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एक राष्ट्र, एक समय

Lokesh Pal June 20, 2025 01:26 11 0

संदर्भ

केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने विधिक माप विज्ञान (भारतीय मानक समय) नियमों के मसौदे की घोषणा की, जो सभी कानूनी, प्रशासनिक और वाणिज्यिक कार्यों को IST के साथ समन्वित करने को अनिवार्य करेगा।

विधिक मापविज्ञान (भारतीय मानक समय) नियम, 2025 का मसौदा

उद्देश्य

  • पूरे भारत में “एक राष्ट्र, एक समय” की स्थापना करना।
  • सभी क्षेत्रों के लिए भारतीय मानक समय (IST) को अपनाना और मानकीकृत करना।
  • समय-निर्धारण में मिली सेकण्ड से लेकर माइक्रो सेकण्ड तक की सटीकता सुनिश्चित करना।

मसौदा नियमों की मुख्य विशेषताएँ

  • CSIR-NPL द्वारा बनाए गए IST (UTC +5:30) का अनिवार्य उपयोग सभी कानूनी, प्रशासनिक और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए एकमात्र समय संदर्भ होगा।
    • विदेशी समय स्रोतों (जैसे, GPS) का उपयोग निषिद्ध है जब तक कि अनुमोदित न हो।
  • IST को देश भर में परमाणु घड़ियों से सुसज्जित पाँच क्षेत्रीय संदर्भ मानक प्रयोगशालाओं (RRSL) के माध्यम से प्रसारित किया जाएगा।
    • अहमदाबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, फरीदाबाद और गुवाहाटी में RRSL स्थापित किए जा रहे हैं।
  • सार्वजनिक और सरकारी संस्थाओं द्वारा नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल (NTP) और प्रेसिजन टाइम प्रोटोकॉल (PTP) का अनिवार्य उपयोग।
  • छूट: पूर्व सरकारी अनुमोदन के साथ वैज्ञानिक, खगोलीय और नौवहन उपयोगों के लिए दी गई।
  • निगरानी और प्रवर्तन: अनुपालन की निगरानी के लिए ऑडिट।
    • समन्वयन और समयपालन मानदंडों का पालन न करने पर दंड का प्रावधान।

कार्यान्वयन एजेंसियाँ

  • नोडल मंत्रालय: केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग, भारत सरकार
  • सहयोग
    • राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL)
    • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)

तर्क: कारगिल युद्ध (वर्ष 1999) के दौरान विदेशी उपग्रह समय आधारित डेटा पर अत्यधिक निर्भरता के कारण रणनीतिक आवश्यकता की पहचान की गई।

‘एक राष्ट्र, एक समय’ ढाँचे की विशेषताएँ और बाधाएँ

विशेषताएँ 

बाधाएँ

  • विदेशी प्रणालियों (जैसे, GPS) पर निर्भरता कम करके और साइबर सुरक्षा को मजबूत करके राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाता है।
  • दूरसंचार, नेविगेशन, विद्युत और आपातकालीन सेवाओं में समन्वय में सुधार करते हुए, सभी क्षेत्रों में एक समान समय-पालन को सक्षम बनाता है।
  • डिजिटल ट्रांजेक्शन और रिकॉर्ड में औद्योगिक दक्षता, वित्तीय विश्वसनीयता और सटीकता को बढ़ाता है।
  • दीर्घकालिक रणनीतिक आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है और बाह्य समय निर्धारण प्रणालियों पर निर्भरता को कम करता है।
  • इसमें बुनियादी ढाँचे के ओवरहाल (जैसे, परमाणु घड़ियाँ) और सिस्टम अपग्रेड के लिए उच्च प्रारंभिक लागत शामिल है।
  • NPL, इसरो और सरकारी विभागों जैसी कई एजेंसियों के बीच जटिल समन्वय की आवश्यकता है।
  • विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में ‘सिंक्रोनाइजेशन प्रोटोकॉल’ का प्रयोग करने और बनाए रखने में तकनीकी चुनौतियाँ।
  • विदेशी समय स्रोतों पर निर्भर सेवा प्रदाताओं को अल्पकालिक एकीकरण चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • संक्रमण चरण के दौरान परिचालन डाउनटाइम और व्यवधान की संभावना।

CSIR-NPL: भारतीय राष्ट्रीय माप-पद्धति संस्थान

  • यह राष्ट्रीय मापन मानकों के विकास, रखरखाव और प्रसार के लिए जिम्मेदार है।
  • CSIR-NPL निम्नलिखित में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है:
    • सटीक और पता लगाने योग्य माप प्रणाली स्थापित करना।
    • उन्नत माप विज्ञान के माध्यम से उद्योगों और रणनीतिक क्षेत्रों का समर्थन करना।
    • उन्नत सामग्रियों के आधार पर नए माप मानकों और अत्याधुनिक तकनीकों का विकास करना।
  • वैज्ञानिक प्रगति, औद्योगिक विकास और राष्ट्रीय विकास के लिए इसका योगदान महत्त्वपूर्ण है।
  • भारत का आधिकारिक टाइमकीपर भारतीय मानक समय (IST) को बनाए रखने के लिए उच्च परिशुद्धता युक्त परमाणु घड़ियों का उपयोग करता है और इसके संचालन का दायित्व निभाता है।

परमाणु घड़ी क्या है?

  • परमाणु घड़ी एक अत्यधिक सटीक समय मापने वाला उपकरण है जो समय मापने के लिए परमाणुओं की अनुनाद आवृत्तियों आमतौर पर सीजियम या रुबिडियम का उपयोग करता है।
  • कार्य सिद्धांत
    • परमाणुओं के क्वांटम संक्रमण (ऊर्जा परिवर्तन) पर कार्य करता है।
    • माइक्रोवेव विद्युत चुम्बकीय विकिरण को एक विशिष्ट आवृत्ति पर ट्यून किया जाता है।
    • समय को यह सुनिश्चित करके मापा जाता है कि विकिरण उस आवृत्ति से सुमेलित  है जो परमाणु संक्रमण को प्रेरित करती है।
  • वर्ष 1955 में ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी लुइस एसेन द्वारा इसका आविष्कार किया गया।
  • भारत में परमाणु घड़ियाँ: अहमदाबाद, फरीदाबाद में CSIR – NPL द्वारा प्रबंधित और अनुरक्षित।

भारतीय मानक समय (IST)

  • IST 82°30′ E की मानक मध्याह्न रेखा पर आधारित है, जो GMT/UTC से 5 घंटे 30 मिनट आगे है।
  • यह मानक मध्याह्न रेखा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश से होकर गुजरती है।
  • इलाहाबाद वेधशाला 82°30 E का उपयोग करके स्थानीय समय की गणना करती है, जबकि राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (नई दिल्ली) आधिकारिक समय-पालन करती है।

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