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भारत में आउटडोर विज्ञापन

Lokesh Pal May 23, 2024 12:45 113 0

संदर्भ

हाल ही में मुंबई के घाटकोपर में व्यापक धूल भरी आँधी के कारण एक विशाल आउटडोर होर्डिंग/बिलबोर्ड गिर गया, जिसमें कई लोगों की मृत्यु हो गई।

होर्डिंग गिरने की हालिया घटना

  • पुणे-सोलापुर राजमार्ग पर वर्षा के कारण एक होर्डिंग गिर गया। 
  • मई 2023 में, पुणे में एक अनधिकृत होर्डिंग गिर गया। 
  • जून 2023 में, तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में एक विशाल होर्डिंग गिर गया

इस तरह की होर्डिंग गिरने की दुर्घटनाओं के पीछे कारण

  • आयामों का उल्लंघन: यद्यपि नीतियों में होर्डिंग्स के लिए अधिकतम आयामों का प्रावधान है, फिर भी कई शहरों में ऐसे बिलबोर्ड हैं, जो स्वीकार्य आकार से कहीं अधिक बड़े हैं।
    • अनुमत आकार से 9 गुना बड़ा होर्डिंग तब तक लगा रहने दिया गया, जब तक कि वह गिर नहीं गया, यह BMC की ओर से निगरानी की कमी को दर्शाता है।

    • भारत के विभिन्न शहरों में आउटडोर विज्ञापन नीतियों की समीक्षा से पता चलता है कि इन नीतियों में अवैध होर्डिंग के विरुद्ध समयबद्ध कार्रवाई के संबंध में बहुत कम प्रावधान हैं।
  • सक्रियता का अभाव: मुंबई की वेधशाला से प्राप्त जानकारी से पता चलता है कि जिस समय बिलबोर्ड गिरा, उस समय हवा की गति खतरनाक स्तर की थी।
  • प्रवर्तन का अभाव: नीतियों और दिशा-निर्देशों में आउटडोर विज्ञापन अवसंरचना के लिए सुरक्षा आवश्यकताओं को निर्धारित किया गया है, लेकिन इन मानकों के आवधिक प्रवर्तन की अनदेखी की जाती है।
    • दो प्रमुख मुद्दे हैं, जो नगर निगमों द्वारा विज्ञापन विनियमों के प्रवर्तन में बाधा डालते हैं:
      • पारदर्शिता की कमी और अनिरंतर प्रवर्तन।
      • होर्डिंग्स के लिए परमिट का कोई सार्वजनिक डेटाबेस नहीं है, जो प्रवर्तन में पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है।

  • चरम मौसम (Extreme Weather): मुंबई में होर्डिंग गिरने की घटना, कमजोर बुनियादी ढाँचे की चरम मौसमी घटनाओं, जैसे चक्रवात और धूल भरी आँधी के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाती है।
    • जलवायु परिवर्तन के कारण अरब सागर में चक्रवातों की तीव्रता बढ़ रही है, जिससे ऐसी घटनाओं की आवृत्ति एवं गंभीरता बढ़ रही है।
    • जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र के अनुसार, पिछले चार दशकों में अरब सागर में चक्रवातों की तीव्रता में 20%-40% की वृद्धि हुई है।
  • अन्य
    • नगरपालिकाओं में बिना लाइसेंस वाले होर्डिंग्स की गणना करने, अधिकृत होर्डिंग्स का समय-समय पर निरीक्षण करने और अस्थिर या अवैध होर्डिंग्स के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए जनशक्ति की कमी है।
    • राजनीतिक नेता, फ्लेक्स बैनर और रोशनी वाले कट-आउट पर अपने बड़े-से-बड़े प्रोजेक्शन को बढ़ावा देते हैं।
      • इन सभी कारणों से बिलबोर्ड की कानूनी और सभी मौसमों में संरचनात्मक स्थिरता की आवश्यकताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।
      • इसके अलावा, अपर्याप्त संरचना वाले विशाल होर्डिंग्स विशेष रूप से राजमार्गों और शहरी सड़कों के किनारे आधुनिक डिस्प्ले के साथ मौजूद हैं।

