100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सुधार और चुनौतियाँ

Lokesh Pal September 08, 2025 03:37 50 0

संदर्भ

केंद्र सरकार भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को उदार बनाने के लिए दो प्रमुख संशोधन प्रस्तुत कर रही है।

संबंधित तथ्य

  • विधायी सुधार 
    • परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम (Civil Liability for Nuclear Damage Act- CLNDA), 2010 में संशोधन: इसका उद्देश्य उपकरण आपूर्तिकर्ताओं की असीमित देयता को सीमित करना है।
    • परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 में संशोधन: इसका उद्देश्य निजी और विदेशी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा उत्पादन में अनुमति प्रदान करना है।
    • लक्ष्य: वैश्विक निवेश आकर्षित करना, प्रौद्योगिकी प्रवाह में सुधार करना और परमाणु क्षमता वृद्धि में तेजी लाना।

संशोधन की आवश्यकता

  • वैश्विक विक्रेताओं का आकलन: भारत की आपूर्ति शृंखलाओं का ऑडिट करने वाले वैश्विक विक्रेताओं ने मध्यम और निम्न स्तर के आपूर्तिकर्ताओं में गुणवत्ता संबंधी चिंताओं को चिह्नित किया है और साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल की आवश्यकता पर बल दिया है।
  • विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी को आकर्षित करना: वर्तमान प्रतिबंध प्रमुख वैश्विक कंपनियों [वेस्टिंगहाउस (Westinghouse), GE-हिताची, फ्रैमाटोम (Framatome)] को देयता संबंधी जोखिमों के कारण निवेश से रोकते हैं।
    • निजी/विदेशी भागीदारी के बिना, भारत वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु क्षमता के अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता है।
    • CLNDA के दायित्व प्रावधानों ने भारत-अमेरिका और भारत-फ्राँस परमाणु समझौतों को एक दशक से भी अधिक समय से रोक रखा है।
      • संशोधनों से जैतापुर (फ्राँस द्वारा समर्थित) और कोव्वाडा (अमेरिका द्वारा समर्थित) में रुकी हुई परियोजनाओं पर रोक हट जाएगी।
  • घरेलू औद्योगिक आधार को बढ़ावा देना: टियर-2 और टियर-3 आपूर्तिकर्ताओं के पास अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाण-पत्रों का अभाव है। निजी भागीदारी और वैश्विक सहयोग की अनुमति देने से आपूर्ति शृंखला मानकों में सुधार होगा।
  • क्षमता में वृद्धि: NPCIL अकेले ही रिएक्टरों का वित्तपोषण और निर्माण आवश्यक गति से नहीं कर सकता है। निजी क्षेत्र के प्रवेश से वित्तीय बाधाएँ कम होंगी और निर्माण में तीव्रता आएगी।
  • ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करना: वर्ष 2047 तक भारत की विद्युत संबंधी आवश्यकताएँ चार से पाँच गुना बढ़ने की उम्मीद है। नवीकरणीय ऊर्जा अकेले बेसलोड आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती हैं।
    • वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करने के लिए परमाणु ऊर्जा आवश्यक है।
  • सामरिक स्वायत्तता में वृद्धि: आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना। वैश्विक साझेदारी के साथ स्वदेशी SMR प्रौद्योगिकी का निर्माण।

भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के बारे में

  • कानूनी ढाँचा: मुख्य रूप से परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम (CLNDA), 2010 द्वारा शासित है।
  • संस्थागत संरचना: परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) इस क्षेत्र की देख-रेख करता है।
    • भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (NPCIL) इसके संचालन का प्रबंधन करता है।
    • परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) सुरक्षा का विनियमन करता है।
    • भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) प्रौद्योगिकी विकसित करता है।
  • ऊर्जा हिस्सेदारी: भारत की कुल विद्युत आपूर्ति में परमाणु ऊर्जा का योगदान लगभग 3% है (वर्ष 2025 तक 8,180 मेगावाट)। वर्ष 2031-32 तक 22,480 मेगावाट और वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है।
  • अद्वितीय स्थिति: भारत उन कुछ देशों में से एक है, जो थोरियम-आधारित रिएक्टरों और स्वदेशी SMR (लघु मॉड्यूलर रिएक्टर) तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।

