प्रधानमंत्री नेराष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) के तहत तीन परम रुद्र सुपरकंप्यूटिंग सिस्टम का वर्चुअल माध्यम से शुभारंभ किया।
तीव्र रेडियो विस्फोट (FRBs)
फास्ट रेडियो बर्स्ट (FRBs) दूर की आकाशगंगाओं से निकलने वाली रेडियो तरंगों का रहस्यमय उत्सर्जन है।
ये विस्फोट एक मिलीसेकंड में उतनी ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं, जितनी सूर्य कई सप्ताह में उत्सर्जित करता है।
संबंधित तथ्य
सुपर कंप्यूटरों की तैनाती
पुणे में विशाल मीटर रेडियो टेलिस्कोप (GMRT): यह फास्ट रेडियो बर्स्ट (FRBs) और अन्य खगोलीय घटनाओं का अध्ययन करने के लिए सुपरकंप्यूटर का उपयोग करेगा।
दिल्ली में अंतर-विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र (IUAC): यह पदार्थ विज्ञान और परमाणु भौतिकी जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान को आगे बढ़ाएगा।
कोलकाता में एस.एन. बोस केंद्र: यह भौतिकी, ब्रह्मांड विज्ञान और पृथ्वी विज्ञान सहित क्षेत्रों में उन्नत अनुसंधान को आगे बढ़ाएगा।
उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग
HPCs: इसे प्रायः किसी कंपनी या संस्थान के भीतर विशिष्ट कार्यों के लिए डिजाइन किया गया है। ये उच्च प्रसंस्करण शक्ति प्रदान करते हैं, लेकिन सुपर कंप्यूटर जितने शक्तिशाली नहीं हो सकते हैं।
गति अंतर: सुपरकंप्यूटर आमतौर पर पेटाफ्लॉप गति (प्रति सेकंड क्वाड्रिलियन फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशन) पर कार्य करते हैं, जबकि HPCs टेराफ्लॉप गति (प्रति सेकंड ट्रिलियन फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशन) पर कार्य कर सकते हैं।
गति में यह अंतर गहन गणना की आवश्यकता वाले कार्यों के लिए महत्त्वपूर्ण है।
सुपरकंप्यूटर केवल प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करते हैं जबकि HPCs दक्षता और लागत के साथ प्रदर्शन को संतुलित करते हैं।
HPC सिस्टम्स ‘अर्का’ और ‘अरुणिका’
नव प्रक्षेपित HPC प्रणालियाँ, संबंधित पूर्वानुमानों को बेहतर बनाने के लिए उच्च-रिजॉल्यूशन मॉडल के विकास को सक्षम करेंगी।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात भारी वर्षा
आँधी-तूफान
ओलावृष्टि
हीटवेब
सूखा और अन्य मौसमी घटनाएँ।
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM)
लॉन्च वर्ष: राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन को वर्ष 2015 में सात वर्षीय कार्यक्रम के रूप में लॉन्च किया गया था, जिसका कुल बजट 4500 करोड़ रुपये था।
लक्ष्य: राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN) को आधार बनाकर संस्थानों को सुपरकंप्यूटिंग ग्रिड से जोड़कर भारत की अनुसंधान क्षमता को बढ़ाना।
NKN: डेटा साझाकरण और सहयोग को सक्षम करने के लिए भारत भर में शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं को जोड़ने वाला एक उच्च गति नेटवर्क।
कार्यान्वयन निकाय
इस मिशन का संचालन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय (MeitY) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
सी-डैक पुणे और IISc बंगलूरू प्राथमिक कार्यान्वयन एजेंसियाँ हैं।
सुपरकंप्यूटर
परिभाषा: सुपरकंप्यूटर उच्च प्रदर्शन करने वाले ‘मेनफ्रेम सिस्टम’ हैं, जो कार्यों को कई भागों में विभाजित करके और उन्हें एक साथ संसाधित करके जटिल संगणनाओं को हल करने में सक्षम हैं।
गति का मापन (पेटाफ्लॉप्स): सुपरकंप्यूटर की प्रसंस्करण गति को पेटाफ्लॉप्स (प्रति सेकंड फ्लोटिंग पॉइंट ऑपरेशन) में मापा जाता है, जहाँ एक पेटाफ्लॉप प्रति सेकंड एक हजार ट्रिलियन ऑपरेशन के बराबर होता है।
वैश्विक सुपरकंप्यूटर रैंकिंग
सुपर कंप्यूटरों की संख्या के मामले में चीन विश्व में सबसे आगे है, उसके बाद अमेरिका, जापान, फ्राँस, जर्मनी, नीदरलैंड, आयरलैंड और ब्रिटेन का स्थान है।
भारत की सुपरकंप्यूटिंग यात्रा
पहला सुपरकंप्यूटर: भारत का पहला सुपरकंप्यूटर PARAM 8000 था, जिसे वर्ष 1991 में विकसित किया गया था।
पहला स्वदेशी सुपरकंप्यूटर: परम शिवाय, IIT (BHU) में स्थापित किया गया।
विभिन्न क्षेत्रों में सुपर कंप्यूटर का अनुप्रयोग
वैज्ञानिक अनुसंधान: जटिल सिमुलेशन और मॉडलिंग, जलवायु परिवर्तन अध्ययन, दवा की खोज और विकास, कण भौतिकी अनुसंधान, आदि।
इंजीनियरिंग और डिजाइन: एयरोस्पेस इंजीनियरिंग सिमुलेशन, ऑटोमोटिव डिजाइन और परीक्षण, संरचनात्मक विश्लेषण और अनुकूलन।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग: बिग लैंग्वेज मॉडल का प्रशिक्षण, गहन शिक्षण अनुप्रयोग, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण।
वित्तीय मॉडलिंग: जोखिम मूल्यांकन और भविष्यवाणी, पोर्टफोलियो अनुकूलन, उच्च आवृत्ति व्यापार, आदि।
राष्ट्रीय सुरक्षा: क्रिप्टोग्राफी और कोड-ब्रेकिंग, खुफिया विश्लेषण और साइबर सुरक्षा।
मौसम पूर्वानुमान: सटीक मौसम पूर्वानुमान और जलवायु मॉडलिंग।
स्वास्थ्य सेवा: जीनोमिक्स अनुसंधान, चिकित्सा छवि विश्लेषण और दवा खोज।
Latest Comments