17 अक्टूबर को नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित एक अध्य्यन के अनुसार, पौधे अपने आसपास उपस्थित पौधों को खतरे की चेतावनी दे सकने में सक्षम होते हैं| यह अध्ययनपौधों की सुरक्षा के संबंध में लंबे समय से चले आ रहे प्रश्नों को सुलझाने में मदद कर सकता है।
इस अध्ययन से वैज्ञानिक पौधों के संवेदी अंगों की कल्पना कर सकने में सक्षम हो पाए हैं |
प्रमुख तथ्य:
चेतावनी की यह क्षमता पौधों द्वारा उत्सर्जित ग्रीन लीफ वोलेटाइल्स (Green Leaf Volatiles) की वजह से उत्पन्न गंध से निर्मित होती है।
इसे पौधों द्वारा वातावरण में तब स्रावित किया जाता है जबकि उन्हें किसी प्रकार की हानि पहुँचती है।
पौधों द्वारा स्रावित यह गंध अपने आसपास उपस्थित पौधों को इस बात की चेतावनी देने का कार्य करती है कि खतरा निकट है।
वैज्ञानिकों का यह दावा है कि पौधे अपने आसपास उपस्थित अन्य पौधों को किसी भी खतरे की चेतावनी दे सकने में सक्षम होते हैं और वे पौधों को होने वाले नुकसान के विषय में सचेत कर सकते हैं|
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पौधों के इस गुण का उपयोग कीटनाशकों का प्रयोग किए बिना ही कीटों से लड़ने के लिए किया जा सकता है और इससे किसानों को लाभ हो सकता है।
हालाँकि इस बात की पुष्टि हुई है कि पौधे खतरे का पता लगा लेते हैं किंतु वे अपनी सुरक्षा किस प्रकार से करते हैं इस बात की अभी स्पष्टता नहीं है।
ग्रीन लीफ वोलेटाइल (GLV) के बारे में :
यह पौधों द्वारा उत्सर्जित किया गया एक कार्बनिक यौगिक है।
पौधों द्वारा स्रावित ये रसायन एक ही प्रजाति के पौधों या अन्य प्रजातियों के पौधों यहाँ तक कि कीटों के प्रभाव के विषय में एक से दूसरे पौधे को सिग्नल या चेतावनी भेजने का कार्य करते हैं।
जीएलवी में सी6-ऐल्डिहाइड (C6-aldehydes) [(जेड)-3-हेक्सेनल, एन-हेक्सानल] तथा उनके डेरिवेटिव जैसे (जेड)-3-हेक्सेनॉल, (जेड)-3-हेक्सेन-1-yl एसीटेट और संबंधित ई-आइसोमर्स शामिल होते हैं।
लाभ :
नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित यह नया अध्ययन, पौधों की रक्षा के क्षेत्र में लंबे समय से चले आ रहे सवालों को सुलझाने में मदद कर सकने में सक्षम है।
इस अध्ययन के सफल होने से इस बात की संभावना है कि कीटनाशकों के प्रयोग के बिना ही यह फसलों की सुरक्षा का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
जब कोई पौधा क्षतिग्रस्त हो जाता है तो वह प्रतिक्रियाएँ शुरू कर देता है और जीएलवी को उप-उत्पाद के रूप में स्रावित करने लगता है, जो अन्य पौधों की सुरक्षा की दृष्टि से लाभकारी है।
जब भी कोई कीट किसी पौधे की पत्तियों को काटता है, तो कैल्शियम आयन पत्तियों की कोशिकाओं में भर जाते हैं।
चुनौतियाँ :
जैस्मोनिक एसिड, एक यौगिक है जो जैस्मीन चाय को अपनी विशिष्ट गंध देता है और यह जैस्मीन चाय के पौधों को सुरक्षा प्रदान करता है तथा कीटों को प्रभावी ढंग से दूर करता है।
हालाँकि यह गंध पौधों की सुरक्षा की दृष्टि से उपयोगी है किन्तु इससे पौधों को अपनी सारी ऊर्जा खुद को सुरक्षित रखने में लगानी पड़ती है और इससे फल और सब्जियों के निर्माण में पौधे अपनी बहुत कम ऊर्जा का ही उपयोग कर पाते हैं।
हालाँकि जीएलवी, फसलों को कीटों से होने वाले नुकसान को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं, किंतु यह समझने के लिए विशेष शोध की आवश्यकता है कि ये विशिष्ट यौगिक विशेष प्रकार के कीटाणुओं से सुरक्षा कैसे प्रदान करते हैं।
ऐसे अध्ययन अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं क्योंकि स्रावित यौगिक हवा में घुले हुए होते हैं।
निष्कर्ष :
वैज्ञानिकों द्वारा सरसों के पौधे पर पौधों की सुरक्षा विषय पर किए गए अध्ययन से इस बात की जानकारी मिलती है कि जीएलवी के संपर्क में आने के बाद उत्परिवर्ती सरसों में संवेदी जीन की उपस्थिति पाई गई।
इसका अर्थ यह है कि इन पौधों ने प्रयोग के दौरान इस्तेमाल किए गए यौगिकों को खतरे के संकेत के रूप में माना और खुद को बचाने के लिए उपाय करना शुरू कर दिया।
इस प्रयोग में शामिल वैज्ञानिक डॉ. गिलरॉय ने इस बात की पुष्टि की कि पौधे जीएलवी को विशिष्ट खतरे के संकेत मानते हैं।
इस शोध के विषय में वैज्ञानिकों का यह मानना है कि यह शोध कीट नियंत्रण में जीएलवी के उपयोग को प्रोत्साहित कर सकता है। साथ ही फसलों पर फैले जीएलवी, पौधों की सुरक्षा को सक्रिय कर सकते हैं।
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