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पाकिस्तान के चुनाव: भारत के लिए निहितार्थ

Lokesh Pal February 14, 2024 11:10 106 0

संदर्भ 

पाकिस्तान के चुनाव परिणामों ने वहाँ के राजनीतिक संकट को और गहरा कर दिया है, इस संकट का देश के नागरिक-सैन्य संबंधों, लोकतंत्र तथा अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ने की भी आशंका है।

संबंधित तथ्य

  • वर्ष 2024 का चुनाव परिणाम: इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (Pakistan Tehreek-e-Insaf-PTI) द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने बड़ी संख्या में जीत हासिल की हैं, खैबर पख्तूनख्वा प्रांतीय विधानसभा में भी इसे पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ है और पाकिस्तान की पंजाब प्रांतीय विधानसभा में भी यह बहुमत के करीब तक पहुँच गई।
  • गठबंधन सरकार: पाकिस्तान के चुनावों में किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए नेशनल असेंबली में पर्याप्त सीटें नहीं मिली है।
  • पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने नवाज शरीफ के गठबंधन सरकार बनाने के आह्वान का समर्थन किया है। रिपोर्टों के अनुसार, शरीफ पीपुल्स पार्टी ऑफ पाकिस्तान (Peoples Party of Pakistan-PPP) के साथ गठबंधन बनाने के लिए वार्ता कर रहे हैं।
  • चुनावी परिणाम के निहितार्थ: यह राजनीतिक संकट को और गहरा कर सकता है तथा ये चिंताएँ भारत और अन्य देशों के साथ पाकिस्तान के संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं।
    • पर्यवेक्षकों ने तर्क दिया था कि यदि नवाज शरीफ सत्ता में लौटते हैं, तो भारत के साथ काम करने के लिए उनके दृष्टिकोण को देखते हुए, भारत-पाकिस्तान संबंधों में कुछ सकारात्मक सुधारों का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
    • इमरान खान की सत्ता में वापसी एक मिश्रित परिणाम हो सकते है क्योंकि उनकी सरकार ने वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के बाद भारत के साथ राजनयिक सहयोग को कम कर दिया था।
  • सेना का ऐतिहासिक प्रभाव: परंपरागत रूप से, पाकिस्तान की सेना ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देश की राजनीतिक व्यवस्था पर अपना हस्तक्षेप बनाए रखा है।
  • इमरान खान की बढ़ती राजनीतिक स्वायत्तता और सेना के साथ टकराव के कारण दोनों के बीच सत्ता के लिये संघर्ष बढ़ गया।

भारत-पाकिस्तान संबंध की पृष्ठभूमि

  • तनावपूर्ण काल (1947–2001)
    • विभाजन के परिणाम और कश्मीर संघर्ष: विभाजन के कारण दोनों देशों से बड़े पैमाने पर लोगों के पलायन के साथ भीषण हिंसा हुई। वर्ष 1947 में कश्मीर को लेकर पहला भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान ने कश्मीर के कुछ क्षेत्रों पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया, इसके कारण दोनों देशो में बीच तनाव बढ़ गया। 
    • वर्ष 1949 में, कराची समझौते ने संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षकों की निगरानी में एक युद्धविराम रेखा स्थापित की और क्षेत्र में जनमत संग्रह की सिफारिश की, हालाँकि इसे अभी भी लागू नहीं किया गया है।
    • युद्ध और समझौते: इसके बाद वर्ष 1965 और 1971 में हुए संघर्षों के परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप से ताशकंद समझौते तथा शिमला समझौते जैसी संधियों पर हस्ताक्षर किए गए। भारत ने वर्ष 1984 में  ऑपरेशन मेघदूत के तहत सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया।
    • आतंकवाद और परमाणु परीक्षण: इस दौरान पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में भारत विरोधी गतिविधयों विद्रोह के समर्थन, वर्ष 1998 में सफल परमाणु परीक्षणों और वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध जैसी घटनाएँ देखने को मिली। वर्ष 2001 में भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले ने शत्रुता को और बढ़ा दिया।
  • शांतिकाल (2001-2008)
    • शांति प्रयास: कुछ असफलताओं के बावजूद, लाहौर घोषणा और वाजपेयी सिद्धांतों जैसी पहलों का उद्देश्य संबंधों में सुधार करना था।
    • समग्र वार्ता प्रक्रिया: यह वर्ष 2004 में शुरू हुई, समग्र वार्ता प्रक्रिया ने प्रगति के संकेत दिखाए जिसमें व्यापार और गैस पाइपलाइनों पर समझौतों शामिल थे।

