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सद्गुरु जग्गी वासुदेव के व्यक्तित्व संबंधी अधिकार

Lokesh Pal June 04, 2025 03:06 77 0

संदर्भ

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा की है।

पृष्ठभूमि

  • सद्गुरु को अज्ञात संस्थाओं द्वारा उनसे संबंधित आपत्तिजनक सामग्री निर्माण करने और सहमति के बिना व्यावसायिक शोषण के लिए AI का उपयोग करके उनके व्यक्तित्व अधिकारों का दुरुपयोग करने की समस्या का सामना करना पड़ा।
  • मुकदमे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और फर्जी वेबसाइटों पर प्रसारित डीपफेक, हस्तक्षेप की गई इमेज, वीडियो और आवाज में बदलाव के विरुद्ध सुरक्षा की मांग की गई।

न्यायालय की मुख्य टिप्पणियाँ और आदेश

  • व्यक्तित्व की विशिष्टता: न्यायालय ने सद्गुरु की इमेज, हस्ताक्षर, वॉयस, अभिव्यक्ति शैली और पोशाक को कानूनी सुरक्षा के योग्य अद्वितीय गुण माना।
  • AI के दुरुपयोग का खतरा: इस बात पर प्रकाश डाला गया कि AI द्वारा संचालित दुरुपयोग एक “महामारी” की तरह तेजी से फैल सकता है, जिससे व्यक्तित्व अधिकारों और सार्वजनिक धारणा को अनियंत्रित क्षति हो सकती है।
  • “हाइड्रा-हेडेड” फर्जी वेबसाइट: उन वेबसाइटों की समस्या की पहचान की गई, जो निष्क्रिय होने पर भी मिरर या अल्फान्यूमेरिक वेरिएंट के रूप में पुनः दिखाई देती हैं, जिससे प्रवर्तन जटिल हो जाता है।

व्यक्तित्व अधिकारों के बारे में

  • यह उन कानूनी अधिकारों को संदर्भित करता है, जो किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व की अनूठी विशेषताओं, जैसे कि उसका नाम, इमेज, वाइस, समानता, हस्ताक्षर और अन्य पहचान योग्य विशेषताओं को अनधिकृत व्यावसायिक शोषण या दुरुपयोग से बचाते हैं। 
    • ये अधिकार मुख्य रूप से मशहूर हस्तियों और सार्वजनिक हस्तियों पर लागू होते हैं, जिनके व्यक्तित्व का व्यावसायिक या प्रतिष्ठा संबंधी मूल्य है। 
  • मुख्य सिद्धांत: केवल वह व्यक्ति, जो इन अद्वितीय व्यक्तिगत विशेषताओं को रखता है या जिसने इन्हें बनाया है, उसे मौद्रिक लाभ प्राप्त करने अथवा उनके उपयोग को नियंत्रित करने का विशेष अधिकार है। 
    • दूसरों द्वारा अनधिकृत उपयोग, विशेष रूप से व्यावसायिक लाभ के लिए, उल्लंघन माना जाता है।
  • प्रकार
    • प्रचार का अधिकार (ट्रेडमार्क उपयोग के समान): बिना अनुमति के किसी की छवि और समानता को व्यावसायिक रूप से शोषण से बचाने का अधिकार।
      • व्यापार चिह्न अधिनियम 1999 और प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम 1957 द्वारा शासित।
    • गोपनीयता का अधिकार: बिना अनुमति के किसी के व्यक्तित्व को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित न करने का अधिकार।

निषेधाज्ञा न्यायालय द्वारा जारी किया गया एक कानूनी उपाय है, जो किसी व्यक्ति या संस्था को किसी विशेष कार्य को करने से परहेज करने का आदेश देता है। निषेधाज्ञा एक न्यायालयीन आदेश है, जो इन अधिकारों के अनधिकृत उपयोग को रोकता है।

व्यक्तित्व अधिकारों से संबंधित न्यायिक उदाहरण

  • अमिताभ बच्चन मामला (वर्ष 2012 और वर्ष 2022): दिल्ली उच्च न्यायालय ने अमिताभ बच्चन के नाम, उपनामों और अभिव्यक्तियों के अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग को रोकने के लिए निषेधाज्ञा जारी की।
  • रजनीकांत मामला (वर्ष 2015): मद्रास उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि रजनीकांत का नाम और शैली संरक्षित सेलिब्रिटी व्यक्तित्व अधिकार हैं, जो फिल्म के शीर्षक में अनधिकृत उपयोग को रोकते हैं।
  • अनिल कपूर मामला (वर्ष 2023): दिल्ली उच्च न्यायालय ने कपूर की इमेज, नाम और AI-जनरेटेड समानता का लाभ के लिए दुरुपयोग करने वाली कई संस्थाओं के विरुद्ध एकतरफा सर्वव्यापी निषेधाज्ञा जारी की थी।
  • जैकी श्रॉफ मामला (वर्ष 2024): दिल्ली उच्च न्यायालय ने कलात्मक वीडियो को हटाने से इनकार करके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संतुलित करते हुए ई-कॉमर्स स्टोर, AI चैटबॉट और सोशल मीडिया द्वारा दुरुपयोग को रोककर श्रॉफ के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा की।

भारत में कानूनी ढाँचा

  • संवैधानिक आधार: व्यक्तित्व अधिकार अनुच्छेद-19(1)(A) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद-21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) में निहित हैं, जो अभिव्यक्ति और गोपनीयता के बीच संतुलन सुनिश्चित करते हैं।
  • प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम, 1957: कलाकारों को नैतिक अधिकार प्रदान करता है, जिससे उन्हें अपने प्रदर्शन या व्यक्तित्व के विरूपण अथवा अनधिकृत उपयोग को रोकने की अनुमति मिलती है।
  • व्यापार चिह्न अधिनियम 1999: धारा 14 के तहत व्यक्तिगत नामों और प्रतीकों के अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग को प्रतिबंधित करता है।
  • न्यायिक उदाहरण: के.एस. पुट्टास्वामी (2017) जैसे मामलों ने गोपनीयता अधिकारों को संरक्षित किया है, अनुच्छेद-21 के तहत व्यक्तित्व अधिकारों को मौलिक अधिकारों के रूप में मजबूत किया है।

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