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संसदीय पैनल ने भारतीय मिशनों के व्यापक सुरक्षा आकलन की सिफारिश की

Lokesh Pal February 11, 2025 02:50 17 0

संदर्भ

एक संसदीय पैनल ने विदेश मंत्रालय को विदेशों में स्थित सभी भारतीय मिशनों और चौकियों का व्यापक सुरक्षा मूल्यांकन करने की सलाह दी है।

संबंधित तथ्य

  • ये सिफारिशें विदेश मंत्रालय की अनुदान की माँगों (2024-25) पर विदेश मामलों की समिति की चौथी रिपोर्ट (2024-25) का हिस्सा हैं।
  • इस सिफारिश में मेजबान देशों में भू-राजनीतिक जोखिम, संभावित खतरों और कमजोरियों को ध्यान में रखा गया है।

संसदीय पैनल की प्रमुख सिफारिशें

  • भारतीय मिशनों की सुरक्षा: इस समिति ने इस बात पर जोर दिया कि कर्मियों की सुरक्षा, संवेदनशील सूचनाओं की सुरक्षा और राजनयिक कार्यों की निरंतरता सर्वोपरि है।
    • इस रिपोर्ट में पश्चिम एशिया, बांग्लादेश और कनाडा जैसे क्षेत्रों में हाल की सुरक्षा चिंताओं पर प्रकाश डाला गया है, जहाँ भारत विरोधी गतिविधियों को चिह्नित किया गया है।
  • भारतीय मिशनों का विस्तार: पैनल ने नए मिशन स्थापित करने के प्रयासों में तेजी लाने की सिफारिश की, विशेषकर उन देशों में जहाँ महत्त्वपूर्ण आर्थिक, रणनीतिक या प्रवासी हित हैं।
    • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 42 देशों में निवासी मिशन नहीं हैं।
  • राजनयिक जुड़ाव के लिए वित्तीय स्थिरता: इस समिति ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के बढ़ते वैश्विक कद के लिए कूटनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति में लगातार और पूर्वानुमानित वित्तीय निवेश की आवश्यकता है।
    • विदेश मंत्रालय को सलाह दी गई कि वह प्रमुख राजनयिक क्षेत्रों को बजटीय कटौती से बचाए और पूरक अनुदानों के माध्यम से अप्रत्याशित वित्तीय कमी के लिए तैयार रहे।
  • पासपोर्ट सेवाओं को बढ़ाना: पैनल ने पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम के माध्यम से पासपोर्ट सेवाओं को बेहतर बनाने में विदेश मंत्रालय की महत्त्वपूर्ण प्रगति को स्वीकार किया।
  • नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार पर प्रगति की समीक्षा: इस समिति ने बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर की प्रगति की समीक्षा की।

विदेश में भारतीय मिशन

  • विदेश में भारतीय मिशन भारत सरकार द्वारा विदेशों में स्थापित राजनयिक कार्यालयों को संदर्भित करते हैं, जो भारत के हितों का प्रतिनिधित्व करने, द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और भारतीय नागरिकों को सेवाएँ प्रदान करने के लिए हैं। 
  • ये मिशन विदेश मंत्रालय (MEA) के तहत कार्य करते हैं और कूटनीति, व्यापार, संस्कृति और कांसुलर सहायता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भारतीय मिशनों के प्रकार

  • दूतावास: दूतावास किसी विदेशी देश में प्राथमिक राजनयिक कार्यालय होते हैं, जो आमतौर पर राजधानी शहर में स्थित होते हैं।
  • उच्चायोग: उच्चायोग राष्ट्रमंडल देशों (पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश) में स्थित दूतावास होते हैं। किंतु राष्ट्रमंडल ढाँचे के भीतर, इनका कार्य दूतावासों जैसा ही होता है।
  • महावाणिज्य दूतावास: ये क्षेत्रीय राजनयिक मामलों और कांसुलर सेवाओं का प्रबंधन करने के लिए राजधानी के अलावा प्रमुख शहरों में द्वितीयक राजनयिक कार्यालय हैं।
  • बहुपक्षीय संगठनों में स्थायी मिशन: ये मिशन संयुक्त राष्ट्र (UN), विश्व व्यापार संगठन (WTO) आदि जैसे अंतरराष्ट्रीय  संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं।

विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति

  • विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति भारतीय संसद की एक विभाग-संबंधित स्थायी समिति (Department-Related Standing Committee-DRSC) है।
  • यह भारत की विदेश नीति और विदेश मंत्रालय (MEA) की निर्णय लेने की प्रक्रिया पर विधायी निगरानी प्रदान करने के लिए उत्तरदायी है।
  • भूमिका और कार्य: यह समिति 24 DRSC में से एक है, जिसे मंत्रालय-विशिष्ट निगरानी का कार्य सौंपा गया है।
    • यह विदेश मंत्रालय की नीतियों, बजट आवंटन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जाँच और मूल्यांकन करती है।
    • यह भारत की कूटनीतिक रणनीतियों, सुरक्षा चिंताओं और वैश्विक साझेदारी की भी समीक्षा करती है।
  • वर्तमान में इस समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद शशि थरूर हैं और इसमें 31 सदस्य हैं।

विभाग-संबंधित स्थायी समिति (Department-Related Standing Committee-DRSC)

  • विभाग-संबंधित स्थायी समितियाँ (DRSC) स्थायी संसदीय समितियाँ हैं, जो भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के कामकाज की देखरेख करती हैं।
  • कार्यकारी निर्णयों पर संसदीय निगरानी को बेहतर बनाने के लिए वर्ष 1993 में DRSC प्रणाली प्रारंभ की गई थी।
  • लोकसभा नियम समिति के प्रस्ताव पर वर्ष 1993 में संसद में 17 DRSC की स्थापना की गई थी।
  • वर्ष 2004 में सात और समान समितियाँ स्थापित की गईं और इस प्रकार उनकी संख्या 17 से बढ़कर 24 हो गई।
  • संरचना और कार्यकाल: प्रत्येक समिति में 31 सदस्य होते हैं:
    • लोकसभा से 21
    • राज्यसभा से 10
    • सदस्यों को लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति द्वारा नामित किया जाता है।

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