भारत-पाक संबंधों के संबंध में प्रमुख विचारकों की राय

  • पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी- मित्र बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं, जिन्हें साथ रहना होता है।
  • शशि थरूर: उन्होंने पाकिस्तान को “ब्रदर एनेमी (Brother Enemy) ” कहा,  उन्होंने कहा कि हमने हर संभव प्रयास किया है, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया। अपने पुस्तक ‘पैक्स इंडिका’ में – पाकिस्तान को भारत के लिए सबसे बड़ी विदेश नीति चुनौती बताया है।
  • श्याम सरन: भारत की पाकिस्तान नीति इस मान्यता पर आधारित होनी चाहिए कि भारत-पाकिस्तान संबंध बेहद प्रतिकूल हैं और निकट भविष्य में भी इनके ऐसे ही बने रहने की संभावना है।
  • एम. के. नारायणन: भारत का दीर्घकालिक लक्ष्य उपमहाद्वीप की रणनीतिक स्वायत्तता को बहाल करना, इसके रणनीतिक प्रभुत्त्व का विस्तार करना और इसके सुरक्षा विकल्पों को बढ़ाना है। जबकि पाकिस्तान की पहचान अक्सर भारत के विरोध और अस्वीकृति से परिभाषित होती है। इसके अल्पकालिक लक्ष्य हैं और वार्ता तथा बातचीत को महज दांव-पेंच के रूप में देखता है।

  • निष्क्रिय संबंधों का चरण (2008-2015)
    • सीमित वार्ता: इस चरण में न्यूनतम संवाद और विश्वास स्थापित करने के प्रयास देखे गए, हालाँकि दोनों पक्षों के बीच वार्ताएँ अक्सर बाधित रहीं।
    • नेबरहुड फर्स्ट नीति: भारत ने क्षेत्रीय सहयोग को प्राथमिकता दी, जिससे कुछ सकारात्मक सुधार के साथ और दोनों देशों के बीच राजनयिक यात्राएँ हुईं।
    • भारतीय प्रधानमंत्री की पाकिस्तान यात्रा: वर्ष 2015 में, भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा ने एक महत्त्वपूर्ण बदलाव का संकेत दिया।
  • नवीनीकृत तनावपूर्ण काल (2015 – 2019):
    • तनाव में वृद्धि : हमलों और तनाव से चिह्नित, इस दौरान चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (China–Pakistan Economic Corridor- CPEC) जैसी परियोजनाओं न संबंधों को तनावपूर्ण  बना दिया ।
    • हमलों की शृंखला: वर्ष 2019 के पुलवामा हमले जैसे आतंकवादी हमलों ने भारतीय वायु सेना के बालाकोट हवाई हमले और राजनयिक तनाव को जन्म दिया।

भारत की पाकिस्तान नीति का विकास

  • जवाहर लाल नेहरू: वे पाकिस्तान को विदेश नीति के लिए चुनौती नहीं मानते थे और मानते थे कि पाकिस्तान का इतिहास, भूगोल और नियति भारत के साथ जुड़ी होने के कारण वह स्वतः ही भारत में विलीन हो जाएगा।
  • इंदिरा गांधी: वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में उन्होंने यथार्थवादी नीति अपनाई। हालाँकि, कश्मीर समस्या को हल करने में विफल रहने के कारण उन्हें शिमला समझौते में कूटनीतिक हार का भी सामना करना पड़ा।
  • गुजराल सिद्धांत: पंचशील और गैर-पारस्परिकता पर आधारित उनकी नीति ने भारत-पाक संबंधों में नई ताजगी ला दी।
  • अटल बिहारी वाजपेयी: उन्होंने वर्ष 2003 के युद्धविराम समझौते और वर्ष 2004 के इस्लामाबाद संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए, जिनके कारण मिलकर शांति प्रक्रिया का फिर से आरंभ हुई  और जम्मू-कश्मीर में हिंसा में कमी आई।
  • मनमोहन सिंह: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नीति परस्पर निर्भरता और कार्यात्मकता पर आधारित थी। वर्ष 2003-2007 में भारत-पाकिस्तान शांति स्थापना में तेजी से प्रगति हुई।
  • नरेंद्र मोदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेबरहुड फर्स्ट नीति ने दोनों देशों के बीच प्रधानमंत्री स्तर की यात्राओं को प्राथमिकता दी और दोनों पक्षों द्वारा सद्भावना के संकेत दिखाए गए। लेकिन वर्ष 2015 में चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) बुनियादी ढाँचा परियोजना के कारण भारत की संप्रभुता से संबंधित मुद्दे सामने आए।
    • वर्ष 2015 में गुरदासपुर आतंकी हमलों के साथ शुरू हुई हमलों की शृंखला से द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट आई और इसमें पठानकोट हमला (2016), नगरोटा हमला (2016), उरी हमला (2016), अमरनाथ यात्रा हमला (2017) और अंत में पुलवामा हमला (2019) जैसी प्रमुख घटनाएँ शामिल थीं।
    • भारत ने उरी हमले का जवाब पाक अधिकृत कश्मीर के अंदर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करके दिया और पुलवामा हमले का जवाब पाकिस्तान में बालाकोट हवाई हमला करके दिया तथा पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा वापस ले लिया।
    • अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध कमजोर पड़ गए है। पाकिस्तान ने कश्मीर पर अपने रुख के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने हेतु एक वैश्विक राजनयिक अभियान शुरू किया है।