दो प्रमुख कानूनों के मुख्य प्रावधान और संचालित कानूनी सुधार

विशेषता परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010
उद्देश्य परमाणु ऊर्जा के उत्पादन, उपयोग और नियंत्रण को विनियमित करता है; परमाणु सुविधाओं का स्वामित्व सरकार को सौंपता है। भारत का परमाणु दायित्व कानून पीड़ितों के लिए मुआवजा सुनिश्चित करता है और परमाणु दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदारी परिभाषित करता है।
सुविधाओं का स्वामित्व केवल केंद्र सरकार या सरकारी कंपनियाँ (जैसे- NPCIL) ही परमाणु संयंत्र स्थापित और संचालित कर सकती हैं। स्वामित्व को विनियमित नहीं करता है; दुर्घटना घटित होने पर लागू होता है।
निजी/विदेशी क्षेत्र की भूमिका प्रतिबंधित; निजी/विदेशी स्वामित्व की अनुमति नहीं है। विक्रेता उपकरण की आपूर्ति कर सकते हैं, लेकिन उन्हें देयता जोखिम का सामना करना पड़ता है।
देयता प्रावधान संबोधित नहीं किया गया; विनियामक और स्वामित्व संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • आपूर्तिकर्ता दायित्व: अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के विपरीत, CLNDA ने पहली बार ऑपरेटर के दायित्व के अतिरिक्त आपूर्तिकर्ता दायित्व की अवधारणा को भी प्रस्तुत किया।
  • ऑपरेटर दायित्व: परमाणु संयंत्र के ऑपरेटर पर कठोर और दोषरहित दायित्व का प्रावधान है, जहाँ उसकी ओर से किसी भी प्रकार की गलती के बावजूद उसे क्षति के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
  • ऑपरेटर ₹1,500 करोड़ तक की परमाणु आपदाओं के लिए उत्तरदायी होता है, जिसके लिए बीमा या वित्तीय सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
  • यदि क्षति का दावा ₹1,500 करोड़ से अधिक है, तो सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ता है।
अंतरराष्ट्रीय संरेखण  यह अवधारणा वैश्विक दायित्व व्यवस्था लागू होने से पूर्व की है। यह आंशिक रूप से ‘पूरक क्षतिपूर्ति अभिसमय’ (Convention on Supplementary Compensation- CSC) के अनुरूप है, लेकिन आपूर्तिकर्ता दायित्व खंड वैश्विक मानदंडों की तुलना में अधिक कठोर है।
वर्तमान संशोधन योजना
  • परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में निजी और विदेशी भागीदारी को सक्षम बनाना।
  • परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को सक्षम बनाना।
  • आगामी परमाणु परियोजनाओं में विदेशी फर्मों की अल्पसंख्यक इक्विटी भागीदारी के द्वार खोलना।
  • भारत के परमाणु क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा, प्रौद्योगिकी संचार और निवेश बढ़ाना।
  • विक्रेताओं की देयता को अनुबंध के मूल मूल्य तक सीमित करना।
  • एक समय-बद्ध देयता अवधि लागू करना, जिसके बाद विक्रेताओं को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा।
  • इससे विदेशी निवेशकों को उनके दीर्घकालिक कानूनी और वित्तीय जोखिमों को कम करके आश्वस्त करने की उम्मीद है।

