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बृहस्पति के चंद्रमा कैलिस्टो पर ओजोन

Lokesh Pal April 03, 2024 06:11 246 0

संदर्भ

हाल ही में जर्नल इकारस (Journal Icarus) में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने बृहस्पति के चंद्रमा कैलिस्टो (Moon Callisto) पर ओजोन की उपस्थिति का संकेत देने वाले कुछ साक्ष्य खोजे हैं।

संबंधित तथ्य

  • वैज्ञानिक वर्तमान में सौर मंडल में विभिन्न खगोलीय पिंडों का अध्ययन कर रहे हैं, जो ओजोन के संकेत देते हैं, जो स्थिर वायुमंडलीय स्थितियों के अस्तित्व को दर्शाते हैं।
  • कैलिस्टो की सतह पर सल्फर डाइऑक्साइड की खोज ने वैज्ञानिकों की इस टीम को चंद्रमा की सतह की संरचना एवं गठन की बेहतर समझ हासिल करने के लिए स्पेक्ट्रोस्कोपिक अवलोकन करने हेतु प्रोत्साहित किया है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • ओजोन का गठन: यह अध्ययन ‘SO2 एस्ट्रोकेमिकल आइस’ (SO2 Astrochemical Ice) के रासायनिक विकास में शोधकर्ताओं की जाँच की रूपरेखा तैयार करता है, जो पराबैंगनी विकिरण की उपस्थिति में मुख्य रूप से सल्फर डाइऑक्साइड (S02) से बनी बर्फ है।
    • यह कैलिस्टो की सतह पर रासायनिक प्रक्रियाओं एवं संरचना पर प्रकाश डालता है।
  • विकिरणित बर्फ के नमूनों के UV अवशोषण स्पेक्ट्रा के डेटा का विश्लेषण करके, टीम ओजोन के गठन का संकेत देने वाले एक विशिष्ट चिह्नों की पहचान करने में सक्षम थी।
  • ओजोन के अलावा, शोधकर्ताओं ने अवशोषण स्पेक्ट्रम में एक अज्ञात बैंड देखा [जैसा कि वर्ष 1996 में गेनीमेड (Ganymede) पर देखा गया था], जो उनकी सतही संरचनाओं में एक सामान्य आणविक स्रोत की ओर इंगित करता है।


  • पुष्टि: शोधकर्ताओं ने अपने प्रायोगिक डेटा की तुलना हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) द्वारा एकत्र किए गए डेटा से की, जिसने वर्ष 1997 में कैलिस्टो की सतह पर सल्फर डाइऑक्साइड एवं ओजोन की उपस्थिति के भी प्रमाण दिए थे।

आयोजित प्रयोग के बारे में

  • आयोजन स्थल: यह प्रयोग ताइवान में राष्ट्रीय सिंक्रोट्रॉन विकिरण अनुसंधान केंद्र (National Synchrotron Radiation Research Centre- NSRCC) में आयोजित किए गए, जिसने सूर्य से आने वाले विकिरण के पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक उच्च-ऊर्जा विकिरण स्रोतों तक पहुँच प्रदान की।
  • पृथ्वी पर स्थितियों का पुनर्निर्माण: परमाणु, आणविक और ऑप्टिकल भौतिकी प्रभाग, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद के वैज्ञानिको ने विकिरण जिससे ओजोन का निर्माण हुआ, के तहत सल्फर डाइऑक्साइड बर्फ के रासायनिक विकास की जाँच की
    • वैज्ञानिकों ने सबसे पहले प्रयोगशाला में किए गए प्रयोगों में इस प्रक्रिया का प्रदर्शन किया है।
  • वैक्यूम पराबैंगनी फोटॉन (Vacuum Ultraviolet Photons) का उपयोग: ओजोन निर्माणकारी स्थितियों को पुनः स्थापित करने के लिए, शोधकर्ताओं ने वैक्यूम पराबैंगनी फोटॉन का उपयोग किया, जो चंद्रमा की सतह तक पहुँचने वाले सौर विकिरण की नकल करते हैं।

प्रयोग 

  • पर्यावरण का पुनर्निर्माण: शोधकर्ताओं ने लीथियम फ्लोराइड के एक सब्सट्रेट को बहुत कम दबाव (बाह्य अंतरिक्ष में पाए जाने वाले वातावरण के समान) वाले एक कक्ष में रखा।
    • नमूनों को शुरू में कैलिस्टो की सतह की स्थितियों के अनुरूप, लगभग 9 K (-264.15 डिग्री C) के कम तापमान पर रखा गया था। फिर उन्होंने विभिन्न पर्यावरणीय परिदृश्यों के अनुरूप इसे धीरे-धीरे 120 K तक गर्म किया।
  • इस प्रक्रिया में, उन्होंने बर्फ को वैक्यूम-पराबैंगनी फोटॉन (तरंग दैर्ध्य 137.7 नैनोमीटर) के साथ विकिरणित किया एवं एक फोटोमल्टीप्लायर ट्यूब डिटेक्टर का उपयोग करके विकिरण के दौरान तथा बाद में इसके पराबैंगनी अवशोषण स्पेक्ट्रम को रिकॉर्ड किया।
    • फोटोमल्टीप्लायर ट्यूब डिटेक्टर (Photomultiplier Tube Detector) फोटॉन को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करके विद्युत चुंबकीय विकिरण के निम्न स्तर को मापता है।
  • नमूनों का जमाव: सल्फर डाइऑक्साइड बर्फ के नमूनों को सब्सट्रेट पर जमा किया गया, जिससे अंतिम चरण (अवशोषण स्पेक्ट्रम का अवलोकन) के लिए प्लेटफॉर्म तैयार किया गया।
  • अवलोकन: अवशोषण स्पेक्ट्रम किसी पदार्थ का अद्वितीय फिंगरप्रिंट है। यह प्रकाश की तरंगदैर्ध्य को अवशोषित करता है, जो इसकी संरचना एवं गुणों में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

