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अंग प्रत्यारोपण

Lokesh Pal November 21, 2025 03:43 25 0

संदर्भ 

सर्वोच्च न्यायालय ने अंग प्रत्यारोपण को विनियमित करने और यह सुनिश्चित करने हेतु एक समान तथा पारदर्शी राष्ट्रीय नीति बनाने का आह्वान किया है, ताकि अंगदाताओं को प्रत्यारोपण के बाद पर्याप्त देखभाल सुनिश्चित की जा सके।

अंग प्रत्यारोपण के बारे में

  • अंग प्रत्यारोपण एक चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें रोगी के शरीर में किसी खराब या क्षतिग्रस्त अंग को दाता से प्राप्त स्वस्थ अंग से प्रतिस्थापित किया जाता है।
  • सामान्यतः प्रत्यारोपित अंग: किडनी (सबसे सामान्य अंग), यकृत, हृदय, फेफड़े, अग्न्याशय, आँतें और कॉर्निया।
  • अंग प्रत्यारोपण के प्रकार
    • ऑटोग्राफ्ट (Autograft): एक ही व्यक्ति के शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में किसी अंग या ऊतक का प्रत्यारोपण।
    • एलोग्राफ्ट (Allograft): एक ही प्रजाति के दो आनुवंशिक रूप से असमान व्यक्तियों के बीच प्रत्यारोपण।
    • जेनोग्राफ्ट (Xenograft): विभिन्न प्रजातियों के बीच प्रत्यारोपण, जैसे कि जानवरों से मनुष्यों में (दुर्लभ और आमतौर पर प्रायोगिक)
  • दाता का प्रकार
    • जीवित दाता: किसी जीवित व्यक्ति, आमतौर पर किसी संबंधी या करीबी परिचित द्वारा दान किए गए अंग।
    • मृत दाता: ऐसे लोगों से प्राप्त अंग, जिन्हें ब्रेन डेड  घोषित कर दिया गया हो या जिनकी हृदयाघात से मृत्यु हो चुकी हो।

कानूनी और संस्थागत ढाँचा

मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994

  • अवलोकन: मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 भारत का एक प्रमुख कानून है, जो अवैध व्यापार और अनैतिक प्रथाओं को रोकने के लिए मानव अंगों और ऊतकों के दान तथा प्रत्यारोपण को नियंत्रित करता है।
  • उद्देश्य: इस अधिनियम का प्राथमिक लक्ष्य नैतिक प्रत्यारोपण सुनिश्चित करना, अंगदान को विनियमित करना, अंगों के व्यापार को रोकना और दाताओं एवं प्राप्तकर्ताओं, दोनों के लिए कानूनी सुरक्षा प्रदान करना है।
  • प्रमुख प्रावधान
    • वाणिज्यिक व्यापार का निषेध: यह अधिनियम अंगों की बिक्री पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगाता है, जिससे यह एक दंडनीय अपराध बन जाता है।
    • दाता की सहमति का विनियमन: कानून यह अनिवार्य करता है कि अंग प्राप्त करने से पहले दाता या उसके परिवार की सूचित सहमति आवश्यक है।
    • शव दान: यह अधिनियम ब्रेन डेड रोगियों से अंग दान की अनुमति देता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि अंग दान के लिए परिवार की सहमति प्राप्त हो।
      • ब्रेन डेड: इसे मस्तिष्क के सभी कार्यों की अपरिवर्तनीय क्षति के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें ब्रेन स्टेम भी शामिल है, जिससे व्यक्ति अंग दान के लिए पात्र हो जाता है।
    • दंड: अधिनियम में अंग तस्करी, धोखाधड़ी या अनैतिक प्रत्यारोपण में शामिल लोगों के लिए कारावास और जुर्माने सहित कठोर दंड का प्रावधान है।
  • वर्ष 2011 का संशोधन
    • संशोधन ने केवल “अंगों” संबंधी प्रावधान का विस्तार करते हुए “अंग और ऊतक” तक कर दिया, जिससे ऊतक प्रत्यारोपण (जैसे- कॉर्निया, त्वचा, आदि) विनियमन के दायरे में आ गया।
    • “निकटतम संबंधी” की परिभाषा का विस्तार करके इसमें दादा-दादी, नाती-पोते भी शामिल कर दिए गए।
    • इसने अंगों/ऊतकों की पुनर्प्राप्ति और प्रत्यारोपण के लिए पंजीकृत अस्पतालों में एक प्रत्यारोपण समन्वयक की नियुक्ति और ऊतक बैंकों के पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया।
  • नियामक प्राधिकरण
    • राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) और राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (SOTTO) देश भर में अंग दान के समन्वय, दाता रजिस्ट्री के प्रबंधन और नैतिक मानकों को लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं।