वैश्विक विक्रेताओं द्वारा प्रदर्शित की गई प्रमुख चुनौतियाँ

  • विदेशी विक्रेताओं की चिंताएँ 
    • गुणवत्ता उन्नयन की आवश्यकता: विदेशी विक्रेताओं ने भारत की परमाणु मूल्य शृंखला में मध्यम और निम्न-स्तरीय आपूर्तिकर्ताओं में गुणवत्ता मानकों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।
    • प्रस्तावित प्रशिक्षण कार्यक्रम: लाइट वाटर रिएक्टर्स (LWR) और लघु मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMR) के निर्माण के लिए एक राष्ट्रीय आपूर्तिकर्ता प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने का सुझाव दिया गया।
    • साइबर सुरक्षा जोखिमों पर प्रकाश डाला गया: परमाणु संयंत्र प्रणालियों पर हैकिंग, नियंत्रण खोने या बंधक जैसी स्थिति उत्पन्न करने वाले हमलों से बचाव हेतु मजबूत साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल आवश्यक हैं।
  • भारत के परमाणु क्षेत्र में घरेलू चिंताएँ 
    • विक्रेता गुणवत्ता अंतराल: मध्यम और निम्न-स्तरीय आपूर्तिकर्ताओं के पास मानकीकरण, गुणवत्ता आश्वासन कवरेज और अंतरराष्ट्रीय स्तर के गुणवत्ता प्रमाण-पत्रों का अभाव है।
    • जनशक्ति की कमी: उच्च-योग्य गुणवत्ता आश्वासन पेशेवरों का सीमित पूल, जिसके कारण निरीक्षण के दौरान परियोजना में देरी होती है।
    • क्षमता की कमी: कुछ ही कंपनियों के पास दाब वाहिकाओं, ताप विनिमायकों, पाइपिंग और उपकरणों में विशेषज्ञता है, जिससे बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।
    • प्रौद्योगिकी असमानता: भारत का असैन्य परमाणु क्षेत्र अभी भी दाबित परमाणु ऊर्जा संयंत्र (PHWR) पर केंद्रित है, जबकि वैश्विक प्रौद्योगिकी प्रभुत्व निम्न दबावित परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (LWR) और लघु दाबित परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (SMR) में है।
    • परियोजना में देरी और लागत में वृद्धि: गुणवत्ता आश्वासन संबंधी बाधाएँ और कमजोर विक्रेता क्षमता के कारण बार-बार देरी होती है, जिससे लागत बढ़ जाती है।
    • कुछ कंपनियों पर निर्भरता: कुछ कंपनियों (L&T, HCC, ECIL) पर अत्यधिक निर्भरता, जिससे प्रणालीगत जोखिम उत्पन्न होते हैं।
    • सिविल निर्माण में कमी: ‘पोस्ट-टेंशनिंग कंटेनमेंट सिस्टम’ जैसे उन्नत निर्माण क्षेत्रों में घरेलू क्षमता बहुत सीमित है।
    • साइबर सुरक्षा तैयारी: भारतीय परमाणु निर्माता साइबर खतरों का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित नहीं हैं, जिससे सुरक्षा संबंधी चिंताएँ बढ़ रही हैं।
    • सीमित निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता: विक्रेता गुणवत्ता में सुधार के बिना, भारतीय उद्योग परमाणु आपूर्ति शृंखलाओं में निर्यात केंद्र नहीं बन सकता है।

भारत का लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) पर जोर देना

  • विद्युत उत्पादन क्षमता के आधार पर: अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों को उन परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के रूप में परिभाषित किया है, जो प्रति मॉड्यूल 300 मेगावाट (E) तक विद्युत का उत्पादन करते हैं, जो पारंपरिक परमाणु संयंत्रों की उत्पादन क्षमता का लगभग एक-तिहाई है।
  • SMR शब्द में शामिल हैं:-
    • लघु: यह (SMR) के भौतिक आकार के बारे में है, जो पारंपरिक परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों से बहुत छोटा है।
    • मॉड्यूलर: यह प्रणालियों और घटकों को कारखाने में असेंबल करके एक इकाई के रूप में स्थापना के लिए एक स्थान पर ले जाने के बारे में है।
    • रिएक्टर: यह विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए आवश्यक ऊष्मा हेतु परमाणु विखंडन का उपयोग करने से संबंधित है।

