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PG मेडिकल पाठ्यक्रमों में अधिवास के आधार पर कोटा संभव नहीं

Lokesh Pal February 01, 2025 03:30 20 0

संदर्भ

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य कोटा के अंतर्गत स्नातकोत्तर (Postgraduate-PG) मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए अधिवास-आधारित आरक्षण को असंवैधानिक घोषित कर दिया, साथ ही न्यायालय ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद-14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

संबंधित तथ्य 

  • यह निर्णय तन्वी बहल बनाम श्रेय गोयल एवं अन्य (2025) मामले में पंजाब तथा हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध अपील के जवाब में आया, जिसने PG मेडिकल प्रवेश में ऐसे अधिवास-आधारित आरक्षण को समाप्त कर दिया था।

PG मेडिकल प्रवेश में अधिवास कोटा: वर्तमान प्रणाली

  • PG मेडिकल सीटों के लिए, केंद्र कुल प्रवेश के 50% के लिए काउंसलिंग आयोजित करता है।
  • शेष 50% (राज्य कोटा) राज्य परामर्श निकायों द्वारा अपने नियमों के अनुसार भरा जाता है, जिसमें प्रायः अधिवास-आधारित आरक्षण भी शामिल होता है।

निर्णय के मुख्य बिंदु

  • समानता के अधिकार का उल्लंघन (अनुच्छेद-14): न्यायालय ने माना कि PG मेडिकल पाठ्यक्रमों में अधिवास-आधारित आरक्षण संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है, जो समानता के अधिकार की गारंटी देता है।
    • इस तरह के आरक्षण अन्य राज्यों के छात्रों के साथ असमान व्यवहार करते हैं, उन्हें समान अवसरों से वंचित करते हैं।
  • MBBS बनाम PG पाठ्यक्रमों में अनुमति: न्यायालय ने स्पष्ट किया कि MBBS पाठ्यक्रमों में एक निश्चित डिग्री के लिए अधिवास-आधारित आरक्षण की अनुमति हो सकती है, लेकिन PG मेडिकल पाठ्यक्रमों में यह अनुमति योग्य नहीं है।
    • PG पाठ्यक्रमों के लिए अत्यधिक विशिष्ट डॉक्टरों की आवश्यकता होती है एवं अधिवास के आधार पर आरक्षण योग्यता तथा गुणवत्ता से समझौता करेगा।
  • भारत का सामान्य अधिवास: न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि सभी भारतीयों का केवल एक ही अधिवास है, अर्थात, भारत का अधिवास (अनुच्छेद-5 के अनुसार)
    • भारत में राज्य या प्रांतीय अधिवास की अवधारणा एक गलत धारणा है।
  • योग्यता-आधारित प्रवेश: न्यायालय ने निर्णय दिया कि राज्य कोटा के अंतर्गत सीटें (कुल PG सीटों का 50%) अखिल भारतीय परीक्षा में योग्यता के आधार पर सख्ती से भरी जानी चाहिए।
    • केवल उचित संख्या में संस्था-आधारित आरक्षण की अनुमति दी जा सकती है।
  • पिछले प्रवेशों पर कोई प्रभाव नहीं: निर्णय अधिवास-आधारित आरक्षण के आधार पर पहले से दिए गए प्रवेशों को प्रभावित नहीं करेगा।

संवैधानिक प्रावधान

  • अनुच्छेद-5: नागरिकता प्रावधान
    • भारत के क्षेत्र में अधिवास को संदर्भित करता है, एकल भारतीय अधिवास की स्थापना करता है।
    • राज्यवार अधिवास का कोई प्रावधान नहीं।
  • अनुच्छेद-14: समानता का अधिकार
    • कानून के समक्ष समानता एवं कानूनों की समान सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
    • अधिवास-आधारित आरक्षण को समाप्त करने का आधार।
  • अनुच्छेद-15: भेदभाव का निषेध
    • धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है।
    • यह स्पष्ट रूप से निवास का उल्लेख नहीं करता है, लेकिन पिछड़े वर्गों एवं EWS के लिए आरक्षण की अनुमति देता है।
  • अनुच्छेद-16: सार्वजनिक रोजगार में समानता
    • अनुच्छेद-16 (2): कोई भी नागरिक, केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, वंश, जन्म स्थान, निवास या इनमें से किसी के आधार पर, किसी भी रोजगार या पद के लिए अयोग्य नहीं होगा या उसके साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। 
    • अनुच्छेद-16(3): संसद को राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकार या स्थानीय प्राधिकरण के तहत रोजगार के एक वर्ग या वर्गों के संबंध में राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के भीतर अधिवास निर्धारित करने वाला कोई भी कानून बनाने की अनुमति देता है।
  • अनुच्छेद-19(1)(e): प्रत्येक नागरिक को भारत के किसी भी हिस्से में अधिवास करने एवं बसने का अधिकार है, जिसका अनिवार्य रूप से तात्पर्य है कि वे अपने मूल स्थान या अन्य कारकों के आधार पर भेदभाव के बिना देश में कहीं भी रह सकते हैं तथा अध्ययन कर सकते हैं।

निर्णय के कारण 

  • PG पाठ्यक्रमों की विशिष्ट प्रकृति: PG मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए अत्यधिक कुशल पेशेवरों की आवश्यकता होती है एवं अधिवास के आधार पर आरक्षण, योग्यता तथा गुणवत्ता से समझौता करेगा।
  • मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: अधिवास-आधारित आरक्षण अन्य राज्यों के छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, उन्हें शैक्षिक अवसरों में समानता से वंचित करता है।
  • डॉ. प्रदीप जैन बनाम भारत संघ (1984) का उदाहरण: सर्वोच्च न्यायालय ने पहले माना था कि PG मेडिकल पाठ्यक्रमों में निवास-आधारित आरक्षण अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है।
    • हालाँकि, MBBS पाठ्यक्रमों में कुछ आरक्षण निम्नलिखित कारणों से स्वीकार्य है:-
      • बुनियादी ढाँचे एवं मेडिकल कॉलेजों पर राज्य का खर्च।
      • स्थानीय आवश्यकताओं एवं क्षेत्र के पिछड़ेपन पर विचार।

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