि की है।

भारत–नॉर्वे समुद्री साझेदारी के बारे में

  • यह साझेदारी सतत् महासागर शासन और वैश्विक नौवहन के डीकार्बोनाइजेशन के साझा उद्देश्य पर आधारित है।
  • भारत की प्रमुख आवश्यकताएँ: जहाज निर्माण, जहाज पुनर्चक्रण, डिजिटल समुद्री नवाचार और कुशल कार्यबल।
  • नॉर्वे की प्रमुख समुद्री क्षमताएँ: उन्नत समुद्री प्रौद्योगिकियाँ, हरित नौवहन समाधान, जहाज डिजाइन, वित्त और बीमा में विशेषज्ञता।
  • दोनों देश महासागरों को वैश्विक साझा संसाधन के रूप में देखते हैं, जिनके संरक्षण और आर्थिक उपयोग की साझी जिम्मेदारी है।

रणनीतिक संदर्भ 

  • यह साझेदारी भारत के सागर विजन (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) और इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव (IPOI) के अनुरूप है, जिसके तहत नॉर्वे समुद्री पारिस्थितिकी और समुद्री संसाधनों के स्तंभों में सहयोग करता है।
  • नॉर्वे, एक आर्कटिक राष्ट्र  होने के माध्यम से, ध्रुवीय और महासागरीय अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जबकि भारत, जो आर्कटिक परिषद  में पर्यवेक्षक की भूमिका में है, जो सतत् संसाधन प्रबंधन और समुद्री संपर्क में समान रुचि रखता है।

हालिया विकास और संस्थागत ढाँचा 

  • भारत–EFTA व्यापार एवं आर्थिक भागीदारी समझौता (TEPA):
    • 1 अक्टूबर, 2025 से प्रभावी हुआ।
    • शिपिंग, लॉजिस्टिक्स, समुद्री प्रौद्योगिकी और व्यापार सुविधा के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • भारत-नॉर्वे महासागर वार्ता (वर्ष 2019): सतत महासागर प्रबंधन, समुद्री प्रदूषण नियंत्रण और नीली अर्थव्यवस्था पर सहयोग के लिए एक औपचारिक तंत्र स्थापित किया गया।
    • नीली अर्थव्यवस्था पर भारत-नॉर्वे टास्क फोर्स के माध्यम से संचालित।
  • समुद्री सहयोग पर संयुक्त कार्यसमूह (JWG, 2025): निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की गई:
    • हरित नौवहन और कम ईंधन दहन।
    • समुद्री प्रशिक्षण और सुरक्षा मानक।
    • जहाज पुनर्चक्रण और स्थिरता पहल।

वर्तमान सहयोग के क्षेत्र

  • हरित नौवहन और डीकार्बोनाइजेशन
    • नॉर्वे ने वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक घरेलू नौवहन और मत्स्यपालन से उत्सर्जन में 50% की कमी का लक्ष्य रखा है।
    • अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के माध्यम से कठोर जलवायु नियमन की सिफारिश करता है।
    • अमोनिया, हाइड्रोजन और विद्युत प्रणोदन प्रणालियों जैसे निम्न या शून्य-उत्सर्जन ईंधनों को बढ़ावा देता है।
    • नॉर्वे के नवाचारों में यारा बर्कलैंड (विश्व  का पहला ऑटोनॉमस, जीरो-एमिशन शिप) और ASKO फेरी (पूर्ण रूप से इलेक्ट्रिक जहाज) शामिल हैं।
  • जहाज निर्माण और औद्योगिक सहयोग
    • भारत की वैश्विक जहाज निर्माण क्षमता बढ़ने से नॉर्वे के साथ साझेदारी के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं।
    • नॉर्वेजियन शिपओनर्स एसोसिएशन (NSA) के सदस्यों द्वारा ऑर्डर किए गए लगभग 10% जहाज भारत में निर्मित होते हैं।
      • उदाहरण: कोचीन शिपयार्ड ने हाल ही में नॉर्वे की विल्सन ASA से 14 जहाजों के निर्माण का अनुबंध प्राप्त किया।
    • दोनों देश हांगकांग कन्वेंशन (वर्ष 2009) जैसे अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण मानकों के तहत सुरक्षित और सतत् जहाज पुनर्चक्रण पर सहयोग करते हैं।
  • समुद्री कार्यबल और प्रशिक्षण
    • नॉर्वे के अधीनस्थ या नियंत्रणाधीन पोतों पर नियोजित कर्मबल में, भारतीय नाविकों की गणना राष्ट्रीयता के आधार पर द्वितीय सर्वाधिक प्रतिनिधित्व के रूप में की जाती है।
    • TEPA समझौते के तहत, दोनों देश ऑनबोर्ड प्रशिक्षण, प्रमाणन और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को सशक्त करेंगे।
  • समुद्री क्षेत्र में लैंगिक समानता और समावेशन
    • नॉर्वे ने वर्ष 2019 से समुद्री समुद्री उद्योग में महिला नेतृत्व को प्रोत्साहित करने हेतु एक वैश्विक मंच (SheEO) का समर्थन किया है, जो समुद्री उद्योग में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देता है।
    • वर्ष 2025 के सम्मेलन में भारतीय महिला नाविकों, कैडेट्स और कैप्टनों की भागीदारी ने समुद्री कार्यबल में समावेशन को प्रदर्शित किया।
    • दोनों देशों का लक्ष्य साझा सर्वोत्तम प्रथाओं के माध्यम से समुद्री कार्यबल को अधिक समावेशी और भविष्य के लिए तैयार करना है।

  • रणनीतिक अभिसरण: भारत का मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 और अमृत काल 2047 नॉर्वे के स्थिरता और डिजिटल नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने के समान है।

मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 के बारे में

  • शुभारंभ: वर्ष 2021 में, पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय द्वारा भारत के समुद्री क्षेत्र के समग्र आधुनिकीकरण तथा वर्ष 2030 तक उसकी वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से एक व्यापक रूपांतरणीय पहल आरंभ की गई।।
  • उद्देश्य: क्षमता वृद्धि, तकनीकी उन्नति और सतत् बंदरगाह-आधारित विकास के माध्यम से भारत को शीर्ष वैश्विक समुद्री राष्ट्रों में स्थान दिलाना।
  • मुख्य फोकस क्षेत्र
    • बंदरगाहों का आधुनिकीकरण और क्षमता वृद्धि।
    • स्मार्ट, हरित और सतत् बंदरगाहों का विकास।
    • तटीय नौवहन और अंतर्देशीय जलमार्गों का विस्तार।
    • सागरमाला पहल के अंतर्गत बंदरगाह आधारित औद्योगिकीकरण।
    • जहाज निर्माण, पुनर्चक्रण और मरम्मत पारिस्थितिकी तंत्र का सशक्तीकरण।

भारत का समुद्री उद्योग

  • भारत में 12 प्रमुख और लगभग 200 गौण बंदरगाह हैं।
  • मात्रा की दृष्टि से लगभग 95% व्यापार तथा मूल्य की दृष्टि से 68% व्यापार समुद्री परिवहन के माध्यम से होता है।
  • वित्त वर्ष 2024 में, सभी प्रमुख बंदरगाहों ने 817.97 मिलियन टन (MT) कार्गो का संचालन किया, जो वित्त वर्ष 2023 से 4.45% अधिक है।

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