पाकिस्तान में वर्तमान स्थिति

  • राजनीतिक उथल-पुथल: अप्रैल 2022, जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अविश्वास मत के माध्यम से अपदस्थ कर दिया गया था। तब से ही पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति है।
  • आर्थिक संकट: पाकिस्तान एक गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसमें बढ़ती मुद्रास्फीति, गिरती मुद्रा, बढ़ता सार्वजनिक ऋण और घटता विदेशी मुद्रा भंडार शामिल हैं।
  • विश्व बैंक के अनुसार, पाकिस्तान का कुल विदेशी ऋण भंडार वर्ष 2020 के अंत तक $115.695 बिलियन से बढ़कर 2021 के अंत तक $130.433 बिलियन हो गया है।
    • आवश्यक सुधारों को लागू करने में विफलता के कारण सरकार IMF से राहत पैकेज हासिल करने में असमर्थ रही है, जिससे आर्थिक मंदी और गहरा गई है।
  • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से, पाकिस्तानी सेना को तालिबान समर्थित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (Tehreek-e-Taliban Pakistan-TTP) से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो बलूचिस्तान और पंजाब में अपनी सक्रियता बढ़ा रहा है।
    • TTP ने पाकिस्तानी सशस्त्र बलों पर कई हमले किए हैं, जिससे सेना की क्षमता को लेकर चिंताएँ बढ़ी हैं।
  • सामाजिक अशांति: इमरान खान को हटाने के बाद जनता के विरोध प्रदर्शन ने सेना की राजनीतिक कमजोरी को उजागर कर दिया है, प्रदर्शनकारी संवेदनशील सैन्य प्रतिष्ठानों तक भी पहुँच गए थे।
  • चीन के प्रति नाराजगी: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के लिए महत्त्वपूर्ण प्रांतों में चीनी निवेश के खिलाफ बढ़ती नाराजगी ने पाकिस्तान-चीन संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है।
    • पाकिस्तान के कुल $27 अरब के द्विपक्षीय ऋण में से लगभग $23 अरब चीनी ऋण है।

भारत के लिए निहितार्थ

  • आतंकवाद संबंधी चिंताएँ: पाकिस्तान, भारत को निशाना बनाने वाले आतंकवादी संगठनों को आश्रय देता है, जो भारतीय हितों के लिए सीधा खतरा पैदा करते हैं। वाणिज्य मंत्रालय ने पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद को द्विपक्षीय संबंधों में मुख्य चिंता के रूप में उजागर किया है।
  • मानवीय संकट और शरणार्थियों का आगमन: पाकिस्तान में लोग बुनियादी आवश्यकताओं और आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पकिस्तान में शासन की विफलता संभावित शरणार्थी संकट का कारण बन सकती है, जो भारत सहित क्षेत्र के अन्य देशों के लिये एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
  • व्यापार पर प्रभाव: वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, द्विपक्षीय व्यापार वित्तीय वर्ष 2021-2022 में $514 मिलियन था, जिसमें आयात की तुलना में भारतीय निर्यात अधिक था।
  • चीनी प्रभाव में वृद्धि की संभावना: पाकिस्तान में गहराता आर्थिक संकट चीन के प्रभुत्त्व को बढ़ा सकता है। भारत-चीन संबंधों, खासकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर इसके संभावित प्रभावों पर विचार करना महत्त्वपूर्ण है।
  • परमाणु सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: पाकिस्तान के पास परमाणु हथियारों का होना सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है। आर्थिक संकट के चलते सैन्य तख्तापलट हो सकता है, जिससे वित्तीय लाभ के लिए आतंकवादी संगठनों के पनपने का डर है।
  • क्षेत्रीय चिंताएँ: पाकिस्तान के राजनीतिक अस्थिरता बढ़ने से भारत, ईरान और अफगानिस्तान के साथ  अन्य देशों के लिये क्षेत्रीय अस्थिरता पैदा कर सकता है।

