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भौतिकी का नोबेल 2025

Lokesh Pal October 09, 2025 02:36 130 0

संदर्भ

भौतिकी में वर्ष 2025 का नोबेल पुरस्कार जॉन क्लार्क, मिशेल देवोरे और जॉन मार्टिनिस को मैक्रोस्कोपिक क्वांटम टनलिंग और एनर्जी क्वांटाइजेशन (Energy Quantisation) को एक विद्युत परिपथ में प्रदर्शित करने के लिए प्रदान किया गया।

जोसफसन की खोज

  • संकल्पना: जोसफसन ने यह पूर्वानुमान लगाया कि यदि दो सुपरकंडक्टरों को एक पतली इन्सुलेटिंग परत से अलग किया जाए, तो इलेक्ट्रॉन बिना किसी वोल्टेज के उस अवरोध के पार क्वांटम टनलिंग (Quantum Tunnelling) कर सकते हैं।
  • घटना: इसे जोसफसन प्रभाव (Josephson Effect) कहा जाता है, जिसमें एक सुपरकरंट (Supercurrent) उत्पन्न होता है अर्थात् एक ऐसा विद्युत धारा, जो बिना किसी प्रतिरोध के प्रवाहित होती है।
  • मान्यता: जोसफसन को इस सैद्धांतिक भविष्यवाणी के लिए वर्ष 1973 का भौतिकी में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।
  • उपकरण: इस व्यवस्था को जोसफसन जंक्शन कहा गया।
  • प्रयोगात्मक उपयोग: यह सुपरकंडक्टिंग क्वांटम इंटरफेरेंस डिवाइसेज (SQUIDs) और अन्य अत्यंत सूक्ष्म चुंबकीय क्षेत्र मापने वाले उपकरणों में प्रयुक्त होता है।

वैज्ञानिकों के कार्य के बारे में 

  • इन तीनों वैज्ञानिकों ने यह प्रदर्शित किया कि अरबों कणों द्वारा निर्मित प्रणालियाँ भी सावधानीपूर्वक नियंत्रित परिस्थितियों में क्वांटम व्यवहार (Quantum Behaviour) प्रदर्शित कर सकती हैं।
  • उन्होंने जोसफसन की अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए यह जाँच की कि क्या पूरा विद्युत परिपथ, जो अरबों कणों से मिलकर निर्मित है, स्वयं एक एकल क्वांटम प्रणाली  की तरह व्यवहार कर सकता है।
  • प्रयोग: 1980 के दशक में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में इन वैज्ञानिकों ने एक ‘जोसफसन जंक्शन’ युक्त ‘सुपरकंडक्टिंग’ परिपथ बनाया।
    •  उन्होंने इसे परम शून्य क्रायोजेनिक तापमान तक ठंडा किया और इसे बाह्य व्यवधानों (जैसे- ऊष्मा, ध्वनि, और विद्युत चुंबकीय शोर) से पूर्णतः पृथक रखा।

मुख्य प्रयोगात्मक निष्कर्ष

  • इन अत्यंत निम्न तापमानों पर, पूरा परिपथ (केवल इलेक्ट्रॉनों नहीं) क्वांटम नियमों के अनुसार व्यवहार करने लगा।
  • यह परिपथ केवल विशिष्ट, असतत् ऊर्जा स्तरों (Discrete Energy Levels) पर ही अस्तित्व में रह सकता था, ठीक वैसे ही जैसे परमाणुओं (Atoms) में ऊर्जा क्वांटाइजेशन होता है।
  • उन्होंने यह भी देखा कि परिपथ बिना मध्यवर्ती अवस्थाओं से गुजरे इन ऊर्जा स्तरों के बीच ‘टनल’ कर सकता है, यह मैक्रोस्कोपिक क्वांटम टनलिंग’  का पहला प्रत्यक्ष प्रमाण था।

एनर्जी क्वांटाइजेशन

  • इसका अर्थ है कि किसी प्रणाली की ऊर्जा लगातार न होकर केवल विशिष्ट, स्थिर मानों तक सीमित होती है।
  • भौतिकी में  ऊर्जा सतत् रूप से परिवर्तित होती रहती है (जैसे- ढलान पर फिसलना)।
    • क्वांटम भौतिकी में ऊर्जा छोटे-छोटे पैकेट्स (Quanta) में बदलती है (जैसे- सीढ़ी चढ़ना, जहाँ आप केवल पायदानों पर खड़े हो सकते हैं)।
  • जब क्लार्क, देवोरे और मार्टिनिस ने देखा कि पूरा परिपथ केवल कुछ निश्चित ऊर्जा स्तरों पर ही अस्तित्त्व में रह सकता है और उनके बीच स्तर परिवर्तन कर सकता है, तो यह प्रमाणित हुआ कि बड़ी, दृश्यमान प्रणालियाँ भी क्वांटम नियमों का पालन कर सकती हैं,  जो कि ऊर्जा क्वांटाइजेशन का प्रमुख लक्षण (Hallmark) है।

  • वैज्ञानिक प्रगति: यह पहली बार था जब यह स्पष्ट रूप से सिद्ध हुआ कि क्वांटम प्रभाव केवल परमाणु या उप-परमाणविक स्तर तक सीमित नहीं, बल्कि मैक्रोस्कोपिक स्तर पर भी मौजूद हो सकते हैं।
    • उनके परिणामों ने सुपरकंडक्टिंग क्यूबिट्स (Superconducting Qubits) की नींव रखी, जो आज गूगल (Google) और आईबीएम (IBM) जैसी कंपनियों के क्वांटम कंप्यूटरों का मुख्य आधार हैं।

क्वांटम कंप्यूटिंग क्या है? 

