लोकसभा अध्यक्ष द्वारा 6 जनवरी, 2025 को आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में पंचायत से संसद 2.0 कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा छोटानागपुर पठार क्षेत्र के मुंडा जनजाति से संबंधित थे।
उल्लेखनीय योगदान: उन्होंने 19वीं शताब्दी के अंत में मुंडा विद्रोह (उलगुलान) का नेतृत्व किया, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का विरोध करना तथा आदिवासी अधिकारों की रक्षा करना था।
धार्मिक नेतृत्व
बिरसा मुंडा ने जीववाद तथा स्वदेशी मान्यताओं को मिलाकर बिरसाइत धर्म की स्थापना की, जिसमें एक ही ईश्वर की पूजा पर जोर दिया गया।
उन्होंने मुंडा लोगों से अंधविश्वास के विरूद्ध लड़ने, पशु बलि रोकने, नशीले पदार्थों से दूर रहने, पवित्र धागा पहनने तथा सरना या पवित्र उपवन में आदिवासी पूजा परंपराओं को संरक्षित करने का आग्रह किया।
उन्हें आमतौर पर ‘धरती आबा’ (पृथ्वी का पिता) कहा जाता था।
स्मरणोत्सव
15 नवंबर को उनकी जयंती है तथा इसी दिन वर्ष 2000 में झारखंड राज्य का निर्माण हुआ था।
वर्ष 2021 में केंद्र सरकार ने आदिवासी गौरव को सम्मान देने के लिए उनकी जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में घोषित किया।
पंचायत से संसद 2.0
यह कार्यक्रम राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) द्वारा लोकसभा सचिवालय तथा जनजातीय मामलों के मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया जाता है।
इस कार्यक्रम में 22 राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों की अनुसूचित जनजातियों की 502 निर्वाचित महिला प्रतिनिधि भाग लेंगी।
कार्यक्रम के उद्देश्य
संवैधानिक मूल्यों तथा लोकतांत्रिक सिद्धांतों के बारे में महिलाओं की समझ को बढ़ाना।
पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) तथा शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को सशक्त बनाना।
शासन ढाँचे तथा संसदीय प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी प्रदान करना।
शिक्षा को बढ़ावा देने तथा ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाने में महती भूमिका निभाने वाली महिला के योगदान को पहचानना।
नेतृत्व कौशल को बढ़ावा देना तथा स्थानीय शासन में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women- NCW)
NCW एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना वर्ष 1992 में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत की गई थी।
उद्देश्य: भारत में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देना।
कार्य
महिलाओं के लिए संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा उपायों की समीक्षा करना।
महिलाओं के अधिकारों के उल्लंघन को संबोधित करना और उनकी जाँच करना।
महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए नीतियों की सिफारिश करना।
महिलाओं के अधिकारों और लैंगिक समानता के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना।
संगठन
अध्यक्ष: केंद्र सरकार द्वारा नामित।
सदस्य: कानून, ट्रेड यूनियन, स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रशासन जैसे क्षेत्रों में अनुभव रखने वाले पाँच सदस्य।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से न्यूनतम एक सदस्य।
सदस्य-सचिव: केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ
कार्यक्रम में विशेषज्ञों तथा सांसदों(MPs) द्वारा संचालित इंटरैक्टिव कार्यशालाएँ और सत्र शामिल हैं।
प्रतिनिधिगण नए संसद भवन, संविधान सदन, प्रधानमंत्री संग्रहालय तथा राष्ट्रपति भवन जैसे महत्त्वपूर्ण स्थानों के निर्देशित दौरे में भाग लेंगे।
कार्यक्रम के दौरान, लोकसभा अध्यक्ष प्रतिनिधियों को भारत के संविधान की प्रस्तावना पढ़ने में नेतृत्व करेंगे।
यह पहल वर्ष 2024 के पंचायत से संसद कार्यक्रम की सफलता पर आधारित है, जिसमें पूरे भारत से 500 महिला सरपंच शामिल हुई थीं।
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