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एनवीएस-02 उपग्रह

Lokesh Pal January 28, 2025 03:45 187 0

संदर्भ

29 जनवरी, 2025 को NVS-02 श्रीहरिकोटा से GSLV-F15 के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाने वाला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का 100वाँ उपग्रह बन जाएगा।

  • GSLV-F15: यह प्रक्षेपण GSLV वाहन की समग्र 17वीं उड़ान तथा स्वदेशी रूप से विकसित क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करके की जाने वाली 11वीं उड़ान होगी।

NVS-02 उपग्रह 

  • NVS-02 ‘नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन’ (नाविक) प्रणाली का हिस्सा है।
  • NVS-02 देश के ‘नेविगेशन कांस्टेलेशन इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम’ (Indian Regional Navigation Satellite System-IRNSS) में मौजूदा उपग्रहों को बदलने के लिए विकसित किए गए पाँच दूसरी पीढ़ी के उपग्रहों में से दूसरा है।
    • दूसरी पीढ़ी के पाँच उपग्रहों में से पहला, NVS-01, वर्ष 2023 में प्रक्षेपित किया गया।

  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य निजी और सैन्य दोनों क्षेत्रों में भारतीय नौवहन आवश्यकताओं को बढ़ाना है।
  • डिजाइन: NVS-02 उपग्रह को ‘यू आर सैटेलाइट सेंटर’ (URSC) में डिजाइन, विकसित और एकीकृत किया गया था।
  • वजन: यह 2,250 किलोग्राम का नेविगेशन उपग्रह है।
  • कक्षा: उपग्रह को 170 x 36,577 किमी. भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
  • निर्देशांक: इसे 111.75ºE पर रखा जाएगा।
  • आवश्यकता: NVS-02, IRNSS-1E की जगह लेगा।
    • प्रतिस्थापन की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि कुछ उपग्रहों की जीवन अवधि पूरी होने से पहले ही परमाणु घड़ियाँ खराब होने लगी थीं।
  • विशेषताएँ
    • लंबी आयु: नई पीढ़ी के उपग्रहों की आयु 12 वर्ष है।
    • उच्च सटीकता: यह उपग्रह उच्च सटीकता सुनिश्चित करने के लिए तीन आवृत्ति बैंड (L1, L5, और S) में संचालित एक उन्नत नेविगेशन पेलोड ले जाता है।
    • स्वदेशी परमाणु घड़ी: NVS-02, सटीक समय-निर्धारण के लिए रुबिडियम परमाणु आवृत्ति मानक (RAFS) नामक एक सटीक परमाणु घड़ी से सुसज्जित है।
      • NVS-01 में पहली बार एक स्वदेशी परमाणु घड़ी संलग्न की गई थी।
    • विस्तृत सेवाएँ: NVS-02 L1 आवृत्ति [US ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) में प्रयुक्त] का उपयोग करता है, जिसके कारण फिटनेस ट्रैकर्स जैसे छोटे उपकरणों द्वारा इसका अधिक उपयोग किया जा सकता है।

नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन’ (Navigation with Indian Constellation) अर्थात्   नाविक (NavIC) प्रणाली के बारे में

  • नाविक (NavIC) भारत का अपना क्षेत्रीय उपग्रह नेविगेशन सिस्टम है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित किया गया है।
    • इसे पहले भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) के नाम से जाना जाता था।
  • कवरेज: यह पूरे देश में और इसकी सीमाओं से परे 1500 किलोमीटर तक फैले क्षेत्र में सटीक स्थिति निर्धारण सेवाएँ प्रदान करता है।
  • उद्देश्य: भारतीय उपमहाद्वीप की स्थिति निर्धारण, नेविगेशन और समय निर्धारण आवश्यकताओं को पूरा करना।
  • नक्षत्र (Constellation): NavIC, 7 उपग्रहों का एक समूह है, जिसमें तीन उपग्रह भूस्थिर कक्षा में रखे गए हैं और चार उपग्रह झुकी हुई भू-समकालिक कक्षा में रखे गए हैं।
    • IRNSS-1A: IRNSS-1A समूह का पहला उपग्रह वर्ष 2013 में प्रक्षेपित किया गया था, जिसका मिशन जीवन 10 वर्ष था।
  • ग्राउंड नेटवर्क: NavIC में ग्राउंड स्टेशनों का एक नेटवर्क शामिल है, जो सटीक समय सुविधा, रेंज और अखंडता निगरानी स्टेशनों, दो-तरफा रेंजिंग स्टेशनों आदि के साथ 24 x 7 संचालित होता है।
  • प्रदान की जाने वाली सेवा: NavIC दो सेवाएँ प्रदान करता है अर्थात् नागरिक उपयोगकर्ताओं के लिए मानक स्थिति सेवा (Standard Position Service-SPS) और रणनीतिक उपयोगकर्ताओं के लिए प्रतिबंधित सेवा (Restricted Service-RS)।
  • वजन: NavIC के मौजूदा सात उपग्रहों का वजन लगभग 1,425 किलोग्राम था और इन्हें ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) का उपयोग करके लॉन्च किया गया था।
  • विशेषताएँ
    • अनुप्रयोग: परिवहन, सर्वेक्षण, आपदा प्रबंधन और रक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नेविगेशन के लिए उपयोग किया जा सकता है।
    • सटीकता: NavIC सिग्नल उपयोगकर्ता की स्थिति की सटीकता 20 मीटर से बेहतर और समय की सटीकता 50ns से बेहतर प्रदान करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।
    • आवृत्ति बैंड: ये दोनों सेवाएँ L5 और S बैंड दोनों में प्रदान की जाती हैं।
    • संकेतों की अंतर-संचालन क्षमता: NavIC SPS सिग्नल अन्य वैश्विक नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) सिग्नल जैसे- GPS, ग्लोनास (Glonass), गैलीलियो (Galileo) और बाइडू (BeiDou) के साथ अंतर-संचालन योग्य हैं।
    • स्थिर गति: GPS के विपरीत, NavIC उच्च भू-स्थिर कक्षा में उपग्रहों का उपयोग करता है अर्थात् उपग्रह पृथ्वी के सापेक्ष स्थिर गति से चक्रण करते हैं, इसलिए वे हमेशा पृथ्वी पर एक ही क्षेत्र की निगरानी करते रहते हैं।

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