सरकार अपने स्वयं के SMR पर कार्य कर रही है:-

  • स्वदेशी डिजाइन: BARC भारत लघु रिएक्टर (220 मेगावाट क्षमता का दाब-द्रव्यमान), BSMR (200 मेगावाट क्षमता का दाब-द्रव्यमान) और SMR-55 (55 मेगावाट क्षमता का दाब-द्रव्यमान) विकसित कर रहा है।
  • अनुप्रयोग: कैप्टिव औद्योगिक आवश्यकताओं, कोयला संयंत्रों के पुनर्प्रयोजन और दूरस्थ/ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों के लिए उपयोगी।
  • प्रदर्शन रिएक्टर: DAE स्थलों पर SMR-55 और BSMR-200 की योजना; 60-72 महीनों के भीतर शुरू होने की उम्मीद है।
  • आत्मनिर्भरता पर ध्यान: किसी विदेशी साझेदारी की योजना नहीं है; स्वदेशी विशेषज्ञता पर आधारित विकास को बढ़ावा देना।
  • सामरिक मूल्य: SMR भारत को मॉड्यूलर परमाणु प्रौद्योगिकी निर्यात के भविष्य के केंद्र में बदल सकते हैं।

लाइट वाटर रिएक्टर (Light Water Reactors – LWR)

  • परिभाषा: एक प्रकार का तापीय परमाणु रिएक्टर, जो शीतलक और न्यूट्रॉन मंदक दोनों के रूप में साधारण जल (H₂O) का उपयोग करता है।
  • यह नियंत्रित नाभिकीय विखंडन द्वारा ऊष्मा उत्पन्न करता है।
  • ईंधन: आमतौर पर संवर्द्धित यूरेनियम का उपयोग किया जाता है।
  • प्रकार
    • प्रेशराइज्ड वाटर रिएक्टर (Pressurized Water Reactor- PWR): जल को उच्च दाब में रखा जाता है, जिससे वह उबलने की क्रिया से बच जाता है।
    • बॉयलिंग वाटर रिएक्टर (Boiling Water Reactor-BWR): रिएक्टर कोर के अंदर जल उबलता है और सीधे वाष्प उत्पन्न करता है।
  • वैश्विक उपयोग: विश्व में सबसे सामान्य परमाणु रिएक्टर प्रकार (जैसे- अमेरिका, फ्रांस, जापान)।
  • लाभ: सिद्ध तकनीक, उच्च दक्षता, व्यापक परिचालन अनुभव।
  • सीमाएँ: संवर्द्धित यूरेनियम की आवश्यकता, उच्च-स्तरीय रेडियोधर्मी अपशिष्ट उत्पन्न करना और मजबूत सुरक्षा प्रणालियों की आवश्यकता।

अंतरराष्ट्रीय अनुभव और सबक

  • जापान के परमाणु-औद्योगिक संबंध: 1970 के दशक में गुणवत्ता कार्यक्रमों ने एक मजबूत घरेलू विक्रेता पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में मदद की।
    • उदाहरण के लिए: इसके कारण टोयोटा और सोनी जैसी कंपनियाँ गुणवत्ता मानकों का पर्याय बन गईं।
  • चीन का गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम: IAEA मानदंडों के अनुरूप आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत किया गया, जिससे बड़े पैमाने पर रिएक्टर निर्यात संभव हुआ।
  • फिनलैंड का ओलकिलुओटो-3 विलंब (Finland’s Olkiluoto-3 Delays): कमजोर आपूर्तिकर्ता आधार के कारण लंबी देरी हुई, जिससे अपर्याप्त गुणवत्ता नियंत्रण के जोखिम उजागर हुए।
  • अमेरिकी नियामक मॉडल: स्पष्ट दायित्व ढाँचे ने निजी भागीदारी और नवाचार को प्रोत्साहित किया है।

