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परमाणु अपशिष्ट

Lokesh Pal March 16, 2024 06:39 109 0

संदर्भ

हाल ही में भारत ने अपने परमाणु कार्यक्रम के दूसरे चरण के अंतर्गत प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (Prototype Fast Breeder Reactor- PFBR) का परिचालन शुरू किया है।

संबंधित तथ्य 

  • भारत अपने परमाणु कार्यक्रम के दूसरे चरण में यूरेनियम और प्लूटोनियम का उपयोग करेगा।
  • भारत अपने परमाणु कार्यक्रम के तीसरे चरण में ऊर्जा उत्पादन के लिए थोरियम का उपयोग कर सकता है।
  • हालाँकि परमाणु ऊर्जा के बड़े पैमाने पर उपयोग के साथ ही परमाणु अपशिष्ट के प्रबंधन संबंधी समस्या भी जुड़ी हुई है।

परमाणु अपशिष्ट (Nuclear Waste)

  • परमाणु अपशिष्ट को रेडियोधर्मी अपशिष्ट (Radioactive Waste) भी कहा जाता है।
  • इसके अंतर्गत रेडियोधर्मी समस्थानिक (Isotopes) पदार्थ आते हैं, जो परमाणु ऊर्जा संबंधी उद्देश्यों के लिए उपयोगी नहीं है।

  • विखंडन रिएक्टर (Fission Reactor) में कुछ तत्त्वों के परमाणुओं पर न्यूट्रॉन की बमबारी की जाती है।
    • जब किसी परमाणु का नाभिक न्यूट्रॉन को अवशोषित कर लेता है, तब परमाणु अस्थिर होकर विभाजित हो जाता है।
    • इस प्रक्रिया में ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे विभिन्न तत्त्वों के नाभिक का निर्माण होता है।
  • उदाहरण के लिए, यूरेनियम-235 का विभाजन बेरियम-144, क्रिप्टन-89 और न्यूट्रॉन के रूप में होता है। इस प्रक्रिया के तहत परमाणु अपशिष्ट का निर्माण होता है, जिसे पुनः विखंडित नहीं किया जा सकता है।

परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन सम्मेलन (Nuclear Waste Management Convention)

  • बमाको सम्मेलन (Bamako Convention): यह सम्मेलन अफ्रीकी देशों द्वारा हानिकारक रेडियोधर्मी अपशिष्ट के आयात पर रोक लगाने के लिए बुलाई गई थी।
  • ईंधन प्रबंधन की सुरक्षा और रेडियोधर्मी अपशिष्ट प्रबंधन की सुरक्षा पर संयुक्त सम्मेलन: यह अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा सस्थान (International Atomic Energy Agency- IAEA) के तत्त्वावधान में हस्ताक्षरित एक अंतरराष्ट्रीय संधि है।
    • यह रेडियोधर्मी अपशिष्टों के प्रबंधन को संबोधित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की गई प्रारंभिक संधि है।
  • परमाणु सुरक्षा सम्मेलन (Convention on Nuclear Safety- CNS): इसके तहत सुनिश्चित किया जाता है कि परमाणु ऊर्जा संयंत्र सुविधा से लाभान्वित होने वाले देश आवश्यक सुरक्षा को प्राथमिकता देंगे।
    • CNS के प्रावधानों के अंतर्गत निर्मित मौलिक सुरक्षा सिद्धांतों का पालन सभी देश करते हैं। सम्मेलन का लक्ष्य सुरक्षा के स्तर को बढ़ाना है।

परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन तकनीक (Nuclear Waste Handling Techniques)

  • अपशिष्ट का भंडारण: ईंधन के खपत से उत्पन्न परमाणु अपशिष्ट को ठंडा करने के लिए कुछ दशकों तक जल के नीचे संगृहीत किया जाता है। बाद में इसे सूखे डिब्बों में स्थानांतरित कर दिया जाता है ताकि लंबे समय तक भंडारित किया जा सके।
    • उदाहरण के तौर पर, प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, अमेरिका ने वर्ष 2015 तक 69,682 टन अपशिष्ट का संग्रहण, कनाडा ने वर्ष 2016 तक 54,000 टन अपशिष्ट और वर्ष 2014 तक रूस ने 21,362 टन अपशिष्ट को संगृहीत किया था।
  • तरल अपशिष्ट का निराकरण: परमाणु ऊर्जा संयंत्रों द्वारा तरल अपशिष्ट का उपयोग किया जाता है तथा शेष बचे पदार्थों को पर्यावरण में मुक्त कर दिया जाता है।
  • विट्रिफिकेशन (Vitrification): उच्च स्तरीय तरल अपशिष्ट में परमाणु विखंडन से उत्पन्न सभी उत्पाद शामिल होते हैं, जिसके सुविधापूर्ण भंडारण के लिए काँच जैसी सामग्री में परिवर्तित कर दिया जाता है, इस प्रक्रिया को विट्रिफिकेशन कहा जाता है।
  • पुनर्प्रसंस्करण (Reprocessing): पुनर्प्रसंस्करण एक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से परमाणु अपशिष्ट से पुनः उपयोग-युक्त पदार्थों को अलग किया जाता है।
  • भू-वैज्ञानिक निपटान: भू-वैज्ञानिक निपटान के अंतर्गत परमाणु अपशिष्टों को पीपों में संगृहीत करके ग्रेनाइट या जमीन में भूमिगत कर दिया जाता है।