आउटडोर विज्ञापन के बारे में

  • आउटडोर विज्ञापन उपभोक्ताओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए व्यवसाय के उत्पादों और सेवाओं का प्रचार है, जब वे बाहर होते हैं।
    • इसे आउट-ऑफ-होम (Out-Of-Home) विज्ञापन के रूप में भी जाना जाता है।
    • यह एक प्रभावी रणनीति है, जिसका उपयोग संगठन अपने व्यवसायों को मौजूदा और संभावित ग्राहकों तक पहुँचाने के लिए करते हैं।
  • वर्गीकरण: आउटडोर विज्ञापन के कई अलग-अलग प्रकार हैं और उन्हें मोटे तौर पर चार मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
    • होर्डिंग: इन्हें बिलबोर्ड के रूप में भी जाना जाता है, आमतौर पर सबसे अधिक संख्या में ड्राइवरों और पैदल चलने वालों का ध्यान आकर्षित करने के लिए राजमार्गों या शॉपिंग मॉल के पास जैसे उच्च यातायात वाले क्षेत्रों में लगाए जाते हैं।
      • यह ब्रांड जागरूकता उत्पन्न करने और उसे बढ़ाने में प्रभावी है क्योंकि विज्ञापन हमेशा (24×7) दिखाई देता है।
      • भारत में इसकी कीमत का कोई मानक मूल्य निर्धारण नहीं है और यह पूरी तरह से स्थान एवं आकार पर निर्भर करता है।
    • स्ट्रीट फर्नीचर विज्ञापन: इस प्रकार के आउटडोर विज्ञापन को स्ट्रीट-लेवल शहरी मीडिया के रूप में जाना जाता है, इसे पैदल चलने वालों की आँखों के स्तर पर लगाया जाता है और यह पैदल चलने वालों के साथ-साथ यात्रियों का भी ध्यान आकर्षित कर सकता है।
      • इसमें न्यूज रैक, मॉल कियोस्क, एटीएम कियोस्क, पार्क बेंच और टेलीफोन बूथ शामिल हैं।
    • ट्रांजिट विज्ञापन: यह सार्वजनिक परिवहन के साधनों जैसे बस शेल्टर, हवाई अड्डे, पेट्रोल पंप, ट्रेन ब्रांडिंग और ट्रेन स्टेशनों के अंदर या उन पर लगाए जाने वाले सभी प्रकार के विज्ञापनों को संदर्भित करता है।
    • वैकल्पिक/गैर-पारंपरिक आउटडोर विज्ञापन: इसके अलावा, कई वैकल्पिक/गैर-पारंपरिक आउटडोर मीडिया विकल्प भी लगातार बढ़ रहे हैं, जैसे कि वॉकिंग बिलबोर्ड, पोल कियोस्क, हॉट-एयर बैलून, सेलबोट और मॉल विज्ञापन।
  • अनुकूल कारक: आगामी हवाई अड्डों, स्मार्ट सिटी परियोजनाओं, मॉल, मेट्रो, बस शेल्टर, सार्वजनिक सुविधाएँ और कॉफी शॉप सहित बुनियादी ढाँचे में तेजी से विकास, साथ ही टियर II और टियर III शहरों में विज्ञापन के अवसरों में वृद्धि भारत में आउटडोर विज्ञापन बाजार का प्रमुख चालक है।
    • दिवाली, IPL, चुनाव आदि जैसे आयोजनों के दौरान आउटडोर मीडिया प्रचार की माँग बढ़ जाती है।
  • महत्त्व: विज्ञापन उद्योग मीडिया और मनोरंजन उद्योग के सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। अपने प्रकारों में, आउटडोर विज्ञापन भारत के विज्ञापन क्षेत्र में सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्रों में से एक रहा है।
  • चुनौतियाँ: भारतीय आउटडोर विज्ञापन बाजार को मजबूत निगरानी प्रणालियों की कमी, मीडिया की असंगठित प्रकृति, आउटडोर विज्ञापन की प्रभावशीलता को साबित करने के लिए ठोस अनुसंधान की कमी, पारदर्शिता की कमी और बाजार का व्यापक विखंडन जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

भारत में प्रवर्तन तंत्र

  • लाइसेंस जारी करना: स्थानीय निकाय, विज्ञापन होर्डिंग के लिए लाइसेंस जारी करते हैं, जिसके लिए कार्यकारी प्राधिकारी से अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
  • मुंबई नगर निगम (MMC) अधिनियम, 1888: MMC अधिनियम, 1888, विशेष रूप से धारा 328A, ऐसी संरचनाओं के लिए नगर आयुक्त से लिखित अनुमति अनिवार्य करता है।
    • विज्ञापन प्रदर्शन हेतु वर्ष 2018 नीति दिशा-निर्देशों के अनुसार होर्डिंग्स के लिए पंजीकृत इंजीनियर से संरचनात्मक स्थिरता प्रमाणीकरण की आवश्यकता होती है।
  • दिल्ली आउटडोर विज्ञापन नीति, 2017: इसके अनुसार गैर-अनुपालन वाले विज्ञापनों के मालिकों को एक निश्चित समय के भीतर संरचना को हटाने के लिए कहा जाएगा अन्यथा उन्हें नगर निगम प्राधिकारी द्वारा हटा दिया जाएगा।

भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के बारे में

  • स्थापना: भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016 के तहत स्थापित, यह 12 अक्टूबर, 2017 को प्रभावी हुआ। यह अधिनियम मूल रूप से वर्ष 1986 में अधिनियमित किया गया था।
    • BIS को पहले भारतीय मानक संस्थान (ISI) कहा जाता था, जिसे उद्योग विभाग के संकल्प के तहत स्थापित किया गया था और सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत किया गया था।
  • संरचना: BIS में केंद्र या राज्य सरकारों, उद्योग, वैज्ञानिक और अनुसंधान संस्थानों तथा उपभोक्ता समूहों से लिए गए 25 सदस्य होते हैं।
    • BIS का प्रशासनिक नियंत्रण रखने वाले मंत्रालय या विभाग के प्रभारी मंत्री BIS के पदेन अध्यक्ष होते हैं।
  • मुख्यालय: BIS का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है, जिसके क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता, चेन्नई, मुंबई, चंडीगढ़ और दिल्ली में हैं।

    • यह सड़क यातायात के लिए खतरा उत्पन्न करने वाले अनधिकृत उपकरणों को स्वतः हटाने की भी अनुमति देता है।
  • बृहत बेंगलूरू महानगरपालिका  विज्ञापन नियम, 2021: यह एक अधिक व्यापक प्रवर्तन व्यवस्था है, लेकिन जन असहयोग के कारण इसे वापस ले लिया गया।
    • नियमों ने मुख्य आयुक्त को अनधिकृत होर्डिंग्स हटाने की शक्ति प्रदान की और अनुपालन प्रवर्तन तथा अनधिकृत विज्ञापनों को हटाने की निगरानी के लिए एक विज्ञापन नियामक समिति का गठन किया।
  • तमिलनाडु शहरी स्थानीय निकाय नियम, 2023: इसके तहत संबंधित नगर निगम अधिकारियों को प्रत्येक तीन महीने में होर्डिंग्स के लाइसेंस की समीक्षा करनी होगी और शहरी स्थानीय निकाय के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को तिमाही रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
  • तकनीकी मानक और निरीक्षण: भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) IS875, भाग 3 के तहत होर्डिंग्स पर वायु के भार के लिए विनिर्देश प्रदान करता है।
    • इसमें पवन-मुखी संरचनाओं के लिए बल गुणांक की गणना के सूत्र शामिल हैं।

भारत में शहरी शासन से संबंधित मुद्दे

  • शक्ति हस्तांतरण: 74वें संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत राज्य सरकारों को भूमि उपयोग विनियमन सहित 18 कार्यों को नगरपालिकाओं को हस्तांतरित करने की आवश्यकता है।
    • लेकिन वर्ष 2021 की नीति आयोग की रिपोर्ट सहित कई अध्ययनों से पता चला है कि किसी भी राज्य सरकार ने सभी 18 कार्यों को नगर निकायों को नहीं सौंपा है।
  • अधिकार क्षेत्रों का अतिव्यापन: शहरी स्थानीय निकाय अक्सर अन्य राज्य एजेंसियों के साथ अधिकार क्षेत्रों के अतिव्यापन के कारण सीमित हो जाते हैं, जिससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है और जवाबदेही में बदलाव होता है।
    • उदाहरण: शहर की नगरपालिका , DDA और PWD के बीच सड़क रखरखाव को लेकर काफी असमंजस की स्थिति है।
      • अधिकांश शहरों में आग लगने की दुर्घटनाओं के बाद सरकारी एजेंसियाँ ​​एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल देती हैं, ठीक उसी तरह जैसे घाटकोपर त्रासदी के लिए BMC और GRP जिम्मेदारी से बचते हैं।
  • नियमित नागरिक चुनाव आयोजित करना: 74वें संशोधन अधिनियम का एक मूल उद्देश्य यह था कि नागरिक अपनी नागरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पार्षदों यानी ‘प्रथम-मील’ प्रतिनिधियों से संचार करेंगे। लेकिन BMC के निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल लगभग दो वर्ष पहले समाप्त हो गया।
    • वर्तमान में गंभीर जल संकट का सामना कर रहे बेंगलूरू में निर्वाचित पार्षद नहीं हैं।
    • राज्य सरकारों द्वारा नगर निकाय चुनाव कराने में विफलता सुरेश महाजन मामले (2022) में उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के विरुद्ध है।
      • उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग (SEC) यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य हैं कि निवर्तमान परिषद के पाँच वर्ष के कार्यकाल की समाप्ति से पहले सभी नगरपालिकाओं में नव निर्वाचित निकाय स्थापित हो जाएँ।

