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पीजोइलेक्ट्रिक श्रवण अस्थि का प्रत्यारोपण

Lokesh Pal April 15, 2024 06:08 156 0

संदर्भ 

पुणे के कमांड अस्पताल में कान, नाक और गला (ENT) विभाग ने दो पीजोइलेक्ट्रिक श्रवण अस्थियों का प्रत्यारोपण किया है।

संबंधित तथ्य 

यह पीजोइलेक्ट्रिक श्रवण अस्थि के प्रत्यारोपण की खरीद और इनका सफलतापूर्वक संचालन करने वाला देश का पहला सरकारी अस्पताल बन गया है।

सक्रिय पीजोइलेक्ट्रिक अस्थि श्रवण चालन प्रत्यारोपण प्रणाली (Active Piezoelectric Bone Conduction Hearing Implant system)

  • श्रवणबाधित रोगियों, एक कान से बहरापन तथा कान से संबंधित अन्य प्रकार की बीमारियों के इलाज में यह उपकरण उपयोगी है।
  • अस्थि चालन प्रत्यारोपण के माध्यम से मिश्रित श्रवण-क्षति वाले रोगियों या एक कान से बहरे लोगों का निश्चित समाधान किया जा सकता है तथा इस प्रत्यारोपण के लाभार्थी श्रवण यंत्र का उपयोग करने वाला व्यक्ति हो सकता है।

अस्थि चालन की कार्यविधि (Working of Bone Conduction)

  • खोज: इसकी खोज 18वीं शताब्दी के प्रसिद्ध संगीतकार लुडविग वान बीथोवेन ने की थी, जो लगभग पूरी तरह से बहरे थे। बीथोवेन ने अपने जबड़े की हड्डी के माध्यम से पियानो की आवाज सुनने का तरीका खोजा। उन्होंने पियानो से एक छड़ को जोड़ा जिसे दाँतों से दबाकर संगीत को महसूस किया।
  • सुनने का तरीका 
    • कान के पर्दे (वायु-संचालित या वायु-संचारित)
      • कंपन का संचरण हवा के माध्यम से हमारे कान के पर्दों तक होता है।
      • फलस्वरूप कान के पर्दे कंपन करते हैं तथा इस ध्वनि तरंगों को कोक्लीअ (Cochlea) द्वारा प्राप्त किया जाता है जिसे आंतरिक कान (Inner Ear) भी कहा जाता है।

      • कोक्लीअ हमारी श्रवण तंत्रिका से जुड़ा होता है जो ध्वनि को हमारे मस्तिष्क तक पहुँचाता है।
    • हड्डियाँ (अस्थि-संचालित या अस्थि-संचारित/ Bone-conducted or Bone-transmitted)
      • अस्थि चालन (Bone Conduction) कान के पर्दों की भूमिका को समाप्त कर देता है क्योंकि अस्थि चालन उपकरण (जैसे हेडफोन) कान के पर्दों की तरह कार्य करते हैं।

      • ये उपकरण ध्वनि तरंगों को कंपन में परिवर्तित कर देते हैं जिसे कोक्लीअ द्वारा प्राप्त किया जा सकता है ताकि ईयरड्रम की आवश्यकता खत्म हो जाए।
      • ध्वनि का कानों तक संचरण हड्डियों और त्वचा के माध्यम से कंपन के रूप में होता है।

पीजोइलेक्ट्रिसिटी (Piezoelectricity)

  • इसका शाब्दिक अर्थ दबाव और गुप्त ऊष्मा से उत्पन्न विद्युत है।
  • यह विद्युत आवेश है जो यांत्रिक गड़बड़ी की स्थिति में कुछ ठोस सामग्रियों (क्रिस्टल, सिरेमिक और जैविक पदार्थ जैसे हड्डी, DNA और विभिन्न प्रोटीन) में एकत्र हो जाता  है।
  • अनुप्रयोग
    • इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में ध्वनि का उत्पादन एवं पता लगाना, पीजोइलेक्ट्रिक इंकजेट प्रिंटिंग (Piezoelectric Inkjet Printing) तथा उच्च वोल्टेज बिजली का उत्पादन।
    • इसका उपयोग कुछ इलेक्ट्रॉनिक गिटार तथा अधिकांश आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक ड्रमों में ट्रिगर (Trigger) के रूप में किया जाता है।
    • दैनिक उपयोग: गैस से खाना बनाने, गर्म करने वाले उपकरणों, सिगरेट लाइटर को प्रज्वलित करने के लिए चिंगारी उत्पन्न करने आदि में इसका उपयोग किया जाता है।

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