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ऑनलाइन लैंगिक आधारित हिंसा

Lokesh Pal November 06, 2024 03:24 40 0

संदर्भ

अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए चुनावी अभियान में एक बार पुनः प्रौद्योगिकी और ऑनलाइन स्पेस के मुद्दे को उजागर किया है, जो महिलाओं की सुरक्षा एवं सम्मान के लिए खतरा बन रहे हैं।

पृष्ठभूमि

  • कमला हैरिस का मामला: राष्ट्रपति पद के लिए अपने समर्थन के बाद, हैरिस को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) द्वारा उत्पन्न डीप फेक और गलत सूचना कंटेंट का सामना करना पड़ा, जिसमें उनके चरित्र को निशाना बनाया गया और एक नेता के रूप में उनकी क्षमताओं पर सवाल उठाए गए।
  • वैश्विक मामले: राजनीतिक पद या उच्च प्रशासनिक पद की आकांक्षा रखने वाली महिलाओं को वैश्विक स्तर पर व्यापक ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। 
    • उदाहरण: अमेरिकी राजनीतिज्ञ निक्की हेली को रिपब्लिकन प्राइमरी अभियान के दौरान छेड़छाड़ करके, स्पष्ट चित्रों के जरिए निशाना बनाया गया।
    • इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी का डीप फेक का उपयोग करके एक वीडियो बनाया गया।
    • बांग्लादेश में, राजनेताओं रुमिन फरहाना और निपुण रॉय की डीपफेक तस्वीरें जनवरी 2024 के चुनाव से ठीक पहले प्रसारित की गईं।

ऑनलाइन लैंगिक आधारित हिंसा (OGBV) के बारे में

  • परिभाषा: यह लोगों, विशेषकर महिलाओं के विरुद्ध उनके लैंगिक आधार पर प्रौद्योगिकी के माध्यम से लक्षित उत्पीड़न और पूर्वाग्रह है।
  • ऑनलाइन दुर्व्यवहार की प्रकृति पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग है: जहाँ पुरुषों को अपने कार्यों या कर्तव्यों के संबंध में गलत सूचना और भ्रामक सूचनाओं का सामना करना पड़ सकता है, वहीं महिलाओं को वस्तुकरण, यौन रूप से स्पष्ट कंटेंट और व्यक्तित्त्व को शर्मसार करने जैसी गतिविधियों का सामना करना पड़ता है।
    • पूरे विश्व में हुए अध्ययनों से पता चलता है कि 16 से 58 प्रतिशत महिलाएँ तथा लड़कियाँ ऑनलाइन हिंसा का शिकार होती हैं।
  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) डेटा: वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में महिलाओं के विरुद्ध साइबर अपराधों में काफी वृद्धि देखी गई।
    • वर्ष 2022 में महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराधों की संख्या में 11% की वृद्धि हुई है।
    • महिलाओं की यौन रूप से स्पष्ट सामग्री प्रकाशित या प्रसारित की जाने वाली घटनाएँ वर्ष 2022 में 2,251 थीं, जबकि वर्ष 2021 में 1,896 थीं।
    • वहीं, महिलाओं को निशाना बनाकर किए जाने वाले अन्य साइबर अपराध जैसे ब्लैकमेल, मानहानि, मॉर्फिंग (Morphing), फर्जी प्रोफाइल बनाना आदि वर्ष 2022 में 689 और वर्ष 2021 में 701 रहे। 
  •  डिजिटल स्थानों में हाशिए पर पड़ी महिलाओं के लिए अतिरिक्त जोखिम: LGBTQ+ महिलाओं, दिव्यांग महिलाओं आदि को जटिल दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है।

जेंडरेड नेचर (Gendered Nature) के बारे में

  • ‘जेंडरेड नेचर’ शब्द का अर्थ है कि कैसे अनुभव तथा व्यवहार, लैंगिक अंतर एवं सामाजिक मानदंडों से प्रभावित होते हैं।
  • उदाहरण: महिलाओं को लैंगिक सामाजिक विचारों के आधार पर ऑनलाइन उत्पीड़न और भेदभाव के विशिष्ट प्रकारों का सामना करना पड़ता है।

OGBV के रूप 

  • यौन उत्पीड़न: महिलाओं को ऑनलाइन दुर्व्यवहार के कुछ विशेष प्रकारों का सामना करना पड़ता है, जैसे- यौन उत्पीड़न, जिसमें अनचाहे अश्लील संदेश, अश्लील टिप्पणियाँ और यौन रूप से स्पष्ट चित्र शामिल है।
  • लैंगिक आधारित धमकियाँ एवं भाषा: महिलाओं को अक्सर दुष्कर्म, डॉक्सिंग, पीछा करने और हमले की धमकियाँ मिलती हैं।
    • उदाहरण: सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार तथा राजनीतिज्ञ जैसी सार्वजनिक महिला हस्तियों को लैंगिक आधार पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है तथा उनकी दृश्यता के कारण इसे बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है।

