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अंग प्रत्यारोपण डेटा

Lokesh Pal March 27, 2025 05:21 67 0

संदर्भ

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक परिपत्र में अस्पतालों द्वारा अंग प्रत्यारोपण गतिविधियों के आँकड़े उनके साथ साझा नहीं करने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।

परिपत्र के बारे में

  • राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (National Organ and Tissue Transplant Organisation-NOTTO) ने सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों को भेजे गए पत्र में अंग प्रत्यारोपण डेटा को अद्यतन करने में गैर-अनुपालन की जाँच के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने का आह्वान किया है। 
    • गैर-अनुपालन: कई पंजीकृत प्रत्यारोपण अस्पताल अंग प्रत्यारोपण गतिविधियों पर दैनिक और मासिक डेटा प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं और राष्ट्रीय प्रत्यारोपण रजिस्ट्री पर प्रत्यारोपण को पंजीकृत नहीं कर रहे हैं।
  • कानूनी प्रावधान: प्रत्यारोपण अस्पताल मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (Transplantation of Human Organs and Tissues Act-THOTA), 1994 की धारा 13D के प्रावधान का उल्लंघन कर रहे हैं, जिसके तहत NOTTO को राष्ट्रीय प्रत्यारोपण रजिस्ट्री की स्थापना और रखरखाव की वैधानिक जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो अंग और ऊतक प्रत्यारोपण गतिविधियों की निगरानी के लिए आवश्यक है।
  • डेटा संग्रह: केंद्र ने अस्पतालों और प्रत्यारोपण केंद्रों को मासिक आधार पर मृतक के साथ-साथ जीवित दाताओं एवं प्राप्तकर्ताओं से संबंधित व्यापक डेटा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
  • अद्यतन: NOTTO वेब पोर्टल पर अंग प्रत्यारोपण डेटा को नियमित रूप से ऑनलाइन अपडेट करना और प्रत्यारोपण प्रक्रिया के 48 घंटों के भीतर राष्ट्रीय प्रत्यारोपण रजिस्ट्री में जीवित प्रत्यारोपण के दाताओं एवं प्राप्तकर्ताओं दोनों को पंजीकृत करना अनिवार्य है।
  • प्राधिकरण: राज्य समुचित प्राधिकरण (State Appropriate Authority-SAA) राष्ट्रीय प्रत्यारोपण रजिस्ट्री के लिए अस्पतालों द्वारा डेटा के प्रावधान का अनुपालन सुनिश्चित करने और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार है।
    • अधिनियम के तहत उनके पास सिविल कोर्ट की शक्तियाँ हैं।

राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO)

  • नोडल मंत्रालय: यह स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत स्थापित एक राष्ट्रीय स्तर का संगठन है।
  • विभाग
    • राष्ट्रीय मानव अंग और ऊतक निष्कासन एवं भंडारण नेटवर्क: इसका कार्य देश में अंगों और ऊतकों की खरीद एवं वितरण तथा अंगों व ऊतकों के दान, प्रत्यारोपण की रजिस्ट्री के लिए समन्वयकारी नेटवर्क का निर्माण करना है।
    • राष्ट्रीय जैव सामग्री केंद्र (राष्ट्रीय ऊतक बैंक): यह ऊतक प्रत्यारोपण की माँगों को पूर्ण करने के लिए स्थापित किया गया है, जिसमें जैव सामग्री की खरीद, भंडारण और वितरण की गतिविधियाँ शामिल हैं। इसमें शामिल हैं:-
      • हड्डी और हड्डी के उत्पाद
      • त्वचा प्रत्यारोपण
      • कॉर्निया
      • हृदय वाल्व और वाहिकाएँ।
  • कार्य
    • विभिन्न कार्यों के लिए नीतिगत दिशा-निर्देश और प्रोटोकॉल निर्धारित करना।
    • अंग और ऊतक प्रत्यारोपण गतिविधियों की निगरानी के लिए आवश्यक राष्ट्रीय प्रत्यारोपण रजिस्ट्री की स्थापना और रखरखाव करना इसकी वैधानिक जिम्मेदारी है।
    • जागरूकता उत्पन्न करना, अंग दान और प्रत्यारोपण गतिविधियों को बढ़ावा देना।
    • सभी संबंधित संगठनों, अस्पतालों और व्यक्तियों को सूचना का प्रसार करना।
    • क्षेत्रों एवं राज्यों में प्रत्यारोपण गतिविधियों की निगरानी करना और इस संबंध में डेटा-बैंक की स्थापना करना।

