हाल ही में पेटेंट संबंधी मामलों के निपटान और रखरखाव को सरल बनाने के लिए पेटेंट अधिनियम, 2024 को कई नए प्रावधानों के साथ अधिसूचित किया गया है।
पेटेंट (Patent)
वैधानिक अधिकार (Statutory Right): यह आविष्कारक या आवेदक को उसके नवाचार अथवा उत्पाद के लिए सरकार द्वारा दिया गया एक अधिकार या बौद्धिक सुरक्षा है।
बौद्धिक संपदा संबंधी अधिकारों की सुरक्षा: पेटेंट के प्रावधानों के अनुसार, 20 वर्षों तक बौद्धिक संपदा की सुरक्षा की जा सकती है, अर्थात् इस अवधि के दौरान अनधिकृत रूप से उत्पाद का निर्माण नहीं किया जा सकता है। उत्पाद का उपयोग करने के लिए रॉयल्टी का भुगतान करना आवश्यक है।
अवधि: पेटेंट के 20 वर्षों के बाद उत्पाद से संबंधित प्रौद्योगिकियों का उपयोग सार्वजनिक क्षेत्र में किया जा सकता है।
पेटेंट देने की शर्तें: पेटेंट प्राप्त करने के लिए अधिकृत कार्यालयों के समक्ष संबंधित पर्याप्त दस्तावेजों को प्रस्तुत करना पड़ता है।
अधिकार का प्रकार: इसे केवल एक क्षेत्रीय अधिकार (Territorial Right) के रूप में देखा जाता है।
पूर्ण अधिकार का न होना: पेटेंट पर निजी संस्थानों या व्यक्तियों का पूर्ण अधिकार नहीं होता है बल्कि यह सरकारी शर्तों के अंतर्गत आता है, यानी की संबंधित बौद्धिक संपदा का उपयोग, निर्यात या उत्पादन सरकार के तत्त्वावधान में किया जाएगा।
पेटेंट देने का उद्देश्य: इसके तीन उद्देश्य प्रयोगात्मक (Experimental), अनुसंधान (Research) और शिक्षण (Teaching) है।
पेरिस सम्मेलन (Paris Convention)
परिचय: यह एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है।
इस सम्मेलन के तहत, यदि कोई संस्था या व्यक्ति भारत में पेटेंट आवेदन करने की तारीख से छह महीने के अंदर किसी भी सदस्य देश में पेटेंट के पंजीकरण के लिए आवेदन करता है, तो उसे वहाँ भी भारत के प्रावधानों के अनुरूप प्राथमिकता मिलेगी।
भारत भी इस सम्मेलन का सदस्य है।
नए पेटेंट अधिनियम 2024 की मुख्य विशेषताएँ
प्रमाण-पत्र की सुविधा: पेटेंट किए गए आविष्कार में आविष्कारकों/ आवेदकों के योगदान को दर्शाने के लिए एक नया ‘आविष्कारक प्रमाण-पत्र‘ की सुविधा शुरू की गई है।
फॉर्म 31 का समावेश: धारा 31 के तहत अनुग्रह अवधि (Grace Period) के लाभ के प्रावधानों को फॉर्म 31 में शामिल करके सरल बनाया गया है।
समय सीमा में कमी: फॉर्म 8 में विदेशी आवेदकों द्वारा आवेदन दाखिल करने के पश्चात् विवरण प्रदान करने के लिए समय सीमा को छह महीने रखा गया था, जिसे संशोधित करके तीन महीने कर दिया गया है।
समय प्रतिबंध में कमी: प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण, निरीक्षण के लिए अनुरोध दाखिल करने हेतु आवेदन की तारीख से 48 महीने का समय प्रतिबंधित था, जिसे संशोधित करके 31 महीने कर दिया गया है।
भारत में पेटेंट होने वाले उत्पाद/ आविष्कार
उत्पाद: इस श्रेणी में आविष्कार की गईं नई भौतिक वस्तुएँ जैसे- मशीनें, उपकरण, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स और निर्मित सामान शामिल हैं।
प्रक्रिया या विधि: नवीन विधियाँ या प्रक्रियाएँ, जो किसी विशिष्ट कार्य को पूर्ण करने या उत्पादन प्रक्रिया में एक नया आयाम प्रदान कर रही हों, उनका पेटेंट कराया जा सकता है।
मशीन: नवीन प्रणाली या घटकों सहित किसी भी नए और उपयोगी यांत्रिक आविष्कार का पेटेंट कराया जा सकता है।
निर्मित वस्तु: एक नवीन प्रक्रिया के माध्यम से निर्मित असाधारण विशेषताओं वाली वस्तुओं का निर्मित वस्तुओं के रूप में पेटेंट कराया जा सकता है।