ऑनलाइन लैंगिक आधारित हिंसा के कारण

  • प्लेटफॉर्म डिजाइन और नीतियाँ: कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में महिलाओं के विरुद्ध उत्पीड़न को संबोधित करने के लिए प्रभावी मॉडरेशन नीतियों या संसाधनों का अभाव है।
    • उदाहरण: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में सुरक्षा सुविधाओं में निवेश की कमी है।
    • बड़ी टेक कंपनियाँ अक्सर यह दावा करके जवाबदेही से बचती हैं कि उनके प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं पर प्रतिबिंबित करते हैं और वे इसे सूक्ष्मता से नियंत्रित नहीं कर सकती हैं।
      • उन्हें ‘सेफ हार्बर’ (Safe Harbour) संरक्षण के कारण उत्तरदायित्व से छूट प्राप्त है।
  • अपर्याप्त रिपोर्टिंग तंत्र: उपयोगकर्ताओं को अक्सर रिपोर्ट की गई सामग्री की समीक्षा के लिए लंबे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, जिससे अपमानजनक पोस्ट लंबे समय तक दृश्यमान एवं सुलभ बनी रहती है।
  • पारंपरिक लैंगिक भूमिकाओं का विस्तार: ऑनलाइन स्थान ऑफलाइन पितृसत्तात्मक संरचनाओं के विस्तार के रूप में कार्य कर सकता है, जहाँ महिलाओं को पारंपरिक मानदंडों के दायरे से बाहर निर्णय लेने पर नियंत्रित किया जाता है, निगरानी की जाती है और दंडित किया जाता है।
    • उदाहरण: महिलाओं के रूप-रंग, पहनावे या व्यक्तिगत पसंद आदि पर आलोचना का सामना करना पड़ता है।
  • ऑनलाइन गुमनामी (Online Anonymity): इंटरनेट द्वारा प्रदान की गई गुमनामी, व्यक्तियों को परिणामों के डर के बिना हानिकारक व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।
    • उदाहरण: ट्रोलिंग (Trolling) और साइबरबुलिंग (Cyberbullying) आदि।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पहले से स्थापित पूर्वाग्रहों को और बढ़ा सकता है।
    • स्वचालित ट्रोलिंग और उत्पीड़न: बॉट्स तथा स्वचालित खातों को ऑनलाइन माध्यम से महिलाओं को परेशान करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है।
    • एल्गोरिदम पूर्वाग्रह: एल्गोरिदम अनजाने में ऐसी सामग्री को बढ़ावा दे सकती हैं, जो महिलाओं के लिए हानिकारक या अपमानजनक हो।
  • डेटा पूर्वाग्रह: सामाजिक पूर्वाग्रहों से प्रभावित डेटासेट द्वारा निर्मित तथा ज्यादातर पुरुषों द्वारा विकसित डिजिटल प्रणालियों में अक्सर उस समावेशिता का अभाव होता है, जो भेदभाव को प्रभावी ढंग से चुनौती देने के लिए आवश्यक होती हैं।
    • उदाहरण: Glass.ai. के आँकड़ों के अनुसार, मेटा तथा गूगल तथा ओपनएआई में प्रौद्योगिकी विकास में महिला कर्मचारियों (महिला AI डेवलपर्स) का प्रतिनिधित्व भी कम है।
  • रिपोर्ट करने का डर: महिलाओं को लग सकता है कि उत्पीड़न की रिपोर्ट करने से कार्रवाई नहीं होगी या इससे उन्हें और भी अधिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ सकता है।
  • आर्थिक प्रोत्साहन: ऑनलाइन सामग्री का मुद्रीकरण महिलाओं के AI-जनरेटेड वीडियो के विकास को बढ़ावा देता है।
    • प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ता की सहभागिता से जुड़े विज्ञापन राजस्व पर निर्भर करते है, इसलिए डीप फेक जैसे विवादास्पद या सनसनीखेज कंटेंट अधिक व्यू एवं आकर्षण उत्पन्न करते हैं।
    • यह क्रिएटर एवं प्लेटफॉर्म दोनों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी होता है।

