एक यूरोपीय टीम की रिपोर्ट के अनुसार, प्लास्टिक में रसायन पिछले अनुमानों से कहीं अधिक हैं।
संबंधित तथ्य
नॉर्वेजियन रिसर्च काउंसिल (Norwegian Research Council) द्वारा वित्तपोषित यह रिपोर्ट तब आई है, जब सरकारी वार्ताकार बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए दुनिया की पहली संधि तैयार करने में जुटे हैं, क्योंकि प्रत्येक वर्ष लगभग 400 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है।
प्लास्टिक प्रदूषण
प्रकृति: प्लास्टिक पेट्रोकेमिकल्स से बना एक सिंथेटिक पॉलिमर है, जो प्राकृतिक रूप से नष्ट नहीं हो सकता है।
प्लास्टिक प्रदूषण का प्रभाव: प्लास्टिक प्रदूषण एक प्रमुख स्वास्थ्य जोखिम है, जो भयानक अनुपात तक पहुँच रहा है।
जलीय प्रजातियों को नुकसान पहुँचाना: फेंकी गई प्लास्टिक की वस्तुएँ अक्सर स्थलीय एवं जलीय आवासों में पहुँच जाती हैं, जहाँ वे प्रजातियों को नुकसान पहुँचाती हैं।
माइक्रोप्लास्टिक्स का निर्माण: फेंका गया प्लास्टिक माइक्रोप्लास्टिक्स में बदल जाता है, जिसका जीवित प्रजातियाँ उपभोग करती हैं एवं खाद्य शृंखला के साथ एकीकृत होकर खाद्य पदार्थों तक पहुँचती हैं।
डिस्पोजेबल प्लास्टिक की चिंता: डिस्पोजेबल एकल-उपयोग प्लास्टिक के समान विशेष चिंता का विषय हैं क्योंकि वे बड़ी मात्रा में निर्मित होते हैं एवं उपयोग करते ही नष्ट हो जाते हैं।
इन वस्तुओं में पॉलिथीन बैग, प्लास्टिक के गिलास, आलू वेफर पैकेज, पाउच, स्ट्रॉ एवं प्लास्टिक की बोतलें शामिल हैं।
अध्ययन की मुख्य विशेषताएँ
प्लास्टिक में नए रसायनों की खोज: प्लास्टिक में 3,000 से अधिक नए यौगिकों की खोज की गई है, जो पर्यावरण एजेंसियों के पहले के अनुमानों से कहीं अधिक है।
ये यौगिक विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक उत्पादों में पाए जाते हैं, जिनमें खाद्य पैकेजिंग, खिलौने एवं चिकित्सा उपकरण शामिल हैं।
मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा: वैज्ञानिकों द्वारा प्लास्टिक में खोजे गए 16,000 रसायनों में से लगभग एक-चौथाई को मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण दोनों के लिए खतरनाक माना जाता है।
मानव और पर्यावरण पर प्लास्टिक रसायनों का प्रभाव: प्लास्टिक रसायन जल एवं भोजन में जा सकते हैं।
मनुष्यों में सैकड़ों प्लास्टिक यौगिक पाए गए हैं, जिनमें से कुछ स्वास्थ्य के हानिकारक प्रभावों से जुड़े हैं।
ऐसे परिणामों में प्रजनन संबंधी समस्याएँ एवं हृदय संबंधी रोग शामिल हैं।
प्लास्टिक कचरे की मात्रा: प्रत्येक वर्ष लगभग 400 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है, जो इस पर्यावरणीय आपदा से निपटने की आवश्यकता पर बल देता है।
आगे की राह
संबोधित करना पर्याप्त नहीं: हालाँकि प्लास्टिक उद्योग से जुड़े हितधारकों ने कहा है कि किसी भी वैश्विक संधि को प्लास्टिक रीसाइक्लिंग एवं पुन: उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए, केवल प्लास्टिक कचरे को संबोधित करना लोगों की सुरक्षा के लिए अपर्याप्त है।
अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता: प्लास्टिक में शामिल होने वाले रसायनों के लिए अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता है, विशेष रूप से पुनर्चक्रित वस्तुओं में उपयोग किए जाने वाले रसायनों के लिए।
रसायनों के बारे में जानकारी का अभाव: खोजे गए रसायनों के एक बड़े हिस्से (एक-चौथाई) में उनकी बुनियादी रासायनिक पहचान के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी का अभाव है।
प्रकटीकरण के लिए प्रोत्साहन का अभाव: प्लास्टिक में पहचाने गए केवल 6% यौगिकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विनियमित किया जाता है, जो दर्शाता है कि नियामक दबाव के अभाव में प्रकटीकरण के लिए कोई प्रेरणा नहीं है।
एक वैश्विक प्लास्टिक संधि इन चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकती है।
वार्ताएँ: प्लास्टिक संधि पर बातचीत चल रही है, जिसका अगला सत्र अप्रैल महीने में ओटावा, कनाडा में संपन्न होगा, जिसका लक्ष्य दिसंबर 2024 में बुसान, दक्षिण कोरिया में इस समझौते को अंतिम रूप देना है।
प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने के लिए वैश्विक संधि
मार्च 2022 में, वैश्विक प्लास्टिक संकट पर बहस के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा नैरोबी (केन्या) में बुलाई गई।
175 देशों ने प्लास्टिक प्रदूषण के लिए एक वैश्विक संधि को अपनाने के लिए मतदान किया।
ये सभी देश आगामी संधि की एक त्वरित समय सीमा पर सहमत हुए ताकि संधि जल्द-से-जल्द वर्ष 2025 तक लागू हो सके।
संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य दिसंबर 2024 तक दक्षिण कोरियाई शहर बुसान में संधि को अंतिम रूप देना है।
जब तक सरकारें कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक नियमों के साथ एक महत्त्वाकांक्षी एवं निष्पक्ष संधि पर सहमत नहीं होती हैं तब तक प्लास्टिक प्रदूषण के वर्ष 2040 तक तीन गुना होने की संभावना है।
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