सुधारों के निहितार्थ

  • ऊर्जा सुरक्षा: परमाणु ऊर्जा स्थिर आधारभूत विद्युत प्रदान करती है, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होती है।
  • जलवायु लक्ष्य: स्वच्छ ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाकर वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने में मदद करता है।
  • आत्मनिर्भर भारत: महत्त्वपूर्ण परमाणु प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है।
  • विदेशी निवेश: शिथिल देयता संबंधी कानून,  वेस्टिंगहाउस, GE-हिताची (GE-Hitachi) और फ्रैमाटोम जैसी वैश्विक बड़ी कंपनियों को आकर्षित कर सकते हैं।
  • सामरिक लाभ: परमाणु सहयोग से भारत-अमेरिका साझेदारी और व्यापार वार्ता मजबूत होगी।
  • निर्यात क्षमता: SMR और परमाणु उपकरणों के विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत की संभावनाओं को बढ़ाता है।

विशेषज्ञ एवं टास्क फोर्स की सिफारिशें

  • राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन (QA) ढाँचा: सभी आपूर्तिकर्ताओं को शामिल करते हुए एक व्यापक गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम स्थापित करना, जिसमें विनिर्माण प्रक्रियाओं का मानकीकरण अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप हो।
    • गुणवत्ता आश्वासन (QA) कवरेज: निरीक्षण संबंधी देरी को रोकने के लिए प्रमुख आपूर्तिकर्ता स्थानों पर पूर्णकालिक गुणवत्ता आश्वासन टीमों और तृतीय-पक्ष निरीक्षकों (Third Party Inspectors- TPI) द्वारा समर्थित परियोजना स्थलों पर निरंतर तीन-शिफ्ट गुणवत्ता आश्वासन कवरेज सुनिश्चित करना।
  • कुशल जनशक्ति विकास: निरीक्षण, गुणवत्ता नियंत्रण और प्रबंधन पर समय पर निर्णय लेने में सक्षम उच्च-योग्य गुणवत्ता आश्वासन पेशेवरों का एक समूह का निर्माण करना।
  • विक्रेता आधार विस्तार: रिएक्टर प्रेशर वेसल्स, स्टीम जनरेटर, हीट एक्सचेंजर्स, पाइपिंग, इंस्ट्रूमेंटेशन और कंटेनमेंट सिस्टम जैसे महत्त्वपूर्ण परमाणु उपकरणों के लिए विनिर्माण क्षमता बढ़ाना और विक्रेताओं में विविधता लाना।
  • स्वदेशीकरण और प्रौद्योगिकी विविधीकरण: स्वदेशीकरण और व्यापक निजी भागीदारी को बढ़ावा देकर, विशेष रूप से नियंत्रण, इंस्ट्रूमेंटेशन और उन्नत सिविल कार्यों में, कुछ अभिकर्ताओं (जैसे- ECIL, L&T, HCC) पर अत्यधिक निर्भरता कम करना।
  • नए रिएक्टर प्रकारों के लिए प्रशिक्षण: आपूर्तिकर्ताओं के लिए LWR और SMR प्रौद्योगिकियों के प्रबंधन हेतु विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करना, उन्हें भविष्य के रिएक्टर प्रारूपों के लिए तैयार करना।
  • वैश्विक मॉडलों से सीखना: भारत के परमाणु गुणवत्ता रोडमैप को तैयार करने के लिए जापान के गुणवत्ता-संचालित औद्योगिक मॉडल, IAEA के गुणवत्ता आश्वासन कोड और चीन के नियामक-आधारित आश्वासन कार्यक्रम से सीखना।

निष्कर्ष 

ये दोनों संशोधन भारत की परमाणु नीति में एक ऐतिहासिक सुधार का प्रतीक हैं, जिसका उद्देश्य वैश्विक निवेश आकर्षित करना, आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में तेजी लाना है। हालाँकि, सफलता गुणवत्ता संबंधी कमियों, दायित्व संबंधी चिंताओं और साइबर सुरक्षा जोखिमों को दूर करने के साथ-साथ मजबूत जनविश्वास तथा नियामक सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने पर निर्भर करती है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.