आगे की राह

  • नगरपालिका प्राधिकारियों की भूमिका: नगरपालिका प्राधिकारियों को अवैध आउटडोर विज्ञापनों को हटाने में अपनी भूमिका को सक्रिय रूप से पहचानने तथा अनधिकृत विज्ञापन संरचनाओं की पहचान करने की जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता है।
    • नगर निकायों को केवल न्यायालय के आदेश या दुखद घटनाओं के जवाब में कार्रवाई करने के बजाय सक्रिय प्रवर्तन तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है।
  • अंतर-विभागीय निकायों की नियुक्ति: अंतर-विभागीय निकायों की नियुक्ति के माध्यम से, यह आउटडोर विज्ञापनों का समय-समय पर जोनल या वार्ड आधारित निरीक्षण करके अनधिकृत होर्डिंग्स की जाँच कर सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे कानून में निर्धारित मानकों को पूरा करते हैं।
  • अनिवार्य निरीक्षण: आवधिक निरीक्षण नगरपालिका प्राधिकरण की विवेकाधीन शक्ति के बजाय अनिवार्य होना चाहिए। अंतर-विभागीय निकायों की नियुक्ति इस अनिवार्य आवधिक निरीक्षण को प्राप्त करने में मदद करेगी।
  • संबंधित कार्मिक: ऐसे प्रवर्तन और निगरानी निकायों में यातायात विभाग के प्रासंगिक कार्मिकों के साथ-साथ निगमों के क्षेत्रीय या वार्ड-स्तरीय अधिकारी और विभागीय सुरक्षा इंजीनियर शामिल हो सकते हैं।
  • पहचान और प्रवर्तन: अनधिकृत होर्डिंग्स में न केवल टिकाऊ इंस्टॉलेशन शामिल हैं, बल्कि अनधिकृत बैनर और फ्लेक्स भी सम्मिलित हैं, जो अस्थायी होने के बावजूद भी एक महत्त्वपूर्ण सुरक्षा जोखिम उत्पन्न करते हैं।
    • पारदर्शिता के लिए, विज्ञापन नीतियों में स्पष्ट रूप से वह प्रक्रिया बताई जानी चाहिए, जिसके माध्यम से अवैध विज्ञापनों के विरुद्ध शिकायत की जा सकती है और कार्रवाई की जानी चाहिए।
    • अंतरालीय प्रवर्तन के लिए, एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता है, जो अनधिकृत होर्डिंग्स को तुरंत हटाना सुनिश्चित करे।
  • कार्रवाई का तरीका तय करना: शहर स्तर की नीतियों या उपनियमों में यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि अनधिकृत होर्डिंग्स की पहचान के बाद निगम अधिकारियों द्वारा क्या कार्रवाई की जानी चाहिए।
    • शिकायतों के बावजूद अवैध संरचनाओं को हटाने में विफल रहने वाले अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई की जानी चाहिए।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग के माध्यम से अनुपालन की निगरानी की जा सकती है, जैसे कि सभी अधिकृत होर्डिंग्स पर क्यूआर कोड लगाना।
    • निगमों को ऐसे प्लेटफॉर्म और तंत्र बनाने की ओर भी ध्यान देना चाहिए, जिनके माध्यम से नागरिक, उल्लंघनों की रिपोर्ट कर सकें।
    • डिजिटल बोर्ड अलग-अलग विज्ञापनदाताओं को संदेश दिखाने के लिए एक ही स्क्रीन का उपयोग करने के लिए प्रदर्शित करते हैं।
  • दस्तावेजीकरण: अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों ने बताया है कि होर्डिंग सड़कों पर खतरनाक विकर्षण हैं क्योंकि वे ड्राइवर के प्रतिक्रिया समय, वाहन नियंत्रण और स्थितिजन्य जागरूकता को प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस तरह के विकर्षणों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को भारत में सड़क दुर्घटनाओं की वार्षिक रिपोर्ट में प्रलेखित किया जाना चाहिए।
  • स्थायित्व: पर्यावरणीय समझ आउटडोर विज्ञापन को प्रभावित कर रही है। अपने आउटडोर अभियानों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए अधिक पर्यावरण-अनुकूल सामग्री, ऊर्जा-कुशल प्रकाश व्यवस्था और संधारणीय प्रथाओं का पता लगाने की आवश्यकता है।
    • बिलबोर्ड लगाने के लिए, यह समझने हेतु उचित अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है कि क्या संरचना हवा के भार को सहन करने में सक्षम होगी जब होर्डिंग उन पर लगाए जाएँगे।
    • शहरों को बढ़ती चरम मौसमी घटनाओं के मद्देनजर बड़ी बाहरी संरचनाओं की सुरक्षा का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।

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