हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पेन्नयार नदी जल विवाद पर वार्ता समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।
संबंधित तथ्य
सर्वोच्च न्यायालय की समयसीमा: केंद्र सरकार को रिपोर्ट पेश करने के लिए दो सप्ताह की समयसीमा दी गई।
तमिलनाडु की चिंताएँ: तमिलनाडु ने वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसमें कर्नाटक द्वारा पेन्नयार नदी पर चेक डैम और वाटर डायवर्जन संरचनाओं के निर्माण का विरोध किया गया।
तमिलनाडु ने तर्क दिया कि नदी का बहता जल एक राष्ट्रीय संपत्ति है; कर्नाटक तमिलनाडु के निवासियों को नुकसान पहुँचाते हुए एकतरफा तौर पर इसके जल पर दावा नहीं कर सकता।
वर्ष 1892 के समझौते की वैधता: तमिलनाडु ने दावा किया कि वर्ष 1892 का समझौता वैध है और दोनों राज्यों पर बाध्यकारी है और इस बात पर जोर दिया कि समझौते में न केवल मुख्य नदी बल्कि उसकी सहायक नदियाँ और योगदान देने वाली धाराएँ भी शामिल हैं।
मार्कंडेय नदी संबंधी विवाद: तमिलनाडु ने तर्क दिया कि मार्कंडेय नदी, जो दोनों राज्यों में फैले जलग्रहण क्षेत्र वाली एक प्रमुख सहायक नदी है, वर्ष 1892 के समझौते के अंतर्गत आती है।
तमिलनाडु ने मार्कंडेय नदी पर कर्नाटक द्वारा किए जा रहे बड़े बाँधों के निर्माण का विरोध किया और कहा कि यह समझौते के तहत अस्वीकार्य है।
पेन्नयार नदी जल विवाद पर वार्ता समिति
जनवरी 2024 में, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को अंतरराज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 की धारा 4 के तहत एक नई वार्ता समिति बनाने का निर्देश दिया।
उद्देश्य: तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच मध्यस्थता करना और समाधान निकालना।
मई 2023 में नई राज्य सरकार के गठन के बाद, कर्नाटक ने वर्ष 2023 में वार्ता के प्रयास शुरू किए।
अंतरराज्यीय नदी विवादों पर संवैधानिक प्रावधान
राज्य सूची की प्रविष्टि 17: यह जल आपूर्ति, सिंचाई, नहरें, जल निकासी, तटबंध, जल भंडारण और जलविद्युत उत्पादन सहित जल से संबंधित मामलों को संबोधित करती है।
संघ सूची की प्रविष्टि 56: यह केंद्र सरकार को संसद द्वारा सार्वजनिक हित में आवश्यक घोषित सीमा तक अंतरराज्यीय नदियों और नदी घाटियों को विनियमित तथा विकसित करने का अधिकार देती है।
संविधान का अनुच्छेद-262: यह संसद को किसी भी अंतरराज्यीय नदी या नदी घाटी के जल के उपयोग, वितरण या नियंत्रण से संबंधित विवादों या शिकायतों के निपटारे के लिए कानून बनाने का अधिकार देता है।
संसद कानून के माध्यम से यह भी प्रावधान कर सकती है कि न तो सर्वोच्च न्यायालय और न ही कोई अन्य न्यायालय ऐसे विवादों पर अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करेगा।
न्यायिक सीमाएँ: सर्वोच्च न्यायालय अंतरराज्यीय जल विवादों के लिए स्थापित न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए निर्णय या फॉर्मूले पर सवाल नहीं उठा सकता।
हालाँकि, इसके पास न्यायाधिकरण के कामकाज की समीक्षा करने का अधिकार मौजूद है।
अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनियम, 1956 के तहत न्यायाधिकरण गठन की प्रक्रिया
यदि एक या अधिक राज्य केंद्र से जल विवाद को हल करने का अनुरोध करते हैं, तो केंद्र सरकार को सबसे पहले संबंधित राज्यों के बीच परामर्श के माध्यम से समाधान का प्रयास करना होगा।
यदि परामर्श विफल हो जाता है, तो केंद्र विवाद को हल करने के लिए एक न्यायाधिकरण की स्थापना कर सकता है।
अधिनियम में वर्ष 2002 के संशोधनों ने जल विवाद न्यायाधिकरण के गठन के लिए एक वर्ष की समय सीमा निर्धारित की।
संशोधनों में यह भी अनिवार्य किया गया कि न्यायाधिकरण को तीन वर्षों के भीतर अपना निर्णय देना होगा।
पेन्नयार नदी
पेन्नयार नदी को कन्नड़ में दक्षिण पिनाकिनी और तमिल में थेनपेन्नई, पोन्नैयार के नाम से भी जाना जाता है।
उत्पत्ति: यह नदी कर्नाटक के चेन्नाकेशव पहाड़ियों में स्थित नंदीदुर्ग पर्वत की पूर्वी ढलान से निकलती है।
प्रवाह: पेन्नयार नदी कर्नाटक से होकर बहती है और बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले तमिलनाडु में प्रवेश करती है।
बेसिन वितरण: पेन्नयार नदी के जल निकासी बेसिन का लगभग 77% हिस्सा तमिलनाडु में स्थित है।
लंबाई: 497 किलोमीटर की लंबाई वाली पेन्नयार नदी कावेरी नदी के बाद तमिलनाडु की दूसरी सबसे लंबी नदी है।
सहायक नदियाँ: पेन्नयार नदी की उल्लेखनीय सहायक नदियों में मार्कंडेय, कंबैनल्लूर और पंबर नदियाँ शामिल हैं।
नदी के किनारे स्थित महत्त्वत्वपूर्ण शहर: पेन्नयार नदी के तट पर स्थित प्रमुख शहर बंगलूरू, होसुर, तिरुवन्नामलाई और कुड्डालोर हैं।
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