रासायनिक यौगिक: फार्मास्यूटिकल्स सहित नए रासायनिक यौगिक।
भारत में पेटेंट नहीं होने वाले उत्पाद/ आविष्कार
पेटेंट अधिनियम, 1970 के तहत, पेटेंट संबंधी योग्यता के आधार पर निम्नलिखित उत्पादों, आविष्कार या प्रक्रियाओं का पेटेंट नहीं किया जा सकता है-
ऐसे आविष्कार, जो प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन करते हैं।
मनुष्यों, जानवरों, पौधों या पर्यावरण के लिए हानिकारक आविष्कार।
वैज्ञानिक सिद्धांतों या अमूर्त सिद्धांतों की खोज।
प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले जीवित या निर्जीव पदार्थों की खोज।
समय सीमा में विस्तार: आवेदन के लिए समय सीमा बढ़ाने और प्रक्रिया में विलंब होने संबंधी प्रावधानों को सुव्यवस्थित किया गया है तथा इसके उपयोग को आसान बनाने के लिए प्रावधानों को अधिक स्पष्ट किया गया है।
अब किसी भी कारवाई की अवधि को अनुरोध करने पर छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है।
नवीकरण शुल्क में कमी: कम-से-कम चार वर्षों के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अग्रिम भुगतान करने पर नवीकरण शुल्क में 10% की कमी की गई है।
पेटेंट आवेदन में विवरण संबंधी प्रावधान: फॉर्म 27 में पेटेंट संबंधी विवरण को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में एक बार दाखिल करना पड़ता है, जबकि नए प्रावधानों के अनुसार अब प्रत्येक तीन वित्तीय वर्ष में एक बार जमा करना होगा।
निर्धारित तरीके से आवेदन हेतु अनुरोध करने पर तीन महीने का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है।
अनुदान-पूर्व विवाद को सुव्यवस्थित करना: धारा 25(1) के तहत, पेटेंट के प्रतिनिधित्व संबंधी विवादों को दाखिल करने तथा निपटान की प्रक्रिया को अधिक सुव्यवस्थित किया गया है।
भारत में पेटेंट प्रणाली
पेटेंट को नियंत्रित करने वाले कानून: भारत में पेटेंट प्रणाली को पेटेंट अधिनियम, 1970 द्वारा विनियमित किया जाता है, जिसे वर्ष 2003 और 2005 में संशोधित किया गया है।
संशोधन: बदलते परिवेश में नई आवश्यकताओं और समस्याओं को संबोधित करने के लिए पेटेंट नियमों में नियमित संशोधन किया गया है, इस अधिनियम में नवीनतम संशोधन वर्ष 2016 में किया गया था।
आवश्यक शर्ते
नवीनता: पेटेंट आवेदन हेतु योग्य होने के लिए आविष्कार या उत्पाद का नया होना आवश्यक है, साथ ही निर्धारित शर्तों को पूर्ण करना चाहिए।
इसमें कल्पनाशील प्रक्रियाओं का समावेश नहीं होना चाहिए, अन्यथा यह अस्पष्ट हो जाएगा।
औद्योगिक प्रयोज्यता (Industrial Applicability): यह औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त होना चाहिए।
यह पेटेंट अधिनियम 1970 की धारा 3 और 4 के प्रतिबंधों के अधीन नहीं होना चाहिए।
गोपनीयता का प्रावधान: पेटेंट के लिए किए गए सभी आवेदनों को दाखिल करने की तारीख से 18 महीने तक गोपनीय रखी जाती है।
आधिकारिक प्रकाशन: सभी निर्धारित प्रक्रियाओं के पश्चात्, इसे पेटेंट कार्यालय की आधिकारिक पत्रिका में प्रकाशित किया जाता है, जो साप्ताहिक रूप से प्रकाशित होती है। तत्पश्चात् इसे भारतीय पेटेंट कार्यालय (Indian Patent Office- IPO) की आधिकारिक वेबसाइट पर भी उपलब्ध करा दिया जाता है।
सार्वजनिक रूप से उपलब्ध: आधिकारिक प्रकाशन के बाद इसे सार्वजनिक पटल पर रखा जाता है तथा निर्धारित शुल्क का भुगतान करके फोटोकॉपी भी प्राप्त की जा सकती है।
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