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पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS)

Lokesh Pal March 01, 2024 06:53 108 0

संदर्भ

हाल ही में कैबिनेट ने फॉस्फेट और पोटाश (P&K) आधारित उर्वरकों पर खरीफ सीजन, 2024 (01.04.2024 से 30.09.2024 तक) के लिए पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) दरों और NBS योजना के तहत 3 नए उर्वरक ग्रेड (मानक) को शामिल करने को मंजूरी दी।

पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी 

  • किसानों को NBS कार्यक्रम के तहत उर्वरक रियायती दर पर प्राप्त होते हैं।
  • यह कार्यक्रम उन उर्वरकों को शामिल करता है, जो पोषक तत्त्वों जैसे- नाइट्रोजन(N), फॉस्फोरस(P) , पोटाश (K), और सल्फर(S) पर आधारित हैं।
  • सूक्ष्म पोषक तत्त्वों पर आधारित सब्सिडी: इसके अलावा, जिन उर्वरकों को जिंक और मोलिब्डेनम (Mo) जैसे सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के साथ मिश्रित किया गया है, उन पर सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
  • सरकार प्रत्येक वर्ष P&K उर्वरक सब्सिडी की घोषणा करती है।
  • गणना का आधार: इसकी गणना किलोग्राम के आधार पर की जाती है और इसमें देश के इन्वेंट्री स्तर, विनिमय दर और घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर P&K उर्वरक की कीमतों जैसे कई कारकों को ध्यान में रखा जाता है।
  • NPK उर्वरक या (N:P:K= 4:2:1) का सही संतुलन प्राप्त करने के लिए, NBS नीति  P&K उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देना चाहती है।
  • नोडल मंत्रालय: रसायन और उर्वरक मंत्रालय।

भारत में उर्वरक सब्सिडी का विकास

  • वर्ष 1976- निश्चित सब्सिडी
  • वर्ष 1977– प्रतिधारण मूल्य योजना (मूलतः यूरिया के लिए)
  • वर्ष 1991– कीमतों का विनियंत्रण ( N, P & K आधारित उर्वरक)
  • वर्ष 2003-नई मूल्य निर्धारण योजना (कीमतें संशोधित की गईं)
  • वर्ष 2018– पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी योजना (NBS)।

उर्वरकों में स्थूल एवं सूक्ष्म तत्त्व

  • स्थूल पोषक तत्त्व: ये ऐसे तत्त्व हैं, जिनकी अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है और इसमें नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटेशियम (K), कैल्शियम, सल्फर (S), और मैग्नीशियम शामिल हैं।
  • सूक्ष्म पोषक तत्त्व: पौधों की वृद्धि और विकास के लिए सूक्ष्म मात्रा में आयरन (Fe), जिंक (Zn), ताँबा, बोरान, मैंगनीज, मोलिब्डेनम, क्लोराइड जैसे तत्त्वों  की आवश्यकता होती है।
  • भारत वार्षिक रूप से 55.0 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक उर्वरक का उपयोग करता है, जो इसे विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उर्वरक उपभोक्ता बनाता है।

सब्सिडी का भुगतान

  • उर्वरक कंपनियों को लाभ: जो किसान बाजार द्वारा निर्धारित दरों से कम MRP का भुगतान करता है, अंततः वही सब्सिडी से लाभान्वित होता है, भले ही यह सब्सिडी उर्वरक कंपनियों को जाती है।
  • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण: प्रत्यक्ष-लाभ अंतरण (DBT) योजना केवल किसानों को वास्तविक व्यापारी बिक्री के बाद निगमों को सब्सिडी का भुगतान करेगी।
  • व्यापारियों की भूमिका: अब प्रत्येक व्यापारी के पास उर्वरक विभाग द्वारा संचालित ई-उर्वरक डीबीटी पोर्टल से जुड़ा एक पॉइंट-ऑफ-सेल (PoS) उपकरण है।
  • किसान क्रेडिट कार्ड या आधार कार्ड का उपयोग करना: कम कीमत पर उर्वरक खरीदते समय, खरीदार को अपना किसान क्रेडिट कार्ड नंबर या आधार विशिष्ट पहचान प्रदान करनी होगी।
  • ई-उर्वरक प्लेटफॉर्म: ई-उर्वरक प्लेटफॉर्म पर बिक्री दर्ज होने के बाद ही कोई निगम सब्सिडी का दावा कर सकता है।

खरीफ फसल

  • बुवाई का समय: भारत में, वर्षा ऋतु के दौरान बोई जाने वाली फसलों को खरीफ की फसल कहा जाता है, जिन्हें ग्रीष्म या मानसून फसल भी कहा जाता है।
  • भौगोलिक स्थितियाँ: दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान, जुलाई में पहली वर्षा के साथ आमतौर पर खरीफ की फसलों की बुवाई होती है।
  • बुआई के समय में भिन्नताएँ: मानसून की शुरुआत के कारण, भारत के सभी राज्यों में बुवाई के समय में भिन्नता पाई जाती है।
    • उदाहरण के लिए, बीज आमतौर पर पंजाब, हरियाणा जैसे उत्तरी क्षेत्रों में जून के आसपास और केरल जैसे दक्षिणी राज्यों में मई के अंत में बोए जाते हैं।
  • वर्षा ऋतु का प्रभाव: वर्षा ऋतु की मात्रा और समय दोनों ही इन फसलों को प्रभावित करते हैं।
  • अवधि: सितंबर और अक्टूबर महीने में इन फसलों की कटाई की जाती है।

खरीफ की सामान्य फसलें

  • खाद्यान्न फसलें: चावल, बाजरा, ज्वार, मक्का (मकई), बाजरा और सोयाबीन।
  • फलदार फसलें: खरबूजा, गन्ना, तरबूज, संतरा।
  • दलहन/बीज फसलें: अरहर (तुअर), काला चना (उड़द), कपास, लोबिया, मूंग, मूंगफली, ग्वार, मोठ, मूंग, तिल, उड़द।
  • सब्जियाँ: करेला, लौकी, बैंगन, मिर्च, भिंडी, टिंडा, टमाटर, हल्दी, फ्रेंच बीन्स।

रबी की सामान्य फसलें

  • बुवाई का समय: भारत और पाकिस्तान में,रबी की फसलशब्द का तात्पर्य सर्दियों में उगाई जाने वाली फसलों से है। आमतौर पर, रबी की फसलें अक्टूबर या नवंबर में बोई जाती हैं।
  • कटाई का समय: चूँकि रबी की फसलें शुष्क मौसम में उगाई जाती हैं, इसलिए उनकी वृद्धि के लिए समय पर सिंचाई आवश्यक है। मार्च या अप्रैल के महीने में इन फसलों की कटाई होती है।

रबी की सामान्य फसलें

  • खाद्यान्न फसलें: जौ, चना, रेपसीड, सरसों, जई, गेहूँ और बाजरा।
  • फलदार फसलें: बादाम, केला, बेर, खजूर, अंगूर, अमरूद, किन्नू, नींबू, आम, शहतूत, संतरा
  • फलियाँ/मसूर (दाल) फसलें: चना, लोबिया, मसूर, मूंग, अरहर, तोरिया, उड़दबीन।
  • बीज/अनाज फसलें: अल्फा अल्फा घास, धनिया, जीरा, मेथी, अलसी सरसों, इसबगोल, सूरजमुखी, बंगाली चना, लाल चना।

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