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विकसित भारत के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन

Lokesh Pal February 07, 2025 03:37 263 0

संदर्भ

केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 के बजट भाषण में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMRs) के अनुसंधान और विकास के लिए विकसित भारत हेतु परमाणु ऊर्जा मिशन की स्थापना की घोषणा की है।

विकसित भारत के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन के बारे में

  • उद्देश्य: घरेलू परमाणु क्षमताओं को बढ़ाना, निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना और उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकियों को तैनात करना।
  • वित्तपोषण: केंद्रीय बजट 2025-26 में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों में अनुसंधान एवं विकास के लिए ₹20,000 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जिसका लक्ष्य वर्ष 2033 तक कम-से-कम पाँच स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए SMR बनाना है।
    • लक्ष्य: भारत ने वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
  • निजी क्षेत्र का प्रवेश: सरकार परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 तथा परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में संशोधन करने की योजना बना रही है, ताकि परमाणु ऊर्जा में निजी क्षेत्र के प्रवेश को सुगम बनाया जा सके।
    • भारत लघु रिएक्टरों की स्थापना।
    • भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टर का अनुसंधान एवं विकास।
    • परमाणु ऊर्जा के लिए नई प्रौद्योगिकियों का अनुसंधान एवं विकास।

छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के बारे में

  • SMR उन्नत परमाणु रिएक्टर हैं, जिनकी अधिकतम विद्युत उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट प्रति यूनिट तक है।
    • यह पारंपरिक परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों (500 मेगावाट या उससे अधिक बिजली उत्पादन क्षमता) की उत्पादन क्षमता का लगभग एक-तिहाई है।

  • अनुप्रयोग क्षेत्र: SMR विभिन्न आउटपुट और विभिन्न अनुप्रयोगों को लक्षित करता है, जैसे कि विद्युत, हाइब्रिड ऊर्जा प्रणाली, हीटिंग, जल का अलवणीयकरण आदि।
  • परिचालन स्थिति: SMR अभी भी ज्यादातर विकास के चरण में हैं और अभी केवल कुछ प्रयोगात्मक SMR चालू हैं।
    • उदाहरण: रूस का अकादमिक लोमोनोसोव (विश्व का पहला तैरता हुआ परमाणु ऊर्जा संयंत्र)।
  • विकास की स्थिति: विश्व में SMR के लिए 80 से अधिक विभिन्न डिजाइनों पर काम चल रहा है, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस और दक्षिण कोरिया जैसे देश ऐसे रिएक्टरों का निर्माण कर रहे हैं।
    • भारत अपनी ऊर्जा संक्रमण रणनीति के एक भाग के रूप में भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (BSMR) विकसित कर रहा है।
  • लाभ
    • डिजाइन: SMR छोटे और मॉड्यूलर डिजाइन के होते हैं, जिससे उन्हें किसी भी स्थान पर बनाना और स्थापित करना अधिक किफायती हो जाता है। SMR लागत तथा निर्माण समय में बचत प्रदान करते हैं और उन्हें बढ़ती ऊर्जा माँग को पूर्ण करने के लिए क्रमिक रूप से तैनात किए जा सकते हैं।
    • अंतर्निहित सुरक्षा प्रावधान: SMR निष्क्रिय प्रणालियाँ हैं, जो भौतिक घटनाओं (जैसे, प्राकृतिक परिसंचरण, संवहन, गुरुत्वाकर्षण और स्व-दबाव) पर निर्भर करती हैं, जो दुर्घटना की स्थिति में पर्यावरण में रेडियोधर्मी कचरे के असुरक्षित रिलीज की संभावना को काफी कम करती हैं।
    • ईंधन की आवश्यकताएँ: SMR को पारंपरिक संयंत्रों के लिए 1 से 2 वर्ष की तुलना में कम आवृत्ति में ईंधन की आवश्यकता हो सकती है (प्रत्येक 3 से 7 वर्ष में)। कुछ SMR को ईंधन भरे बिना 30 वर्ष तक काम करने के लिए डिजाइन किया गया है।
    • ऊर्जा समावेशिता: SMR उन क्षेत्रों के लिए बेहतर हैं, जहाँ स्वच्छ, विश्वसनीय तथा  किफायती ऊर्जा उपलब्ध नहीं है, जो उद्योग और आबादी के लिए न्यूनतम कार्बन वाली विद्युत प्रदान करते हैं।
      • इसकी कम विद्युत उत्पादन क्षमता के कारण इसे किसी मौजूदा ग्रिड में या दूर से ऑफ-ग्रिड स्थापित किया जा सकता है।

भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता के बारे में

  • परमाणु ऊर्जा भारत में विद्युत का पाँचवाँ सबसे बड़ा स्रोत है।
  • वर्तमान स्थिति: भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता वर्ष 2014 में 4,780 मेगावाट से लगभग दोगुनी होकर वर्ष 2025 तक 8,180 मेगावाट हो गई है, जो देश के कुल बिजली उत्पादन में लगभग 3.11% (वर्ष 2020-21 तक) का योगदान देती है।

  • अनुमानित: परमाणु क्षमता वर्ष 2031-32 तक तीन गुनी होकर 22,800 मेगावाट हो जाने का अनुमान है, जिसमें वर्ष 2047 तक भारत की विद्युत उत्पादन का लगभग 9% हिस्सा परमाणु ऊर्जा से आएगा।
  • संचालित रिएक्टर: भारत में 7 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में 23 संचालित रिएक्टर हैं, जिनमें मुख्य रूप से दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर (Pressurized Heavy-Water Reactors – PHWR) और कुछ हल्के जल रिएक्टर (Light-Water Reactors -LWR) शामिल हैं।
  • विकास: परमाणु ऊर्जा का उपयोग करके विद्युत उत्पादन की शुरुआत अक्टूबर 1969 में महाराष्ट्र के तारापुर में दो रिएक्टरों के संचालित होने के साथ शुरू हुई।
  • स्वामित्व: भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का स्वामित्व और संचालन भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (NPCIL) और इसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम (BHAVINI) द्वारा किया जाता है।
    • NTPC या NHPC जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को हाल ही में परमाणु संयंत्रों के स्वामित्व और संचालन के लिए NPCIL के साथ संयुक्त उद्यम में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है।
  • भारत की परमाणु क्षमता बढ़ाने के लिए सरकारी पहल
    • विस्तार: भारत ने वर्ष 2031-2032 तक परमाणु ऊर्जा विस्तार को 22,480 मेगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें शामिल हैं,
      • गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कुल 8,000 मेगावाट क्षमता के दस रिएक्टरों का निर्माण और कमीशनिंग।
      • आंध्र प्रदेश राज्य के श्रीकाकुलम जिले के कोव्वाडा में अमेरिका के सहयोग से 6 x 1208 मेगावाट क्षमता के परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई।
    • नियंत्रित विखंडन शृंखला अभिक्रिया: राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना की इकाई-7 (भारत का तीसरा स्वदेशी परमाणु रिएक्टर) हाल ही में महत्त्वपूर्ण स्थिति में पहुँच गई, जिससे नियंत्रित विखंडन शृंखला अभिक्रिया की शुरुआत हुई।
    • भारत लघु रिएक्टर: सरकार निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में भारत लघु रिएक्टर (BSR) विकसित करके अपने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र का सक्रिय रूप से विस्तार कर रही है।
    • नई पीढ़ी के रिएक्टर: परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) हाइड्रोजन सह-उत्पादन के लिए उच्च तापमान वाले गैस-कूल्ड रिएक्टर और पिघलित साल्ट रिएक्टरों सहित नए परमाणु रिएक्टर शुरू करने जा रहा है, जिसका उद्देश्य भारत के प्रचुर थोरियम संसाधनों का उपयोग सुनिश्चित करना है।

भारत स्मॉल रिएक्टर्स

  • BSR 220 मेगावाट के प्रेशराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर (PHWR) हैं।
  • उद्देश्य: भूमि की आवश्यकता को कम करने के लिए इन रिएक्टरों को अपग्रेड किया जा रहा है, ताकि उन्हें स्टील, एल्युमीनियम धातु जैसे उद्योगों के पास लगाने के लिए उपयुक्त बनाया जा सके, जो डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों में सहायता के लिए कैप्टिव पॉवर प्लांट के रूप में काम करेंगे।
  • भागीदारी: निजी संस्थाएँ भूमि, शीतलन जल और पूँजी उपलब्ध कराएँगी, जबकि न्यूक्लियर पॉवर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) मौजूदा कानूनी ढाँचे के भीतर डिजाइन, गुणवत्ता आश्वासन और संचालन और रखरखाव का काम सँभालेगी।

भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (Bharat Small Modular Reactors- SMRs)

  • भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को फिर से प्रयोग में लाने और दूरदराज के इलाकों में बिजली की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए SMR विकसित कर रहा है।
    • टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स परमाणु ऊर्जा विभाग के साथ मिलकर सात या आठ वर्ष के भीतर 40-50 BSMR बनाने पर काम कर रहा है।
  • क्षमता: SMR, उन्नत परमाणु रिएक्टर हैं, जिनकी बिजली उत्पादन क्षमता 30 MWe से लेकर 300+ MWe तक होती है।
  • उद्देश्य: इसे अपनी ऊर्जा संक्रमण रणनीति के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसका लक्ष्य ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए शुद्ध-शून्य उत्सर्जन हासिल करना है।

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