  • संकल्पना: क्वांटम कंप्यूटिंग के अंतर्गत क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Mechanics) के सिद्धांतों का उपयोग करके जानकारी को ऐसे तरीकों से संसाधित करती है, जो पारंपरिक कंप्यूटर नहीं कर सकते।

  • क्यूबिट बनाम बिट: सामान्य कंप्यूटर बिट्स (0 या 1) का उपयोग करते हैं, जबकि क्वांटम कंप्यूटर क्यूबिट्स (Qubits) का उपयोग करते हैं, जो सुपरपोजिशन (Superposition) के कारण एक साथ कई अवस्थाओं में रह सकते हैं।
  • लाभ: ‘क्यूबिट्स’ एक साथ कई संभावनाओं को प्रदर्शित कर सकते हैं,  इसलिए क्वांटम कंप्यूटर पारंपरिक कंप्यूटरों से कई गुना तीव्र जटिल समस्याएँ हल कर सकते हैं।
  • उपयोग 
    • क्रिप्टोग्राफी: सुरक्षित संचार और कोड डिकोड में।
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): एल्गोरिदम के तीव्र प्रशिक्षण हेतु।
    • जलवायु मॉडलिंग: वैश्विक पूर्वानुमान के सटीक सिमुलेशन हेतु।
    • स्वास्थ्य सेवा: औषधि एवं आणविक विश्लेषण हेतु।
  • भारत का प्रयास: राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (वर्ष 2023–2031) के तहत भारत स्वदेशी क्वांटम कंप्यूटर, संचार नेटवर्क, और क्वांटम सेंसर विकसित करने का लक्ष्य रखता है।

क्वांटम यांत्रिकी के बारे में 

  • क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Mechanics) भौतिकी की वह शाखा है, जो बताती है कि पदार्थ और ऊर्जा परमाणु एवं उप-परमाणविक स्तरों पर कैसे व्यवहार करते हैं, जहाँ भौतिक मात्राएँ असतत् (Discrete) हो जाती हैं, कण तरंगों की तरह व्यवहार करते हैं और प्रक्रियाएँ संभावनाओं पर आधारित होती हैं, निश्चितताओं पर नहीं।

क्वांटम यांत्रिकी के प्रमुख सिद्धांत 

  •  सुपरपोजिशन
    • क्वांटम यांत्रिकी में कण एक साथ कई अवस्थाओं में रह सकते हैं, जब तक उनका अवलोकन न किया जाए।
    • एक क्यूबिट, 0 और 1 दोनों अवस्थाओं में एक साथ रह सकता है , जिससे विस्तृत समानांतर गणनाएँ (Parallel Computation) संभव होती हैं।
      •  उदाहरण: घूमता हुआ सिक्का “हेड्स” और “टेल्स” दोनों हो सकता है, जब तक वह गिर न जाए।

  • क्वांटम टनलिंग
    • इसमें कण उन बाधाओं को पार कर सकते हैं, जिन्हें पार करने के लिए उनके पास पर्याप्त ऊर्जा नहीं होती।
    •  ऐसा इसलिए होता है क्योंकि क्वांटम कण संभाव्यता तरंगों (Probability Waves) की तरह व्यवहार करते हैं।
    • उदाहरण
      • सूर्य की ऊर्जा: सूर्य के अंदर होने वाले संलयन (Fusion) में प्रोटॉनों की ‘टनलिंग’ होती है।
      • इलेक्ट्रॉनिक्स: टनल डायोड्स और फ्लैश मेमोरीज में इसका उपयोग।
      • क्वांटम सर्किट्स: जोसफसन जंक्शन में इलेक्ट्रॉन ‘टनलिंग’ करते हैं, यही सिद्धांत सुपरकंडक्टिंग क्यूबिट्स की नींव है और यही वह सिद्धांत है, जिसे वर्ष 2025 के नोबेल विजेताओं ने मैक्रोस्कोपिक स्तर पर सिद्ध किया।

  • क्वांटम एंटैंगलमेंट
    • जब दो कण ‘एंटैंगल्ड’ हो जाते हैं, तो एक में परिवर्तन होने पर  दूसरा तुरंत प्रभावित होता है चाहे वे कितनी भी दूरी पर हों।
    • यह सिद्धांत क्वांटम संचार और डेटा ट्रांसफर का आधार है।
  • क्वांटम इंटरफेरेंस
    • क्वांटम कण तरंगों की भाँति व्यवहार करते हैं और जब वे एक-दूसरे से ओवरलैप होते हैं तो एक-दूसरे को पुनर्योज्य या निरस्त (Reinforce or Cancel) कर सकते हैं।
    • यह गुण क्वांटम कंप्यूटरों को सही समाधान चुनने और गलत विकल्पों को हटाने में मदद करता है, जिससे गणनाएँ अधिक दक्ष और सटीक बनती हैं।

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