ऑनलाइन लैंगिक आधारित हिंसा के कारण उत्पन्न होने वाले मुद्दे

  • गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: AI द्वारा निर्मित वीडियो, विशेष रूप से डीपफेक, अक्सर व्यक्तियों की सहमति के बिना उनकी वास्तविक छवियों या वीडियो का उपयोग करते हैं।
    • यह महिलाओं के निजता अधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि उनकी छवियों को उनकी सहमति के बिना बदल दिया जाता है।
  • मानवीय गरिमा को नुकसान पहुँचाना: ऐसी सामग्री महिलाओं को अपमानजनक या समझौता करने वाली स्थितियों में चित्रित कर सकती है, उनकी गरिमा को नुकसान पहुँचा  सकती है, वस्तुकरण की संस्कृति में योगदान दे सकती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य तनाव: लगातार ऑनलाइन दुर्व्यवहार महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जिससे चिंता, अवसाद तथा सामाजिक अलगाव होता है।
  • सार्वजनिक संवाद से बचना: सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण, कई महिलाओं को डिजिटल संवाद में भाग लेने से रोका जाता है, जिससे सार्वजनिक संवाद में उनकी दृश्यता सीमित हो जाती है, पेशेवर अवसर कम हो जाते हैं और इन स्थानों पर पुरुषों का प्रभुत्व बना रहता है।
    • ऑनलाइन उत्पीड़न के कारण कई महिलाएँ डिजिटल उपकरणों का उपयोग करना बंद कर देती है।
  • अपर्याप्त रिपोर्टिंग तंत्र: कई प्लेटफॉर्मों में उत्पीड़न या दुर्व्यवहार की रिपोर्ट करने के लिए प्रभावी प्रणालियाँ नहीं हैं, जिससे महिलाएँ खुद को शक्तिहीन महसूस करती हैं।

महिलाओं के लिए सुरक्षित डिजिटल स्पेस बनाने हेतु भारत द्वारा की गई पहल

  • प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान: इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए डिजिटल विभाजन को पाटना है।
    • इस योजना का लक्ष्य 60 मिलियन परिवारों को डिजिटल कौशल के माध्यम से ग्रामीण आबादी को सशक्त बनाना है।
  • ‘ऑनलाइन सुरक्षित रहें’ अभियान: केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा नागरिकों को ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में शिक्षित करने तथा जिम्मेदार डिजिटल जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था।
    • इसकी संकल्पना भारत की G-20 अध्यक्षता के हिस्से के रूप में सुरक्षित इंटरनेट प्रथाओं, सोशल मीडिया के उपयोग और डिजिटल भुगतान प्रणालियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी।
  • सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अपने प्लेटफॉर्म पर सामग्री के संबंध में अधिक सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है।
    • स्पष्ट निर्देश: ये नियम सोशल मीडिया मध्यस्थों को डीप-फेक वीडियो या फोटो सहित हानिकारक कंटेंट को हटाने के लिए स्पष्ट जिम्मेदारियाँ सौंपते हैं।
    • शारीरिक गोपनीयता (Bodily Privacy) के उल्लंघन, प्रतिरूपण आदि से संबंधित कंटेंट के विशिष्ट मामलों में कंटेंट हटाने के लिए प्रत्यक्ष अनुरोध का प्रावधान है।
      1. शारीरिक गोपनीयता, जो लोगों की शारीरिक सुरक्षा से संबंधित है।
    • उपयोगकर्ताओं, विशेषकर महिला उपयोगकर्ताओं की ऑनलाइन सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना: मध्यस्थों को शिकायत प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर ऐसी सामग्री को हटा देना चाहिए या उस तक पहुँच को अक्षम कर देना चाहिए, जो किसी व्यक्ति के निजी दायरे को उजागर करती है।
  • महिलाओं तथा बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध की रोकथाम (CCPWC) योजना: केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य महिलाओं तथा बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध को रोकना एवं उनका मुकाबला करना है।

महिलाओं के लिए सुरक्षित डिजिटल स्पेस बनाने हेतु वैश्विक पहल

  • महिलाओं की स्थिति पर आयोग का 67वाँ सत्र (CSW67), 2023: लैंगिक समानता प्राप्त करने में प्रौद्योगिकी एवं नवाचार की महत्त्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया गया तथा लैंगिक डिजिटल अंतर को कम करने के लिए अधिक निवेश पर जोर दिया गया।
  • संयुक्त राष्ट्र महिला द्वारा ‘सुरक्षित शहर और सुरक्षित सार्वजनिक स्थान’ वैश्विक कार्यक्रम: ऑनलाइन वातावरण सहित सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के विरुद्ध उत्पीड़न और हिंसा को संबोधित करना।
  • संयुक्त राष्ट्र का ‘HeForShe’ अभियान: पुरुषों को ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों माध्यमों से लैंगिक समानता एवं महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थानों की वकालत करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • यूरोपीय संघ का डिजिटल सेवा अधिनियम (DSA): वर्ष 2022 में लागू होने वाला यह अधिनियम तकनीकी कंपनियों को उनके प्लेटफॉर्मों पर लैंगिक हिंसा सहित हानिकारक कंटेंट के लिए जवाबदेह बनाता है।
  • फेसबुक: उपयोगकर्ताओं को उत्पीड़न की रिपोर्ट करने तथा सुरक्षा सुविधाओं तक पहुँच बनाने के लिए संसाधन एवं उपकरण प्रदान करता है, जैसे हानिकारक व्यवहार में संलग्न उपयोगकर्ताओं को ब्लॉक करना एवं रिपोर्ट करना।
  • सुरक्षित इंटरनेट दिवस (Safer Internet Day): यूरोपीय आयोग द्वारा शुरू किया गया एक वार्षिक कार्यक्रम, जो दुनिया भर में बच्चों तथा युवाओं द्वारा ऑनलाइन प्रौद्योगिकी और मोबाइल फोन के अधिक सुरक्षित एवं अधिक जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देता है।