अंग और ऊतक प्रत्यारोपण के बारे में

  • अंग दान एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें किसी जीवित प्राप्तकर्ता को अंग या जैविक ऊतक दान किया जाता है, जिसे प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है।
  • प्रकार: अंग दान दो प्रकार के होते हैं:-
    • जीवित दाता अंग दान: एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में एक किडनी, अग्न्याशय का एक हिस्सा और यकृत का एक हिस्सा दान कर सकता है।
    • मृत दाता अंग दान: एक व्यक्ति (ब्रेन-स्टेम/हृदय) मृत्यु के बाद कई अंग और ऊतक दान कर सकता है। उसका अंग किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में जीवित रहता है।
  • अंग प्रत्यारोपण: यह एक व्यक्ति से किसी अंग को शल्य चिकित्सा द्वारा निकालकर दूसरे व्यक्ति में लगाने की क्रिया है। प्रत्यारोपण की आवश्यकता तब होती है, जब प्राप्तकर्ता का अंग कार्य करना बंद कर देता है या बीमारी अथवा चोट के कारण क्षतिग्रस्त हो जाता है।
  • आँकड़े
    • दानदाताओं की संख्या: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, दानदाताओं (मृतकों सहित) की संख्या वर्ष 2014 में 6,916 से बढ़कर वर्ष 2022 में लगभग 16,041 हो गई है।
      • भारत में सभी दानदाताओं में से 85% जीवित दानकर्ता हैं।
    • भारत में प्रत्येक वर्ष 17,000-18,000 ठोस अंग प्रत्यारोपण किए जाते हैं, जो अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है। 
    • भारत में प्रति मिलियन जनसंख्या पर प्रत्यारोपण दर केवल 0.65 है, जो कई उच्च आय वाले देशों से पीछे है। 
    • प्रति दाता अंग प्रत्यारोपण: प्रति दाता अंग प्रत्यारोपण की औसत संख्या वर्ष 2016 में 2.43 से बढ़कर वर्ष 2022 में 3.05 हो गई है। 
    • प्रतीक्षा सूची: देश में प्रत्येक 10 मिनट में एक व्यक्ति प्रतीक्षा सूची में जुड़ जाता है, जिसमें तीन लाख से अधिक मरीज शामिल हैं और प्रत्येक दिन कम-से-कम 20 लोगों की अंग न मिल पाने के कारण मृत्यु हो जाती है।
    • सबसे अधिक प्रत्यारोपित अंग: भारत में किडनी सबसे अधिक प्रत्यारोपित किया जाने वाला अंग है, जिसमें प्रत्येक वर्ष लगभग 11,243 प्रत्यारोपण किए जाते हैं, जबकि प्रत्येक वर्ष अनुमानित 2,00,000 गुर्दे विफलता की घटनाओं के कारण मांग उत्पन्न होती है।
  • विधान एवं नियम
    • मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (THOTA), 1994: यह चिकित्सीय प्रयोजनों के लिए मानव अंगों एवं ऊतकों के निष्कासन, भंडारण एवं प्रत्यारोपण के विनियमन तथा मानव अंगों एवं ऊतकों में वाणिज्यिक लेन-देन की रोकथाम के लिए प्रावधान करता है।
      • यह कानून जीवित दाताओं और शवों (हृदय या ब्रेन स्टेम मृत्यु के बाद) से मानव अंगों और ऊतकों के प्रत्यारोपण की अनुमति देता है।
      •  प्रत्यारोपण गतिविधियों की निगरानी के लिए विनियामक और सलाहकार निकायों के गठन को परिभाषित करना।
    • राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO)-ID: अंग प्रत्यारोपण के सभी मामलों में दाता और प्राप्तकर्ता दोनों के लिए एक अद्वितीय (NOTTO)-ID आवंटित की जाएगी, जिसे अस्पताल द्वारा तैयार किया जाएगा।
      • यह निर्देश अंगों के वाणिज्यिक लेन-देन को समाप्त करने के लिए जारी किया गया है, विशेष रूप से विदेशी नागरिकों से जुड़े लेन-देन को।
  • चुनौतियाँ
    • जन जागरूकता एवं शिक्षा में कमी: भारत में अंगदान की प्रक्रिया और इसकी आवश्यकता के बारे में जागरूकता की सामान्य कमी है।
    • सार्वजनिक पूर्वाग्रह: प्रचलित धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ तथा मूल्य अक्सर अंगदान को रोकते हैं क्योंकि वे मृत्यु के बाद शरीर की पवित्रता में किसी भी तरह के बदलाव को हतोत्साहित करते हैं तथा इस प्रक्रिया के बारे में भी भय उत्पन्न करते हैं।
    • व्यावसायिक शोषण: अंग तस्करी एक व्यापक समस्या है, जो वित्तीय लाभ के लिए सहमति के बिना अंगों के अवैध निष्कासन के बारे में भय उत्पन्न करती है।
    • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा एवं संसाधन: विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अंग प्रत्यारोपण करने के लिए पर्याप्त अस्पताल या प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं हैं। इसके अलावा उपयुक्त रसद सुविधाओं की कमी के कारण परिवहन और भंडारण की चुनौतियाँ भी हैं।
    • प्रशिक्षित कर्मियों की कमी: प्रशिक्षित प्रत्यारोपण समन्वयकों और अन्य चिकित्सा पेशेवरों की कमी है, जो संभावित दाताओं की पहचान कर सकें तथा दान प्रक्रिया को सुविधाजनक बना सकें।

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