  • ओजोन का महत्त्व: यह हानिकारक सौर विकिरणों से पृथ्वी पर जीवों की रक्षा करता है। ओजोन परत पृथ्वी के वायुमंडल का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह पराबैंगनी B एवं पराबैंगनी C विकिरण को पूरी तरह से अवशोषित करती है।
    • सूर्य का प्रकाश विकिरण: सूर्य से होने वाले सभी उत्सर्जन अच्छे नहीं होते हैं। विशेष रूप से पराबैंगनी विकिरण कई प्रजातियों के लिए हानिकारक है (लेकिन कुछ अन्य के लिए उपयोगी भी है)।
    • हानिकारक घटक: इसके दो घटक, जिन्हें पराबैंगनी B एवं पराबैंगनी C कहा जाता है, क्रमशः 290-320 नैनोमीटर तथा 100-280 नैनोमीटर तरंगदैर्ध्य के होते हैं, DNA को नुकसान पहुँचा सकते हैं, उत्परिवर्तन को ट्रिगर कर सकते हैं एवं मनुष्यों में त्वचा कैंसर तथा मोतियाबिंद का खतरा बढ़ा सकते हैं।
    • पराबैंगनी प्रकाश को पौधों के विकास को बाधित करने एवं विभिन्न जीवों पर हानिकारक प्रभाव डालने के लिए भी जाना जाता है।

कैलिस्टो (Callisto) के बारे में

  • बृहस्पति का एक चंद्रमा: शनि के बाद, बृहस्पति के पास सौर मंडल में सबसे अधिक चंद्रमा हैं। कैलिस्टो बृहस्पति के सबसे बड़े चंद्रमाओं में से एक है एवं गेनीमेड (Ganymede) और टाइटन (Titan) के बाद सौर मंडल का तीसरा सबसे बड़ा चंद्रमा है।
  • संरचना: कैलिस्टो मुख्य रूप से जल की बर्फ, चट्टानी सामग्री, सल्फर डाइऑक्साइड एवं कुछ कार्बनिक यौगिकों से मिलकर बना है।
  • गड्ढों वाली सतह: कैलिस्टो की सतह पर भारी गड्ढे हैं, जो क्षुद्रग्रहों एवं धूमकेतुओं से टकराने के एक लंबे इतिहास का संकेत देता है।
    • इसमें बृहस्पति के कुछ अन्य चंद्रमाओं, जैसे कि आयो (Io) एवं यूरोपा (Europa), पर देखी गई व्यापक भूकंपीय गतिविधियों का भी अभाव है।
  • भू-वैज्ञानिक रूप से निष्क्रिय: अपेक्षाकृत कम भू-वैज्ञानिक विशेषताओं की उपस्थिति से पता चलता है कि कैलिस्टो की सतह भू-वैज्ञानिक रूप से निष्क्रिय है।
    • इसका मतलब है कि इसकी सतह लंबे समय तक अपेक्षाकृत स्थिर रहने की संभावना है।
    • महत्त्व: यह स्थिरता किसी भी उपसतह महासागर या बर्फीली परत के नीचे संभावित आवासों को संरक्षित करने के लिए महत्त्वपूर्ण हो सकती है।

ओजोन एवं इसके महत्त्व के बारे में

  • शामिल: ओजोन अणु एक साथ बँधे तीन ऑक्सीजन परमाणुओं से बना है।
  • महत्त्व: पृथ्वी के समताप मंडल के निचले हिस्से में, जमीन से लगभग 15-35 किमी. ऊपर पाई जाने वाली ओजोन परत एक ढाल के रूप में कार्य करती है।
    • ओजोन परत के बिना, पृथ्वी की सतह पर पराबैंगनी विकिरण का स्तर बहुत अधिक होगा, जिससे यह कई प्रजातियों के लिए निर्जन हो जाएगा एवं पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करेगा।

कैलिस्टो पर ओजोन की खोज का महत्त्व

  • ऑक्सीजन की उपस्थिति: कैलिस्टो पर ओजोन की खोज से ऑक्सीजन की उपस्थिति का पता चलता है, जो जीवन के लिए आवश्यक अमीनो एसिड जैसे जटिल अणुओं के निर्माण के लिए एक मौलिक तत्त्व है
    • यह हमारे सौर मंडल के अन्य बर्फीले चंद्रमाओं तक फैला हुआ है, जो संभावित रूप से पृथ्वी से परे रहने योग्य स्थितियों के बारे में हमारी समझ को सूचित करता है।
  • भू-वैज्ञानिक एवं वायुमंडलीय प्रक्रियाओं में मूल्यवान अंतर्दृष्टि: यह खोज इन चंद्रमाओं पर भू-वैज्ञानिक एवं वायुमंडलीय प्रक्रियाओं में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती है।
    • यह हमें उन सटीक तंत्रों को समझने में मदद कर सकता है, जिनके कारण बृहस्पति तथा उसके चंद्रमाओं का निर्माण हुआ।

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