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मक्खियों में पार्थेनोजेनेसिस

Lokesh Pal March 12, 2024 06:15 225 0

संदर्भ 

हाल ही में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया तकनीकी संस्थान के शोधकर्ताओं ने अलैंगिक रूप से प्रजनन करने वाली मक्खी की एक प्रजाति विकसित की है।

संबंधित तथ्य 

  • फ्रूट फ्लाई (Fruit Fly) या ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर (Drosophila Melanogaster): आदर्श जीवों के रूप में इसकी उपयुक्तता के कारण आनुवंशिकी शोधकर्ताओं द्वारा लंबे समय से इसका उपयोग किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप जीव विज्ञान और इस क्षेत्र से जुड़े शोधों में प्रगति हुई है।
  • शोध: दशकों तक फ्रूट फ्लाई के आनुवंशिकी, विकास, व्यवहार और अन्य जैविक प्रक्रियाओं में शोध के कारण नई जैविक अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई है।

पार्थेनोजेनेसिस (Parthenogenesis)

  • परिचय: पार्थेनोजेनेसिस प्रजनन की एक प्रक्रिया है जिसमें नर द्वारा निषेचन की आवश्यकता नहीं होती है तथा अनिषेचित अंडों से संतान की उत्पत्ति हो सकती है।
  • पार्थेनोजेनेसिस प्रक्रिया से प्रजनन करने वाली प्रजातियाँ: कुछ प्रजातियाँ जैसे ड्रोसोफिला मंगेबिराई (Drosophila Mangebeirai) और ड्रोसोफिला मर्केटोरम (Drosophila Mercatorum) में ऐच्छिक पार्थेनोजेनेसिस की प्रक्रिया होती है, जिसके माध्यम से मादा बिना संभोग के संतान को जन्म दे सकती है।

अलैंगिक प्रजनन (Asexual Reproduction)

  • आनुवंशिक परिवर्तन (Genetic Manipulation): लैंगिक रूप से प्रजनन करने वाली फ्रूट फ्लाई की प्रजाति को अलैंगिक प्रजनन करने में समर्थ बनाने के लिए शोधकर्ताओं ने आनुवंशिक तकनीकों का प्रयोग किया है।
  • जैविक प्रभाव: आनुवंशिकता में प्रभावी परिवर्तन से महत्त्वपूर्ण जैविक प्रभाव उत्पन्न हुए हैं, जो आनुवंशिक प्रणालियों की अनुकूलनशीलता को प्रदर्शित करते हैं।

पार्थेनोजेनेसिस प्रक्रिया से संबंधित जीन

  • अध्ययन का लक्ष्य: इसका लक्ष्य उन जीनों की पहचान करनी थी, जो ड्रोसोफिला मर्केटोरम (Drosophila Mercatorum) नामक अनिषेचित अंडों को पार्थेनोजेनेटिक रूप से विकसित होने में सहायता करता है।
  • RNA अनुक्रमण: पार्थेनोजेनेटिक विकास की प्रक्रिया के दौरान सभी 44 जीनों की प्रतिक्रिया भिन्न-भिन्न थी, हालाँकि RNA अनुक्रमण का उपयोग करके जीन को डी. मर्केटोरम (D. Mercatorum) अंडों में भेजा गया था।
  • परिवर्तन: पोलो (Polo) और माइसी (Myc) जीन के प्रभाव को बढ़ाने तथा Desat2 जीन के गुण को कम करके शोधकर्ताओं ने डी. मेलानोगास्टर (D. melanogaster) में जीन के प्रभाव में परिवर्तन किया था।
    • लगभग 1.4% अंडों में आनुवंशिक परिवर्तन किया गया, जिसके परिणामस्वरूप वयस्क मक्खियाँ उत्पन्न हुईं, जो संभोग के माध्यम से प्रजनन करने में सक्षम थीं।

पोलर बॉडी (Polar Body) की भूमिका

  • गुणसूत्र संचरण: निषेचन के दौरान प्रत्येक अंडे को नर और मादा युग्मक से एक जोड़ी गुणसूत्र प्राप्त होता है, जिससे पोलर बॉडी का निर्माण होता है।
  • विकास: जब भ्रूण के विकास की प्रक्रिया की शुरुआत हेतु नर और मादा प्रोन्यूक्लियाइ (Pronuclei) का संलयन होता है, तो पोलर बॉडी सामान्य रूप से नष्ट हो जाते हैं।
  • संशोधित प्रोटीन स्तर: पोलो (Polo), माइसी (Myc) और Desat2 के प्रोटीन स्तर में परिवर्तन के माध्यम से पोलर बॉडी को नष्ट करने में मदद मिलती है, जो अंततः भ्रूण के विकास में सहायक है।