महिलाओं के लिए सुरक्षित डिजिटल स्थान बनाने के उपाय

  • बिग टेक में मजबूत कंटेंट मॉडरेशन तथा जवाबदेही की आवश्यकता: प्लेटफॉर्मों को अपनी गोपनीयता सेटिंग्स को बढ़ाना चाहिए, जिससे उपयोगकर्ता यह नियंत्रित कर सकें कि कौन उनसे संपर्क कर सकता है और उनकी सामग्री देख सकता है।
    • यह सुनिश्चित करने के लिए उपयोगकर्ता की गोपनीयता और डेटा की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए कि प्रौद्योगिकी का उपयोग महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध हानिकारक पूर्वाग्रह या भेदभाव को बनाए रखने के लिए नहीं किया जाता है।
      • उदाहरण: केवल AI द्वारा जनित सामग्री को लेबल करना पर्याप्त नहीं है। यौन रूप से स्पष्ट सामग्री जैसी हानिकारक सामग्री को साझा करने और देखने से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए पूरी तरह से हटा दिया जाना चाहिए।
    • बेहतर समीक्षा प्रक्रिया: हानिकारक सामग्री, विशेषकर रिपोर्ट की गई पोर्नोग्राफी की समय पर समीक्षा, नुकसान को कम करने के लिए आवश्यक है।
  • प्रौद्योगिकी कंपनियों की नैतिक जिम्मेदारी: उपयोगकर्ता-जनित सामग्री से लाभ कमाने वाली कंपनियों को सुरक्षित डिजिटल स्थान सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
  • लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल समाधान तैयार करना: डिजिटल समाधान, जो महिलाओं और लड़कियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हों।
    • समाधान में लड़कियों तथा महिलाओं की भागीदारी से डिजिटल अपनाने में तेजी आएगी और डिजिटल लैंगिक विभाजन और पहुँच को कम करने में मदद मिलेगी।
  • महिला प्रतिनिधित्व में वृद्धि: वैश्विक स्तर पर केवल 28 प्रतिशत इंजीनियरिंग स्नातक, 22 प्रतिशत कृत्रिम बुद्धिमत्ता कर्मचारी तथा तकनीकी क्षेत्र के एक-तिहाई से भी कम कर्मचारी महिलाएँ है।
  • डिजाइनिंग एथिकल AI: लैंगिक पूर्वाग्रहों के परीक्षण के लिए सुरक्षा शोधकर्ताओं तथा सिमुलेशन अभ्यासों की आवश्यकता होती है, विशेषकर जब AI शामिल हो।
    • इससे निष्पक्ष, सुरक्षित और नैतिक AI डिजाइन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
  • डिजिटल अभियान
    • उदाहरण: यूएन वुमेन तुर्की (UN Women Turkey) द्वारा लैंगिक आधारित साइबर हिंसा के खिलाफ फायरफ्लाइज अभियान (Fireflies campaign) का उद्देश्य एक वैश्विक ई-सॉलीडेरिटी नेटवर्क (e-Solidarity Network) बनाना है जो महिलाओं एवं लड़कियों के विरुद्ध ऑनलाइन भेदभाव को समाप्त करने का समर्थन करता है।
  • स्कूल में डिजिटल नागरिकता को एकीकृत करना: ऑनलाइन तथा ऑफलाइन सकारात्मक सामाजिक मानदंडों को बढ़ावा देने के लिए स्कूल के पाठ्यक्रम में डिजिटल नागरिकता तथा डिजिटल उपकरणों के नैतिक उपयोग को एकीकृत करना।
    • युवाओं, विशेष रूप से युवा पुरुषों तथा लड़को को नैतिक एवं जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार के प्रति संवेदनशील बनाना।

निष्कर्ष

डिजिटल युग में हिंसा को रोकना लैंगिक समानता के लिए महत्त्वपूर्ण है। सुरक्षित ऑनलाइन स्थान बनाकर, हम ऐसा वातावरण विकसित कर सकते हैं, जो सभी के लिए सम्मान, समावेश और समान अवसरों को बढ़ावा देता है।

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