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तेल क्षेत्र संशोधन विधेयक

Lokesh Pal March 17, 2025 02:28 8 0

संदर्भ 

हाल ही में, लोकसभा में तेल क्षेत्र (नियामक एवं विकास) संशोधन विधेयक पारित किया गया।

तेल क्षेत्र (नियामक एवं विकास) संशोधन विधेयक के बारे में

  • यह विधेयक 5 अगस्त, 2024 को राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया था।
  • यह तेल क्षेत्र (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 1948 में संशोधन करता है, जो पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस की खोज एवं निष्कर्षण को नियंत्रित करता है।

  • नोडल मंत्रालय: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (भारत सरकार)।
  • विधेयक का उद्देश्य
    • तेल एवं गैस की खोज तथा उत्पादन के लिए कानूनी ढाँचे का आधुनिकीकरण करना।
    • क्षेत्र को और अधिक व्यापार-अनुकूल बनाकर अधिक निवेश आकर्षित करना।
    • यह विधेयक ऊर्जा उपलब्धता, सामर्थ्य एवं सुरक्षा सुनिश्चित करके वर्ष 2047 तक विकसित भारत के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

प्रस्तुत किये गए प्रमुख सुधार

  • लाइसेंसिंग का सरलीकरण
    • यह विधेयक विभिन्न हाइड्रोकार्बन के लिए कई लाइसेंस की आवश्यकता को समाप्त करता है।
    • पेट्रोलियम लीज नामक एकल परमिट प्रणाली की शुरुआत करता है।
  • खनन एवं पेट्रोलियम संचालन का पृथक्करण
    • खनन एवं पेट्रोलियम अन्वेषण को एक ही नियम के तहत मानने की पुरानी प्रथा को समाप्त करता है।
    • तेल एवं गैस क्षेत्र के बेहतर विनियमन की अनुमति देता है।
  • निवेश को प्रोत्साहित करना एवं ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’
    • निवेशकों के लिए एक स्थिर एवं पूर्वानुमानित कानूनी ढाँचा सुनिश्चित करता है।
    • संघर्षों को कुशलतापूर्वक हल करने के लिए एक तीव्र विवाद समाधान प्रणाली की शुरुआत करता है।
    • इसका उद्देश्य नियामक बोझ को कम करना एवं सरकार तथा ठेकेदारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।
  • प्रौद्योगिकी एवं ऊर्जा नवाचार
    • नई ऊर्जा प्रौद्योगिकियों का समर्थन करता है, जैसे:-
      • कार्बन संग्रहण उपयोग एवं पृथक्करण (Carbon Capture Utilization and Sequestration- CCUS)।
      • ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाएँ।
  • छोटे तेल ऑपरेटरों के लिए समर्थन
    • वर्ष 2014 के बाद, सरकार तेल एवं गैस मुद्रीकरण में तीव्रता लाई है।
    • डिस्कवरड स्माल फील्ड पालिसी  (2015) ने छोटे ऑपरेटरों को अप्रयुक्त क्षेत्रों का प्रबंधन करने में सक्षम बनाया।
    • कई क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे की कमी थी, इसलिए विधेयक परियोजना की व्यवहार्यता में सुधार के लिए विभिन्न ऑपरेटरों के बीच संसाधन-साझाकरण की अनुमति देता है।
  • सख्त सजा एवं प्रवर्तन
    • जुर्माना बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया गया तथा निरंतर उल्लंघन के लिए जुर्माना राशि बढ़ाकर 10 लाख रुपये प्रतिदिन कर दी गई।
    • दंडों के कुशलतापूर्वक निपटान के लिए नए न्यायनिर्णयन प्राधिकरण और अपीलीय तंत्र की शुरुआत की गई।
  • राज्यों के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं
    • विधेयक सहकारी संघवाद को कायम रखता है।
    • राज्य पहले की तरह पेट्रोलियम पट्टे देना एवं रॉयल्टी एकत्र करना जारी रखेंगे।

तेल क्षेत्र (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 1948 बनाम तेल क्षेत्र (नियामक तथा विकास) संशोधन विधेयक