अंग प्रत्यारोपण तंत्र में एकरूपता की आवश्यकता

  • एकसमान व्यवस्था: सर्वोच्च न्यायालय ने भारत के सभी राज्यों में अंग प्रत्यारोपण के लिए लैंगिक, क्षेत्रीय और वर्ग की बाधाओं से मुक्त एक पारदर्शी और एकसमान व्यवस्था के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
  • सभी के लिए समान मानदंड: न्यायालय ने सभी व्यक्तियों के लिए अंग प्रत्यारोपण हेतु एकसमान मानदंड की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे अंगदान और प्रत्यारोपण प्रक्रियाओं में समानता सुनिश्चित हो सके।
  • दानदाताओं के लिए प्रत्यारोपणोत्तर देखभाल: न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि बहुमूल्य अंगदान करने वाले जीवित दानदाताओं की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए और उन्हें प्रत्यारोपणोत्तर उचित चिकित्सा देखभाल मिलनी चाहिए। कई दानदाताओं को अनुवर्ती देखभाल के बिना छोड़ दिया गया है, जिसकी न्यायालय ने निंदा की।

सर्वोच्च न्यायालय की प्रमुख टिप्पणियाँ

  • न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह आंध्र प्रदेश से मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 में वर्ष 2011 के संशोधन अपनाने की स्वीकृति प्राप्त करे, ताकि अंगदान और प्रत्यारोपण का अधिक प्रभावी नियमन सुनिश्चित हो सके।
  • राज्यों से नियम अपनाने का आग्रह: न्यायालय ने कर्नाटक, तमिलनाडु और मणिपुर से देश भर में अंग प्रत्यारोपण प्रक्रियाओं को मानकीकृत करने के लिए मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण नियम, 2014 को शीघ्र अपनाने का आग्रह किया।
  • राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम: न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह उन राज्यों में राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (SOTTO) स्थापित करे, जहाँ राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम के तहत SOTTO स्थापित नहीं हैं, जिसका उद्देश्य अंग प्रत्यारोपण सेवाओं का राष्ट्रव्यापी मानकीकरण करना है।
  • अंगदान ढाँचे को मजबूत करना
    • सरकार से मृत्यु पंजीकरण फॉर्म को संशोधित करने के लिए NOTTO से परामर्श करने को कहा गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनमें यह दर्ज करने का विकल्प शामिल हो कि परिवारों को अंगदान करने का विकल्प दिया गया था या नहीं।

न्यायालय के निर्देशों के निहितार्थ

  • अंग प्रत्यारोपण ढाँचे को मजबूत करना: राष्ट्रीय तंत्र के लिए न्यायालय का निर्देश यह सुनिश्चित करेगा कि अंग प्रत्यारोपण नीतियाँ और प्रक्रियाएँ एकरूप और न्यायसंगत हों, साथ ही दाताओं के अधिकारों और स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जाए।
  • दान के बाद बेहतर देखभाल: दाताओं के लिए अनुवर्ती देखभाल का आह्वान यह सुनिश्चित करेगा कि अंगदान करने वाले व्यक्तियों की दान प्रक्रिया के दौरान और उसके बाद भी उचित देखभाल की जाए।
  • स्थायी अंगदान प्रणाली: SOTTO की स्थापना और मृत्यु पंजीकरण प्रपत्रों में संशोधन से राष्ट्रीय अंगदान प्रणाली मजबूत होगी और संपूर्ण भारत में दाताओं के बीच जागरूकता बढ़ेगी।

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