जम्मू-कश्मीर सरकार ने धार्मिक स्थलों, विशेषकर मस्जिदों को प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के अंतर्गत शामिल करने को मंजूरी दे दी है।
इस पहल का उद्देश्य कश्मीर में मस्जिदों की अद्वितीय बहु-स्तरीय और चौड़ी ढलान वाली छतों का उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा उत्पन्न करने और क्षेत्र में बार-बार होने वाली बिजली कटौती की समस्या से निपटने के लिए करना है।
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना
सूर्य घर बिजली योजना 75,000 करोड़ रुपये की केंद्र सरकार की पहल है, जिसका उद्देश्य संपूर्ण भारत में छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र (RTS) स्थापित करने की प्रक्रिया को बढ़ावा देना है।
15 फरवरी, 2024 को लॉन्च किया गया।
उद्देश्य: इसका उद्देश्य मार्च 2027 तक एक करोड़ घरों में छत पर सौर पैनल लगाना, मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना और सतत् ऊर्जा प्रथाओं को बढ़ावा देना है।
इसका लक्ष्य RTS स्थापना के माध्यम से एक करोड़ परिवारों को प्रति माह 300 यूनिट मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना है।
नोडल मंत्रालय: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE)।
सब्सिडी प्रावधान: यह योजना छतों पर सौर पैनल लगाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है:
2 किलोवाट क्षमता तक की प्रणालियों के लिए 60% सब्सिडी।
2-3 किलोवाट क्षमता के मध्य की क्षमता युक्त प्रणालियों के लिए 40% सब्सिडी।
कार्यान्वयन एजेंसी
डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियों) को राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों (SIAs) के रूप में नामित किया गया है।
डिस्कॉम को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है:
नेट मीटर की उपलब्धता।
सौर पैनल प्रतिष्ठानों का समय पर निरीक्षण और कमीशनिंग।
डिस्कॉम के लिए प्रोत्साहन: डिस्कॉम को स्थापित आधार रेखाओं से आगे ग्रिड से जुड़ी छत पर सौर क्षमता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।
पात्रता मानदंड
आवेदक भारतीय नागरिक होने चाहिए।
उनके पास सौर पैनल लगाने के लिए उपयुक्त छत वाला घर होना चाहिए।
एक वैध बिजली कनेक्शन की आवश्यकता होती है।
आवेदक को किसी अन्य सौर पैनल सब्सिडी का लाभ नहीं उठाना चाहिए।
यह व्यापक दृष्टिकोण विभिन्न घरों में अक्षय ऊर्जा को एकीकृत करता है, जो राष्ट्रीय ऊर्जा लक्ष्यों का समर्थन करते हुए बिजली की आवश्यकताओं के लिए एक स्थायी समाधान प्रदान करता है।
मॉडल सोलर विलेज (Model Solar Village) के बारे में
PM सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के ‘मॉडल सोलर विलेज’ घटक के तहत, पूरे भारत में प्रति जिले एक मॉडल सोलर विलेज स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
इस पहल का उद्देश्य सौर ऊर्जा अपनाने को बढ़ावा देना एवं ग्रामीण समुदायों को ऊर्जा आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाना है।
उद्देश्य: सौर ऊर्जा अपनाने को बढ़ावा देना एवं ऊर्जा आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए समुदायों को सशक्त बनाना।
फंडिंग: इस घटक के लिए ₹800 करोड़ का आवंटन निर्धारित किया गया है, जिसमें प्रत्येक चयनित मॉडल सौर गाँव को ₹1 करोड़ प्रदान किया गया है।
पात्रता मानदंड: राजस्व ग्राम का दर्जा आवश्यक।
जनसंख्या सीमाएँ
सामान्य राज्यों में 5,000 या अधिक।
विशेष श्रेणी के राज्यों में 2,000 या अधिक।
चयन प्रक्रिया
पहचान के छह महीने बाद गाँवों का मूल्यांकन उनकी वितरित नवीकरणीय ऊर्जा (RE) क्षमता के आधार पर किया गया।
प्रति जिले RE क्षमता में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले गाँव को वित्तीय अनुदान प्राप्त होता है।
कार्यान्वयन: जिला स्तरीय समिति (DLC) की देखरेख में राज्य/केंद्रशासित प्रदेश नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी द्वारा निरीक्षण।
लक्ष्य: गाँवों को सौर ऊर्जा में परिवर्तित करना एवं प्रतिकृति के लिए मानक बनाना।
पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के लाभ
वित्तीय बचत: लाभार्थियों के लिए बिजली बिल में कमी या शून्य।
स्थायित्व: स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देता है, कार्बन उत्सर्जन को कम करता है।
ऊर्जा सुरक्षा: पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम करता है।
आर्थिक विकास: घरेलू सौर विनिर्माण उद्योग को बढ़ावा देता है।
योजना के अंतर्गत उपलब्धियाँ
संचयी स्थापित क्षमता: भारत ने अगस्त 2024 तक 13,889 मेगावाट की संचयी स्थापित रूफटॉप सौर क्षमता प्राप्त कर ली है।
राज्यवार स्थापनाएँ: गुजरात के 7-10 लाख घर RTS सिस्टम से युक्त हैं।
गुजरात 4,195 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ सबसे आगे है, उसके बाद महाराष्ट्र (2,487 मेगावाट) और राजस्थान (1,269 मेगावाट) का स्थान है।
वित्तीय समावेशन: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक RTS स्थापनाओं के लिए संपार्श्विक-मुक्त ऋण प्रदान करते हैं।
चुनौतियाँ
वित्तीय बोझ: लाभार्थी प्रायः स्थापना के लिए बैंक ऋण पर निर्भर रहते हैं।
सीमित सब्सिडी पात्रता: सब्सिडी केवल घरेलू पैनल वाले सौर पैनलों तक सीमित है, जो महँगे हैं।
बैटरी बैकअप की कमी: घरों में बिजली कटौती की आशंका बनी रहती है।
डिस्कॉम चुनौतियाँ: वितरण कंपनियों को छत पर सौर ऊर्जा को एकीकृत करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
अधूरे लक्ष्य: वर्ष 2022 तक 40 गीगावाट RTS क्षमता का लक्ष्य प्राप्त नहीं किया गया है।
कम घरेलू सहभागिता: कुल क्षमता का केवल 25% घरेलू है।
आगे की राह
सब्सिडी और पहुँच का विस्तार करना: व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी की मात्रा बढ़ाना और आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाना।
बैटरी स्टोरेज को बढ़ावा देना: ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने और ग्रिड एकीकरण चुनौतियों का समाधान करने के लिए बैटरी स्टोरेज सिस्टम को अपनाने को प्रोत्साहित करना।
‘डिस्कॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर’ को मजबूत करना: सौर ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि को समायोजित करने और निर्बाध एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए वितरण नेटवर्क को अपग्रेड करना।
जागरूकता और क्षमता निर्माण करना: लाभार्थियों को योजना के लाभों और सौर ऊर्जा के तकनीकी पहलुओं के बारे में शिक्षित करने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान संचालित करना।
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