पहलू तेल क्षेत्र (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 1948 तेल क्षेत्र (नियामक एवं विकास) संशोधन विधेयक
उद्देश्य प्राकृतिक गैस एवं पेट्रोलियम के अन्वेषण तथा निष्कर्षण को विनियमित करना। आधुनिक ऊर्जा आवश्यकताओं के अनुरूप ढाँचे को अद्यतन करना।
लीज की शर्तें यह अधिनियम खनन पट्टे का प्रावधान करता है। विधेयक में खनन पट्टे के स्थान पर पेट्रोलियम पट्टे को शामिल किया गया है।
खनिज तेल पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तक सीमित। विधेयक में (i) किसी भी प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले हाइड्रोकार्बन, (ii) कोल बेड मीथेन, एवं (iii) शेल गैस/तेल को शामिल किया गया है।
वैधीकरण नियमों के उल्लंघन की स्थिति में 1,000 रुपये का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान। जुर्माना बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया गया तथा निरंतर उल्लंघन के लिए जुर्माना राशि बढ़ाकर 10 लाख रुपये प्रतिदिन कर दी गई।

विधेयक का प्रभाव

  • पुरानी प्रणालियों को बदलकर तेल एवं गैस विनियमन को सरल बनाता है।
  • स्थिर एवं पारदर्शी कानूनी ढाँचे के साथ निवेश को प्रोत्साहित करता है।
  • पेट्रोलियम संचालन के लिए पर्यावरणीय जवाबदेही को मजबूत करता है।
  • आपराधिक दंड को हटाता है एवं अधिक कुशल दंड प्रणाली सुनिश्चित करता है।
  • पट्टे से संबंधित विवादों के लिए एक संरचित विवाद समाधान तंत्र बनाता है।

विधेयक की कमियाँ

  • ऊर्जा स्वतंत्रता के लिए कोई स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं
    • इस विधेयक में भारत को ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाने के लिए दीर्घकालिक योजना का अभाव है।
    • यह तेल आयात पर निर्भरता को कम करने या घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कदमों की रूपरेखा नहीं देता है।
  • छोटे तेल एवं गैस खोजकर्ताओं के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं
    • यह विधेयक स्वतंत्र तेल एवं गैस कंपनियों के लिए लाभ या समर्थन प्रदान नहीं करता है।
    • इससे छोटे खोजकर्ता इस क्षेत्र में प्रवेश करने से हतोत्साहित हो सकते हैं।
  • शेल तेल एवं गैस की अप्रयुक्त क्षमता
    • भारत में कैम्बे, कृष्णा गोदावरी एवं कावेरी बेसिन जैसे क्षेत्रों में शेल तेल तथा गैस के बड़े भंडार हैं।
    • इस विधेयक में इन संसाधनों को कुशलतापूर्वक विकसित करने की रणनीति शामिल नहीं है।
  • बड़े सुधारों के बजाय केवल मामूली समायोजन
    • विधेयक में बड़े सुधारों को प्रस्तुत करने के बजाय मुख्य रूप से तकनीकी बदलाव किए गए हैं।
    • यह घरेलू तेल एवं गैस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियाँ नहीं लाता है।
  • कोई व्यापक ऊर्जा रणनीति नहीं
    • बिल तेल, गैस एवं नवीकरणीय ऊर्जा को एकीकृत योजना में नहीं जोड़ता है।
    • वर्ष 2050 या वर्ष 2060 तक दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा के लिए कोई रोडमैप नहीं है।

खनिज तेलों की परिभाषा

  • इससे पहले, खनिज तेलों में केवल पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस शामिल थे।
  • विधेयक में परिभाषा का विस्तार करते हुए इसमें निम्नलिखित को भी शामिल किया गया है:-
    • प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले हाइड्रोकार्बन।
    • कोल बेड मीथेन।
    • शेल गैस/तेल।
  • हालाँकि, इसमें कोयला, लिग्नाइट एवं हीलियम को इस श्रेणी से बाहर रखा गया है।

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