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पोषक तत्त्व-आधारित सब्सिडी

Lokesh Pal October 30, 2025 03:15 18 0

संदर्भ

भारत सरकार के मंत्रिमंडल ने रबी सीजन, 2025-26 के लिए फॉस्फेट और पोटाश (P&K) उर्वरकों हेतु पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) दरों को मंजूरी दी है।

पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना के बारे में

  • पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना, भारत सरकार की एक उर्वरक सब्सिडी नीति है, जिसका उद्देश्य किसानों को सुलभ और संतुलित मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराना है।
  • यह योजना विशिष्ट उर्वरकों पर नहीं, बल्कि उनके पोषक तत्त्वों (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, सल्फर) की मात्रा के आधार पर सब्सिडी प्रदान करती है।
  • कार्यान्वयन 
    • प्रारंभ: 1 अप्रैल, 2010
    • कार्यान्वयन एजेंसी: केंद्रीय उर्वरक विभाग, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय
    • प्रक्रिया: उर्वरक कंपनियों को सब्सिडी प्रत्यक्ष रूप से प्रदान की जाती है, ताकि वे किसानों को सब्सिडी युक्त मूल्य पर उर्वरक बेच सकें।
  • उद्देश्य 
    • किसानों को सस्ते और स्थिर मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध कराना।
    • उर्वरकों के संतुलित उपयोग (N:P:K = 4:2:1) को बढ़ावा देना, ताकि मृदा की गुणवत्ता और उत्पादकता बनी रहे।
    • उर्वरक निर्माताओं को मूल्य निर्धारण में लचीलापन प्रदान करके उनके बीच दक्षता और प्रतिेस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करना।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • कवरेज: यह योजना फॉस्फेट और पोटाश (P&K) उर्वरकों पर लागू होती है, जैसे DAP (डाइ-अमोनियम फॉस्फेट) और NPKS ग्रेड।
    • सब्सिडी तंत्र:  प्रत्येक पोषक तत्त्व (N, P, K, S) पर प्रति किलोग्राम निश्चित सब्सिडी दी जाती है। दरें सरकार द्वारा वार्षिक या अर्द्धवार्षिक रूप से संशोधित की जाती हैं।
    • अतिरिक्त सब्सिडी: सूक्ष्म और द्वितीयक पोषक तत्त्वों (जैसे- जिंक, बोरॉन) से समृद्ध उर्वरकों पर अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाता है।
    • फॉस्फेट (P) और पोटाश (K) का विनियंत्रण: उर्वरक कंपनियों को अपने अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) तय करने की स्वतंत्रता है, लेकिन सरकार इसकी निगरानी करती है।
    •  लचीलापन: कंपनियाँ बाजार की माँग और लाभप्रदता के अनुसार उत्पादन और आयात समायोजित कर सकती हैं।
    • संतुलित उर्वरीकरण: मृदा में पोषक संतुलन बनाए रखने और दीर्घकालिक उत्पादकता बढ़ाने पर बल देती है।

महत्त्व

  • पोषक संतुलन को बढ़ावा: N:P:K अनुपात (4:2:1) के अनुरूप मृदा की स्थायी उर्वरता बनाए रखने में मदद करना।
  • दक्षता में वृद्धि: उत्पाद आधारित सब्सिडी के बजाय पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी से नाइट्रोजन उर्वरकों (जैसे यूरिया) के अति-उपयोग को रोकने में सहायता।
  • किसानों के लिए स्थिरता: वैश्विक मूल्यों में उतार-चढ़ाव के बावजूद किसानों को सस्ते और स्थिर मूल्य पर उर्वरक मिलते हैं।

दीर्घकालिक उर्वरक उपयोग का प्रभाव (ICAR निष्कर्ष)

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने दीर्घकालिक उर्वरक प्रयोगों पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत पाँच दशकों से अधिक समय तक विभिन्न प्रकार की मृदाओं पर उर्वरक प्रभाव का आकलन किया।
  • मुख्य निष्कर्ष
    • संतुलित और विवेकपूर्ण उर्वरक उपयोग से मृदा की उर्वरता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा।
    • असंतुलित उपयोग (विशेषकर नाइट्रोजन की अधिकता) से बहु-पोषक तत्त्वों की कमी और मृदा की गुणवत्ता में गिरावट देखी गई।
    • केवल नाइट्रोजन उर्वरक (यूरिया) के प्रयोग से फसल उत्पादकता में भारी गिरावट हुई।
    • संतुलित NPK प्रणाली में भी समय के साथ सूक्ष्म व द्वितीयक पोषक तत्त्वों की कमी पाई गई।
    • फर्टिगेशन (ड्रिप सिंचाई) में जल और उर्वरक की कम मात्रा में भी समान उत्पादकता प्राप्त की जा सकती है।
  • ICAR की सिफारिशें
    • मृदा परीक्षण आधारित उर्वरीकरण को बढ़ावा देना।
    • अकार्बनिक उर्वरकों और जैविक स्रोतों जैसे-फार्मयार्ड खाद, जैव-उर्वरक और कंपोस्ट के संयुक्त उपयोग के माध्यम से एकीकृत पोषक तत्त्व प्रबंधन (INM) को प्रोत्साहित करना।

जैविक उर्वरकों का प्रोत्साहन

  • बाजार विकास सहायता (MDA): गोबरधन योजना के तहत उत्पादित जैविक खाद (मैन्योर) को प्रोत्साहित करने हेतु ₹1,500 प्रति मीट्रिक टन की सब्सिडी दी गई है।
  • संबंधित कार्यक्रम
    • सतत् योजना: सतत् वैकल्पिक परिवहन हेतु सस्ती ऊर्जा (MoPNG।
    • अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम (MNRE)।

गोबरधन योजना (गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन)

  • उद्देश्य: जैविक/अपशिष्ट सामग्री को बायोगैस, CBG और जैविक खाद में परिवर्तित करना।
  • नोडल मंत्रालय: जल शक्ति मंत्रालय।

PW OnlyIAS विशेष

भारत में उर्वरक क्षेत्र की स्थिति

  • भारत उर्वरक का विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
  • उत्पादन: वर्ष 2014-15 में 385.39 LMT से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 503.35 LMT हुआ।
  • खपत: वर्ष 2023-24 में कुल खपत लगभग 601 LMT रही।
  • भारत ने प्रमुख उर्वरकों में लगभग आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है:
    • यूरिया की 87% माँग घरेलू उत्पादन से पूरी होती है।
    • वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 314 LMT घरेलू यूरिया उत्पादन।
    • NPK उर्वरकों का 90% देश में निर्मित होता है।
    • DAP का मात्र 40% घरेलू उत्पादन से प्राप्त होता है।
    • MOP (म्यूरिएट ऑफ पोटाश) का 100% आयातित भाग है।

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