भारत-पाकिस्तान संबंधों के लिए सॉफ्ट पॉवर आयाम

  • जल कूटनीति: सिंधु जल संधि का उपयोग करके जल कूटनीति को बढ़ावा देना, पश्चिमी नदियों के गैर-खपत उपयोग को सुनिश्चित करना।
  • सांस्कृतिक कूटनीति: लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के लिए उर्दू कविता, संगीत और कला को बढ़ावा देना।
  • क्रिकेट कूटनीति: शांति और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत एवं पाकिस्तान के बीच क्रिकेट गतिविधियों का विस्तार करें।
  • आर्थिक कूटनीति: द्विपक्षीय व्यापार के माध्यम से आर्थिक संबंधों को गहरा करना और तनाव कम करने तथा समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए आयात शुल्क कम करना।
  • सांस्कृतिक और भौगोलिक समानताएँ: संबंधों को मजबूत करने के लिए खाद्य मेलों और त्योहारों के माध्यम से सांस्कृतिक समानताओं का उपयोग करना।

आगे की राह

  • भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति: यह नीति नेबरहुड फर्स्ट, पड़ोसी देशों विशेषकर पाकिस्तान के साथ संबंधों को प्राथमिकता देने पर जोर देती है। द्विपक्षीय वार्ता और शांतिपूर्ण समाधान को प्राथमिकता देना, आतंकवाद और हिंसा को समाप्त करना  ही इन लक्ष्यों को प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है।
    • पाकिस्तान से  तर्कसाध्य वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने का आह्वान किया गया।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा रुख: भारत को सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के खतरों के खिलाफ दृढ़ कार्रवाई जारी रखनी चाहिए।
  • धार्मिक कूटनीति: भारत-पाकिस्तान संबंधों के भविष्य के लिए धार्मिक परंपरा के साथ विचारशील जुड़ाव की आवश्यकता है।
  • उदाहरण के लिए, करतारपुर कॉरिडोर की शुरुआत वर्ष 2018 में की गई थी, जिससे भारतीय श्रद्धालुओं की पाकिस्तान में गुरुद्वारा करतारपुर साहिब तक पहुँच संभव हो गई है।
  • त्रासदी को अवसर में बदलना: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pakistan Occupied Kashmir-PoK) में विरोध प्रदर्शन की रिपोर्टें कानून व्यवस्था के मुद्दों और शरणार्थियों के प्रवासन  की चिंता पैदा करती हैं। हालाँकि, PoK में विरोध प्रदर्शन भारत में शामिल होने की तत्परता क्षेत्रीय अस्थिरता को संबोधित करने और संभावित रूप से भारत के प्रभाव का विस्तार करने का अवसर प्रदान करता है।
  • सार्क के पुनरुद्धार की संभावना: सार्क सदस्यों के बीच अधिक सहयोग को बढ़ावा देने में गतिरोध को अक्सर पाकिस्तान और भारत के बीच प्रतिद्वंद्विता के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। हालाँकि, भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और पाकिस्तान के सापेक्षिक पतन के साथ, सार्क का पुनरुद्धार संभव हो गया है।
    • सार्क का पुनरुद्धार, चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) द्वारा उत्पन्न क्षेत्रीय रणनीतिक अतिक्रमण को संबोधित करने में भारत की पड़ोस नीति की सहायता कर सकता है।
  • भारत के लिए राजनयिक अवसर
    • पाकिस्तान के साथ औपचारिक बातचीत की शर्तों पर जोर दिया जाना चाहिए।
    • आतंकवाद को रोकने और कश्मीर मुद्दे को हल करने के लिए वास्तविक प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।
  • ठोस बातचीत में शामिल होने से पहले सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए प्रभावी कार्रवाइयों के महत्त्व पर जोर दिया गया है।

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