हाल ही में अमेरिकी चिकित्सकों ने पहली बार किसी मानव शरीर में सूअर की किडनी को प्रत्यारोपित करने में सफलता प्राप्त की है।
संबंधित तथ्य
कुछ वर्ष पहले, सूअर की किडनी को अस्थायी रूप से मृत मानव शरीर में प्रत्यारोपित किया गया था।
सूअर की किडनी (सितंबर 2021): न्यूयॉर्क में जीन-संपादित सूअर की किडनी को मृत मस्तिष्क वाले मानव शरीर में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया था।
संशोधित सूअर हृदय (जनवरी 2022-मैरीलैंड विश्वविद्यालय): चिकित्सकों ने आनुवंशिक रूप से संशोधित सूअर के हृदय का उपयोग एक रोगी पर किया था।
जर्मन अंग फार्म पहल (German Organ Farm Initiative): आनुवंशिक रूप से संशोधित अंगों के निर्माण के लिए फार्म स्थापित करना, जिसका लक्ष्य अंगों की कमी को दूर करना और प्रत्यारोपण की संभावनाओं को बढ़ाना है।
जेनोट्रांसप्लांटेशन के लिए पहला प्रयास (First Attempt for Xenotransplantation)
जेनोट्रांसप्लांटेशन प्रक्रिया को मनुष्यों में सफल बनाने की पहली कोशिश 1980 के दशक में की गई थी, जो हृदय से संबंधित है।
बेबी फे नामक अमेरिकी बच्चे को जन्मजात हृदय संबंधी बीमारी थी, जिसे वर्ष 1984 में एक बबून के हृदय से प्रत्यारोपित किया गया था।
जेनोट्रांसप्लांटेशन (Xenotransplantation)
प्रत्यारोपण प्रक्रिया: जेनोट्रांसप्लांटेशन एक प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति (विशेषकर जानवरों से मनुष्यों में) में अंगों को प्रत्यारोपित किया जाता है।
प्रत्यारोपण विधि के दौरान मानव प्राप्तकर्ता में प्रत्यारोपण (Transplantation), आरोपण (Implantation) या इनफ्यूजन (Infusion) में से कोई भी प्रक्रिया शामिल हो सकती है-
किसी गैर-मानवीय या पशु से प्राप्त जीवित कोशिकाएँ, ऊतक या अंग।
मानव शरीर के तरल पदार्थ, कोशिकाएँ, ऊतक या अंग जिनका पशु कोशिकाओं, ऊतकों या अंगों के साथ एक्स-विवो कांटेक्ट (Ex-vivo Contact) रहा है।
एक्स-विवो संपर्क (Ex-vivo Contact): यह एक चिकित्सीय प्रक्रिया है, जिसमें किसी अंग, कोशिका या ऊतक को उपचार या अन्य चिकित्सीय प्रक्रिया के लिए जीवित शरीर से प्रत्यारोपित किया जाता है।
जेनोट्रांसप्लांटेशन की आवश्यकता
जेनोट्रांसप्लांटेशन को मानव अंगों के प्रत्यारोपण के विकल्प के रूप में देखा जाता है जिसकी माँग दुनिया में बढ़ रही है।
वर्तमान में 1,00,000 से अधिक व्यक्ति अंग प्रत्यारोपण के लिए राष्ट्रीय प्रतीक्षा सूची में हैं, जिनमें से अधिकांश को किडनी की आवश्यकता है।
हाल के वर्षों में सूअरों के अंगों को मनुष्यों के साथ अधिक अनुकूलित बनाने के लिए सफलतापूर्वक आनुवंशिक संशोधन किया गया है, जो अंगों की गंभीर कमी को समाप्त करने की उम्मीदों को पुनर्जीवित करता है।
प्रत्यारोपण हेतु सूअर (Sus Scrofa Domestica) के चयन का कारण
सूअर पालन में आसानी: अंगों के प्रत्यारोपण में सूअर अन्य जीवों की तुलना में अधिक कारगर है, क्योंकि उन्हें पालना और छह महीने में वयस्क बनाना आसान होता है।
समान फिजियोलॉजी और एनाटॉमी (Similar Physiology & Anatomy): सूअर का शारीरिक विज्ञान मनुष्यों के समान होता है तथा सूअरों का प्रजनन व्यापक और लागत प्रभावी भी होता है।
आवश्यकता के अनुरूप: कई नस्लों के सूअर का पालन किया जाता है, जो मानव प्राप्तकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार अंगों के आकार के मिलान का अवसर प्रदान करता है।
जेनोट्रांसप्लांटेशन में नैतिक मुद्दे (Ethical Issues in Xenotransplantation)
पशु अधिकार: आलोचकों का कहना है कि जेनोट्रांसप्लांटेशन जानवरों के अधिकारों की उपेक्षा करता है। उनका तर्क है कि मानव लाभ के लिए जानवरों के आंतरिक अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए।
मानवकेंद्रितवाद और नैतिक जिम्मेदारी (Anthropocentrism and Moral Responsibility): जेनोट्रांसप्लांटेशन हमेशा मानवकेंद्रित दृष्टिकोण को दर्शाता है, जहाँ जानवरों के अधिकारों की तुलना में मनुष्यों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी गई है। यह दर्शन नैतिक चिंताओं को इंगित करता है तथा इसे पारिस्थितिकी संकटों में योगदान देने वाले कारक के रूप में देखा जाता है।
चिकित्सीय निहितार्थ: जेनोट्रांसप्लांट की प्रक्रिया में अंग अस्वीकृति (Organ Rejection) और अज्ञात परिणामों की संभावना भी रहती है, जो चिकित्सीय जोखिम का कारण है।
धार्मिक संघर्ष: सूअर के अंगों का प्रत्यारोपण कई व्यक्तियों के लिए अनैतिक हो जाता है, जो सामान्यतः धार्मिक मान्यताओं और सिद्धांतों पर आधारित हैं, परिणामस्वरूप चिकित्सीय विकल्प सीमित हो जाते हैं।
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