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न्यूक्लियर मेडिसिन

Lokesh Pal July 22, 2025 02:53 22 0

संदर्भ

न्यूक्लियर मेडिसिन थायरॉइड विकारों, विशेष रूप से हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism) और थायरॉइड कैंसर के निदान और उपचार के लिए एक सुरक्षित और सटीक विधि के रूप में विकसित हुई है।

न्यूक्लियर मेडिसिन के बारे में 

  • न्यूक्लियर मेडिसिन मेडिकल इमेजिंग की एक विशेष शाखा है, जिसमें रोगों के निदान और उपचार के लिए रेडियोधर्मी पदार्थों की अत्यल्प मात्रा का उपयोग किया जाता है। इन पदार्थों को रेडियोट्रेसर (Radiotracers) कहा जाता है। न्यूक्लियर मेडिसिन का उपयोग विशेष रूप से कैंसर, थायरॉइड विकारों, हृदय रोगों और अस्थि संबंधी समस्याओं के परीक्षण और उपचार में किया जाता है।

यह कैसे कार्य करता है?

  • रेडियोट्रेसर (एक रेडियोधर्मी पदार्थ) को शरीर में तीन माध्यमों से पहुँचाया जा सकता है: मौखिक, इंजेक्शन  अथवा श्वसन के द्वारा।
  • यह रेडियोट्रेसर शरीर में प्रवाहित होता है और लक्षित अंग या ऊतक द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है, जिससे संबंधित अंग की संरचना और कार्यप्रणाली का अध्ययन संभव हो पाता है।
  • एक गामा कैमरा ट्रेसर द्वारा उत्सर्जित विकिरण का पता लगाता है और शरीर के अंदर की इमेज बनाता है।
  • ये इमेज डॉक्टरों को अंगों की संरचना और कार्य दोनों की जाँच करने में मदद करती हैं।
  • प्रयुक्त सामान्य रेडियोन्यूक्लाइड में टेक्नेटियम-99m, आयोडीन, गैलियम, थैलियम, जेनॉन शामिल है। इनमे से प्रत्येक का उपयोग विशिष्ट अंगों या रोगों के लिए किया जाता है।

परमाणु चिकित्सा स्कैन के कुछ सामान्य प्रकार इस प्रकार हैं:

  • किडनी (रीनल) स्कैन: किडनी के कार्य और रक्त प्रवाह की जाँच करता है।
  • थायरॉइड स्कैन: थायरॉइड की गतिविधि को मापता है और गांठों का पता लगाता है।
  • बोन स्कैन: फ्रैक्चर, कैंसर, संक्रमण या गठिया का पता लगाता है।
  • हृदय (कार्डियक) स्कैन: रक्त प्रवाह और हृदय की मांसपेशियों के स्वास्थ्य का आकलन करता है।

थायरॉइड क्या है?

  • थायरॉइड एक छोटी, तितली के आकार की अंतःस्रावी ग्रंथि है, जो गर्दन के सामने, एडम्स एप्पल (कंठ फुफ्फुस) के ठीक नीचे और श्वासनली (ट्रेकिया) के सामने स्थित होती है।
  • अपने छोटे आकार के बावजूद, यह हार्मोन के स्राव के माध्यम से शरीर के कई महत्त्वपूर्ण कार्यों को विनियमित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • थायरॉइड मुख्य रूप से दो महत्त्वपूर्ण हार्मोन स्रावित करता है: ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) और थायरोक्सिन (T4)

थायरॉयड ग्रंथि के विकार

  • हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism): अपर्याप्त हार्मोन उत्पादन के कारण।
  • हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism): यह तब होता है जब ग्रंथि थायराइड हार्मोन का अधिक उत्पादन करती है।
  • थायरॉइड कैंसर (Thyroid Cancer)
  • गॉइटर (Goitre): थायरॉइड ग्रंथि का असामान्य रूप से बढ़ना।

आयोडीन और इसकी भूमिका

  • आयोडीन थायराइड हार्मोन संश्लेषण के लिए आवश्यक है।
  • वयस्कों को लगभग 150 µg/दिन, बच्चों को लगभग 120 µg/दिन, गर्भवती/स्तनपान कराने वाली महिलाओं को लगभग 300 µg/दिन की आवश्यकता होती है।
  • थायराइड ग्रंथि शरीर के 80% से अधिक आयोडीन का भंडारण करती है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा आयोडीन की कमी को मूत्र में आयोडीन की मात्रा <100 µg/L के रूप में परिभाषित किया गया है।