परमाणु अपशिष्ट से संबंधित मुद्दे

  • रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive Pollution)
    • हानिकारक विकिरण: परमाणु अपशिष्टों में रेडियोधर्मी पदार्थ होते हैं, जो हानिकारक विकिरण उत्सर्जित करते हैं।
    • प्रदूषण: अनुचित संग्रहण प्रक्रिया या उसमें रिसाव के कारण मिट्टी, हवा एवं जल प्रदूषित हो सकता है, परिणामस्वरूप लोगों और पर्यावरण के नुकसान की आशंका बनी रहती है।

  • भंडारण संबंधी चुनौतियाँ
    • दीर्घकालिक भंडारण: उच्च स्तरीय अपशिष्ट (HLW) से हजारों वर्षों के बाद भी रेडियोधर्मी पदार्थों का उत्सर्जन होता है।
    • दीर्घकालिक भंडारण और निपटान के लिए सुरक्षित स्थान का चयन करना कठिन होता है।
  • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ
    • संग्रहण संबंधी जोखिम: परमाणु अपशिष्टों के परिवहन और भंडारण में कई प्रकार के जोखिम शामिल होते हैं, जिससे निपटने के लिए उचित भंडारण प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है।
      • अनधिकृत पहुँच को रोकने के लिए सुरक्षित भंडारण को सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है।
    • उदाहरण के लिए, वर्ष 2014 में अमेरिका के वेस्ट आइसोलेशन पायलट प्लांट (WIPP) में रेडियोधर्मी पदार्थों के उत्सर्जन के कारण मौतें हुई थीं।
  • वित्तीय बोझ
    • उच्च लागत: सुरक्षित अपशिष्ट सुविधाओं के निर्माण और रखरखाव के लिए बड़े स्तर पर वित्तीय खर्च का वहन करना पड़ता है।
      • परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में 6 से 7.1 डॉलर प्रति मेगावाट की लागत अपशिष्ट प्रबंधन के लिए खर्च किया जाता है।

भारत का परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन

  • ऑन-साइट प्रबंधन (On-Site Management): परमाणु संयंत्रों में परमाणु ऊर्जा के निर्माण के दौरान रेडियोधर्मी अपशिष्टों (निम्न से मध्यवर्ती स्तर) का उत्सर्जन होता है, जिसे निर्माण-स्थल पर ही प्रबंधित किया जाता है।
    • अपशिष्ट उपचार और भंडारण के लिए ये सुविधाएँ सभी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर उपलब्ध होती हैं।
  • पुनर्प्रसंस्करण की सुविधा (Reprocessing Facility): परमाणु विखंडन से प्राप्त पदार्थों पर अंतरराष्ट्रीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ट्रॉम्बे, तारापुर और कलपक्कम परमाणु संयंत्रों पर पुनर्प्रसंस्करण की सुविधा उपलब्ध है।
    • ट्रॉम्बे परमाणु संयंत्र अपने दो अनुसंधान रिएक्टरों से प्रतिवर्ष 50 टन अपशिष्ट का प्रसंस्करण करता है।
    • इन अनुसंधान रिएक्टरों में प्लूटोनियम का निर्माण होता है।
  • नियमित निगरानी: परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के आसपास के क्षेत्रों में विकिरण की संभावना की नियमित निगरानी की जाती है।
  • IAEA द्वारा निर्धारित सुरक्षा उपाय: भारत के परमाणु ऊर्जा संयंत्र अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा संस्थान (IAEA) द्वारा निर्धारित सुरक्षा उपायों का पालन करते हैं, जो परमाणु पदार्थों और अपशिष्टों का सुरक्षित संग्रहण सुनिश्चित करता है।

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