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ओलिंपस मॉन्स

Lokesh Pal June 17, 2024 05:19 63 0

संदर्भ

मंगल ग्रह की भूमध्य रेखा के पास विशाल ओलिंपस मॉन्स ज्वालामुखी के ऊपर स्थित विशाल थारिस ज्वालामुखी पर पहली बार ‘वाटर फ्रॉस्ट’ (Water Frost) पाया गया है।

संबंधित तथ्य 

  • फ्रॉस्ट को पहली बार यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर (TGO) NOMAD उपकरण द्वारा ओलिंपस मॉन्स ज्वालामुखी के ऊपर देखा गया था।
  • मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर ने थार्सिस क्षेत्र में अनेक ज्वालामुखियों पर अप्रत्याशित रूप से बर्फ की उपस्थिति की भी पुष्टि की।
  • निष्कर्ष
    • ‘फ्रॉस्ट’ समूह: ये अविश्वसनीय रूप से पतले होते हैं, लगभग एक मानव बाल की चौड़ाई के बराबर और ज्वालामुखियों के शिखर कैल्डेरा के भीतर विशाल क्षेत्रों को कवर करते हैं।
    • यह मात्रा मंगल के ठंडे मौसम के दौरान हर दिन सतह और वायुमंडल के बीच 1,50,000 टन जल की अदला-बदली को दर्शाती है, जो 60 ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल के बराबर है।
    • क्षणभंगुर प्रकृति: फ्रॉस्ट सूर्योदय के आसपास कुछ घंटों के लिए मौजूद रहती है, उसके बाद दिन के उजाले में वाष्पित हो जाती है। इसका अस्तित्व गहरे ज्वालामुखी कैल्डेरा के अंदर फ्रॉस्ट के अनुकूल माइक्रोक्लाइमेट बनाने वाली “असाधारण प्रक्रियाओं” का संकेत देता है।
  • महत्त्व: यह समझने में मदद करता है कि यह क्षणिक हिमपात कैसे और कहाँ होता है। यह मंगल की वायुमंडलीय गतिशीलता और तरल पानी की मौजूदगी के बारे में जानकारी दे सकता है, जिससे भविष्य में रोबोट और मानव अन्वेषण में मदद मिल सकती है।

ओलिंपस मॉन्स (Olympus Mons):

  • मंगल ग्रह का ओलिंपस मॉन्स सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है।
  • अवस्थिति: यह मंगल ग्रह की भूमध्य रेखा के पास थारिस मोंटेस क्षेत्र में पाया जाता है।
    • थारिस मोंटेस क्षेत्र में ज्वालामुखी इतने बड़े हैं कि वे मंगल ग्रह पर चलने वाली धूल भरी आँधी से भी ऊँचे दिखाई देते हैं।
  • आकार: ओलंपस मोन्स इस क्षेत्र में पाए जाने वाले सभी ज्वालामुखियों में सबसे ऊंँचा है, जो आस-पास के मैदानों से 16 मील (25 किलोमीटर) ऊंँचा है और 374 मील (601 किलोमीटर) तक फैला हुआ है, जो लगभग संयुक्त राज्य अमेरिका के एरिजोना राज्य के आकार का है।
    • पृथ्वी से तुलना: यह पृथ्वी के सबसे ऊंँचे पर्वत माउंट एवरेस्ट से तीन गुना ऊंँचा है, जिसका शिखर समुद्र तल से 5.5 मील (8.8 किमी.) ऊपर है।
      • हवाई का मौना लोआ पृथ्वी पर सबसे ऊंँचा ज्वालामुखी है, जो समुद्र तल से 6.3 मील (10 किमी.) ऊपर है (लेकिन इसका शिखर समुद्र तल से केवल 2.6 मील ऊपर है)।
  • आयतन/विस्तार: ओलंपस मॉन्स का आयतन मौना लोआ का लगभग सौ गुना है तथा संपूर्ण हवाई द्वीप शृंखला (कौई से हवाई तक) इसके अंदर समाहित हो सकती है।
  • निर्माण: हवाई द्वीपों के विपरीत पृथ्वी पर, स्थिर भूपर्पटी के नीचे बढ़ते हुए मैग्मा का एक गुबार निर्मित हुआ  होगा, जिसका निर्माण ज्वालामुखियों से हुआ था, जिसमे पृथ्वी की भूपर्पटी के एक हॉटस्पॉट पर प्रवाहित होने के कारण विस्फोट हुआ होगा तथा प्रत्येक विस्फोट से एक अलग स्थान पर एक छोटा द्वीप का निर्माण हुआ।
  • पर्वत इतने ऊँचे क्यों हैं?
    • स्थिर प्लेटें: मंगल ग्रह पर प्लेटों की गति बहुत सीमित है और हॉटस्पॉट और क्रस्ट दोनों ही स्थिर रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक ही स्थान पर लावा का ढेर लग जाता है। इसलिए, पृथ्वी पर ज्वालामुखी द्वीपों की शृंखला के बजाय ओलिंपस मॉन्स जैसे बड़े ज्वालामुखी बनते हैं।
    • विस्तारित जीवनकाल: मंगल ग्रह के ज्वालामुखी लाखों वर्षों तक लगातार सक्रिय रहे, जिसके परिणामस्वरूप मंगल की सतह पर एक स्थान पर मैग्मा का एक स्थिर ढेर जमा हो गया।
  • ज्वालामुखी का प्रकार: यह एक शील्ड ज्वालामुखी है, अर्थात् यह हिंसक रूप से पिघली हुई सामग्री को नहीं उगलता है और यह अपने किनारों से धीरे-धीरे बहते लावा द्वारा निर्मित होता है।
    • परिणामस्वरूप ओलिंपस मॉन्स का स्वरूप छोटा और सपाट है, तथा इसकी औसत ढलान केवल 5 प्रतिशत है।
  • संरचना 
    • कैल्डेरा: छह ढहे हुए गड्ढे, जिन्हें कैल्डेरा के नाम से जाना जाता है, एक दूसरे के ऊपर स्थित हैं, जिससे शिखर पर 53 मील का गड्ढा बन गया है।
    • बाहरी किनारा: एक चट्टान या ढलान, ज्वालामुखी के बाहरी किनारे को घेरे हुए है, जो आसपास के क्षेत्र से 6 मील (10 किमी) ऊपर तक पहुँचती है। (अकेले चट्टान की ऊँचाई मौना लोआ जितनी है।)
    • आधार: ज्वालामुखी के आधार के चारों ओर एक विस्तृत गड्ढा है, क्योंकि इसका विशाल भार भूपटल पर दबाव डालता है।

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