रेडियोधर्मी आयोडीन चिकित्सा का विकास

  • इस अवधारणा की शुरुआत वर्ष 1930 के दशक में हुई थी जब शोधकर्ता इसके चिकित्सीय उपयोग की संभावनाओं पर अटकलें लगा रहे थे।
  • सॉउल हर्ट्ज (मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल) ने थायरॉइड रोगों के उपचार में न्यूक्लियर मेडिसिन के व्यावहारिक उपयोग की पहल की।
  • आयोडीन-131 दो प्रकार के विकिरण उत्सर्जित करता है: गामा किरणें— जो इमेजिंग (चित्रण) के लिए उपयोगी होती हैं एवं बीटा कण, जो थायरॉइड ऊतक को नष्ट करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

रेडियोधर्मी आयोडीन

  • स्थिर समस्थानिक (Stable Isotope): आयोडीन-127 प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला और स्थिर समस्थानिक है।
  • रेडियोधर्मी समस्थानिक (Radioactive Isotopes): 40 से अधिक समस्थानिक मौजूद हैं, जिनमें से अधिकांश परमाणु रिएक्टरों/साइक्लोट्रॉन के माध्यम से मानव निर्मित हैं।
  • चिकित्सकीय रूप से प्रासंगिक समस्थानिक: आयोडीन-123, आयोडीन-124, आयोडीन-125, और आयोडीन-131 (आयोडीन-131 की खोज वर्ष 1938 में हुई थी, जिसका अर्द्ध आयु काल 8 दिन है)।

थायराइड विकारों में चिकित्सीय उपयोग

  • हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism)
    • इस उपचार का उपयोग विशेष रूप से विषाक्त घेंघा (Toxic Goitre) या गांठ (Nodules) जैसी अतिसक्रिय थायरॉइड स्थितियों (Hyperthyroidism) के उपचार में किया जाता है।
    • मौखिक रूप से  ली जाने वाली यह दवा केवल अतिसक्रिय थायरॉइड कोशिकाओं को लक्षित करके उन्हें नष्ट करती है, जिससे हार्मोन के स्तर को सामान्य करने में मदद मिलती है।
  • थायराइड कैंसर (Thyroid Cancer)
    • सर्जरी के बाद, रेडियोधर्मी आयोडीन (आयोडीन-131) की एक छोटी खुराक का उपयोग शरीर में बचे हुए कैंसर या विस्तार का पता लगाने के लिए किया जाता है।
    • उच्च खुराक का उपयोग शेष बचे हुए थायरॉइड ऊतक को नष्ट करने या थायरॉइड कैंसर के उपचार के लिए किया जाता है।
    • थेरानोस्टिक्स एक ऐसी विधि है जो उपचार और निदान दोनों में कारगर है, इसमें गामा किरणों तथा कैंसर इमेजिंग और बीटा कणों का उपयोग करके उपचार करने के लिए एक ही मेडिसिन का उपयोग किया जाता है।

भारत में रेडियोधर्मी आयोडीन थेरेपी

  • निदान: टेक्नेटियम-99m नामक एक रेडियोधर्मी पदार्थ का उपयोग थायरॉइड की गैर-कैंसरकारी स्थितियों का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह इमेजिंग के लिए सुरक्षित है क्योंकि यह थोड़े समय के लिए ही सक्रिय रहता है।
  • उपचार: थायरॉइड की समस्याओं के उपचार के लिए आयोडीन-131 निश्चित मात्रा में मौखिक रूप से दिया जाता है। इसका उपयोग कड़ी निगरानी और नियमन में किया जाता है।
  • सुरक्षा उपाय: उपचार के बाद, मरीजों को विशेष आइसोलेशन रूम में तब तक रखा जाता है जब तक कि उनका विकिरण स्तर पर्याप्त रूप से कम न हो जाए। घर जाने के बाद, दूसरों को विकिरण के संपर्क से बचाने के लिए उन्हें स्पष्ट सुरक्षा निर्देश भी दिए जाते हैं।
  • गर्भावस्था में निषिद्ध: यह उपचार गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान सुरक्षित नहीं है। प्रसव आयु की महिलाओं का उपचार से पहले गर्भावस्था परीक्षण किया जाता है।
  • दुष्प्रभाव: अधिकांश लोगों में हल्के और अस्थायी दुष्प्रभाव होते हैं, जैसे- सूजन, जिन्हें दवाओं और पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीने से नियंत्रित किया जा सकता है। प्रत्येक 6-8 सप्ताह में नियमित जाँच की जाती है।

महत्त्व

  • सर्जरी की तुलना में न्यूनतम आक्रामक।
  • सामान्य और घातक दोनों प्रकार की थायरॉइड स्थितियों के लिए प्रभावी।
  • व्यक्तिगत चिकित्सा के प्रति वैश्विक रुझान के अनुरूप।

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