जीन का प्रभाव और जीनोमिक संरचना

  • डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल (DNA) की संरचना: एडेनिन-थाइमिन (Adenine-thymine) और साइटोसिन-गुआनिन (Cytosine-Guanine) साथ मिलकर दोहरी कुंडलीनुमा संरचना (Double Helix Structure) बनाते हैं तथा DNA का निर्माण फॉस्फेट समूह के दो यौगिकों द्वारा होता है।
  • मेलानोगास्टर जीनोम (Melanogaster Genome): मेलानोगास्टर का जीनोम चार DNA अणुओं से निर्मित होता है, जिसके जोड़ों की संख्या लगभग 200 मिलियन होती है।
  • राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) की संरचना: परिवर्तन के दौरान, RNA के आधारभूत आनुवंशिक जोड़े [एडेनिन-यूरेसिल (Adenine-uracil) एवं साइटोसिन-गुआनिन (Cytosine-guanine)] DNA के लिए पूरक अनुक्रम का कार्य करते हैं।

प्रोटीन संश्लेषण और जीन के कार्य

  • जीन: विशेष प्रोटीन निर्माण में शामिल हजारों आधारभूत जोड़ों वाली DNA इकाइयाँ।
  • ट्रांसक्रिप्शन (Transcription): A-U और C-G नामक पूरक आनुवंशिक जोड़ों का उपयोग परिवर्तन प्रक्रिया में किया जाता है, जो DNA अनुक्रमों को RNA अणुओं में परिवर्तित करता है।
  • परिवर्तन: आनुवंशिक प्रक्रिया के आधार पर, राइबोसोम की मदद से RNA अणुओं को अमीनो अम्ल के रूप में बदला जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रोटीन का निर्माण होता है।

परिणाम 

  • जैव रासायनिक अंतर्दृष्टि: फ्रूट फ्लाई, पार्थेनोजेनेसिस के माध्यम से प्रजनन और विकासवादी अनुकूलन के क्षेत्र में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
  • तकनीकी प्रगति: यह खोज आनुवंशिक नियामक तंत्र (Genetic Regulatory Mechanisms) और प्रजनन संबंधी तरीकों पर शोध के लिए नए माध्यम प्रदान करती है, जिससे आनुवंशिक एवं विकासात्मक अनुसंधान के लिए नई दिशाएँ खुलती हैं।
  • नैतिक विचार: आनुवंशिक परिवर्तन की तरह, अलैंगिक रूप से प्रजनन करने वाले जीवों के नैतिक प्रभावों पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए।

अलैंगिक प्रजनन (Asexual Reproduction)

  • परिचय: अलैंगिक प्रजनन में संतान की उत्पत्ति के लिए नर एवं मादा युग्मकों के संलयन की आवश्यकता नहीं होती है।
  • विशेषताएँ: आमतौर पर द्विआधारी विखंडन (Binary Fission), बडिंग (Budding), फ्रेगमंटेशन  (Fragmentation) और पार्थेनोजेनेसिस (Parthenogenesis) जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से अलैंगिक प्रजनन होता है।

लाभ 

  • दक्षता: अलैंगिक प्रजनन की प्रक्रिया में लैंगिक भागीदारों को आकर्षित करने की आवश्यकता नहीं होती है, परिणामस्वरूप अनुकूलित परिस्थितियों में तीव्र गति से इन  जीवों में जनसंख्या वृद्धि होती है।
  • ऊर्जा संरक्षण: संभोग प्रक्रिया के अभाव में विशेष युग्मक उत्पन्न नहीं होते हैं, इसलिए जीव प्रजनन के दौरान कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं।
  • अलैंगिक प्रक्रिया से प्रजनन करने वाले जीवों में उदाहरण के तौर पर, बैक्टीरिया, प्रोटिस्टा (Protista), कवक और कुछ प्रकार के पौधे तथा जीव (जैसे- स्टारफिश और हाइड्रा) आदि शामिल हैं।

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