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बंगाल की खाड़ी में पुराने चुंबकीय जीवाश्मों की खोज

Lokesh Pal April 08, 2024 05:38 147 0

संदर्भ 

हाल ही में CSIR द्वारा नियंत्रित होने वाली संस्था राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (National Institute of Oceanography) के शोधकर्ताओं ने बंगाल की खाड़ी में 50,000 वर्ष पुराने चुंबकीय जीवाश्मों की खोज की है, जो सबसे युवा और विशाल चुंबकीय जीवाश्मों में से एक है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • मानसून में बदलाव: समुद्री तलछट के नमूनों के विश्लेषण से होलोसीन युग के ग्लेशियल मैक्सिमम (Glacial Maximum) का पता चला, जो मानसून में बदलाव का कारण बना, परिणामस्वरूप अपक्षय और अवसादन की प्रक्रिया भी हुई।
    • होलोसीन सबसे नवीनतम अंतर-हिमनद अंतराल युग का प्रतिनिधित्व करता है।
  • चुंबकीय जीवाश्म विकास हेतु उपयुक्त वातावरण: अध्ययन के अनुसार, बड़े मैग्नेटो जीवाश्मों का उत्पादन करने के लिए तापीय घटनाओं की आवश्यकता नहीं होती है बल्कि इसके विकास के लिए लौह, जैविक कार्बन और सबॉक्सिक वातावरण (Suboxic Environment) का उचित संतुलन महत्त्वपूर्ण है।

  • चुंबकीय जीवाश्मों के निर्माण में नदियों की भूमिका: बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ जैसे गोदावरी, महानदी, गंगा-ब्रह्मपुत्र, कावेरी और पेन्नार ने मैग्नेटो जीवाश्म के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • मीठे जल का प्रवाह: इन नदियों से मीठे जल के प्रवाह तथा एड्डी (Eddy) निर्माण जैसी अन्य समुद्री प्रक्रियाओं ने साथ मिलकर समुद्री जल में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाया है।
  • एक कोशिकीय जीवों की खोज: शोधकर्ताओं ने कई एक-कोशिकीय जीव जैसे बेन्थिक (Benthic) और प्लवकटोनिक फोरामिनिफेरा (Planktonic Foraminifera) की खोज की है, जो समुद्र तल के करीब जल में स्वतंत्र रूप से प्रवास करते हैं।

मैग्नेटो जीवाश्म (Magneto Fossil)

  • परिचय: यह जीवाश्म मैग्नेटो जीवाणु द्वारा उत्पादित चुंबकीय कणों का जीवाश्मिक अवशेष होता है, जिन्हें आमतौर पर मैग्नेटो जीवाणु के रूप में जाना जाता है तथा इसे भूवैज्ञानिक तरीके से खोजा और संरक्षित किया जाता है।
  • परिभाषा: मैग्नेटो जीवाश्म जैविक सामग्री हैं, जिसमें मुख्य रूप से मैग्नेटाइट (Fe3O4) और ग्रेगाइट (Fe3S4) जैसे चुंबकीय खनिज पाए जाते हैं।
  • मैग्नेटोटैक्टिक जीवाणु (Magnetotactic Bacteria) मुख्य रूप से प्रोकैरियोटिक (Prokaryotic) जीव होते हैं, जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ संरेखित होते हैं। इन जीवों की खोज वर्ष 1963 में हुई थी।
  • चुंबकीय क्षेत्र का अनुसरण करना: ये जीव उच्च ऑक्सीजन सांद्रता वाले क्षेत्रों में चुंबकीय क्षेत्र का अनुसरण करते हैं।
  • मैग्नेटोटैक्टिक जीवाणु के लक्षण: इन जीवाणुओं की सूक्ष्म थैलियों में ‘लौह कणों से भरपूर नवीन संरचित कण’ उपस्थित होते हैं जो कंपास के रूप में कार्य करते हैं।
    • मैग्नेटोटैक्टिक जीवाणु (Magnetotactic Bacteria) लौह-समृद्ध खनिज जैसे मैग्नेटाइट या ग्रेगाइट के सूक्ष्म कणों का उत्पादन करते हैं। ये कण जलीय स्रोतों में ऑक्सीजन के स्तर को नियंत्रित करते हैं।

मैग्नेटो जीवाश्म का प्रकार

  • जीवाणु संबंधी मैग्नेटाइट: कुछ जीवाणु अपनी कोशिकाओं के भीतर मैग्नेटाइट का उत्पादन कर सकते हैं, जिससे मैग्नेटोसोम की शृंखला का निर्माण होता है जो कंपास की सुइयों के रूप में कार्य करती हैं।
  • जीवों में चुंबकीय कण: मोलस्क, मछली और पक्षियों सहित कुछ अन्य जीवों के ऊतकों में मैग्नेटाइट या ग्रेनाइट जैसे तत्त्वों का निर्माण होता है।

एक कोशिकीय जीव (Prokaryote)

  • इन जीवों की कोशिकाओं में केन्द्रक तथा अन्य अंगकों की कमी होती है।
  • इन्हें दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है- जीवाणु और आर्किया (Archaea)। ऐसा माना जाता है कि दोनों समूहों की अपनी स्वतंत्र विकासवादी वंशावली है।
  • अधिकांश एक कोशिकीय जीव आकार में छोटे होते हैं।

मैग्नेटो जीवाश्म का महत्त्व

  • पुरापर्यावरणीय पुनर्निर्माण (Paleoenvironmental Reconstruction): अवसादी चट्टानों में मैग्नेटो जीवाश्मों की उपलब्धता से ऑक्सीजन स्तर, तापमान और कुछ जीवों की उपस्थिति के बारे में जानकारी मिल सकती है।
  • पैलियोमैग्नेटिज्म (Paleomagnetism): मैग्नेटो जीवाश्म पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के पुनर्निर्माण में मदद करते हैं। वैज्ञानिक जीवाश्मों में चुंबकीय खनिजों के अभिविन्यास और तीव्रता की जाँच के माध्यम से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के पिछले अभिविन्यास के बारे में जान सकते हैं।
  • जैविक व्यवहार (Biological Behaviour): मैग्नेटो जीवाश्मों के अध्ययन से प्राचीन प्राणियों के व्यवहार और पारिस्थितिकी के बारे में जानकारी मिल सकती है।
    • उदाहरण के लिए, कुछ जीवों में मैग्नेटाइट की उपस्थिति का अर्थ है कि वे पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करके अपना स्थान परिवर्तित कर सकते हैं।

अध्ययन के तरीके

  • चट्टान चुंबकत्व (Rock Magnetism): इसके अंतर्गत चट्टानों और जीवाश्मों की चुंबकीय विशेषताओं को मापा जाता है। 
  • पैलियोमैग्नेटिक विश्लेषण: इसमें पृथ्वी के पिछले चुंबकीय क्षेत्र को पुनः निर्मित करने के लिए चट्टानों और जीवाश्मों में चुंबकत्व के अभिविन्यास तथा शक्ति का पता लगाना शामिल है।
  • सूक्ष्मदर्शी यंत्र: सूक्ष्मदर्शी यंत्र तथा इसके उच्च-आवर्द्धक क्षमता वाली तकनीक का उपयोग वैज्ञानिकों द्वारा सूक्ष्म स्तर पर जीवाश्मों के भीतर चुंबकीय खनिजों की संरचनाओं एवं वितरण का अध्ययन करने में किया जाता है।

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